एक दर्दनाक हादसा : बीजेपी कौशाम्बी जिलाध्यक्ष रमेश पासी के रिश्तेदार की सड़क हादसे में मौत

प्रयागराज / पीजीआई लखनऊ से लौट रहें पासी दम्पति का कुंडा में एक्सीडेंट हो गया। कल रात 8 बजे हुई दुघर्टना में इलाहाबाद के नया कटरा निवासी बाल गोविन्द , 55 वर्ष की तत्काल मौत हो गईं ,जबकि पत्नी इंद्रावती 52 वर्ष गम्भीर रूप से घायल हो गईं है। जिसका इलाज सिविल लाइंस प्रयागराज में एक निजी अस्पताल में हो रहा हैं जहाँ उनकी हालत नाज़ुक बताई जा रहीं है।

मृतक बाल गोविंद का शव पोस्टमार्टम के बाद आज घर पहुँचा तो परिवार वालो का रो रोकर बुरा हाल है । इसके बाद रसूलाबाद घाट पर उनका परिवरिकजनो ने अन्तष्टि की। दुर्घटना के शिकार हुए दम्पति भाजपा कौशाम्बी के जिलाध्यक्ष रमेश पासी के सालें थें जो इलाज़ के लिए पीजीआई लखनऊ गए थे। वापसी में कुंडा बाईपास पर गाड़ी ओवरटेक होते ही दूरी गाड़ी से भिड़ गई।

विजय कु.चौधरी बने द ग्रेट भीम आर्मी बिहार के प्रदेश अध्यक्ष

पटना- द ग्रेट भीम आर्मी बिहार का प्रदेश अध्यक्ष विजय कु.चौधरी को सर्वसम्मति से बनाया गया । विजय चौधरी संगठन के संस्थापक सदस्य में से एक है ,इससे पूर्व वो प्रदेश के प्रधान महासचिव के पद पर रह चुके ।

संगठन के संयोजक अमर आज़ाद ने बताया कि ,विजय कु.चौधरी जी को हमलोग ने सर्वसम्मति से अध्यक्ष के रूप में चुना है ,सीनियर होने के नाते उनके अनुभव से समाज को काफी लाभ होगा । अब तक संगठन द्वारा जितने भी आंदोलन हुए है सब मे विजय जी का योगदान सरहानीय रहा है ,

वही संगठन के संस्थापक विशुनदेव पासवान ने कहा कि विजय जी को समाज आशा भरी नज़रो से देख रहा है । हमे उम्मीद है विजय जी हम सबो के उम्मीदों पर खरे उतरेंगे।

अध्यक्ष बनने के बाद विजय चौधरी ने कहा , संगठन को पूरे बिहार में मजबूत करना मेरी सबसे पहली प्राथमिकता है, दलित के सभी वर्गों को साथ ले कर कार्य करेंगे । न को जातिवाद ,न परिवारवाद,न क्षेत्रवाद रहेगा । सिर्फ और सिर्फ विकास होगा ,हम लोग चट्टानी एकता का परिचय देगे। कार्यकर्ता के मेहनत को सरहाया जाएगा ,समय- समय पर वैसे कार्यकर्ता जो जमीनी स्तर पर दिन-रात समाज के उत्थान में कार्य करते रहते है उन्हें प्रदेश स्तरीय बैठक में प्रशस्ति पत्र दे कर उनका हौसला अफजाई किया जाएगा ।

आखिल भारतीय पासी समाज बिहार इकाई ने खुशी जाहिर की है प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी प्रदेश युवा अध्यक्ष राजा चौधरी,प्रदेश प्रधान महासचिव सह प्रवक्ता निशान्त चौधरी ,प्रदेश सचिव मनोज चौधरी ने उन्हें बधाई और शुभकामना व्यक्त की है ।

मौके पर कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष अमरजीत रविदास, निशान्त चौधरी ,रजनीश पासवान, रणधीर चौधरी,धर्मपाल पासवान, मनीष पासवान ,विकास कुमार,राम बाबू, मंटू कुमार आदि मौजूद रहे ।

