जी हाँ ,कम्पनी बाग़ जँहा रहकर अंग्रेज भारतीयों पर हुकूमत करते थे। आज़ादी की उठी जंग को दबाने जे लिए अंग्रेज अधिकारी इस् स्थान का इस्तेमाल किया करते थे। लेकिन चन्द्रशेखर आज़ाद ने कम्पनी बाग़ में घुसकर अंगेजो से मुकाबला किया। अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार खुद शहीद हो गए। और अंग्रेजो के कम्पनी बाग़ को शहीद चंद्रशेखर आज़ाद पार्क का नाम दिया । इस नाम में ऐसी ताक़त है कि क्रन्तिकारी छात्रो ,नौजवानों की फ़ौज आए दिन यहाँ देश और समाज पर चर्चा करते नज़र आते है। स्कूली बच्चे हाथ में तिरंगा लिए आज़ाद के चरण छूकर गर्व महसूस करते है। लेकिन सरकार अब स्वच्छता और सुंदरीकरण के नाम पर शुल्क लगाकर हमसे यह अधिकार छीनना चाहती है, और इसे पुनः कम्पनी बाग़ बनाना चाहती है। यह शहीदों के प्रति हमारी आस्था पर चोट है । इसका हम कड़े शब्दों में निंदा करते है।
इसी संदर्भ में आज आजाद शहादत स्थली पर लिए शुल्क लगाने के विरोध में विभिन्न संगठनों कि सँयुक्त बैठक कर आगे रणनीति पर विचार किया गया।
इस लड़ाई को आगे बढाने के लिए सोमवार को 10 बजे आजाद प्रतिमा से जुलुस की शक्ल में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौपने का निर्णय लिया गया है। आप सभी लोग सादर आमंत्रित है — #अजय प्रकाश