हम भारतीय 120 करोड़ से ज्यादा होंगे और ओर जब तक हम लिख रहे होंगे कुछ लाख और बढ़ चुके होंगे,सभी लोग न सिर्फ़ अपने देश वरन दुनिया और इस पृथ्वी ,ब्रह्माण्ड का भला चाहते हैं। अपने देश को मज़बूत,समृद्ध बनते देखना चाहते हैं। दुश्मनों को हराना भी चाहते हैं।
लेकिन कुछ ऐसी जानकारियां जो आपको आमतौर पर मीडिया और सरकारों से नहीं मिलतीं वह बताता वह आपको बताना चाहता हूँ। और स्वयं देखिये कि देशभक्ति के लिए, देश की तरक्की के लिए ,देश की मजबूती के लिए इन स्थितियों पर जीत हासिल करना कितना ज़रूरी है। शिशु मृत्यु दर(IMR )
भारत 44,
पाकिस्तान 69,
बांग्लादेश 33,श्रीलंका8,
चीन 12 यू एस ए 6 जापान 8.
उपरोक्त शब्द शिशु म्रत्यु दर (IMR) का अर्थ है
एक साल से छोटे बच्चों की मृत्यु दर प्रति हज़ार जीवित जन्म।
IMR सिर्फ शिशु मृत्यु दर ही नहीं अपितु देश की समृद्धि और जीवन की गुणवत्ता को मापने का भी पैमाना है। और आप देख सकते हैं कि जहाँ हमारे पड़ोसी छोटे से देश श्रीलंका में मात्र 8 बच्चे प्रति हज़ार जन्म की मृत्यु होती है। भारत में यह दर 44 बच्चे प्रति हज़ार शिशु जन्म है। विकसित देशों जैसे अमेरिका,जापान,इंग्लैंड,सिंगापूर,फ़्रांस,ऑस्ट्रेलिया वगैरह से तो हम बहुत पीछे हैं ही हमारे पड़ोसी चीन और बांग्लादेश ने इस मामले में बहुत तरक्की की है। हम बस इसमें खुश होते रहें क्या कि पाकिस्तान हमसे भी कहीं ख़राब हालात में है । पांच वर्ष से छोटे बच्चों की मृत्यु दर प्रति हज़ार जन्म।
.भारत 56
पाकिस्तान 86
बांग्लादेश 41
चीन 14,
जापान 3
श्रीलंका14.
भारत के कुछ राज्य जिनमे यह दर राष्ट्रीय औसत से भी कहीं ज़्यादा है निम्न हैं।
टॉप पर था मध्य प्रदेशश (2012 जनगणना)
सबसे जयादा शिशु म्रत्यु दर मध्य प्रदेश 56, आसाम 55, उड़ीसा 53, उतर प्रदेश 53.
विश्व में: Child survival rate सबसे अच्छा सिंगापुर का 99 है ।
भारत अनेकों बीमारियों में विश्व में नंबर 1 या नंबर 2 की पोज़िशन पर है। और हमारी ओलंपिक टैली इसी बात का लक्षण मात्र है।
कुछ बीमारियां,
टीबी मे प्रथम
डायबिटीज मे प्रथम
मुह का कैन्सर मे प्रथम
निम्न दो देश दुनिया की सबसे ज़्यादा मातृ मृत्यु वाले देश हैं।
पहला है भारत 17 प्रतिशत
दूसरा नाइजीरिया 14 प्रतिशत।
अर्थात गर्भस्थ माँ या डिलीवरी और उसके बाद की होने वाली
जटिलताओं से मौतों की संख्या में से 17 प्रतिशत पूरे विश्व भारत में सर्वाधिक मातृ मृत्यु दर है।
एड्स के सर्वाधिक केस दुनिया में निम्न देशों में हैं। हम शर्मीले, तीसरे स्थान पर हैं। जब पाश्चात्य संस्कृति की बिकनी को हम निम्न स्तरीय संस्कृति कह रहे थे वे अपने देश से एड्स के प्रसार को ख़त्म कर प्रसार दर शून्य पर ला रहे थे।
एच आई वी इंफेक्शन से पीड़ित पहले तीन देश:
1. साउथ अफ्रीका 52 लाख
2.नाइजीरिया 33 लाख
3. भारत 24 लाख।
मैंने सिर्फ ट्रेलर दिया है छोटा सा।
मूल कारण:
क्रमानुसार हैं
अज्ञानता,
ग़रीबी,
अशिक्षा
अज्ञानता अर्थात स्वास्थ्य जागरूकता में नितांत कमी और अवैज्ञानिक धारणाएं और परंपराएं प्रमुख हैं।
ग़रीबी से 10 गुना बड़ा कारण है अज्ञानता। और अज्ञानता तथा अशिक्षा अलग अलग बात है। शिक्षित व्यक्ति भी अज्ञानी हो सकता है और अशिक्षित भी ज्ञानी।
सरकार की बहुत कोशिशों और विज्ञापनों के बावजूद सिर्फ 50 प्रतिशत माएं फ्री में दिया जाने वाला माँ का दूध पिलाती हैं।
टीकाकारण मात्र 40 प्रतिशत शिशुओं को दिलवाया जाता है।
माँ को आज भी गर्भावस्था में प्रोटीन और आयरन युक्त खाना न देकर बहुत से फर्जी परहेज़ कराये जाते हैं।
हमारे पास दो रास्ते हैं या तो तेज़ तेज़ मेरा भारत महान चिल्ला कर कुछ दशक और निकालें या भारत को महान बनाने छोटे छोटे प्रयास शुरू करें।
स्वस्थ रहना और स्वस्थ रखना हम सबकी ज़िम्मेदारी और यह भी देशभक्ति है यह भावना विकसित करने की ज़रूरत है
सरकारें प्रयासरत हैं चलिए हम सब भी प्रयास करते है ।
स्वस्थ जन
समृद्ध राष्ट्र
कुछ व्यवहारिक उपाय:
1. गन्दगी न करें। ज़मीन,अस्पताल,कलेक्ट्रेट,कोर्ट जैसी। इमारतों की इज़्ज़त करें यह हमारी हैं।
2. शिशु स्वास्थ्य जैसे स्तनपान,टीकाकरण, पोषण पर ध्यान दें।
मानसिक विकास और मानसिक एवं आत्मिक स्वास्थ्य के लिए उन्हें समय दें, प्रेरक कहानी सुनाएँ।
3. मीडिया से जुड़े लोग स्वास्थ्य के विषय को ज़रूर ज़गह दें अपने पन्नों एवं कार्यक्रमों में। यदि संभव हो तो एक साप्ताहिक कॉलम मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य का आरंभ करें।
धन्यवाद आपका डॉ रमेश रावत (7800977008)
Bahut khub bhai waah