बिहार-धूमधाम से मनाया गया पासी मिलन समारोह सह सम्मान समारोह-2019

बिहार- गया जिले के शेरघाटी अनुमंडल में अखिल भारतीय पासी समाज द्वारा आयोजित पासी मिलन सह सम्मान समारोह घुमधाम से मनाया गया , कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रमोद कुमार चौधरी ने की , इस अवसर पर मध्य विद्यालय पवरा (गुरुआ) के प्रधानाध्यापक वीरेंद्र कुमार को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए शॉल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।श्री कुमार को हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल टीचर इनोवेशन अवार्ड से भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के द्वारा नई दिल्ली में सम्मानित किया गया था ।इस उपलब्धि पर अखिल भारतीय पासी समाज ने उनका हार्दिक अभिनंदन किया ,गुरुआ प्रखंड के अध्यक्ष संजय चौधरी ने प्रत्येक प्रखंड में पासी समाज के उत्थान हेतु कमेटी गठित करने पर जोर दिया साथ ही अपने समाज को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक रूप से मजबूत करने की अपील की ,इस मौके पर प्रधानाध्यापक जितेंद्र कुमार,सकलदीप राम,नंदकिशोर चौधरी पूर्व प्रमुख ,कृष्णा चौधरी, विजय चौधरी, शिक्षा सेवा के अध्यक्ष प्रदीप चौधरी आदि वक्ताओं ने पासी समाज के ऐतिहासिक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए पासी समाज के विकास एवं उत्थान पर बल दिया।बिहार से निशान्त चौधरी की रिपोर्ट

बिहार-पासी मिलन समारोह-2019

बिहार प्रदेश में अखिल भारतीय पासी समाज के तत्वाधान में गया जिले के शेरगघाटी अनुमंडल में पासी मिलन समारोह का आयोजन होने जा रहा है

गया-गुरुआ प्रखंड के पासी टोला मोह्हले में शुक्रवार को पासी समाज की एक बैठक आयोजित की गई।जिसकी अध्यक्षता प्रखंड अध्यक्ष संजय चौधरी ने किया। इस संबंध मे संजय चौधरी ने बताया कि शेरघाटी में अखिल भारतीय पासी समाज के युवा जिला उपाध्यक्ष सह शेरघाटी अनुमंडल अध्यक्ष प्रमोद चौधरी(पिंटू) एवं अनुमंडल के सभी प्रखंड के अध्यक्ष- संजय चौधरी(गुरुआ),संतोष चौधरी(डोभी),अमित चौधरी(आमस),के अथक प्रयासों से पासी मिलन समारोह सह सम्मान समारोह का आयोजन 8/9/2019 को उत्सव मैरेज हॉल शेरघाटी में (डा० आर कुमार के बगल में) किया जाएगा। स्थानीय समाज के लोगो से उक्त मौके पर उपस्थित होने की आग्रह की ,इस मौके पर रंजीत चौधरी, नरेश चौधरी, डा. एस. एस. चौधरी, राम खेलावन चौधरी के अलावे आस-पास के कई गांवों के लोग मौजूद थे।

आखिर क्यों रंजीत सरोज का जीवन बर्बाद करने पर तुला है हरिजन द्रोणाचार्य विक्रम ?

रंजीत सरोज इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास विभाग से रिसर्च कर रहे हैं और इनके गाइड हैं डॉक्टर विक्रम हरिजन जो चमार बिरादरी से आते हैं डॉक्टर विक्रम अपने आप को बहुत ही क्रांतिकारी बताते हैं और इनका सपना इंटरनेशनल लेवल पर हाई लाइट होने का हमेशा रहा है। यह लोगों के बीच में हमेशा कहते सुने जाते हैं ,कि इंसान को ऐसा काम करना चाहिए चाहे भले ही गलत हो लेकिन उसका नाम तो राष्ट्रीय स्तर पर लोग जान जाते हैं इसी परिपेक्ष में उन्होंने एक सभा में हिंदू देवी देवताओं पर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करते हुए नजर आ रहे हैं.

