परमआदरणीय बाबू चिन्तामणि सरोज जी का लखनऊ में ह्रदयगति रूक जाने के कारण निधन। लोक निर्माण विभाग मे प्रधान सहायक के पद पर कार्यरत थे। चिन्तामणि जी ने न सिर्फ़ प्रतापगढ़ बल्कि आस पास के सभी जिलो में समाज में बाबा साहेब और बुद्ध के बारे में जगरूकता फैलाने का अभूतपूर्व कार्य किया है । उन्होंने जगरूकता अभियान तब शुरू किया जब हमारे पासी समाज के लोगों ने बाबा साहेब का नाम ही नहि सुना था और बुद्ध मतलब चमार समझते थे । दोनो से ही हमारे समाज के लोगों का घोर विरोध था ।
ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने जगरूकता अभियान शुरू किया ।उनहोनो समाज में ब्राह्मण और पंडितो का घर के संकारिक कार्यों के लिए विरोध शुरू किया । प्रतापगढ़ में पंडित के बजाय पासी लोगों द्वारा ही शादी ब्याह कराने कार चलन शुरू किया . ख़ुद चिंतामणि साहेब ने हज़ारों शादियाँ कराई है । उनका समझाने का तारिका इतना मजबूत था कि अनपढ़ लोग भी बुद्ध और बाबा साहेब का महत्व समझकर ब्राह्मणवाद का विरोध करते थे । एक समय था जब बाबा साहेब और बद्ध कानाम सुनकर हमारे समाज के लोग लाठी निकाल लेते थे ।
पर आज जो हम समाज में बदलाव देख रहे है वह ऐसे ही लोगों द्वारा किए गए कार्यों की वजह से है ।
प्रतापगढ़ में जितने भी जागरूक और समाज से जुड़े लोग है शायद ही कोई ऐसा होगा जिन्होंने उनका नाम नहि सुना होगा । प्रतापगढ़ से लेकर यहाँ मुंबई तक उन्हें सामाजिक कार्यों के लिए एक नायक माना जाता है ।
इस दुनिया से उनका जाना समाज के लि अपूर्णिय क्षति है । तथागत भगवान गौतम बुद्ध उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे , तथा इस दुःख की मे उनके परिवार को दुःख सहन करने की क्षमता प्रदान करें ।