दो दिन लखनऊ में रहा इस दौरान पासी समाज के दो बड़े महान ब्यक्तित्यों से मुलाकात हुई।
प्रथम मुलाकात : 1964 में पासी समाज के पहले आईपीएस बने राम प्रकाश सरोज (पूर्व एडीजीपी ) से मिलकर उनके द्वारा पासी समाज पर लिखी पुस्तकें प्राप्त किया ।
अनुभव में सरोज जी ने बताया कि सत्र 1997में मुझे ‘उत्तर प्रदेश पासी जागृत मण्डल ‘ ने एक सामाजिक कार्यक्रम में बोलने के लिए आमंत्रित किया था। जाने से पहले मैं पासी समाज के बारें पढ़कर जानकारी करना चाहा तो मुझे कोई किताब नही मिली ! तभी मेरे मन आया कि इस समाज के लिए लिखना चाहिए ।
क्योंकि इस बहादुर कौम का गौरवशाली इतिहास रहा है जिसे लेखनबद्ध नही किया गया ? लेखन में पासी समाज की उपेक्षा को उन्होंने भरने का पूरा प्रयास किया।
अब तक पासी समाज सहित 14 पुस्तकों का लेखन सरोज जी द्वारा किया जा चुका है । जिनमे से ” पासी समाज दर्पण, क्रांतिवीर मदारी पासी एवं एका आंदोलन, आज़ादी के दीवाने पासी , आरक्षण का सच एवं लोक सेवा में पासी , लोकतांत्रिक सत्त्ता ,पासी, अनुभव, पासी समाज के गौरव , हमारे प्रेरणा स्रोत , जीवन के अजब गजब रंग प्रमुख रूप में शामिल है।
“किसान का बेटा आईपीएस” के नाम से सरोज जी की आत्मकथा भी छपकर आ गई है। जिसे मुझे भेंट स्वरूप उन्होंने दिया।
जिसमे उन्होंने अपने जीवन के कथा -क्रम का बिस्तार से चर्चा किये मुझे अभी सारी किताबे पढ़ना है । इस दौरान साथी संजीव पुरूषार्थी , राजू पासी डॉ महेन्द्र , मोनू पासी को भी श्री सरोज जी ने अपनी लिखी पुस्तकें भेंट की । 82 वर्षीय सरोज जी चर्चा , परिचर्चा ज्ञान ,अनुभव प्राप्त कर बाहर निकलते ही मित्रों ने कहाँ सर तो समाज की धरोहर है । ख़ास बात यह है कि उत्तर प्रदेश में पासी जाति के लोग जो ‘सरोज’ टाइटिल का इस्तेमाल करते हैं। वह इन्ही के नाम पर लगाते हैं। आरपी सरोज जी पासी समाज के गौरव के रूप में देखे जाते हैं।
लेखक– अजय प्रकाश सरोज
द्वितीय मुलाकात : डॉ0 राम लाल राम (पूर्व एडीजीपी ) के साथ …”परिवर्तन की क़ूवत तो नेता में ही होती हैं” ……पोस्ट के लिए इंतजार कीजिये