जिनका वीडियो लगभग लगभग काफी लोगों ने देखा होगा कि माह रहे हैकि लोग भगवान का डर दिखाते हैं मैं तो शिवलिंग पर मूता हूं कुछ नहीं हुआ। रही बात रंजीत सरोज की तो डॉक्टर विक्रम हरिजन रंजीत सरोज को क्यों प्रताड़ित कर रहे हैं इसको विस्तार से जाने, डॉक्टर विक्रम मनुवादी और सामंती सोच रखते हैं रंजीत सरोज को दिन भर अपने काम में इधर उधर दौड़ाते रहते थे जिससे रंजीत सरोज की पढ़ाई भी डिस्टर्ब होती थी ,और डॉक्टर विक्रम सवर्णों को और देवी-देवताओं को गाली गुप्ता देते रहते थे जिस कारण से इनकी विश्वविद्यालय में अन्य रिसर्च स्कॉलर अध्यापकों और छात्रों में नहीं बनती थी जब इनके खिलाफ अन्य लोग लामबंद होते थे तो वह रंजीत सरोज को मोहरा बनाकर आगे कर देते थे और मजबूरी बस रंजीत सरोज को अपने गाइड के इशारे पर डॉक्टर हरिजन के विरोधियों से जूझना पड़ता था.

बार-बार रंजीत सरोज को विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ अपने विरोधियों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए प्रेरित व दबाव बनाते रहते थे कई बार अपने विरोधियों के खिलाफ आंदोलन करवाया भी जिससे रंजीत सरोज के शोध कार्य प्रभावित होता था एक बार रंजीत सरोज को अपने विरोधियों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए कहे थे जिसमें रंजीत सरोज हां कर दिये थे लेकिन तबीयत ना ठीक होने की वजह से आंदोलन करने नहीं जा पाए जिससे डॉक्टर विक्रम चिढ़ गए और कहा कि कैसे शिष्य हो जो मेरे लिए आंदोलन नहीं कर सकते मेरे विरोधियों के खिलाफ ,शिष्य एकलव्य जैसा होना चाहिए द्रोणाचार्य एकलव्य से अंगूठा मांग लिया तो एकलव्य गुरु दक्षिणा में अपना अंगूठा दे दिया और तुम मेरे लिए पंडित ठाकुरों के खिलाफ आंदोलन नहीं कर सकते रंजीत सरोज ने कहा सर मेरी तबीयत नहीं सही थी इसलिए मैं आंदोलन नहीं कर पाया।

यहीं से डॉक्टर विक्रम नाराज हुए दूसरी नाराजगी तब और बढ़ गई जब डॉक्टर विक्रम से रंजीत सरोज ने अपने दिए हुए पैसे 35000 डॉक्टर विक्रम से मांग लिया जिसमें से डॉ विक्रम ने ताव में आकर ₹10000 तो वापस कर दिया लेकिन ₹25000 अभी तक वापस नहीं किया और यहीं से डॉक्टर विक्रम रंजीत सरोज के जीवन को बर्बाद करने की ठान ली और तरह-तरह की मानसिक उत्पीड़न करने लगे रंजीत सरोज का डॉ विक्रम ने 7 महीने से फैलोशिप रोक रखी है जिस पर दस्तखत नहीं कर रहे हैं जो लगभग ढाई लाख रुपए हैं .

