यूपी का विपक्ष मौन क्यों है ?

वो 72 में से 56 यादव एसडीएम की फर्जी खबर व्हाट्सएप से फैलाते रहे। इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ और रिटायर्ड आईपीएस सूर्यप्रताप सिंह इसे फेसबुक पर लिखता रहा। अखबार इशारों में एक जाति विशेष के यादव एसडीएम छापते रहे। अखिलेश सरकार का कोई प्रवक्ता इसपर सफाई तक न दे पाया। यूपी सरकार की वेबसाइट पर पूरा रिजल्ट पड़ा था।

अफवाह सच मान ली गयी। अब गोरखपुर विश्वविद्यालय में 71 पदों पर मुख्यमंत्री के एक जातीय के 52 असिस्टेंट प्रोफेसर चुने गए हैं। देश के सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय में केवल ब्राह्मण जाति के लोगों की खुला नियुक्ति पत्र देकर असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया जा रहा है.

अपने ट्वीटर से इसपर टिप्पणी करने के कारण सचिवालय में निजी सचिव पद पर तैनात अमर सिंह पटेल के ऊपर योगी की सरकार विभागीय कार्यवाही करने जा रही है। क्या कोई हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट का वकील राजकीय कर्मचारी-अधिकारी के लिए वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप बदली हुई गाइड लाइन की स्पष्ट व्याख्या कोर्ट से नही ला सकता क्या ? याद रहे विश्वविद्यालयों के कुलपति कैम्पस में खुलेआम संघ की शाखा लगवा रहे हैं, खुलेआम राम मंदिर निर्माण की शपथ के कार्यक्रम आयोजित करवा रहे हैं।

पर आज भी विपक्ष में बैठी उत्तर प्रदेश के दोनों बड़ी पार्टी सपा-बसपा के सभी प्रवक्ता काठ के उल्लू तरह मौन बैठें हैं…..©मारुति मानव

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