महाराजा टीकन नाथ पासी का किला, पट्टी ढिलवासी के (निकट अमानीगंज), बख्शी का तालाब, लखनऊ मे स्थित है महाराजा टिकन नाथ पासी का सम्राज्य दसवी सदी और ग्यारहवी सदी के मध्य में था ।
लखनऊ का साम्राज्य कई पासी राज्य में बटा हुआ था महाराजा टिकन नाथ पासी का राज्य की सीमायें लाखन पासी और देवमाती के राज्य से जुडी थी महाराजा टिकन नाथ पासी के राज्य में शांति और एकता रहती थी क्योंकि इनके राज्य में दोसी को किसी भी प्रकार की छमा नही मिलती थी कठोर से कठोर दंड का प्रवधान था इसी लिए इनके राज्य में शांति रहती थीं महाराजा टिकन नाथ पासी किसी के राज्य में दखल नही देते थे यही सबसे बड़ी महानता थीं ।
इनकी जब सायद सलार मसूद गाजी ने लाखन पासी के किले पर होली वाले दिन हमला किया और लाखन पासी वीरगति को प्राप्त हुए तब टिकन नाथ पासी को अपने राज्य को चिन्ता सताने लगी तब टिकन नाथ पासी ने अपनी सेना को सच्चेत कर दिया टिकन नाथ पासी के सेना में अधिकतर धनुर धर और भाला धारी थे। दुश्मन के सैनिक टिकन नाथ पासी के धनुर धर सैनिको से हमेशा भयभीत रहते थे ये सैनिक पलक झपकते ही दुश्मन के खेमे में तबाही मचा देते थे सैयद सलार मसूद गाजी ने लाखन पासी को हरा कर वहाँ का राज्य अपने सेना नायक हातिम और फातिम को सौंप दिया और सैयद सलार मसूद गाजी अपनी सेना के साथ बहराइच की तरफ निकल पड़ा और जब बहराइच में सोहेलदेव पासी ने रोका तब घनघोर युद्ध हुआ जब गाजी की सेना कमजोर हुई तो हातिम और फातिम ने अपनी 30 हजार की फ़ौज लेकर बहराइच की तरफ निकलने की तैयारी में था।
तब टिकन नाथ पासी ने अपनी धनुर धारी सेना के साथ वही रोक लिया और हातिम और फातिम की 30 हजार सेना के साथ मार गिराया और लाखन पासी के राज्य को पुनः आजाद कराया और यहाँ हातिम और फातिम को मार गिराया और उधर बहराइच में सोहेलदेव पासी ने गाजी को मार गिराया फिर उसके बाद मुस्लिमो ने लगभग सौ डेढ़ सौ साल तक नजर नही उठाया उत्तर भारत की तरफ