रंजीत सरोज ने डॉक्टर विक्रम हरिजन से अनुनय विनय किया कि सर मेरा जीवन बर्बाद हो जाएगा अगर आप अपने अंडर में रिसर्च कराना नहीं चाहते हैं तो हमें एनओसी दे दीजिए मैं किसी और को अपना गाइड बना लूं वहां अपनी पीएचडी कंप्लीट कर लूंगा लेकिन डॉक्टर विक्रम हरिजन सुनने को तैयार नहीं है कहते है कि मैं तुम्हारी पीएचडी निरस्त करवा दूंगा तुम्हारा जीवन बर्बाद कर दूंगा तुम पीएचडी करके अध्यापक बनने का सपना देख रहे हो मैं तुम्हें चपरासी भी नहीं बनने दूंगा तुम मेरा कुछ नहीं कर सकते हो रंजीत सरोज ने मामले को सुलझ जाने के लिए डॉक्टर विक्रम हरिजन से एनओसी देने के लिए इलाहाबाद में तैनात एक विभाग के प्रधान कमिश्नर से भी पैरवी करवाई जो उन्ही के जाति के थे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक सम्मानित पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अजीत यादव ने भी अपने अस्तर से डॉक्टर विक्रम से मिलकर आग्रह किया और मामले को समाप्त करने की बात कही लेकिन उनके भी प्रयास का कोई असर डॉक्टर विक्रम पर नहीं हुआ इस मामले को सुरेंद्र चौधरी पूर्व छात्र नेता , मंत्री काशी प्रांत ,भारतीय जनता पार्टी ,ने भी विक्रम से बात की और मामले को सुलझा ने के लिए आग्रह किया लेकिन विक्रम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और भी तमाम सम्मानित शहर के लोगों ने विक्रम को समझाने का प्रयास किया और कहा कि क्यों एक छात्र का जीवन बर्बाद करने पर तुले हो लेकिन उनका भी प्रभाव डॉक्टर विक्रम हरिजन पर नहीं पड़ा डॉक्टर विक्रम बराबर कहते चले आ रहे हैं मैं चाहे देवी देवताओं को गाली दूं चाहे रंजीत सरोज की पीएचडी निरस्त कर उनका जीवन बर्बाद कर दूँ मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि हमने अपने समाज से पांच-छह आईएसपीसीएस को लगा रखा है और मेरे समर्थन में हमारे जाति के संगठन और छात्र लगे हुए हैं मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता ,साथियों डॉक्टर विक्रम हरिजन का यह घृणित कार्य यह किसी सवर्ण के लिए नहीं बल्कि एक पासी समाज के होनहार छात्र रंजीत सरोज के लिए है एक होनहार छात्र रंजीत सरोज का जीवन ना बर्बाद हो एक हरिजन द्रोणाचार्य के तानाशाही गैर जिम्मेदाराना रवैए के कारण, इसके लिए एक छात्र के भविष्य को बचाने के लिए आम जनमानस छात्रों नौजवानों को भी आगे आना चाहिए जिससे कि भविष्य में कोई भी द्रोणाचार्य छात्र का अंगूठा ना मांग सके और ना काट सके ।

– लालाराम सरोज, एडवोकेट
अध्यक्ष -प्रबुद्धवादी बहुजन मोर्चा उत्तर प्रदेश

(लेखक के यह निजी विचार हैं)

क्या दलित-चमार न्याय के लिए खुद की जाति से बगावत नही करता ?

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्यकालीन इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा.विक्रम हरिजन के हिन्दू देवी देवताओं को अपमानित करने वाला बयान इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ हैं. जिसे लेकर विश्विद्यालय प्रशासन काफी नाराज हैं. प्रोफेसर के इस हरकतों से इलाहाबाद विश्वविद्यालय की गरिमा को ठेस पहुँचाया ही, साथ ही साथ दलितों में गुरु – शिष्य परंपरा पर नए सवाल खड़ा कर दिए हैं.

मामला डॉ. विक्रम के निर्देशन में शोध करने वाले रंजीत कुमार सरोज से जुड़ा हैं.डॉ विक्रम पर अपने ही शोध छात्र द्वारा शारिरिक , मानसिक और आर्थिक रूप से शोषण करने का गम्भीर आरोप हैं. जिसे विश्वविद्यालय प्रशासन भी बखूबी जान गया है कि विक्रम ने रंजीत के शैक्षिक कैरियर के साथ खिलवाड़ किया हैं. उसकी फेलोशिप को 7 माह से रोक रखी हैं. एक सभ्य निर्देशक की तरह उनके प्रगति रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नही कर रहें हैं उल्टे उस पर बेबुनियादी आरोप लगाकर पीएचडी निरस्त कराने की बात कह रहे हैं. कुल मिलाकर रंजीत सरोज के कैरियर को बर्बाद करने के लिए डॉ विक्रम उस हद तक गए जहाँ भेदभाव करने वालें ब्राह्मण / सवर्ण भी शरमा जाएं ।

लेकिन फिर भी इनके समर्थन में इनकी जाति के एक चन्दाखोर संगठन समर्थन में उतरा हैं, जिसके 100 सदस्य भी शहर में नही हैं। अब सवाल उठता है कि दलितों में चमार जाति अन्याय और शोषण करने वाले खुद के जाति के साथ क्यों खड़ा हैं? क्या उसे न्याय के साथ नही खड़ा होना चाहिए ?

इलाहाबाद में पासी समाज का गढ़ हैं। क्या कोई भी जाति पासियों पर अन्याय अत्याचार करके सुरक्षित रह सकता हैं? जिला प्रशासन से उम्मीद हैं कि स्थिति बिगड़ने से पहले इस मामले को सुलझा लें वरना सब्र का बांध टूटेगा तो अत्यचार करने वालों की खैर नही होगी !

