चाहत थी साथ जीने की थी लेकिन जमाने को यह मंजूर नहीं था। समाज की बंदिशें इस रिश्ते के आडे आ रही थी। नतीजन प्रेमी युगल ने एसा कदम उठाने का फैसला लिया जिसके बारे में सुनकर हर कोई स्तब्ध रह गया। किसी मंदिर में शादी करने के बाद दोनों नए यमुना पुल पर पहुंच गए। लड़की की मांग में सिंदूर था और शरीर पर शादी का जोड़ा। दोनों हाथ पकड़कर नदी में कूद गए। लड़की तो नहीं मिली लेकिन मछुआरों ने लड़के को जिंदा निकाल लिया। वह एक घंटे तक जीवित रहा।
आंखों में आंसुओं का सैलाब लिए उसने पुलिस को अपनी पूरी कहानी सुनाई। घंटे भर बाद उसने भी दम तोड़ दिया। बाद में लड़की का भी शव बरामद हो गया। इस तरह इस प्रेम कहानी का अंत हो गया।
सराय ममरेज के बरियावा गांव के रहने वाले संजय शुक्ला कोलकाता में रहकर प्राइवेट नौकरी करते हैं। बेटी सिमरन (17) फूलपुर स्थित एक कालेज इंटर की छात्रा थी। वह अक्सर बस से कालेज आया जाया करती थी। बस का कंडक्टर संतोष भारतीय (22) बौड़ई लंका फूलपुर का रहने वाला था। करीब डेढ़ साल पहले सिमरन और संतोष में दोस्ती हो गई। दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे।
संतोष और सिमरन की सामाजिक स्थिति में जमीन आसमान का अंतर था। दोनों जानते थे कि इस रिश्ते को घरवाले कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। वे चुपके-चुपके शहर आकर मिला करते थे। लेकिन कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते। दोनों के रिश्तों की भनक घर वालों को लग गई। लड़की के घर वाले आगबबूला हो गए।
उन्होंने धमकाने से लेकर पिटाई तक का सहारा लिया लेकिन सिमरन और संतोष अब पीछे हटने को तैयार नहीं थे।
पासी लड़के जो वादा करते है वो निभाते है, कभी धोखा नही देते।
उन लोगों ने तय कर लिया कि घर वाले भले ही साथ जीने न दें, मरने से नहीं रोक सकते। गुरुवार की दोपहर सिमरन घर से निकल गई। शाम को संतोष ने भी घर छोड़ दिया। शाम तक सिमरन के घर वाले उसे ढूंढते हुए संतोष के घर पहुंचे लेकिन वह भी वहां नहीं मिला। सिमरन और संतोष रात में किसी मंदिर गए। संतोष ने पहले से दुल्हन के जोड़े और सिंदूर का इंतजाम कर रखा था।
ईश्वर को साक्षी मानकर उन्होंने मंदिर में एक दूसरे का हाथ थाम मिला। रात मंदिर के प्रांगण में बिताई। सुबह चार बजे जब गाड़ियां चलने लगीं तो दोनों आटो से नए यमुना पुल पहुंच गए। एक-दूसरे का हाथ थाम सिमरन और संतोष यमुना में कूद पड़े। वहीं आसपास तमाम मछुआरे मौजूद थे। उन लोगों देखा तो वे बचाने के लिए नदी में कूद पड़े। संतोष को जीवित बाहर निकाल लिया गया। सूचना पर पुलिस ने उसे एसआरएन अस्पताल पहुंचा दिया। यहां घंटे भर संतोष जीवित रहा और अपनी पूरी कहानी पुलिस को बताई। इसके बाद उसने भी दम तोड़ दिया। कुछ देर बाद सिमरन का शव भी मिल गया। और दोनो के परिजनों ने लिखित तहरीर दी कि वो कोई कार्यवाई नही चाहते।
3,जून 2017 अमर उजाला
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