पत्रिका जब भी मायावती की आलोचना करती है तो खासतौर पर मायाभक्त भड़क उठते हैं । लेकिन दलितों के बौद्धिक चिंतक समर्थन में खड़े होते है। बहुजन आंदोलन को मायावती जी स्वं की प्रॉपर्टी समझ कर उसे अपने लिए इस्तेमाल करती है। यह बात कई राजनेताओ ने कहा है । गैर जाटव दलित चिन्तक तो यह भी आरोप लगाते है कि जब जाटव/ चमार बिरादरी पर जुल्म होता है तब मायावती बोलती है । अभी हाल ही में पूर्व डीजीपी रहे दारा पूरी जी ने सहारनपुर की घटना समेत दलित उत्पीड़न पर लखनऊ में प्रेस कांफ़्रेस करने पहुचे तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर ली। तब भी मायावती नही बोली । लेकिन ऊंचाहार,रायबरेली में यादवों की हत्या के इरादे से गये पांच बाभनो की हत्या हुई तो तड़प उठी है। जबकि कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य इन पांचों ब्राह्मणों को अपराधी बताया है। परंतु मायावती जी ने सतीश मिश्रा को ब्राह्मणों के घर जाने का निर्देश देकर घटना को राजनीतिक मुद्दा बनाने को कहा है।
एच. एल. दुसाध की कलम से–
अक्सर दलित उत्पीडन की घटनाओं पर चुप्पी साधने की अभ्यस्त मायावती जी ने रायबरेली काण्ड में ब्राह्मणों के प्रति संवेदना जाहिर करने में सबको पीछे छोड़ दिया है.उन्होंने 5 ब्राह्मणों की हत्या को जंगलराज का प्रतीक बताते हुए पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने में विफलता को लेकर योगी सरकार को आड़े हाथों लिया है.।
इस मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए उन्होंने अपनी पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ -साथ राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद सतीश चन्द्र मिश्र को पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्हें सांत्वना देने और न्याय दिलाने का भरपूर प्रयास करने का निर्देश दिया है.उनके आक्रामक बयान के बाद वह स्वामी प्रसाद मौर्य निशाने पर आ गए हैं,जिन्होंने मारे गए लोगों को शातिर अपराधी बताया था. बहरहाल रायबरेली कांड पर अपना रुख जाहिर कर मायावती जी ने स्पष्ट कर दिया है कि उनके ब्राह्मण-प्रेम में स्थाइत्व आ चुका है और सर्वजन को छोड़कर बहुजन की ओर मुड़ने वाली नहीं हैं, भले ही बसपा पूरी तरह अतीत का विषय क्यों बन जाए!