पेट के खातिर जान दाव पर लगानी पड़ जाती है ,कुछ ऐसा ही हुआ, मौहली (नवादा,बिहार)के रहने वाले कारू राजवंशी के साथ ,कारू जी जाति से तो रजवार(अनुसूचित जाति) है ,पर पेट के खातिर ताड़ से ताड़ी उतार कर बेचना इनका पेशा है , ताड़ के पेड़ से ताड़ी उतार कर बेचने का खानदानी पेशा पासी जाति का है ,पर पेट के खातिर और भी कई जातियां इस व्यवसाय को करती है ,उन में से ही एक है कारु राजवंशी जी जो रविवार को रोज की तरह ताड़ चढ़ने गए और ताड़ के शीर्ष से नीचे जमीन पर गिर गए ,उनके दाहिने पैर की जांघ वाली हड्डी बिल्कुल टूट चुकी है , दाहिना पैर दो जगहों से टूटा हुआ है ,कमर की हड्डी भी खिसकी हुई है ,रह रह कर सीने में दर्द हो रहा है जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है ।
उनसे मिलने पहुँचा और इनका इलाज अच्छे से हो इसकी व्यवस्था में लग गया ,मेरे साथ अम्बेडकर छात्रावास के छात्रनायक विजय चौधरी भी थे , कारु जी से पूँछने पर पता चला वो बचपन से ही ताड़ चढ़ते है ,काफी एक्सपीरियंस है फिर ये चूक कैसे हो गई ?
कारु राजवंशी जी ने बताया ,ताड़ी पर प्रतिबंध लगा हुआ है ,पुलिस कई बार आ कर हमारे लमनी-चुक्का को तोड़-फोड़ कर हमें पीट कर कहती है ये सब बन्द करो नही तो पकड़ कर जेल में बंद कर देंगे ।हम ये रोजगार बचपन से करते आ रहे है अब अगर ये नही करेंगे तो क्या करें ? न चाहते हुए भी पेट के खातिर पुलिस से छुप छुपा कर ताड़ चढ़ लेता हूँ ,कल रोड़ के किनारे एक ताड़ के पेड़ पर चढ़ा हुआ था तो पास से पुलिस जीप गुजरते देखी ,मुझे लगा वो ताड़ी व्यवसाय वालो को पकड़ने आ रही ,जल्द बाजी में पेड़ से उतरने के कारण पैर फिसल गया और मैं जमीन पर गिर पड़ा ,वो तो शुक्र है जिस जमीन पर गिरा वो जमीन खेती के लिए सिचाई की हुई थी जिसके कारण कुछ कम चोट आई ।
अब सवाल ये उठता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के अनुसार ताड़ी पर प्रतिबन्ध नीरा प्रॉडक्ट होने के बाद लगाई गई है ,शराब बन्दी के करीब एक वर्ष बाद ताड़ी पर प्रतिबन्ध लगा था ,कारण – एक साल के भीतर नीरा का उत्पादन शुरू करवा कर ही ताड़ी पर प्रतिबन्ध लगाया जाएगा । नीरा का प्लांट लगा तो सही में पर चला नही । अगर कहीं उत्पादन चालू है तो सरकार बताए कहाँ कहाँ चालू है ,मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ नीरा का उत्पादन बन्द है ।
विकास के दावे करने वाले बाते पासी जाति और ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोगों का विकास कहाँ हुआ? रोजगार दिए नही पर रोजगार छीन कर गरीब असहाय लोगों को भूखे मारने पर तुले हुए है। अखिल भारतीय पासी समाज सह ताड़ी व्यवसाय संघ आप से पूछना चाहती है ,जब नीरा का उत्पादन ही नही हो रहा तो किस आधार पर ताड़ी पर प्रतिबन्ध लगाया गया है क्या आपकी यही मंशा है ,इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को भूखे पेट मार देने की ?
हम मांग करते है, ताड़ी व्यवसाय को प्रतिबंद से मुक्त किया जाए साथ ताड़ी व्यवसाय के कारण जितने भी लोग जेल में बंद है ,उन्हें रिहा किया जाए ।
निशान्त चौधरी
प्रदेश प्रधान महासचिव ,अखिल भरतीय पासी समाज ,युवा मोर्चा बिहार ।