पटना बिहार:- एक बड़ी खबर आ रही है कांग्रेस के राष्ट्रिय नेतृत्व व आलाकमान सोनिया गांधी के द्वारा एक कड़ा फैसला लेते हुए अशोक चौधरी को बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है ।तथा साथ ही साथ वर्तमान की बिहार प्रदेश कांग्रेस की सभी कमिटियों को भी भंग कर दिया गया है । बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी द्वारा अल्पसंख्यक (मुस्लिम) समुदाय से कौकब कादरी को नियुक्त किया गया है , कादरी बिहार के औरंगाबाद जिले के गोह के निवासी है ।
मुख्य वजह
- अशोक चौधरी पर कांग्रेस विधायक दल में फुट डालने का लगा था आरोप ।
- कुछ दिनों से उनके बागी तेवर के कारण पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व पर भी दबाव बढ़ने लगा था ।
- उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि पार्टी जल्द फैसला ले कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखना है या नहीं ?
- उन्होंने पार्टी आलाकमान पर दलित के उत्पीड़न का भी आरोप लगाया था ।
ऐसा माना जा रहा है की अशोक चौधरी की बर्खास्तगी की प्रमुख वजह पिछले कुछ दिनों से उनके द्वारा बगावती सुर अपनाया जाना । उन पर कांग्रेस पार्टी के ही कुछ नेताओ का बगावत करने , पार्टी में फुट डालने , और पार्टी लाइन से हटकर बयान देने का आरोप लगाया गया था , हालांकि इस मामले में सफाई देने के लिए चौधरी को दिल्ली भी बुलाया गया था और उन्हें अपनी सफाई देते हुए कहा था की उन्हें दलित होने की वजह से टारगेट किया जा रहा है और वे कोई भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल नही है ।
वैसे तो महागठबंधन टूटने के बाद से ही अशोक चौधरी की स्थिति ठीक ठाक नही लग रही थी , ऐसा माना जाता रहा है की चौधरी मुख्यमंत्री नितीश कुमार के कुछ ज्यादा ही करीबी है और अशोक चौधरी अपने साथ कुछ विधायको को लेकर जदयू में जाने वाले है ऐसी अफवाहे फैलायी गयी थी , जिसका खण्डन खुद चौधरी ने और युवा विधायक बन्टी चौधरी और संजय कुमार तिवारी ने किया और अशोक चौधरी का समर्थन करते हुए कहा की ये अशोक चौधरी का ही देन है की हमारे जैसे युवा आज विधायक है । हालांकि बिहार में कांग्रेस की स्थिति में सुधार लाने और महागठबंधन करने में अशोक चौधरी के योगदान को नाकारा नही जा सकता । हालांकि ये साफ़ हो चूका था की अशोक चौधरी ज्यादा देर तक अपने अध्यक्ष पद पर नही बने रह सकते है इसलिये पार्टी नेताओ के बीच नए अध्यक्ष बनने को लेकर होड़ मची थी और कई तो खुलकर अपनी दावेदारी भी पेश कर रहे थे । दावेदारी पेश करने वालो में बक्सर के विधायक संजय कुमार तिवारी, भारत सरकार के पूर्व मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मदन मोहन झा का नाम सबसे आगे चल रहा था अन्य दावेदारों में अमिता भूषण और प्रेम चंद्र मिश्र की चर्चा भी थी , लेकिन इन सब नेताओ को नजरअंदाज करके लगातार एक दलित और वर्तमान अल्पसंख्यक समुदाय के नेता को अध्यक्ष बना कर दलित अल्पसंख्यक लोगो के भरोसे पर कांग्रेस एक बार फिर खरी उतरी है ।
अध्यक्ष पद से हटाए गए अशोक चौधरी भी अब अपने प्लान पर आगे बढ़ेंगे. पार्टी आलाकमान को यह शिकायत की गई थी कि कांग्रेस विधायक दल को तोड़ने में जो लोग लगे हैं, उनसे अशोक चौधरी का भी संपर्क बना हुआ है. चौधरी के रिश्ते नीतीश कुमार से अच्छे रहे हैं. कई लोग तो यह भी कहने लगे थे कि वे विधायकों के टूटने के पहले विधान पार्षदों के साथ जदयू की ओर कूच कर जाएंगे. अभी हाल फ़िलहाल में ही अशोक चौधरी ने भागलपुर बांध टूटने के मामले में मंत्री ललन सिंह का बचाव किया था और पार्टी लाइन से हटकर सरकार के पक्ष में बयान दिया था ।