महाराजा बिजली पासी की मूर्तियाँ आपने उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर लगी देखी होगी। पासी समुदाय के इतिहास में उनका प्रमुख स्थान है। माना जाता है कि मध्यकालीन भारत में उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों पर उन्होंने शासन किया था। वह दलितों के सामुदायिक गौरव के प्रतीक भी हैं जो इस बात का प्रमाण हैं कि उनके समुदाय के लोगों ने भी अतीत में शासन किया है। जिस किले से उन्होंने अपने शासन का संचालन किया था उसके अवशेष आज भी लखनऊ में मौज़ूद हैं और जिसे अब एक स्मारक में तब्दील कर दिया गया है। इस स्मारक में बिजली पासी की एक भव्य प्रतिमा लगाई गई है जिसमें उन्हें एक बहादुर मध्यकालीन योद्धा के रूप में धनुष और बाण धारण किए हुए दिखाया गया है।
उनकी इस प्रतीकात्मक छवि के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। जब कांशीराम ने इस मूर्ति को लगाने का निर्णय किया तो उन्होंने शिल्पकारों से कहा कि वे उनकी मूर्ति में उन पाँच सिख गुरुओं के तमाम अच्छी विशेषताओं का समावेश करें जिनकी पूजा दलित भी करते हैं। जैसे कि गुरु अर्जुन देव, गुरु गोविंद सिंह, गुरु नानक देव इत्यादि। यदि बिजली पासी की प्रतिमा को कोई गौर से देखे तो उसमें इन पाँचों गुरुओं के व्यक्तित्व की सर्वोत्तम विशेषताओं की झलक देखी जा सकती है।,,, ( यह जानकारी समाचार पत्र से )
-अच्छेलाल सरोज Join Facebook
बहुत सुंदर वाह