2 अक्टूबर को गाँधी , शास्त्री जी के साथ ही पासी समाज में जन्मे महाशय मसुरिया दीन जी का भी जन्मदिवस है। हम उन्हें याद कर नमन करते हैं ।
तीनों महापुरुषों के एक साथ जन्मदिवस एक सुखद संयोग हैं। समाज के सुधार में तीनों का विचार एक सा रहा है। समाज में फैली बुराइयों और कुरीतियों के खिलाफ लड़ते रहें हैं। यह अलग बात हैं कि महाशय जी को इतिहास के पन्नो पर उतना स्थान नही मिला जितना मिलना चाहिए था।
1952 से लेकर 1967 तक संसद सदस्य रहे महाशय मसुरियादीन पासी समाज को अंग्रेजो द्वारा लगाए गए “जरायम पेशा एक्ट” को खत्म कराकर एक नया जीवन दान दिया । अखिल भारतीय पासी महासभा के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने विभिन्न कुरूतियों में जकड़े पासी समाज को मुक्त कराने के लिए संघठित आंदोलन चलवाए । आज पासी समाज में जो समृद्धि थोड़ी बहुत दिखाई पड़ती है । उसमें बाबू जी के खून और पसीना शामिल है । लेकिन बाबू जी के बाद कि पीढ़ी निकम्मी हो गई वह केवल राजनीतिक लाभ लेने तक सीमित हो गई । उनका सामाजिक सुधार का आंदोलन दम तोड़ चुका हैं । आज से संकल्प लें कि पासी समाज के अंदर ब्याप्त कुरूतियों को दूर करने हेतु संघठित आंदोलन करेंगे ।
श्री पासी सत्ता , बाबू जी के सपने कों पुनर्जीवित करने का संकल्प लेता है । आइये मिलकर समाज को तरक्की के रास्ते पर ले चलें …जिससे आने वाली पीढ़ी हम पर गर्व करें । – संपादक