दलितों के नाम पर कतिथ संगठन अपनी हद में रहें और न्याय के साथ खड़े हो, वरना उनके अन्यायी जातीय चरित्र को पूरा देश देखेगा ।
सावधान ! खबरदार !

‘क्रांतिवीर मदारी पासी’ के उपन्यासकार बृजमोहन का इटारसी में हुआ सम्मान

इटारसी, मुम्बई / क्रांतिवीर मदारी पासी के चर्चित लेखक ब्रजमोहन जी का शानदार सम्मान पासी समाज इटारसी के कामताप्रसाद कैथवास जी के सानिध्य से आयोजित पासी समाज कार्यक्रम में किया गया.ब्रजमोहन जी ने पूरे समाज का आभार माना है.

इसके पूर्व भी चित्रकूट और अनेक जगहों पर उनका क्रांतिवीर मदारी पासी के साहित्य के लिए सम्मान किया गया है. अभी 5 अक्टूबर को भोपाल में साहित्यकारों द्वारा भी उनका सम्मान आयोजित है, बताते चले कि साहित्यकार बृज मोहन द्वारा रचित उपन्यास क्रांतिवीर मदारी पासी के तीन अध्याय को दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किये गयें है।

जिससे कॉलेज विद्यार्थी पठन-पाठन समीक्षा और परीक्षा इस विषय पर देंगे । बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बहुत-बहुत हार्दिक बधाइयां। इस कार्यक्रम में संगठन से संबंधित समाज के कार्यकर्ताओं का सम्मान भी किया गया छोटे रूप में ही सही लेकिन बेहतर कार्यक्रम रहा ।

रिपोर्ट: केशव कैथवास

कहीं जाति के उलझन में तो फंसा नही हॉकी के जादूगर का भारतरत्न ●अजय प्रकाश सरोज

हॉकी जादूगर मेजर ध्यानचंद जी की जाति चुराने की कोशिश लगातार हो रहीं हैं। यह सच हैं कि दद्दा का जन्मस्थान इलाहाबाद में हुआ था लेकिन जल्द ही उनका परिवार झाँसी में शिफ्ट हो गया ।

जिसकी वजह से उनकी जाति का कोई प्रमाणित साक्ष्य नही मिल सका। जबकि कुशवाहा और पासी साहित्यकारों नें उन्हें अपने साथ जोडने के लिए कुछ तथ्य पेश किए लेकिन यह प्रमाणित नही हैं।

पासी साहित्यकारों का कहना हैं कि इलाहाबाद से झाँसी जाकर बसने से वालें बहुत सें परिवार अपने नाम के आगे जाति की टाइटिल हटाकर’ सिंह ‘लिखने लगें और राजपूत बनकर शादी विवाह तक कर लिए उन्होंने कई उदाहरण प्रस्तुत भी किये हैं.

इसी प्रकार कुशवाहा जाति के बुद्धिजीवियों नें मध्यप्रदेश की सागर जिलें में महेश सिंह कुशवाहा के साथ ब्याही ध्यानचंद जी बहन के आधार पर उन्हें कुशवाहा भी बताया जाता हैं. झाँसी के स्थानीय साहित्यकारों ने बताया कि ध्यानचंद जी के परिवार की कुछ शादियां राजपूत परिवारों में भी हुई हैं.

आज 29 अगस्त उनके जन्मदिवस पर भाषा बैज्ञानिक कहलाने वालें डॉ पृथ्वीनाथ पांडेय ने हिंदुस्तान के प्रयागराज संस्करण पर उनकी जाति को राजपूत होने का दावा किया। लेकिन क्या पांडेय जी कोई प्रमाण दे सकेंगे ? कि मेजर ध्यानचंद जी का परिवार इलाहाबाद के किस मोहल्ले किस गाँव मे रहता था .उनके पट्टीदार लोग कौन हैं और कहाँ हैं ?

हालाकि ! ध्यानचंद जी ने जीते जी कभी अपनी जाति नही बताई ? हो सकता हैं भारतीय समाज में होने वालें भेदभाव की समझ की वजह से उन्होंने ऐसा किया हो ? जो भारतरत्न देनें के लिए आज भी उनके साथ हो रहा हैं.

