जिन्ना ने अपनाया था सावरकर का दिया द्विराष्ट्र का सिद्धांत

द्विराष्ट्र का सिद्धान्त 1937 में हिन्दू महासभा के नेता वी.डी सावरकर ने भी दिया था । जिन्ना के नेतृत्व वाली पार्टी मुस्लिम लीग ने 1940 में द्विराष्ट्र के सिद्धान्त को अपनाया ।

1943 में सावरकर ने बयान दिया कि उन्हें जिन्ना के द्विराष्ट्र के सिद्धांत से कोई आपत्ति नही है । असल मे मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा दोनों ही द्विराष्ट्र सिद्धान्त के समर्थक संगठन रहे है । इन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के फूट डालो और राज करो की नीति को ही पोषित किया है ।

2019 चुनाव के ठीक पहले संघ भाजपा ने हमेशा की तरह अपनी एक खास समुदाय के प्रति ‘हेट्रेड पॉलिसी’ को आगामी चुनावो के लिए भुनाना शुरू कर दिया है । एएमयू पर हमला इसी हेट्रेड पॉलिसी पॉलिटिक्स और एक खास समुदाय के वोट बैंक को अपने पाले में करने की प्रक्रिया का हिस्सा है ।

इस दौर में जबकि भाजपा अपनी हेट्रेड पॉलिसी पॉलिटिक्स के जरिये अपने साम्प्रदायिक एजेंडे को स्थापित करना चाहती है तो इस समय हमे सावधानीपूर्वक विरोध के तरीकों पर भी गौर करना होगा । इस समय हिन्दू -मुस्लिम एंगल से विरोध करने पर अप्रत्यक्ष तौर पर फायदा भाजपा को ही मिलेगा ।

विरोध इस ग्राउंड पर हो कि आरएसएस के बगलबच्चा संगठन ने एक विश्वविद्यालय के अंदर घुसकर भगवा आतंक कैसे फैलाया?
भाजपा ने ठीक चुनावो के पहले ही जिन्ना की तस्वीर के मसले को क्यो उठाया, जबकि वह तस्वीर 1938 से वहां लगी पड़ी है ।

चूंकि राम मंदिर का मसला अब बहुसंख्यक जनता में साम्प्रदायिक भावना भड़काने के मामले में फीका पड़ चुका है । इसलिए भाजपा -संघ ने पिछले सालों में लव जिहाद, बीफ बैन, देशद्रोह जैसे मुद्दों को उठाया और प्रचारित किया ।
और अब जब चुनाव पास है तो भाजपा राम मंदिर की ही तरह पुनः एक बेहद सेंसिटिव मुद्दा ढूँढ रही है। जिससे माहौल साम्प्रदयिक बनाकर 2019 में भुनाया जा सके ।

संघ की इन नीतियों का शिकार होंने से बचना और इनकी हेट्रेड पॉलिसी पॉलिटिक्स को फेल करना इस समय सबसे जरूरी है । विरोध करना है तो उपराष्ट्रपति पर हुए आतंकवादी हमले का करना होगा । भाजपा-संघ की साम्प्रदायिक राजनीति का करना होगा।उनकी भगवा गुंडई और आतंकी हरकतों का करना होगा। ताकि आगामी दिनों में देश को भगवा आंतक से बचाकर देश की एकता,अखण्डता,विविधता को बनाए रखा जा सके।

#शालू यादव

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