दौलत के बारूद पर बैठकर दलित राजनीति नहीं की जा सकती-डॉ0 लालजी निर्मल

●दलितों ने जो शब्द अपनाया वो सब अपमानजनक हो गए

गोविंद वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान में ’21वीं सदी में दलित राजनीति एवं चुनौतियां’ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के मुख्य वक्ता डॉक्टर लाल जी प्रसाद निर्मल, राज्यमंत्री/ अध्यक्ष अनुसूचित जाति/जनजाति वित्त एवं विकास निगम लि. उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय अध्यक्ष, डॉ. अम्बेडकर महासभा लखनऊ,ने अपने संबोधन में दलित शब्द के प्रयोग पर कहा कि दोष शब्दों का नहीं सोच का है।जो जाति पहले अस्पृश्य थी उसके साथ कोई भी शब्द इस्तेमाल किया जाता है तो वो अपमानजनक हो जाता है।

उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के दलित समाज के लोगों ने सम्मान की चाहत में अपने नाम के आगे और पीछे ‘राम’ लगाया फिर भी समाज से उन्हें उपेक्षा ही मिली। उन्होंने कहा कि दलित केवल वोट बैंक बन कर रह गया है।
साथ ही उन्होंने दलित एकता की बात भी की। अपने संबोधन के दौरान इस बात का भी जिक्र किया कि दौलत के बारूद पर बैठकर दलित राजनीति नहीं की जा सकती।उन्होंने यह भी कहा कि “यदि मैं मुख्यमंत्री होता तो शपथ के पहले दिन से यह सर्वे कराता कि 70 सालों में दलितों को घर क्यों नहीं मिला? जिसे भी घर और जमीन नहीं मिली है, मैं सुनिश्चित करता कि उसे ये सारी सुविधाएं मिलें।

उन्होंने दलितों के लिए चलायी जा रही स्वरोजगार योजना का भी जिक्र किया. जिसमें 20 हजार से 15 लाख तक की राशि दी जाती है. उन्होंने कहा कि इसका लाभ दलितों को लेना चाहिए। उन्होंने कहा “सबको आरक्षण से समृद्ध नहीं बनाया जा सकता. उससे केवल मुठ्ठी भर लोगों का कल्याण हो सकता है।इसलिए दलितों को स्वरोजगार की तरफ भी ध्यान देना चाहिए।

सेमिनार के मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.एन. सिंह ने भौगोलिक दशाओं पर बात करते हुए प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में भारत के समृद्ध होने का जिक्र किया। उन्होंने भारत के सभी क्षेत्रों में अच्छे लोगों के अभाव का उल्लेख किया. साथ ही कहा कि कुशल व्यक्ति का निर्माण सत्ता द्वारा नहीं होता।यह समाज के प्रयासों से निर्मित होता है। उन्होंने समाज, परिवार और स्वयंसेवकों की भूमिका और कार्यशैली पर विस्तार से बात की।

सेमिनार को पूर्व मंत्री रामानंद भारती ने भी संबोधित किया. उन्होंने चुनौतियों के समाधान पर जोर दिया. साथ ही ‘दलित’ शब्द के प्रयोग करने पर अपना विरोध दर्ज कराया।उन्होंने यह भी कहा कि सबसे बड़ी समस्या दलितों का एक साथ न बैठना है।
सेमिनार को अन्य लोगों ने भी संबोधित किया और डॉ. अम्बेडकर के आदर्शों पर चलने पर जोर दिया।

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे अजय प्रकाश सरोज ने अपने वक्तव्य में कहा कि दलित नौजवानों को अपना कौशल विकास कर रोजगार और उद्यमिता के क्षेत्र में जाना चाहिए.उन्होंने यह भी कहा कि दलित राजनीति में उपेक्षा का शिकार हो रही जातियों को एकजुट कर वैकल्पिक दलित राजनीति को मजबूत करें और डॉ. अम्बेडकर के सपनों का भारत बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान करें.कार्यक्रम का आयोजन डॉ. अम्बेडकर महासभा लखनऊ के घटक ‘अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न निवारण एवं सशक्तिकरण केंद्र’ द्वारा किया गया।

इस अवसर में माननीय कुलपति तथा माननीय राज्यमंत्री डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने पूर्व राज्यमंत्री श्री रामानंद भारती एवं ‘चक हरिहर वन’ गाँव के तीन दशक से अजेय प्रधान श्री शीतला प्रसाद जी को समाज और राजनीति में इनके विशिष्ट कार्यों के लिए ‘विशिष्ट सेवा सम्मान’ देकर सम्मानित किया।

इसी कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के. एन. सिंह और राज्यमंत्री माननीय लाल जी प्रसाद निर्मल ने संयुक्त रूप से संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे श्री अजय प्रकाश सरोज को सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने के लिए ‘उत्कृष्ट सेवा सम्मान’ से सम्मानित किया ।

साथ ही सेमिनार में सक्रिय भागीदारी और सामाजिक, राजनीतिक और अकादमिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम करने के लिए जी.बी. पन्त सामाजिक विज्ञान संस्थान की पीएच.डी. स्कॉलर संजू सरोज के साथ अलग-अलग क्षेत्र में काम करने के लिए असिस्टेंट प्रो. धर्मेन्द्र भारतीय, ज्योति भारती, डॉ. हमेन्द्र वर्मा, डॉ. सुधा, नीरज पासी, संजीव पुरुषार्थी, सुनील कुमार, डॉ. यशवंत. मनोज कुमार, कार्यक्रम संचालक रामयश विक्रम, साक्षी सिंह, रामसुचित भारती, अरुण कुमार आदि को ‘सम्मान पत्र’ देकर सम्मानित किया गया।

संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन डॉ. कौलेश्वर प्रियदर्शी ने किया. सबका धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम का समापन श्री अजय प्रकाश सरोज ने किया.

प्रस्तुति : संजू सरोज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *