ये जो सज्जन टीका लगाए बैठे हैं वे Umang Bedi हैं. फेसबुक के भारत और दक्षिण एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर. भारत में फेसबुक पर जो भी होता है, उसका श्रेय भी इनका और जो गलत होता है, उसकी जिम्मेदारी भी इनकी.
यह 3 जून, 2017 की तस्वीर है. पूजा चल रही है. पंडित बिजी है. बेदी जी के सिर पर फूल चढ़ाया जा चुका है. भक्ति का माहौल है । अगर आप सोच रहे हैं कि यह बेदी जी का गृह प्रवेश है या उनके घर पर सत्यनारायण की कथा चल रही है, तो आप गलत हैं । बेदी जी यह पूजा फेसबुक के मुंबई के नए दफ्तर में करवा रहे हैं. दफ्तर बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में है।
भारत में मॉडर्निटी का यह अद्भुत रूप है. यह बहुत मिलावटी तरीके से आया है. अमेरिका या यूरोप में आप किसी कॉरपोरेट ऑफिस के उद्धाटन में यह कल्पना नहीं कर सकते हैं कि मैनेजिंग डायरेक्टर पादरी को बुलाकर प्रार्थना सभा करवा रहा है ।
पश्चिम में आधुनिकता चर्च से टकराकर बढ़ी है. गैलीलियो से लेकर ब्रूनो और कॉपरनिकस ने इसके लिए चर्च से पंगा मोल लिया और कीमत चुकाई. ब्रूनो को तो चर्च ने जिंदा चौराहे पर जला दिया । पश्चिम में धर्म व्यक्ति का निजी मामला है.।
भारत में आधुनिकता अजीब तरह से आई है. यहां कोट के नीचे जनेऊ का गंदा धागा जिंदा है। यहां डॉट कॉम का कम्युनिटी मेट्रिमोनी डॉट कॉम बन जाता है.
मिस्टर उमंग बेदी गोल्फ खेलते हैं, सबसे आधुनिक टेक्नोलॉजी पर काम करते हैं,, कहने को नारी अधिकारों के संरक्षक भी हैं, और इसके साथ सत्यनारायण व्रत कथा ऑफिस के अंदर कराने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है.
इसलिए बेदी जी के व्यवहार को भारतीय आधुनिकता की समस्या के रूप में देखें.।
(वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सी मण्डल की वाल से)
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