भारत में जब अंग्रेजी हुकूमत थीं और क्रिकेट का अंग्रेजी खेल भारतीयों के लिए नया था तब भारत हॉकी में तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुका था. वर्ष 1928, 1932 और 1936 इस ओलंपिक जीत में मेजर ध्यानचंद भारत के वो तुरूप के इक्के साबित हुए थे जिसका तोड़ दुनियां के किसी भी विपक्षी टीम के पास नहीं था.

उस दौर में क्रिकेट की दुनियां में जो शीर्ष स्थान सर डॉन ब्रेडमैन का रहा, वही स्थान ध्यानचंद का था. ब्रेडमैन भी उनके खेल की प्रशंसा किए बग़ैर नहीं रह सके थे. यहां तक कि जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने जब ध्यानचंद को खेलते देखा तो वे उनके ऐसे मुरीद हुए कि अपने देश से खेलने का ही न्योता दे दिया. उनके बनाए कई रिकॉर्ड आज तक टूटे नहीं हैं. यह ध्यानचंद के खेल का ही जादू था कि उनकी हॉकी स्टिक की जांच तक की नौबत आ गई थी. कहीं उनकी स्टिक में कोई चुम्बकीय धातु तो तों नही हैं ?

क्योंकि मेज़र ध्यानचंद भारत में अंग्रेजी हुकूमत रहतें यह करिश्मा दिखाया था जिससे अंग्रेजों का सम्मान दुनियां में और बढ़ा था तो उन्होंने वर्ष 2015 में ब्रिटिश संसद में मेजर ध्यानचंद को ‘भारत गौरव सम्मान’ से नवाज़ा गया .आज भी दुनियां उनके फन का लोहा मान रही है, लेकिन उन्हें अपने ही देश में उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है.

वर्ष 2013 में जब क्रिकेट के भगवान कहे जानें वालें सचिन तेंदुलकर को भारतरत्न लिए संसद में खेल को जोड़ा जा रहा था उसके पहलें ही तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम पत्र लिखने वाले व्यक्ति झांसी से कांग्रेस सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री प्रदीप जैन थे. इस पत्र में उन्होंने लिखा कि सरकार को हॉकी के जादूगर कहलाए जाने वाले मेजर ध्यानचंद के खेलों में योगदान को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए.

उन्होंने लिखा, ‘ध्यानचंद भले ही 34 साल पहले गुज़र चुके हों, लेकिन उनकी उपलब्धियां ज़िंदा हैं. वे हमारे राष्ट्रीय खेल हॉकी का पर्याय हैं. वे तत्काल भारत रत्न पाने के हक़दार हैं ‘ इस मांग के समर्थन पत्र पर 81 अन्य सांसदों ने भी हस्ताक्षर किए थे जिनमें शशि थरूर, मोहम्मद अज़हरुद्दीन, सीपी जोशी, राज बब्बर, संजय निरूपम, मीनाक्षी नटराजन जैसे बड़े नाम भी शामिल थे. इसके बाद देश भर में बहस छिड़ गई कि पहले भारत रत्न किसे दिया जाए? हॉकी के जादूगर और क्रिकेट के भगवान आमने-सामने थे.
लेकिन सफ़लता सचिन तेंदुलकर को मिलीं और आज भी हॉकी का जादूगर ध्यानचंद भारतीय सरकारों की उपेक्षा का शिकार हैं।

वजह क्या हैं ? भाजपा की सरकार में रेवड़ी की तरह बातें जा रहें भारतरत्न में कहीं ध्यानचंद की जाति तो नहीं ? जो अभी तक स्पष्ट नही हैं . क्या भाजपा ध्यानचंद जी को भारतरत्न देकर कांग्रेसियों को कोसने का अवसर नही हथियाना चाहिए ? वहज कुछ भी हो लेकिन हॉकी जादूगर मेजर ध्यानचंद जी को भारतरत्न देकर राष्ट्रीय खेल हॉकी को सम्मान देकर लाखों हॉकी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जा सकता हैं। जो देश के लिए खेलने का सपना लिए स्टेडियम में पसीना बहा रहें हैं।
(लेखक : पत्रिका के संपादक हैं )

जेटली के निधन पर राम विलास पासवान ने ब्यक्त किया शोक, बोलें उनसे परिवारिक रिश्ता रहा

