रंजीत सरोज इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास विभाग से रिसर्च कर रहे हैं और इनके गाइड हैं डॉक्टर विक्रम हरिजन जो चमार बिरादरी से आते हैं डॉक्टर विक्रम अपने आप को बहुत ही क्रांतिकारी बताते हैं और इनका सपना इंटरनेशनल लेवल पर हाई लाइट होने का हमेशा रहा है। यह लोगों के बीच में हमेशा कहते सुने जाते हैं ,कि इंसान को ऐसा काम करना चाहिए चाहे भले ही गलत हो लेकिन उसका नाम तो राष्ट्रीय स्तर पर लोग जान जाते हैं इसी परिपेक्ष में उन्होंने एक सभा में हिंदू देवी देवताओं पर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करते हुए नजर आ रहे हैं.
जिनका वीडियो लगभग लगभग काफी लोगों ने देखा होगा कि माह रहे हैकि लोग भगवान का डर दिखाते हैं मैं तो शिवलिंग पर मूता हूं कुछ नहीं हुआ। रही बात रंजीत सरोज की तो डॉक्टर विक्रम हरिजन रंजीत सरोज को क्यों प्रताड़ित कर रहे हैं इसको विस्तार से जाने, डॉक्टर विक्रम मनुवादी और सामंती सोच रखते हैं रंजीत सरोज को दिन भर अपने काम में इधर उधर दौड़ाते रहते थे जिससे रंजीत सरोज की पढ़ाई भी डिस्टर्ब होती थी ,और डॉक्टर विक्रम सवर्णों को और देवी-देवताओं को गाली गुप्ता देते रहते थे जिस कारण से इनकी विश्वविद्यालय में अन्य रिसर्च स्कॉलर अध्यापकों और छात्रों में नहीं बनती थी जब इनके खिलाफ अन्य लोग लामबंद होते थे तो वह रंजीत सरोज को मोहरा बनाकर आगे कर देते थे और मजबूरी बस रंजीत सरोज को अपने गाइड के इशारे पर डॉक्टर हरिजन के विरोधियों से जूझना पड़ता था.
बार-बार रंजीत सरोज को विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ अपने विरोधियों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए प्रेरित व दबाव बनाते रहते थे कई बार अपने विरोधियों के खिलाफ आंदोलन करवाया भी जिससे रंजीत सरोज के शोध कार्य प्रभावित होता था एक बार रंजीत सरोज को अपने विरोधियों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए कहे थे जिसमें रंजीत सरोज हां कर दिये थे लेकिन तबीयत ना ठीक होने की वजह से आंदोलन करने नहीं जा पाए जिससे डॉक्टर विक्रम चिढ़ गए और कहा कि कैसे शिष्य हो जो मेरे लिए आंदोलन नहीं कर सकते मेरे विरोधियों के खिलाफ ,शिष्य एकलव्य जैसा होना चाहिए द्रोणाचार्य एकलव्य से अंगूठा मांग लिया तो एकलव्य गुरु दक्षिणा में अपना अंगूठा दे दिया और तुम मेरे लिए पंडित ठाकुरों के खिलाफ आंदोलन नहीं कर सकते रंजीत सरोज ने कहा सर मेरी तबीयत नहीं सही थी इसलिए मैं आंदोलन नहीं कर पाया।
यहीं से डॉक्टर विक्रम नाराज हुए दूसरी नाराजगी तब और बढ़ गई जब डॉक्टर विक्रम से रंजीत सरोज ने अपने दिए हुए पैसे 35000 डॉक्टर विक्रम से मांग लिया जिसमें से डॉ विक्रम ने ताव में आकर ₹10000 तो वापस कर दिया लेकिन ₹25000 अभी तक वापस नहीं किया और यहीं से डॉक्टर विक्रम रंजीत सरोज के जीवन को बर्बाद करने की ठान ली और तरह-तरह की मानसिक उत्पीड़न करने लगे रंजीत सरोज का डॉ विक्रम ने 7 महीने से फैलोशिप रोक रखी है जिस पर दस्तखत नहीं कर रहे हैं जो लगभग ढाई लाख रुपए हैं .
रंजीत सरोज ने डॉक्टर विक्रम हरिजन से अनुनय विनय किया कि सर मेरा जीवन बर्बाद हो जाएगा अगर आप अपने अंडर में रिसर्च कराना नहीं चाहते हैं तो हमें एनओसी दे दीजिए मैं किसी और को अपना गाइड बना लूं वहां अपनी पीएचडी कंप्लीट कर लूंगा लेकिन डॉक्टर विक्रम हरिजन सुनने को तैयार नहीं है कहते है कि मैं तुम्हारी पीएचडी निरस्त करवा दूंगा तुम्हारा जीवन बर्बाद कर दूंगा तुम पीएचडी करके अध्यापक बनने का सपना देख रहे हो मैं तुम्हें चपरासी भी नहीं बनने दूंगा तुम मेरा कुछ नहीं कर सकते हो रंजीत सरोज ने मामले को सुलझ जाने के लिए डॉक्टर विक्रम हरिजन से एनओसी देने के लिए इलाहाबाद में तैनात एक विभाग के प्रधान कमिश्नर से भी पैरवी करवाई जो उन्ही के जाति के थे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक सम्मानित पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अजीत यादव ने भी अपने अस्तर से डॉक्टर विक्रम से मिलकर आग्रह किया और मामले को समाप्त करने की बात कही लेकिन उनके भी प्रयास का कोई असर डॉक्टर विक्रम पर नहीं हुआ इस मामले को सुरेंद्र चौधरी पूर्व छात्र नेता , मंत्री काशी प्रांत ,भारतीय जनता पार्टी ,ने भी विक्रम से बात की और मामले को सुलझा ने के लिए आग्रह किया लेकिन विक्रम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और भी तमाम सम्मानित शहर के लोगों ने विक्रम को समझाने का प्रयास किया और कहा कि क्यों एक छात्र का जीवन बर्बाद करने पर तुले हो लेकिन उनका भी प्रभाव डॉक्टर विक्रम हरिजन पर नहीं पड़ा डॉक्टर विक्रम बराबर कहते चले आ रहे हैं मैं चाहे देवी देवताओं को गाली दूं चाहे रंजीत सरोज की पीएचडी निरस्त कर उनका जीवन बर्बाद कर दूँ मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि हमने अपने समाज से पांच-छह आईएसपीसीएस को लगा रखा है और मेरे समर्थन में हमारे जाति के संगठन और छात्र लगे हुए हैं मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता ,साथियों डॉक्टर विक्रम हरिजन का यह घृणित कार्य यह किसी सवर्ण के लिए नहीं बल्कि एक पासी समाज के होनहार छात्र रंजीत सरोज के लिए है एक होनहार छात्र रंजीत सरोज का जीवन ना बर्बाद हो एक हरिजन द्रोणाचार्य के तानाशाही गैर जिम्मेदाराना रवैए के कारण, इसके लिए एक छात्र के भविष्य को बचाने के लिए आम जनमानस छात्रों नौजवानों को भी आगे आना चाहिए जिससे कि भविष्य में कोई भी द्रोणाचार्य छात्र का अंगूठा ना मांग सके और ना काट सके ।
– लालाराम सरोज, एडवोकेट
अध्यक्ष -प्रबुद्धवादी बहुजन मोर्चा उत्तर प्रदेश
(लेखक के यह निजी विचार हैं)