मुंबई में पासी समाज के विद्यार्थियों का गुण गौरव समारोह का आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न। 

मुंबई : जब आप कोई कार्य सच्ची लगन ,मेहनत , और दृढ़ता से करते है तो आपको सफल होने से कोई नहि रोक सकता ।यही कल मुंबई में हुआ ।

कल अखिल भारतीय पासी विकास मंडल की कांदिवली शाखा के तत्वाधान में दिनांक २ जुलाई २०१७ को ” वर्ष २०१६-१७ में उत्तीर्ण विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए “गुण गौरव समारोह” का आयोजन किया गया था और कल ही मुंबई में मूसला धार बारिश हुई । कंदीवाली टीम की मेहनत का ही नतीजा था कि फिर भी पूरा हाल भरा हुआ था । इतनी बारिश में भी पूरी मुंबई के अलग अलग जगहो से लोग उपस्थित हुए । एक संस्था की शाखा होने के नाते इस प्रोग्राम ने बहुत से मानक संस्थाओ के लिए पेश किए जिन्हें संस्थाओ को पालन करना चाहिए । जैसे –
1. भारी बारिश के बावजूद कार्यक्रम समय पर शुरू हो गया था कुछ लोग लेट भले हुए पर टीम के द्वारा इतनी हिम्मत दिखाई गई की वेट करने के बजाय कार्यक्रम समय पर शुरू कर दिया गया। इसके लिए वह बधाई के पात्र है। किसी भी संस्था के लिए कोई इतना महत्वपूर्ण नहि होना चाहिए की कुछ एक लोगों के लिए पूरे कार्यक्रम को डिले किया जाय ।

2. काफ़ी समय के बाद मुंबई में ऐक्टिव तक़रीबन सभी संस्थाएँ , ग्रुप , टीम और लोग एक मंच के नीचे मिले । जो बच गए थे आने वाले समय में ज़रूर एक दिन एक ही मंच के नीचे आएँगे । ABPVM के अलावा राष्ट्रीय पासी समाज , युवा पासी क्लब , RCP टीम , घाटकोपर शाखा , Worli शाखा से भी लोग मौजूद थे ।यह आसान काम नहि है पर कंदीवाली शाखा द्वारा यह एक महत्वपूर्ण संदेश न सिर्फ़ मुंबई समाज को दिया गया है बल्कि पूरे देश की सभी सामाजिक संस्थाओ को दिया गया है । 

3. पूरे प्रोग्राम में सीन्यर साथियों और युवा नेतृत्व का बेमिसाल प्रदर्शन दिखा । जहाँ कंदीवाली के सीन्यर साथी बैकबोन बन कर परदे के पीछे से सपोर्ट किए हुए थे युवा साथियों ने फ़्रंट में आकर कार्यक्रम का बहुत अच्छी तरह से संचालन किया । युवा और सीनियर साथियों का यह कोमबिनेशन बेहतरीन था इसकी बहुत ज़रूरत है समाज में । 

4. टीम वर्क बहुत बढ़िया था । कोई किसी के आदेश के लिए नहि खड़ा था , शायद पहले से ही प्रैक्टिस कर ली गई थी की कब क्या करना है , इसलिए पूरे कार्यक्रम कुछ भी डीले या असमंजस की स्थिति नहि आइ । लगा ही नहि की इस टीम ने पहली बार ऐसा बड़ा प्रोग्राम आयोजित किया है ।


5. वहाँ के स्थानिक नगर सेवक न सिर्फ़ उपस्थित थे बल्कि उन्हें सम्मान करते समय महाराजा बिजली पासी की फ़्रेम की गई फ़ोटो भी उपहार में दी गई । समाज के बाहर के लोगों को पासी समाज की तरफ़ से हमारे समाज के गौरव का प्रतीक उपहार स्वरूप पेश करना एक अच्छी पहल है ।

6. तक़रीबन ५० समाज के बच्चों को कोपियों का सेट बाँटा गया 

7. पूरे कार्यक्रम में बहुत ही सीमित और छोटे स्पीच कराए गए जिससे बच्चे बोर नहि हुए । 


