प्रयागराज: झाँसी के प्रसिद्ध कथाकर बृज मोहन के असमयिक निधन हम सबको झकझोर दिया । आपके परिवार से मेरे बेहतर रिश्ते हैं पांच वर्ष पूर्व झाँसी गया तो उनके आवास की छत नसीब हुई और परिवार के साथ चर्चा में ऐसा मसगूल हो गया कि जैसे हम कई वर्षों के सम्बधी रहें ।
आंटी मनोरमा मोहन ,बेटी Medhavini Mohan जी बेहद संजीदा महिला हैं । दोनों साहित्य जगत में रुचि रखतीं हैं । मेधाविनी जी तो पत्रकारिता/लेखन क्षेत्र में पिता से भी आगें है ।
सूचना तो कल मिल गई थीं लेकिन आज सुबह तड़के ही चर्चित साहित्यकार सीबी भारती जी का फोन आया तो उन्होंने विस्तार से बताया ।
कथाकार बृज मोहन अंकल का जाना साहित्य जगत की अपूर्णीय क्षति है.आपका मदारी पासी के जीवन संघर्ष पर लिखा गया उपन्यास ‘क्रांतिकारी मदारी पासी’ सबाल्टर्न साहित्य में मील का पत्थर साबित हुआ है.जिसे कुछ अध्याय को दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने पाठ्यक्रम में शामिल किया है।
स्व.बृज मोहन जी अस्वस्थता के बावजूद 1857 की क्रांति की ” महानायिका वीरांगना ऊदा देवी पासी ” पर उपन्यास लिख रहें थें । कुछ दिन पूर्व बात चीत में उन्होंने बताया चार पांच अध्याय तक लिख चुका हुँ । अब यह काम बेटी मेधाविनी ही पूरा कर सकती हैं । उम्मीद है वह ऐसा करेंगी ..
इसके अलावा इनकी लिखित कहानियों में सबसे चर्चित ” नौ मुलाकातें तथा ‘ मोपेड वाली लड़की ‘ जैसे बेहतरीन कहानी सँग्रह आपके साहित्यिक खाते में दर्ज हैं ।
यह कम लोग जानतें है कि संजय लीला भंसाली को ‘ बाजीराव मस्तानी ‘ पर फ़िल्म बनाने का विचार और सुझाव उन्होंने ही दिया । बुंदेलखंड की ऐतिहासिक कहानी को उन्होंने बेहतरीन ढंग से लिखा है जो आहा ! जिंदगी में छपा । जिससे प्रेरणा लेकर फ़िल्म बाजीराव पर्दे पर आई ।
अंकल आपका जैविक शरीर भले ही न रहा लेकिन आप हम सबके स्मृतियों में हमेशा जिंदा रहेंगे । सादर नमन…
(अजय प्रकाश सरोज की फेसबुक वॉल से साभार )