●अजय प्रकाश सरोज
केंद्र सरकार को देश को बचाने के लिए एससी/ एसटी के कानून को अधिक मजबूत कर संसद में जल्द जल्द पारित कर देना चाहिए। वरना समाज में भीषण संग्राम होने की संभावना बनी रहेगी । गृह युद्ध से भी इंकार नही किया जा सकता है क्योंकि अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को जिस तरीके से समाज मे उत्पीड़न होत रहा है। वह अभी बन्द नही हो पाया है ,आए दिन दलितों और आदिवासियों के ऊपर हमले होते रहतें है । यहाँ तक कि जघन्य हत्या एवं बलात्कार की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही ।
राष्ट्रीय अपराध ब्योरों के अनुसार पिछले दस वर्षों में दलित अत्यचार की घटनाओं में 66 % की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। हर 15 मिनट में दलित उत्पीड़न की आपराधिक घटनाएं हो रही है। सरकारें अब तक अनुसूचित जाति /जनजाति के लोगों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ पाने में असफल रही हैं। कहीं ना कहीं अनुसूचित जाति, जनजाति एक्ट उन्हें संरक्षण देने का काम करता रहा है । हालांकि अधितर मामलों में आरोपियों की सजा नही हो पाती थीं । ज्यादातर मामलों में दबाव बस दलितों को समझौता करना पड़ता रहता है। बावजूद इसके उन्हें इस एक्ट से सुरक्षा महसूस होती रहती थीं । समाज मे सामंती दबंगो के हौसले में कमी देखने को मिली रही थीं।
लेकिन उसे कमजोर करके सुप्रीम कोर्ट ने जहां एक तरफ समाज के शोषक वर्गों को इस कानून से राहत देकर सह देने का काम किया है , तो वहीं दूसरी तरफ अनुसूचित जाति /जनजाति के लोगों के प्रति कानून से न्याय की उम्मीद व विश्वास को कमजोर भी किया है। कानून का संरक्षण खत्म होने पर एससी ,एसटी के लोगों के पास अपने बचाव में कोई रास्ता नहीं बचता ।
ऐसे में अनुसूचित जाति , जनजाति के लोग अपने ऊपर से संरक्षण हट जाने पर मरने और मारने उतारू हो जाएंगे । क्योंकि दलित ,आदिवासियो में कुछ ही मात्रा में सही चेतना जगी है। वह अब शोषण के तरीकों को समझने लगा है। फिर मरता क्या न करता कि हालात पैदा हो जाएगी । जिससे कानून का राज खत्म होगा और जातीय संघर्ष बढ़ेगा । हिसंक प्रवत्तियाँ प्रबल होंगी । देश अस्थिरता की ओर बढ़ेगा। नक्सल आंदोलन से उपजे हिंसक घटनाओं से क्या सरकार को सीख नही लेना चाहिए ?
भारतीय संविधान व संसद द्वारा इन वर्गो को विशेष दर्जा दिया गया है इन्हें सामाजिक सुरक्षा के प्रावधान किए गए है। इसलिए जितनी जल्दी हो सके अनुसूचित जाति ,जनजाति एक्ट को पुनः संसद में पारित करवा कर एससी/ एसटी के लोगों को मजबूत व विशेष संरक्षण दिए जाने की जरूरत है ।
रहीं बात कानून का दुरुपयोग की तो सरकार आयोग गठित कर सर्वे से पता करा सकती है कि कितने कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है ,और कौन लोग है जो कानून का दुरुपयोग करने में माहिर है। मैं दावें के साथ कह सकता हूँ कि सवर्ण कानून का दुरुपयोग वालों में अग्रिम पंक्ति में नज़र आएंगे । सरकार को अपनी मानसिकता बदली होंगी । तभी देश की एकता ,अखण्डता व तरक्की सुनिश्चित किया जा सकेगा।