आज पासी समाज की पहचान जातीय लोकगीत की विरासत पासी पवांरा जो की इस आधुनिक युग में समाप्ति की ओर है। उसे बचाने के लिए आकाशवाणी के लोकगीत कलाकार श्री जनक जी द्वारा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से ग्राम तिगनौता, यमुनापार (इलाहाबाद), प्रयागराज में समाज के नवोदित कलाकारों को एक कार्यशाला के माध्यम से पासी पवांरा गाने के लिए प्रशिक्षित किया गया जिससे आज उन्होंने अपनी सबसे अच्छी प्रस्तुति दी।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इलाहाबाद आकाशवाणी के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी श्री मोहन धनराज जी ने वहां उपस्थित पासी समाज के लोगों को अपनी विरासत और धरोहर को बचाने और अपने इतिहास को संरक्षित करने के लिए प्रेरित करते हुये कहा कि आधुनिक संचार माध्यमों के आने से संगीत की विधा में बहुत तोड़फोड़ हुई है जिसका सबसे अधिक खामियाजा लोक संगीत को उठाना पड़ा है। लोक संगीत से हमारे देश व समाज की संस्कृति के साथ ही रिश्तो की संवेदनशीलता जुड़ी व बची हुई है अगर इसे आगे भी बचाये रखना है तो आने वाली पीढ़ी को इसे हस्तांतरित करना होगा तभी इन लोकगीतों की मौलिकता बची रह सकती है।*
पासी समाज के युवक और युवतियों अपने समाज की लोक संगीत के साथ ही संगीत कि अन्य विधाओं से भी अपने आप को जोड़ें इससे उन्हें समाज में मान-सम्मान और स्थान तो मिलेगा ही साथ ही उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद भी मिलेगी। हमें अपने पासी समाज के बुजुर्गों से उस समय गाए जाने वाले सभी प्रकार के लोकगीतों को पूछना और जानना चाहिये जिससे कि हम उसे मौलिक रूप में आकाशवाणी के माध्यम से पूरे देश में प्रसारित कर समाज में लोगों को सुना और बता सकें। उन्होंने वहां उपस्थित समस्त नवोदित कलाकारों को प्रेरित किया और उन्हें संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी प्रमाण पत्र प्रदान कर उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
इस अवसर पर मुख्य रूप से *एडवोकेट्स एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष श्री अजीत भाष्कर,कार्यक्रम के आयोजक और निर्देशक श्री जनक जी, आकाशवाणी के कलाकार श्यामलाल बेगाना, वरिष्ठ लोक कलाकार और लोक नाट्य विधा नौटंकी के मर्मज्ञ राजपति भारतीय कमलेश कुमार यादव, बाबूलाल के साथ इस अंचल के सैकड़ों कलाकार और संगीत प्रेमी उपस्थित होकर इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।