मुझसे आगे मेरी बेटी….
आज मेरी बेटी का जन्मदिन है। अनन्त शुभकामनाएँ। मेरी बेटी है तो निश्चित ही मुझसे बहुत छोटी है, देर से जन्म लेने वाली तीसरे क्रम की आखिरी सन्तान। इसलिए अपने भाई-बहन से भी बहुत छोटी है। ठेठ बोली में कहा जाय तो पेटपुछी। सबकी प्यारी। इसका घर का नाम mini है, लेकिन किसी पर भी maxi साबित हो सकती है।
इसने 8 साल की उम्र से लिखना और सपारिश्रमिक छपना शुरू कर दिया था। आज भी जारी है। इसके लिखे और छपे शब्द मुझसे कई हज़ार अधिक हैं। यह भी सत्य है कि शब्दों का जो आर्थिक मूल्य इसे मिला वह भी मुझसे अधिक है। आकलन करने पर पाता हूँ कि मैं 5 अंकों के आँकड़े में उलझा हूँ और 6 का आँकड़ा शायद कभी छू नहीं सकता। पार करने की बात बहुत दूर है।
लेकिन यह 6 का आँकडा पार कर चुकी है। यह फोकट में नहीं लिखती। इसकी लोकप्रियता भी मुझसे अधिक है। यदा-कदा राष्ट्रीय चैनल्स पर दिखाई दे जाती है। निश्चित ही बेटी, बाप से आगे है। एक पिता के लिए कम खुशी की बात नहीं। हमारे बीच कोई स्पर्धा नहीं है। इसकी विधा अलग है और मेरी अलग। अपने कम लिख पाने के पीछे मैं अन्य व्यस्तताओं की दुहाई दे सकता हूँ, पर सच्चाई यह है कि मैं आलसी हूँ और टालते रहने की बुरी आदत का शिकार भी। अभी नहीं, फिर। या, आज नहीं कल करते रहने की प्रवृत्ति मुझ पर हावी रहती है।
जिसके कारण मैं अपने जीवन में कई जगहों पर चूका हूँ। वैसे मेरी यह बेटी भी कम आलसी नहीं है। मुझसे अधिक आलस्य इसे आता है। फर्क इतना है कि जो काम मैं एक महीने में करना चाहता हूँ, यह एक दिन में करके अलग कर देती है।
जब शुरू करती है, तो पूरा करके छोड़ती है। घड़ी नहीं देखती, दिन नहीं देखती, रात नहीं देखती। इस पर मुझसे बड़ा भूत सवार होता है। इसीलिए ही शायद यह मुझसे आगे है। मुझे गर्व है अपनी बेटी पर। मैं इसकी निरन्तर प्रगति व उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
– @झांसी से प्रसिद्ध कथाकार बृजमोहन की क़लम से ,बेटी मेधाविनी के लिए