फैज़ाबाद : उत्तर भारत के पेरियार कहे जाने वाले सन्त सुकई दास जी के 14 जनवरी परिनिर्वाण दिवस समाधि स्थल छतिरवा ,पोरा में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। बतौर मुख्यातिथि प्रख्यात दलित साहित्यकार डॉ0 सीबी भारती ने उनके जीवन दर्शन पर चर्चा करते हुए कहा कि सन्त सुकई दास का जीवन दर्शन महात्मा बुद्ध ,सन्त कबीर तथा पेरियार रामास्वामी नायकर के जैसी ही रहा । उन्होंने अंधविश्वास, पाखण्डवाद के विरुद्ध अविवाहित रहकर वैचारिक आंदोलन चलाया । लेकिन अफ़सोस की जिन लेखको से यह उम्मीद थी उनके आंदोलन पर कलम चलाएंगे उनसे निराशा मिली है।
विशिष्ट अतिथि अजय प्रकाश सरोज ने कहा समाज की बेहतरी के जिन सन्तो महापुरुषों ने अपना जीवन लगाया है। उनमें सन्त सुकई दास का जीवन दर्शन अनुकरणीय है। उन्होंने दलित- पिछड़ समाज के घरों में देवी देवताओं को यह कहकर उखड़वा कर फेंकवा दिया कि यह तुम्हारे जीवन के बंधन है तुम्हारा विकास पढ़ने लिखने से होगा । लोगों की आस्थाओं पर चोट कर उन्हें तार्किक बनाना वास्तव में यह काम बहुत ही मुश्किल था।
हैदरगढ़ बाराबंकी के शिक्षक नेता रामयश विक्रम ने कहा कि सन्त सुकई दास के आंदोलन को नजर अंदाज करना बहुजन लेखकों की नाकामी दर्शाता है। हम लोग मिलकर सन्त जी के कारवाँ को आगे बढ़ाएंगे ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता ज्ञान साहेब जी ने किया तथा राम सागर ने किया। इस अवसर पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गोरखपुर मण्डल अधिकारी डॉ0 घनश्याम जी , राम अवध पूर्व स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी ने भी सन्त जी के किये गए सामाजिक परिवर्तन के कार्यो की बिस्तार से चर्चा किये। उपस्थित अनुवाईयो ने सन्त जी के चित्र व प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उक्त अवसर पर 21 जनवरी को इलाहाबाद में होने वाले कार्यक्रम की भी जानकारी देकर लोगो को पहुँचने की अपील की गई।