2 मई को जन्मदिन के अवसर पर भोज भण्डारे के साथ बाबा धनई पासी की मूर्ति का हुआ अनावरण

हैदरगढ़, बाराबंकी जिले के ग्राम धनई का पुरवा गांव में उत्तर भारत के पेरियार सन्त सुकईदास सत्संग मंडली द्वारा आयोजित जन्मदिन समारोह में गाँव वालों के पुरख़े बाबा धनई पासी की मूर्ति का अनावरण बतौर मुख्यअतिथि अजय प्रकाश सरोज संपादक,श्रीपासी सत्ता पत्रिका के कर कमलों कराया गया।

बतौर मुख्य अतिथि अजय प्रकाश सरोज ने कहा कि ब्राह्मण हजारों वर्षों के पोंगा पंथ को इतिहास बताकर हम सबके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं । लेकिन हमारे पासी समाज के लोग अपने पुरखों का इतिहास नही सँजो पा रहें है। यह हमारी कमजोरी है इसे दूर करना होगा।

विशिष्ट अतिथि रामयश विक्रम जी ने अंधविश्वास व सामाजिक कुरूतियों पर विस्तृत चर्चा की और कहा कि अपने बच्चों को शिक्षत बनाइये तभी समाज मे बदलाव आएगा ।

गांव वालों के अनुसार बाबा धनई पासी बहुत ही जुझरु व संघर्षशील प्रवत्ति के थें । उनका जन्म 2 मई सन 1600 ईस्वी में हुवा था। वें क्षेत्र के जमीदार के तौर पर जाने जाते थे उनके पास दो हज़ार बीघे जमीनें थीं , उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत का जमकर विरोध किया। उनके द्वारा वसूले जाने वाले लगान व शोषण के विरुद्ध वें लगातार संघर्ष करते रहें । उन्होंने अपनी जमीनों पर समाज के दबे कुचले भारतीय को दान देकर बसाया और आजीवन उनके मान सम्मान व स्वाभिमान के लिए लड़ते रहे। 10अक्टूबर 1700को बृद्धा अवस्था मे उनकी मृत हो गई। उनकी स्मृति में बाराबंकी जिले की नई सडक़ ,पर बाबा धनई पासी के नाम से पूरा गांव बसा है । जिसे धनई का पुरवा कहा जाता है।

इन्ही के परिवार के चौथी पीढ़ी में जन्में सन्त ज्ञानदास साहेब जो पेरियार सन्त सुकई दास जी के पाखण्ड विरोधी अभियान को आगे बढ़ा रहे है। ज्ञान दास जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा सन्चालन रामसागर रावत जी ने किया।
इस अवसर पर सन्त सुकई दास सत्संग मंडली के सदस्य सहित गांव की महिलाए उपस्थित रहीं।

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