इलाहाबाद के राजनीति शास्त्र के प्रख्यात विशेषज्ञ मो यूनुस खान इस समय SSC परिवर्तन एकेडेमी व IAS के लिये समर्पण संस्थान जैसी कोचिंगे चलाते है, वे बताते है कि उनके एक दोस्त नाम प्रवीण तिवारी है जो इस समय बांदा में किसी पोस्ट पर कार्यरत है।
बात लगभग १५-२० वर्ष पूर्व की है तब तिवारी जी इलाहाबाद में रहकर नौकरी की तैयारी कर रहे थे, एसे ही बीच मे इनका एक इंटरव्यू कोई ले रहा था, शायद कल्याण सिंह का राजनीतिक बोर्ड भी था, इंटरव्यू लेने वाला तिवारी से पूछा तिवारी जी इतना पढाई कर रहे हैं अगर सफल ना हुये तो? तो तिवारी जी जबाब दिये और मेहनत करूंगा . उस व्यक्ति ने फिर पूछा तब भी सफलता ना मिली तो – तिवारी जी कहते हैं थोडा और मेहनत करूंगा .
इंटरव्यू लेने वाला व्यक्ति सिर्फ ये जानना चाहता था कि अगर तिवारी जी को नौकरी नही मिली तो ये क्या करेगे इस बार पूछने पर तिवारी जी और मेहनत करने की बात नही की उन्होंने सीधा जबाब दिया नौकरी नही मिलेगी तो सुअर पालेगे।
सोचो दोस्तो तिवारी जी को पता है जितना इस बिजनेस में फायदा है उतना किसी बिजनेस में नही। मादा सुवर वर्ष में दो तीन बार 10-12 बच्चे देती है जो तीन चार माह में 50 से 40 किलो तक तैयार हो जाता है।
दोस्तो यह दिमाग से बिल्कुल निकाल दीजिये की सुवर पालन का कार्य पासी करते है, इसका उपयोग पासियो ने अंग्रेजों को भगाने के लिये किया था जो कुछ समय तक पासी जाति पालते रह गये। मै अभी नेट पर Search कर रहा था कि तिवारी, मिश्रा, ठाकुर बनिया, यादव सुअर पालन की जानकारी मागते रहते है।
आज के समय में बनिया, ठाकुर, ब्राह्मण बहुतायत में सुअर पालन कर रहे हैं। कही कही पालन मालिक ब्राह्मण बनिया है और खिलाने पिलाने वाला दलित नौकर जो मात्र ₹ 1500 या ₹ 2000 मे कार्य करते है इससे अच्छा है ऐसे लोग खुद यह पालन करे दोस्तो मै ये नही कह रहा हू कि आप अपने घर सुवर पाले इसको घर से दूर ही रखे पर अगर पालन करना है तो बिजनेस की तरह करे जिससे अत्यधिक लाभ हो इसी के बाल से तरह तरह के ब्रश बनाये जाते हैं जो सभी जाति धर्म के लोग उपयोग करते है।
सूअर फार्म के साथ अगर मछली पालन का बिजनेस किया जाए तो काफी लाभकारी साबित हो सकता है। क्योंकि सूअर की वेस्ट मटेरियल मछली की पसंद खुराक है। मै कुछ लिंक दे रहा हू कैसे करे सुअर पालन…