• पार्टी में हर स्तर पर हुआ पुनर्गठन। युवाओं के हाथ पार्टी की कमान।
• दिल्ली सरकार को शराब नीति पर घेरेगी स्वराज इंडिया।
• योगेंद्र यादव ने नई आबकारी नीति सार्वजनिक करने की मांग की।
• स्थानीय लोगों की सहमति के बिना दिल्ली सरकार द्वारा खोले गए ठेकों को बंद करने की भी माँग।
• माँगें नहीं माने जाने पर स्वराज इंडिया जारी करेगी आंदोलन।
स्वराज इंडिया ने दिल्ली में नया आगाज़ कर दिया है। नए और जोशीले युवा नेतृत्व को दायित्व देते हुए पार्टी का पुनर्गठन किया गया है। स्वराज इंडिया के संस्थापक सदस्यों में से एक 29 वर्षीय अनुपम को दिल्ली की बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। यहाँ प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने अनुपम के नाम की घोषणा की। ज्ञात हो कि अनुपम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और प्रेसिडियम सदस्य रहे हैं।
कॉलेज के दौरान छात्र-राजनीति में सक्रिय रहे अनुपम को क्रिकेट खेलने, सिनेमा देखने और कविताएं लिखने का भी शौक़ है। मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढाई के बाद अनुपम ने चार साल एक जानी मानी एमएनसी में काम किया, जिसे 2013 में छोड़कर वो सक्रिय राजनीति में कूद पड़े।
स्वराज इंडिया ने हमेशा से ही युवाओं की राजनीतिक भागीदारी पर विशेष ज़ोर दिया है। पार्टी के नए नेतृत्व में भी यह विचार स्पष्ट तौर पर प्रतिबिंबित होती है। नई टीम के अध्यक्ष ही नही, बल्कि पार्टी के कई अन्य पदाधिकारी भी युवा हैं। स्वराज इंडिया ने नवनीत तिवारी को प्रदेश महासचिव की ज़िम्मेदारी दी है, जिनकी आयु 37 वर्ष है। यहाँ तक कि पार्टी के सभी सचिवों की औसत आयु मात्र 35 वर्ष है। पार्टी के कार्यकर्ता, कार्यालय और कार्यक्रमों की देख रेख के लिए सुरिंदर सिंह कोहली, निशांत त्यागी और रमन यादव को प्रदेश सचिव की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी गई है।
पटेल नगर की पूर्व विधायक वीना आनंद और सेना से सेवानिवृत्त कर्नल पी के अहलावत को पार्टी ने उपाध्यक्ष का दायित्व दिया है। वहीं कोषाध्यक्ष के तौर पर दीपक भान को ज़िम्मेदारी दी गई है।
वार्ड से लेकर प्रदेश तक संगठन का हर स्तर पर पुनर्गठन किया गया है। दिल्ली के 70 विधानसभाओं में कुल 14 ज़ोन बनाये गए हैं जिनमें पाँच पाँच विधानसभा होंगे। स्वराज इंडिया ने अपने मूलभूत कार्यप्रणाली के तौर पर “स्वराज केंद्र” का गठन किया है, जो हर वार्ड में जनता की सेवा और संघर्ष के लिए होंगे। स्वराज केंद्र को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए पार्टी ने दिल्ली भर में अपने कई नेताओं को “स्वराज केंद्र कोऑर्डिनेटर्स” की ज़िम्मेदारी भी दी है।
घोषणा के तुरंत बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए अनुपम ने कहा, “आज देशभर में जिस तरह की गंदी राजनीति पनप रही है, उससे मजबूती से लड़ना ही सबसे बड़ा धर्म है। और इसमें युवाओं की मुख्य भूमिका होगी। कांग्रेस हो या आम पार्टी, दिल्ली के इन दोनों विपक्षी दलों के प्रति जनता में घोर अविश्वास और आक्रोश है। देश को बचाने और बनाने वाली पवित्र राजनीति के युगधर्म को हमें ही निभाना है। देशभर में व्याप्त आज की चिंताजनक परिस्थितियों में नई राजनीति की एकमात्र उम्म्मीद है स्वराज इंडिया।”
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने बताया कि दिल्ली सरकार की शराब नीति पर उनकी पैनी नज़र है। उन्होंने माँग किया कि सरकार वर्तमान वित्त वर्ष के लिए अपनी आबकारी नीति सार्वजनिक करके आम लोगों से सुझाव लें। साथ ही, बिना स्थानीय लोगों की सहमति के खोले गए ठेकों को तुरंत बंद करे। योगेंद्र यादव ने लाईसेंस बांटने के संबंध में दिल्ली सरकार के घपलों को आगे उजागर करने की भी बात कही।
ज्ञात हो कि पिछले साल दिल्ली सरकार के धड़ल्ले से बांटे गए शराब लाईसेंस के ख़िलाफ़ स्वराज इंडिया ने ही आवाज़ उठाई थी। दिल्ली के कई रिहायशी इलाकों में स्थानीय जनता की मर्ज़ी के विरुद्ध खुले ठेकों के ख़िलाफ़ पार्टी ने जनसुनवाई की थी। स्वराज इंडिया द्वारा चलाये गए जनांदोलन के दबाव में दिल्ली सरकार बुरी तरह घिर गई थी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साल भर कोई भी नया ठेका नहीं खोलने की घोषणा की थी।
दिल्ली सरकार की जनविरोधी शराब नीति का खामियाज़ा आम लोग, विशेषकर महिलाओं को झेलना पड़ा है। इस मुद्दे पर स्वराज इंडिया लगातार सक्रिय रही है और पार्टी का नया नेतृत्व भी इसपर अत्यंत गंभीर है।