जेएनयू में फ़ीस बढ़ाने का मतलब?

“देश का हर आर्थिक रूप से कमजोर छात्र जिसकी हर महीने पांच-छः हजार देने की हैसियत नहीं है। वह जेएनयू की अहमियत समझता है। देश में एक मिसाल के तौर पर जेएनयू चमकता हुआ स्टार है। जेएनयू ही वह उम्मीद है जहां देश के हर कोने से गरीब meritorious students (मेघावी छात्र) सस्ती और अच्छी शिक्षा हासिल करता है। यह देश का प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है जहाँ पैसा व किसी सोर्स की नहीं, बल्कि असल में प्रतिभा की परख होती है। जहाँ हर छात्र का पढ़ना सपना होता है।

आज जेएनयू की फीस तीन गुना बढ़ाकर कमजोर वर्ग के तबके के छात्रों का दरवाजा बंद करने का सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ जेएनयू के छात्र सड़क पर हैं। पिछले दो साल पहले जेएनयू को सरकार की बदनाम करने की नाकाम कोशिश रही थी। अबकी बार भी यहीं होगा। लड़ेंगे, जीतेंगे।

जेएनयू में एक बार मौका एम.ए में मिला था, लेकिन कुछ निजी कारणों से एडमिशन नहीं ले पाया। लेकिन वहां महीने भर रहा हूं। जेएनयू हर मामले में अन्य विश्वविद्यालय से बेहतर और अलग है। ज्ञान और संस्कृति के रूप में एक सुंदर मिनी कन्ट्रीज़ जैसा। जहां से पढ़कर छात्र डॉक्टर, इंजीनियर, ऑफिसर, टीचर, पत्रकार और विभिन्न क्षेत्रों के अलावा देश दुनियां की अच्छी समझ के साथ एक बेहतर इंसान बनकर निकलता है।

जो सरकार सस्ती शिक्षा और रोजगार छीने, हमारे पास सड़क पर आंदोलन के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचता। जेएनयू के छात्रों के ज्ञान और साहस को सलाम! जो सरकार के सामने झुके नहीं हैं। आप जेएनयू के वर्तमान और भविष्य के बेहतरी के लिए खड़े हों।”

कॉमरेड प्रदीप कोल जी ( रिसर्च स्कॉलर हिंदी विभाग , इलाहाबाद विश्वविद्यालय ) का पोस्ट

We shall fight
We shall win !

#StandWithJNU

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