हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ ऑक्सफेम एंड डेवलपमेंट इंटरनेशनल द्वारा विश्व के 152 देशो के असमानता को कम या खत्म करने की प्रतिबद्धता को लेकर एक रैंकिंग इंडेक्स जारी किया गया है जिसमे भारत का बेहद ख़राब प्रदर्शन है और भारत इस 152 देशो की सूची में 132वे स्थान पर है जबकी स्वीडन शीर्ष पर है और इस सूचकांक में नाइजीरिया सबसे निचले पायदान पर है ।इस इंडेक्स में ओईसीडी (आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन) में शामिल देशों ने स्वीडन की अगुवाई में सर्वोच्च प्रदर्शन किया है जबकि नाइजीरिया सबसे निचले पायदान पर है. विकसित देशों में अमेरिका सबसे असमानता वाला देश है. हालांकि, यह दुनिया के इतिहास में सबसे धनी देश रहा है. हैरत की बात यह है कि ‘ग्रॉस नेशनल हैपिनेस’ का टर्म इजाद करनेवाला भूटान इस इंडेक्स में भारत से भी नीचे 143वें नंबर पर है. भारत के निकट पड़ोसी देशों में नेपाल (81) और चीन (87) को छोड़कर सभी का स्थान 138 से 150 के बीच है. इस तथ्य के मद्देनजर कि इस क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी गरीब आबादी रहती है, यह खबर चिंताजनक है. अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) आक्सफैम और डेवलपमेंट फाइनेंस इंटरनेशनल ने मिलकर सूचकांक एवं असमानता रिपोर्ट जारी की है. इसका मकसद उन देशों की सरकारों के असमानता मिटाने की दिशा में अब तक के प्रयासों का आकलन करना है, जिन्होंने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स के तहत असमानता घटाने का संकल्प लिया था. इंडेक्स में मुख्य रूप से उन कदमों पर फोकस किया गया है, जो सरकारें समाज में बराबरी लाने के लिए उठा सकती हैं, न कि उन कदमों पर जिनसे बढ़ती असमानता पर ब्रेक लग सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा पर सरकारी खर्च आश्चर्यजनक रूप से कम है. टैक्स का ढांचा भी कागजों पर तो आम लोगों के हित में दिखता है, लेकिन व्यावहारिक धरातल पर कई प्रोग्रेसिव टैक्स वसूले नहीं जाते. श्रम अधिकारों के पैमाने पर भी भारत का प्रदर्शन कमजोर है. यही हाल वर्क प्लेस पर महिलाओं के सम्मान का भी है. रिपोर्ट कहती है कि भारत को व्याप्त असमानता में एक तिहाई कटौती करनी होती तो अब तक 17 करोड़ लोगों को गरीबी से निजात दिला दी जाती. लेकिन, इसके उलट नामीबिया ने स्वास्थ्य और शिक्षा पर बहुत ज्यादा खर्च करके अपने यहां गरीबी की दर 53% को आधा कम कर 23% पर ला दिया है.।
भारत देश का असमानता ख़त्म करने की प्रतिबद्धता खत्म करने को लेकर जारी की सूचकांक में 132वे स्थान पर आना चिंताजनक है और यह सरकारो(केन्द्र एवं राज्य) का विकाश की रेस में पिछड़े लोगो के प्रति उदासीन रवैये को प्रदर्शित करता है ।अगर समय रहते स्थित्ति में सुधार नही लाया गया तो देश की दशा और बिगड़ सकती है ।