उत्तर प्रदेश का सबसे विवादित एवं भ्रष्ट आईएएस अफसर नवनीत सहगल, फिर नई सरकार में मुख्यमंत्री को अपने मोहपाश में लेने को बेचैन हो उठा है। कभी मायावती और बाद में अखिलेश यादव का खासमखास बना यह अधिकारी अब योगी आदित्यनाथ के आसपास भी मंडराने लगा है। संभव है कि दिल्ली के चर्च की जमीन को अपनी पत्नी तथा अखिलेश दास की पत्नी के नाम से फर्जी पॉवर ऑफ अटार्नी बनवाने वाला यह अधिकारी अब भाजपा की सरकार में अपने स्वजातीय खत्री नेता लालजी टंडन और उनके पुत्र कैबिनेट मंत्री आशुतोष उर्फ गोपालजी टंडन तथा इंडिया टीवी के पत्रकार हेमंत शर्मा का हाथ पकड़कर मुख्यमंत्री का प्रमुख सचिव या सरकार का मुख्य सचिव भी बन जाए। अगर ऐसा होता है तो सवाल योगी या उत्तर प्रदेश की सरकार से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर उठेगा। उन्हीं अमित शाह पर, जिन्होंने समाजवादी पार्टी की सरकार पर लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे को लेकर सवाल उठाए थे। इसी नवनीत सहगल ने 18 करोड़ प्रति किमी के हिसाब से बनने वाले एक्सप्रेस वे को 31 करोड़ रुपए प्रतिकिमी से ज्यादा में बनवाकर अपनी काबिलियत को अंजाम दिया है। इसी सहगल के कारनामें के चलते पहले मायावती की सरकार और अब अखिलेश की सरकार भी चली गई। अगर भाजपा ने एनआरएचएम घोटाले में नाम आने वाले इस अधिकारी से दूरी नहीं बनाई तो उसे भी इसकी पूरी कीमत चुकानी पड़ेगी। एनआरएचएम घोटाले में इस भ्रष्टाचारी का नाम घोटाले का सूत्रधार गिरीश मलिक ने भी लिया था, लेकिन अपनी पहुंच और पहचान की बदौलत यह पाक-साफ हो गया। अगर इस मामले की ईमानदारी से जांच कराई जाए तो सहगल को प्रदीप शुक्ला और बाबू सिंह कुशवाहा की तरह जेल में होना चाहिए था, लेकिन शातिर सहगल अपनी सेटिंग की बदौलत बच निकला। जिस भरोसे के साथ प्रदेश की जनता ने भाजपा को बहुमत दिया है, अगर सहगल जैसे भ्रष्ट अधिकारियों को इस सरकार में भी महत्वपूर्ण विभाग दिए गए तो यह जनता के साथ विश्वासघात और नाइंसाफी होगी। खुद भाजपा के दिग्गज नेता आईपी सिंह ने पीएमओ पत्र लिखकर इस भ्रष्टाचारी अधिकारी के जांच की मांग की थी, इसके बाद भी भाजपा सहगल को प्रमुखता देती है तो फिर माना जाएगा कि पैसे और सेटिंग से सबकुछ बिक सकता है। यह अधिकारी जहां भी रहा, वहां इसने भ्रष्टाचार और पैसे उगाहने का ताना-बाना रचा। भाजपा के एजेंडे में शामिल काशी विश्वनाथ मंदिर तक को अपने गंदी सोच के जरिए भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने का प्रयास किया। अगर काशी के पुरोहितों ने विरोध नहीं किया होता तो बाबा भोलेनाथ के नाम पर फर्जी प्रसाद वितरण ऑनलाइन चल रहा होता। इसी भ्रष्ट अधिकारी ने मायावती के शासन काल में सरकारी चीनी मिलें औने-पौने दामों पर पोंटी चड्ढा को बिकवा कर अपनी भी जेबें भरी और मायावती को भी खूब कमवाया। जनता के पैसा इनकी जेब में गया। इसी सहगल ने ताज कारिडोर मामले में अपने बचाव के लिए कांग्रेसी नेता संजीव अवस्थी का फिल्मी अंदाज में पुलिस से अपहरण करवाकर उसको फर्जी मामले में जेल भिजवाया था। आगरा का टोरेंट पावर घोटाला हो या फिर कानपुर का पाइप लाइन बिछाने का घोटाला, प्रत्येक घोटाले में इसी अधिकारी का नाम आया, लेकिन अपनी सेटिंग-पहुंच और पैसे के बल पर हर बार यह बचता गया। अगर भाजपा सरकार में भी इस भ्रष्ट नौकरशाह की ताजपोशी होती है तो यह लोकतंत्र का काला अध्याय होगा। यह भी साबित होगा कि चाहे सपा-बसपा हों या कांग्रेस या भाजपा, सारे दल अंदर से एक जैसे हैं। मक्खन मलाई चटाकर और सेटिंग करके यह प्रमुख पद पर पहुंच गया तो यह भाजपा की असफ़लता
के पतन की शुरुआत होगी।
—पत्रकार अनूप गुप्ता की रिपोर्ट