पासी समाज के सम्मान में मुक्तक !


Title: (1) पासी  समाज के लिए
मुक्तक  जो किसी भी पासी सम्मेल्लन में पढ़े जा सकते है।।
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 जो सबको दे शुकून  वो समीर चाहिए  ।
जो सच्चा प्यार कर सके वो हीर चाहिए।
उन्नति का पथ प्रसश्त हो पासी समाज का।
जो पासियों के हित लड़ें वो वीर चाहिए।।
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             (  2)

 

मुग़ल भारत में जब आये मुकाबिल उनसे पासी थे।
और अंग्रेज जब आये लड़े उनसे भी पासी थे  ।
टूट जाए झुके ना जो  यही पहिचान पासी की।
धर्म की रक्षा की खातिर  मिटे जो वीर पासी थे।।
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            (  3)
राजा से क्यों दलित हुवे ये जान लीजिए।
छीना गया जो हमसे उसे उसे छीन लीजिये
पासी के संगठन खड़े है साथ आपके।#
शिक्षा है सबकी कुंजी इसे जान लीजिए।।
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           (  4)
झुका कर जो चले खुद को वो पासी हो नहीं सकता।
पसवां जो न कहलाये, वो पासी हो नहीं सकता।
खून में है वफादारी यही इतिहास कहता है।
नहीं जज़्बा है क़ुरबानी , वो पासी हो नहीं सकता।।
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                            ( 5)
मां गोमती का बरद हस्त जिस धरा को है।
लाखन ने बसाया इसे , अभिमान हमको है।
इतिहास बिजली पासी उदा।    वीरांगना ।
सौ बार नमन लखनऊ गौरव सभी को है।।
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