राष्ट्रीय महासचिव पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज भी बसपा से बाहर

​इलाहाबाद. बसपा के बड़े नेता इंद्रजीत सरोज को बुधवार को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। वे बसपा सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे। उन्हें बसपा चीफ मायावती का बेहद करीबी माना जाता था और इलाहाबाद व कौशांबी में वे बसपा के मजबूत और बड़े नेताओं में गिने जाते थे। दूसरी ओर, सरोज के निष्कासन से नाराज सैकड़ों बसपा वर्कर्स ने तत्काल पार्टी से इस्तीफा दे दिया। पैसा न वसूल कर पाने के चलते निकाला गया… 
 

– वहीं, पार्टी से निकाले जाने के बाद इंद्रजीत सरोज ने आरोप लगाया कि मायावती मुझसे 15 लाख रुपए मांग रही थीं। जब मैंने विरोध किया तो मुझे निकाल दिया गया। पैसों के लिए किडनी तक बेचने को कहा जाता है।

– सरोज के मुताबिक, मंगलवार शाम 5 बजे मायावती ने खुद फोन पर उनसे बात की और पैसा वसूली न कर पाने की वजह से पार्टी से निकाले जाने की जानकारी दी। सरोज ने आगे कहा कि मायावती का मानसिक संतुलन खराब हो चुका है। उन्हें अपना इलाज कराना चाहिए।

 

1996 में पहली बार चुने गए विधायक… 

– इंद्रजीत सरोज 1996 में 13वीं विधानसभा में पहली बार बसपा की ओर से कौशांबी जिले की मंझनपुर से विधायक चुने गए। वे 1997 से 1998 के बीच अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विमुक्त जाति समितियों के मेंबर रहे। इसके अलावा वह याचिका समिति के भी मेंबर रहे। 

– साल 2001 में उन्हें बसपा के विधानमंडल दल का सचेतक बनाया गया। 2002 में हुए 14वीं विधानसभा चुनाव में वे फिर से विधायक चुने गए। मई 2002 से अगस्त 2003 तक मायावती मंत्रिमंडल में वे समाज कल्याण मंत्री, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण मंत्री और बाल विकास पुष्टाहार मंत्री रहे। 

– इसके अलावा वह उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निर्माण निगम के अध्यक्ष रहे। साथ ही वह सदस्य कार्य मंत्रणा समिति के भी मेंबर रहे। 

 

2007 से 2012 के बीच मिली कई विभागों की जिम्मेदारी 

– 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में इंद्रजीत सरोज एक बार फिर कौशांबी के मंझनपुर से निर्वाचित हुए। बसपा की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी। इस बीच 2007 से 2012 के दौरान सरोज को मायावती मंत्रिमंडल में कई विभागों की जिम्मेदारी मिली।

– वे समाज कल्याण विभाग, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग, कृषि विपणन विभाग और अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग के मंत्री बनाए गए। इस बीच वह नियम समिति, विशेषाधिकार समिति, कार्य मंत्रणा समिति के सदस्य चुने गए। 

– 2012 के विधानसभा चुनाव में वह चौथी बार मंझनपुर से विधायक चुने गए। जून 2016 में स्वामी प्रसाद मौर्य के बीजेपी में शामिल होने के बाद इंद्रजीत सरोज को प्रतिपक्ष का नेता बनाए जाने की चर्चा थी, लेकिन बाद में मायावती ने गयाचरण दिनकर को ये जिम्मेदारी दे दी। इसी के बाद से पार्टी के अंदर दिक्कतें शुरू हो गईं। 

 

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई… 

– कौशांबी जिले के नगरोहा गांव में 14 जनवरी 1963 को जन्मे इंद्रजीत सरोज ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन तक की एजुकेशन प्राप्त की। 

– 2 नवंबर 1984 को उनकी पुष्पा सरोज से शादी हुई थी। दोनों के एक बेटा और तीन बेटियां हैं। 

नाराज नेता जिन्होंने  बसपा  छोड़ी-

1 Comment

  1. Pasi samaj ke sabhi leader jab tak niji swarth tyag Kar ek dusre ke sath huye anyay ke khilaf ekjut nahi hote yahi haal hota rahega tejpatte ki tarah chat Kar feke jate rahenge…. Tum rajao mahrajao ki santane ho Kya ho gaya tumhare khoon ki garmi ko gulam se hukmran kab banoge apne samaj ke swabhiman ko fir se jagao shero.. Jai pasi samaj

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