देश के महान नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली जी के निधन का समाचार सुनकर व्यथित हूं। अरुण जेटली न केवल देश के महान नेता थे बल्कि कानून के महान ज्ञाता थे और सबसे बड़ी बात एक अच्छे इंसान थे। उन्होंने वित्त मंत्री के अलावा रक्षा, कारपोरेट अफेयर्स, कॉमर्स, इंडस्ट्रीज और ला एंड जस्टिस जैसे बड़े मंत्रालय का कुशलता पूर्वक निर्वहन किया। राज्य सभा में प्रतिपक्ष के नेता थे और बाद में राज्य सभा के नेता भी रहे। सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील थे। मेरा उनसे व्यक्तिगत और पारिवारिक जैसे संबंध थे।

वे अटल बिहारी वाजपेयी जी और मोदी जी के सरकार में मंत्री रहे। और यहां तक कि वे भारतीय जनता पार्टी के लिये संकट मोचक का काम करते थे। लोक सभा चुनाव के पूर्व अपने दायित्व को सफलतापूर्वक निभाते रहे। वित्त मंत्री के रूप में उनका जो योगदान रहा है, उसको देश हमेशा याद रखेगा। मैं उनके परिवार के लोगों के प्रति लोक जनशक्ति पार्टी और अपने परिवार की ओर से संवेदना व्यक्त करता हूं। वहीं उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ।
#ArunJaitley

आईएएस गोपीनाथ का इस्तीफा, कहा- बोलने की आजादी खत्म हो गई थी

  • कश्मीर कैडर के शाह फैसल के बाद सबसे कम उम्र में इस्तीफा देने वाले दूसरे आईएएस
  • भास्कर के पूछने पर राजनीति में जाने की बात से किया इंकार, बोले-अभी इस बारे में नहीं सोचा

सूरत .संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली में तैनात 2012 बैच के आईएएस अधिकारी गोपीनाथ कन्नन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया है। वे इन दिनों पावर एंड नॉन कन्वेंशनल ऑफ एनर्जी के सेक्रेट्री पद पर कार्यरत थे। वे कश्मीर कैडर के चर्चित आईएएस अधिकारी शाह फैसल के बाद सबसे कम उम्र में अपनी सर्विस से इस्तीफा देने वाले दूसरे आईएएस अधिकारी बन गए हैं।

चर्चा है कि मौजूदा प्रशासनिक कार्यशैली से वे नाखुश थे। हालांकि उन्होंने इसको लेकर कुछ नहीं बोला है, लेकिन इतना जरूरत कहा कि वो अपनी आजादी चाहते हैं। बातचीत में कन्नन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से उन्हें ऐसा लग रहा था कि वो अपनी सोच को आवाज नहीं दे पा रहे हैं इसलिए अपनी आवाज को वापस पाने के लिए इस्तीफा देने का निर्णय किया।

मीडिया ने जब उनके भविष्य के बारे में पूछा कि इस्तीफा के बाद वो क्या करना चाहते हैं? क्या वो भी शाह फैसल की तरह राजनीति में जाएंगे तो उन्होंने फौरी तौर पर इससे साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अभी ऐसा कुछ भी नहीं सोचा है।

यह फैसला उन्होंने सैद्धांतिक तौर पर लिया है और मैं अपने सिद्धांत के साथ समझौता नहीं कर सकता। मौजूदा सरकार और यूटी प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने अपनी सर्विस नियमावली का हवाला देते हुए कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया। आपको बता दें कि गोपीनाथ कन्नन तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने 2018 में केरल में आई भीषण बाढ़ के दौरान राहत सामग्री अपने कंधे पर रखकर लोगों तक पहुंचाई थी। उस दौरान पूरे देश में उनके इस कार्य की सराहना हुई थी।

चुनाव के दौरान भी चर्चा में रहे

वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग से भी मौजूदा यूटी प्रशासन के बड़े अधिकारियों की शिकायत की थी कि उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद उन्हें सिलवासा कलेक्टर पद से हटाकर कम महत्व के विभाग की जिम्मेदारी दे दी गई थी। गोपीनाथ कन्नक सिलवासा कलेक्टर रहते हुए सराहनीय कार्य किया था।

साभार : दैनिक भास्कर