बिहार में मुजफ्फरपुर में हुए बालिका गृह कांड के बाद उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया में मां विंध्यवासिनी बालगृह बालिका शेल्टर होम में कथित यौन शोषण का मामला उजागर हुआ । हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत मामले को गम्भीरता से लेते हुए जिलाधिकारी को हटा दिया और घटना की सीबीआई जांच कराने का आदेश जारी कर दिया। जिस पर संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच की खुद मॉनिटरिंग की बात कही है. सामाजिक कार्यकर्ता पद्मा सिंह और अनुराधा द्वारा दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने 13 अगस्त तक सभी जानकारियां तलब की हैं.
याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने पूछा कि सीबीआई ने मामले में अभी केस दर्ज किया है कि नहीं. डिवीज़न बेंच ने सरकार से पूछा कि सेक्स रैकेट के पीछे राजनेता व वीआईपी तो नही हैं? हाईकोर्ट ने सभी लड़कियों के बयान भी तलब किए हैं. अदालत ने पूछा कि डीएम को हटाया गया, लेकिन पुलिस अफसरों के खिलाफ क्यों कार्रवाई नहीं की गई. अदालत ने यह भी जानकारी मांगी है कि संस्था ब्लैक लिस्ट थी तो पुलिस इस शेल्टर होम में लड़कियों को क्यों भेजती थी.
अदालत ने एडीजी को लापता लड़कियों का भी पता लगाने को कहा है. साथ ही शेल्टर होम में आने वाले वाहनों व व्यक्तियों का भी ब्यौरा मांगा है. अदालत ने शेल्टर होम से हटाई गई लड़कियों के पुनर्वास की भी जानकारी मांगी है. मामले में कोर्ट ने 13 अगस्त तक सभी जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया है.
बता दें इससे पहले सरकार की तरफ से गठित दो सदस्यीय टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट को मुख्यमंत्री को सौंपा था. जिसके बाद मंगलवार रात प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्यमंत्री ने मामले में सीबीआई जांच की संस्तुति की थी. साथ है सबूतों के साथ छेड़खानी न हो इसलिए एडीजी क्राइम के नेत्रित्व में एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने मामले में जिला प्रशासन की गलती बताते हुए पूर्व डीएम के खिलाफ चार्जशीट जारी करने का भी निर्देश दिया.
क्या है पूरा मामला —?
5अगस्त रविवार शाम देवरिया के विंध्यवासिनी बाल संरक्षण गृह से भागी लड़की ने पुलिस को जब यह जानकारी दी तो हड़कंप मच गया। पुलिस ने रात में ही संरक्षण गृह पर छापा मारा तो 42 में से 18 लड़कियां गायब मिलीं। देवरिया के डीपीओ ने कहा कि मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाजिक सेवा संस्थान द्वारा संचालित नारी संरक्षण गृह में पहले भी अनिमियता पाई गई थी, उसके आधार पर इनकी मान्यता स्थगित कर दी गई थी।
इसके बावजूद संचालिका हाईकोर्ट से स्थगनादेश लेकर इसे चला रही है। संचालिका और उसके पति दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में मानव तस्करी, देह व्यापार व बाल श्रम से जुड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस अधीक्षक रोहन पी. कनय ने बताया कि नारी संरक्षण गृह के बारे में लंबे समय से शिकायत मिल रही थी। मां विंध्यवासिनी महिला एवं बालिका संरक्षण गृह की सूची में 42 लड़कियों के नाम दर्ज हैं, लेकिन छापे में मौके पर केवल 24 मिलीं। बाकी 18 लड़कियों का पता लगाया जा रहा है। एसपी ने बताया कि अनियमितताओं के कारण इसकी मान्यता जून-2017 में समाप्त कर दी गई थी। लेकिन संचालिका हाईकोर्ट से स्थगनादेश लेकर इसे चला रही है।
उन्होंने बताया कि बिहार के बेतिया जिले की 10 साल की बच्ची देर शाम किसी तरह संरक्षण गृह से निकलकर महिला थाने पहुंची। वहां उसने संरक्षण गृह की अनियमितताओं के बारे में जानकारी दी। बच्ची के मुताबिक, वहां शाम चार बजे के बाद रोजाना कई लोग काले और सफेद रंग की कारों से आते थे और मैडम के साथ लड़कियों को लेकर जाते थे, वे देर रात रोते हुए लौटती थीं। संरक्षण गृह में भी गलत काम होता है।
एसपी ने बताया कि संचालिका गिरिजा त्रिपाठी और उनके पति मोहन इनके बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं। ऐसे में दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में मानव तस्करी, देह व्यापार व बाल श्रम से जुड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
इस गंभीर मामले को देखते हुए राजनीतिक पार्टियों में हलचल सी मच गई है विपक्ष हमलावर है ,तो वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट भी इस घटना को लेकर गंभीरता बनाए हुए हैं । प्रकरण का खुलासा तो सीबीआई जांच के बाद ही हो पायेगी इसके पीछे कौन कौन लोग है।
रिपोर्ट : अजय प्रकाश सरोज