उत्तर प्रदेश में लोकसेवा आयोग से चयनित ७८ दलित सहायक समीक्षाधिकारी योगदान न कर पाने के कारण पिछले 5 वर्ष से सडक पर हैं |उनका अपराध यह है कि वे दलित हैं |दलित होने के कारण इनकी ज्वाइनिंग नही हो पा रही है |पिछली सरकार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और वर्तमान सरकार में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के समक्ष सार्वजनिक रूप से मैंने इनके मुद्दे को उठाया था और लिख कर भी दिया था |तमाम दलित सांसद और विधायक भी मुख्यमंत्री ,मुख्य सचिव से मिल कर इनकी पैरवी कर चुके हैं |पिछले महीने प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन और कार्मिक तथा न्याय विभाग के अधिकारी मुख्य सचिव के यहाँ बैठक किये और तय हुआ कि पद उपलब्ध है तो इन्हें ज्वाइन कराने के लिए कैबिनेट के समक्ष प्रस्ताव भेजा जाय |प्रस्ताव भेजा जाता इसके पहले प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन जो दलित समाज के थे स्थानांतरित हो गये |अब बदले हालात में फिर पत्रावली विपरीत दिशा में चलने की सूचना मिल रही है |
इतना सब होने के बाद भी चयनित दलित अधिकारी हिम्मत से लड़ रहे हैं |ये बिना किसी राजनैतिक भेदभाव के भाजपा,समाजवादी पार्टी ,बहुजन समाज पार्टी के कार्यालयों पर भी फरियाद कर चुके हैं |बसपा कार्यालय में तो बहन जी से मिलने की जिद पर इन अभ्यर्थियों के साथ मारपीट भी की गई |वहीँ पिछले वर्षों में एक मंत्री के कहने पर सैफई गये इन अभ्यर्थियों से एक बेहद जिम्मेदार पदाधिकारी ने यहाँ तक कह दिया कि तुम लोग दलित हो तुम्हारी ज्वाइनिंग नही होगी |भाजपा के सांसद कौशल किशोर ,संसद सदस्य सावित्री बाई फूले भी इनकी पैरवी कर रही हैं किन्तु इन्हें न्याय नहीं मिल रहा |मैंने इस केस को स्टडी किया है इनका अधियाचन सही था इनका चयन भी सही था ,अडचन सिर्फ यह आ रही है कि ७८ दलित अधिकारी एक साथ कैसे ज्वाइन करा दिए जायं |इनका अपराध सिर्फ यह है की ये दलित है |ये लड रहे हैं ये जीतेंगे ,हम सब इनके साथ हैं |यह जुलुस इन्ही का है न्याय के लिए लड़ रहे ७८ लोकसेवा आयोग से चयनित दलितसहायक समीक्षाधिकारी |(– लाल जी प्रसाद निर्मल की वाल से )