“राजनाथ टीम के पासी नेता मंत्रीमण्डल से आउट, स्मृति ईरानी कोटे से सुरेश पासी को बनाया गया है राज्यमंत्री”
उत्तर प्रदेश के नवगठित मंत्री मण्डल में आज़ादी के बाद पहली बार किसी पासी नेता क्यों नहीं लिया गया ? इस प्रश्न का ज़बाब खोजने बैठा तो कुछ सूझ नहीं रहा, मन में सवाल उठ रहा था कि भाजपा जो ‘सबका साथ ,सबका विकास ‘के साथ सामाजिक और जातीय समरसता की दुहाई आजकल कुछ ज्यादा ही दे रही है तो ऐसे में प्रदेश की अनुसूचित जाति में 25 प्रतिशत हिस्सा रखने वाली जाति ‘पासी’ को असन्तुष्ट क्यों करेगी ? जबकि भाजपा के रणनीतिकार इस बात से बिल्कुल परिचित है पूरे अवध क्षेत्रों में भारी मात्रा में फैले पासी जाति की संख्या प्रदेश की 125 से ज्यादा विधानसभाओं में निर्णायक भूमिका में है।
चुनाव पूर्व इसी को ध्यान में रखकर भाजपा ने पासी जाति के जूझारू नेता सांसद कौशल किशोर को अनुसूचित मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। इसके अलावा रामनरेश रावत को पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाकर पासी नेताओ की गोलबंदी की । यह सभी गृहमंत्री राजनाथ के समर्थक के तौर पर पहचाने जाते है।
बावजूद इसके प्रदेश भर में पासियों का एक हिस्सा बीएस4 के अध्यक्ष पूर्व मंत्री आरके चौधरी के साथ लगा रहा । जिसे साधने के लिए भाजपा ने चौधरी की सीट मोहनलालगंज में गठबंधन कर बीएस4 के लिए छोड़ दिया । यह अब सपा बसपा से उपेक्षित हुआ पासी समाज आस्वस्थ हो गया कि भाजपा में पासियो का सम्मान बढेगा, उसके नेताओं को सत्ता में भागीदार बनाया जाएगा । इस सोच के साथ प्रदेश का 80 प्रतिशत पासी समाज भाजपा को अपना मतदान किया , और भाजपा पूर्ण बहुमत से सत्ता में आ गई । लेकिन दुर्भाग्य से बीएस4 के अध्यक्ष आरके चौधरी चुनाव हार गए।
लेकिन भाजपा के टिकट पर 20 विधायक पासी समाज से चुनकर आये। समाज के चिंतक कयास लगा रहे थे कि नवगठित मंत्रीमंडल में पासी समाज से कम से कम 2 कैबिनेट और 2 राज्य मंत्री बनाये जा सकते है। यह संभावना और बढ़ गई जब राजनाथ सिंह को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाये जाने चर्चा हुई।
परन्तु बीजेपी नेतृत्व ने बड़े नाटकीय ढंग से मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट उर्फ़ योगी आदित्य नाथ को बना दिया। और राजनाथ सिंह के प्रभाव को कम करने के लिए योगी ने भारी मतों से जीते उनके बेटे पंकज सिंह को मंत्री मंडल मे जगह नहीं दी । जिसकी नाराजगी शपथ ग्रहण समारोह राजनाथ जी के चेहरें पर दिखी । अब आप समझ सकते है कि जब उनके बेटे को मन्त्री मण्डल में जगह नहीं तो उनके चाहने वाले पासी नेता कैसे ?
इससे इतर अमेठी के जगदीशपुर विधानसभा के युवा विधायक सुरेश पासी को स्मृति ईरानी से की वफादारी का इनाम मिला क्योकि ब्लाक प्रमुख रहते हुए लोकसभा के चुनाव में सुरेश ने अपना ब्लाक उन्हें जिताया था। स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी पासी बाहुल इलाका है जिसे साधने के लिए सुरेश पासी को राज्यमंत्री बनाया गया है।
पासी समाज के साथ हुई इस उपेक्षा से समाज का बुद्धजीवी तपका आक्रोशित है । लेकिन उम्मीद नहीं छोड़ा है उसे लग रहा है कि मंत्री मंडल के विस्तार में पासी समाज को कैबिनेट जगह मिलेंगी । अंत में उपेक्षित भाजपाई पासी नेताओ को शुभकामना सम्भावनाओ के खेल राजनीति में कुछ भी हो सकता है।
लेख़क -अजय प्रकाश सरोज ( सम्पादक -श्री पासी सत्ता) whatsap no. 9838703861
सर आपका लेख स्पष्ट एवं अत्यन्त सराहनीय है मै आपसे अनुरोध करता हूँ कि समाज के शीर्ष नेताओं को सुझाव दें कि वो अपने अहम का त्याग कर समाज मे जमीनी स्तर से जुडें यह सोच बिल्कुल ना रखे कि मे बहुत बड़ा नेता हूँ क्योंकि नेता तो आपको समाज की जनता ही बनायेगी इसलिए समाज के पृति गम्भीर होकर समर्पित राजनीति करें।