आप सभी को यह बताते हुए हमें गर्व और हर्ष की अनुभूति हो रही है कि विश्व का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल जिसे आपमें से कुछ लोग सी.आर.पी.एफ़. के नाम से जानते हैं आज 27 जुलाई 2018 को देश की सेवा में अपने 79 वर्ष पूर्ण कर रहा है । तीन लाख से भी अधिक जांबाजो का यह समूह देश की आतंरिक सुरक्षा का सबसे बड़ा प्रहरी है , किन्तु यह एक विचारणीय एवं दुखद तथ्य है कि ये महान बल जिसकी वीरता और बलिदानों की कहानियों का साक्षी देश का हर एक जर्रा है आज अपने इस देश में पहचान का मोहताज है |
हमारे देश का तथाकथित पढ़ा लिखा और जागरुक नागरिक जो कि भारतीय सिनेमा और धारावाहिकों में काम करने वाले बड़े सितारों के अलावा चेले-चमचों की भूमिका करने वालों को और पश्चिमी गायकों और सितारों के नाम और आवाज सब पहचानते हैं वो ये भी नहीं जानते कि हम कौन हैं और क्या करते हैं ? और तो और लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ और सर्वज्ञ मीडिया के स्वयंभू पत्रकार भी जब हमें देख कर सेना-सेना कह कर बुलाते हैं तो आश्चर्य होता है कि देश के जिन नागरिकों की सेवा और सुरक्षा में हम विगत 78 वर्षों से अहर्निश तत्पर हैं उन्हें हमारी खबर भी नहीं है |
इस लिए आज आप सब को यह बताना जरूरी है कि हम कौन हैं और आपकी सेवा में कहाँ-कहाँ और क्या क्या कर रहे हैं तो सुने ,सन 1939 में स्थापित यह बल जिसने आजादी के बाद रियासतों के हिन्दुस्तान में विलय में प्रमुख भूमिका निभाई, चम्बल के डाकुओं का सफाया करने वाले , चीन युद्ध के दौरान हॉट स्प्रिंग में सर्वप्रथम शहादत देने वाले हम ही थे , हम वही हैं जो बस मुट्ठी भर (120) हो कर भी 1965 की लड़ाई के दौरान कच्छ के रेगिस्तान में पाकिस्तानी ब्रिगेड के 3500 की हथियारबंद टोली को घुटनों पर ले आये थे ।
हम वो हैं जिन्होंने उत्तर-पूर्व से उग्रवाद और पंजाब के आतंकवाद को अपनी बंदूकों के जोर पर ख़त्म किया है । हम वो हैं जिन्होंने आतंकवादियों के हमलों से देश की संसद और अयोध्या के राम मंदिर की रक्षा की है , सांप्रदायिक दंगों के दौरान नीली वर्दी पहने द्रुत गति से आने वाले भी हम हैं और मध्यभारत के जंगलों में नासूर बन रहे नक्सलवाद के खिलाफ हरी धारीदार वर्दी पहने बारूद बिछाई गयी धरती को अपने खून से सींच कर तिरंगा थामें हुए संविधान और क़ानून की रक्षा करने वाले भी हम ही हैं |
लोकतंत्र के उत्सव चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान का बीड़ा उठाने वाले हम वो हैं जिनके बूटों की धमक सुनकर उपद्रवियों के दिल में दहशत फ़ैल जाती है | कश्मीर की घाटी में एक हाथ में लाठी , दूसरे में ढाल थामे पड़ोसी मुल्क के टुकड़ों की लालच और मानवाधिकारों की आड़ में गद्दारों के हाथों बरसते पत्थरों को चुपचाप सहने वाले भी हम हैं और श्रीनगर एयरपोर्ट की निगेहबानी करने वाले भी हम हैं, हम वो हैं जो अयोध्या, मथुरा , काशी , माँ वैष्णो देवी और अमरनाथ की यात्रा के दौरान आपके मुहाफ़िज़ हैं और प्राकृतिक आपदा के समय एन डी आर एफ के रूप में , काली वर्दी पहने एन.एस.जी. में और सफारी सूट पहने एस.पी.जी. में हम ही हैं |
बलिदान और वीरता की सूची में सर्वप्रथम हम ही हैं हम हर जगह आपकी और देश की सेवा और रक्षा में तत्पर हैं बस यही अभीलाषा है कि हमें पहचानों हम केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल हैं जो बस नाम के लिए रिजर्व हैं और देश के लिए सदैव तैनात हैं , तत्पर है ……जय हिन्द( कमांडेंट नितीन्द्र नाथ के व्हाट्सएप से प्राप्त)