चितौड़गढ का जो किला भारतीय इतिहास में राणा के वंशजों की शान का प्रतीक है , उसका निर्माण एक मौर्य राजा चित्रांगद मौर्य ने 7 वीं सदी में कराया था ।
8 वीं सदी के मध्य में सिसौदिया वंश के संस्थापक बप्पा रावल ने राजस्थान में मौर्य वंश के अंतिम शासक मान मौर्य से यह किला अपने कब्जे में कर लिया था ।
मान कवि के राजविलास में चित्रांगद मौर्य द्वारा चितौड़ दुर्ग की स्थापना तथा उसके द्वारा 18 प्रांतों पर शासन करने का शानदार वर्णन है । चित्रांगद मौर्य की सेना में 3 लाख अश्व , 3 हजार हाथी, 1 हजार रथ और असंख्य पदाति थे ।
चित्रांगद मौर्य तथा उसके वंशजों का गौरवशाली वृत्तांत इतिहास – ग्रंथों से गायब हैं । बावजूद इसके चित्रांगद मौर्य एक शक्तिशाली और प्रभावशाली राजा था जिसने एक अजेय दुर्ग की स्थापना की जो अपने ढंग का अनुपम किला है ।
( संदर्भ :- राजपुताने का इतिहास , पहली जिल्द पृ. 95 , 305 ( पाद – टिप्पणी -1 ) तथा राजविलास , छंद 16 , 21 , पृ. 18 )
– भाषा वैज्ञानिक राजेंद्र प्रसाद की वाल से
छिपा