प्यार की कहानी 25 साल पहले 25 साल बाद

20 साल बाद आज मेरी मुलाकात रमेश से हुई 18 साल की उम्र में जो रमेश गांव का सबसे खूबसूरत लड़का था आज उसके बाल पक चुके हैं उसकी सुंदरता खत्म हो चुकी है उसने बताया बेटी की शादी हो चुकी है बेटा कालेज जा रहा है ।

मैंने पूछा रमेश आप सुमन से बहुत प्यार करते थे उसकी शादी के इतने वर्षों बाद क्या कभी उसकी याद आती है अचानक रमेश की आंखों में चमक और होंठों पर मुस्कुराहट आयी और फिर चली भी गयी ।
प्रायमरी स्कूल में जब मैने जाना स्टार्ट किया था उस समय रमेश शायद आठवीं में था वह गांव का सबसे ज्यादा खूबसूरत लड़का था गांव की बहुत सी लड़कियां और भाभियां उससे बातें करना पसंद करती थी ।

सुमन गांव के जमीदार की बेटी थी जमीदार ने सुमन को लड़कों से दूर रखने के लिए नही पढ़ाया
रमेश के स्कूल का रास्ता सुमन के घर के सामने से ही गुजरता था मुझे याद है रमेश अक्सर खाकी आफ पैंट और सफेद शर्ट पहनकर स्कूल जाता था सुमन अक्सर उसे दरवाजे पर खड़ी दिखती थी और रमेश को देखकर मुस्कुरा देती थी कुछ दिनो बाद दोनों में बात भी होने लगी और दोनों में धीरे धीरे प्यार हो गया पर वे भारतीय परम्परा के अनुसार प्यार को ढंककर नही रख सके और गाँव मे मसहूर हो गए ।

सुमन और रमेश ने लोगों से बचकर बात करने की अनोखी तरकीब खोजी थी गांव से बाहर रास्ते से थोड़ा हटकर एक आम का पेड़ था जिसकी डाल पर रमेश बैठ जाता और सुमन नीचे आकर खड़ी हो जाती थी और दोनों प्यार भरी बातें कर लेते दूर से देखने वाला यही समझता कि सुमन अकेली खड़ी है।

एक दिन सुमन कि भाभी ने अपने 5 साल के बेटे को उसे बुलाने भेजा बेटा सुमन के पास पहुंचा और बोला बुआ चलो ममी बुला रही है सुमन बोली चलो मैं आ रही हूँ लेकिन लड़का वहीं रुका रहा सुमन ने कई बार उसे जाने को कहा तो लड़का बोल पड़ा बुआ यहां कहीं रमेश हैं तभी तुम नही चल रही सुमन ने कहा नही यहाँ कोई नही है ब्च्चे ने कहा नही यहाँ पर रमेश कहीं जरूर छुपे हैं तभी रमेश ऊपर डाल से बोल पड़ा ऊपर देख , बच्चे ने ऊपर देखा और हा हा हा करते हुए घर की तरफ दौड़ पड़ा सुमन उसके पीछे दौड़ पड़ी ।

दो साल बाद सुमन की बारात आयी थी मैं भी वहाँ पर था रमेश अपने पिताजी की बंदूक लेकर बैठा था बाराती एक फायर करते तो रमेश दो फायर करता तब जमीदार ने उससे कहा बारात वालों कि बराबरी न करो । दूसरे दिन सुमन बिलखकर रोते हुए विदा हो गयी रमेश तन्हा रह गया ।

आज 20 वर्ष बाद रमेश ने बताया कि एक साल पहले सुमन अपनी बेटी के साथ गांव आयी थी और उसे देखकर आज भी वैसे ही मुस्कुराई तो उसकी बेटी बोली ममी क्या हुआ वह बोली कुछ नही
मैं रमेश कि यह बात सुनकर हंस पड़ा मैने कहा अच्छा किया तुझे मामा तो नही बुलवाया !

रमेश बातचीत में मुस्कुराया भी और आँसू भी छलके मैने कहा तुम और सुमन तो एक ही जाति के थे फिर भी शादी नही कर पाए उसने जवाब देने के बजाय मुझसे सवाल किया कि तुमने बर्फी फ़िल्म देखी है मैन कहा हां उसने कहा कितनी बार मैंने कहा एक बार वह बोला उसने दस बार देखा है उसने शायद जवाब दे दिया था तभी उसका मोबाइल बजा उसकी पत्नी ने फोन पर सब्जी के लिए उसे डांटा और जल्दी घर पहुंचने को कहा हम दोनों उठकर चल दिये वह बोला सुमन ने कभी भी मुझे नही डाटा था मैंने कहा शादी हो जाती तो वह भी डांटती रमेश कुछ नही बोला।
मैन सोचा रमेश और सुमन की शादी यदि हो जाती तो उनकी यादें शायद इतनी मधुर नही होती ।

– लेखक : दयाराम रावत

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