प्रतिरोध का स्वर: ‘द ग्रेट’मुहीम चलाइएआइये सौ वर्ष पीछे ले चलता हूँ.
‘जनेऊ’ पहनना ‘द्विजपन,जातीय वर्चस्व और दंभ की निशानी है. 1920 के दशक में बिहार के कई क्षेत्रों में यादव जाति ने जनेऊ धारण करने का आन्दोलन चलाया. फिर ‘सवर्णों’ ने इनका जबरदस्त विरोध किया, हिंसा हुई, पुलिस फायरिंग हुई इत्यादि. आजकल पिछड़ी जातियां भी जनेऊ पहनती है. अर्थात् जनेऊ का महत्त्व ही ख़त्म,वैसे भी आजकल कम लोग जो जनेऊ पहनते हैं, उसे लोग किस नज़र से देखते हैं आपको पता ही है.
सनद रहे, सहारनपुर मरोड़ का सबसे महत्वपूर्ण कारण यह बोर्ड ही है.
मेरे कहने का मतलब है जातीय दंभ और अहंकार के जीतने भी प्रतीक हैं उसे ध्वस्त कीजिए.इसलिए सभी जातियां को अपनी जाति के आगे ‘द ग्रेट’ लिखने की मुहीम चलानी चाहिए. अर्थात् जब सब ग्रेट तो ग्रेट शब्द दंभ और अहंकार ही अप्रासंगिक हो जायेगा. फेसबुक पर ही दो-चार ऐसा ही पोस्टर लगा कर देखिए, रिजल्ट पता लग जायेगा!!!
-प्रो. रतनलाल जी की वाल से