बहराइच श्रावस्ती नरेश राष्ट्ररक्षक सुहेलदेव पासी जी के द्वारा 10 जून 1034 को विदेशी आक्रान्ता सैयद सालार महमूद गाजी को उसकी लाखो सेनाओं के साथ युद्ध मे मार गिराया था,उनकी शौर्य गाथा को जीवित रखने के लिए आज के दिन विजय पर्व के रूप में मनाया जाता हैं। पराक्रमी राजा को कोटिशः नमन करते हुए प्रस्तुत है कवि जीवन लाल पासवान की दोहावली –
।। दोहा ।।
बहराइच की धरा पर,धरा सिंह अवतार।
वसुन्धरा छवि बड़ रही,प्रजा करे जयकार।।1।।
नाग वंश का सूरमा,करे अनोखे काम।
जग जाने उसकी कथा,सुहैल देव था नाम।।2।।
पासी राजा प्रजा का,करे सदा कल्यान।
सिंह और बकरे करें,साथ साथ जल पान।।3।।
सन दश सौ चौतीस में,मेघ गगन रहे छाय।
सैयद गाजी फौज संग,लिया किला घेरवाय।।4।।
भनक लगी जब भूप को,भरी सिंह ललकार।
रण खेतो को चल दिया,लिए तीर तलवार।।5।।
शत्रु कि सेना में डटा,लेकर अश्व विशाल।
महाकाल सम लग रहा,वीर बिहारी लाल।।6।।
अरे बेधर्मी मौत को,दिया निमंत्रण आज।
अब तू बच सकता नहीं,हम हैं पासी राज।।7।।
अब तो दोनों ओर से,युद्ध छिड़ा घनघोर।
भाला बरछी चल रहे,करें हताहत शोर।।8।।
सर सर, सर सर,सर चलें, सर से सर टकराए।
जाके सर में सर लगे, धड बिन सर हो जाय।।9।।
नाग वंश का सूरमा, दोउ कर करे तलवार।
शवों से धरती पट गई,बहे रक्त की धार।।10।।
शत्रु का सर काट कर,जीत लिया संग्राम।
सुहैल देव जी आपका,अमर रहेगा नाम।।11।।
रचना –
जीवन पाल पासवान
ग्राम , रीठवा थाना अशोठार
जनपद फतेहपुर u p
M0b: 7388019075