8. महिलाओं को भी विशेष तौर पर मंच से स्पीच देने के लिए आमंत्रित किया गया ।

9. एक चीज़ का जरूर ज़िक्र करना चाहूँगा की पूरे कार्यक्रम में शाखा के पदाअधिकारियों में बड़े पद पर कौन है और छोटे पद पर कौन है पता ही नहि चला रहा था । क्योंकि सभी लोग सबकुछ कर रहे थे सब एक दूसरे को आदेश दे रहे थे और सब एक दूसरे का आदेश सुन रहे थे न बड़े पद की गरिमा न छोटे पद का अहसास । यह एक आदर्श स्थितिहै जिसे कंदीवाली शाखा ने बख़ूबी बनाए रखा ।

10. और सबसे महत्वपूर्ण काफ़ी लोग विलम्ब से आए फिर भी कार्यक्रम समय पर समाप्त हो गया । कार्यक्रम शाम ७ बजे ख़त्म होना था पर सिर्फ़ २० मिनट की देरी से यानी ७:२० पर ख़त्म कर दिया गया। यह बहुत अच्छा संदेश दिया गया है क्योंकि समाज में समय को लेकर बहुत बुरी आदत है । 

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती राजदेवी हिंदी विद्यालय, कांदिवली, के प्रबन्धक श्री आर. एल. सरोज जी , तथा विशेष अतिथि के रूप में स्थानीय नगर सेवक तथा प्रभाग समिति अध्यक्ष श्री कमलेश यादव जी, मंडल के राष्ट्रिय महामंत्री श्री प्रकाश पासी जी, व्यवसायी श्री हीरालाल पासी जी, श्री साहेब लाल पासी जी, डॉ. राम नारायण पासी जी, राष्ट्रिय पासी समाज मुंबई के संस्थापक डॉ. रामाशंकर भारती जी,नंदलाल जी (बांद्रा) तथा कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में अखिल भारतीय पासी विकास मंडल के राष्ट्रिय अध्यक्ष माननीय श्री मिठाईलाल सरोज जी उपस्थित हुए।  
अतिथियों द्वारा बच्चों को प्रशस्तिपत्र और ट्रॉफी देकर सत्कार किया गया. गायत्री पासवान जिसने एसएससी में 93.40 % अंक हासिल किया उनका विशेष सत्कार किया गया तथा अखिल भारतीय पासी विकास मंडल की तरफ़ से रुपये 5000/- का चेक तथा श्री बाबूलाल पासी जी की तरफ़ 1000/ रुपये प्रदान किये गए ।
शाखा अध्यक्ष डॉ सभाजीत पासी शाखामंत्री श्री रविंद्र पासी ने सहयोग के लिए मंडल की सभी शाखाओं और स्वजातीय बंधुओं का आभार व्यक्त किया और धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का सफल और बढ़िया संचालन प्रिंसिपल श्री रमाकांत सरोज जी ने किया। 
धन्यवाद , जय भीम 

गाजीपुर डीएम को हटाने की मांग पर अड़े योगी के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर , कहा मांगे न मानी गयी तो दूंगा इस्तीफा ।

लखनऊ :- उत्तरप्रदेश की योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने गाजीपुर के जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री को हटाने की मांग की है । राजभर ने डीएम की कार्यशैली को गलत बताते हुए उन पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया है । उन्होंने ये भी कहा है की अगर उनकी मांग न मानी गयी तो वो कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा देकर गाजीपुर में धरने पर बैठेंगे । ओमप्रकाश राजभर योगी सरकार की कैबिनेट में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री है तथा गाजीपुर के जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक है । ओमप्रकाश राजभर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष है तथा इनकी पार्टी के चार विधायक है । इनकी पार्टी के चार बिधायक है तथा यूपी सरकार में बीजेपी के सहयोगी दल है । एक बड़ा बयान देते हुये उन्होंने कहा की मुझे मंत्री पद का कोई लालच नही अगर पिछडो , दलितों के साथ अनदेखी होती है तो दो मिनट में इस्तीफा दे दूंगा । 

पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री राजभर ने बताया की उन्होंने जिलाधिकारी को 19 समस्याओं की सूची सौंपी। मगर डीएम की तरफ से किसी भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा उन्होंने डीएम के दबाव में अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज किए जाने का भी आरोप लगाया। राजभर का आरोप है कि डीएम जिले में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। जनता की शिकायतों का समाधान नहीं किया जा रहा। जमीन संबंधी कई विवाद डीएम के यहां लंबित हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही।

आज सीएम से मिलेंगे राजभर  ।  

डीएम को हटाने की अपनी मांग न माने जाने पर इस्तीफा देने की बात करने पर ओमप्रकाश राजभर को सीएम योगी में आज मिलने को बुलाया है । इस पर राजभर का कहना है की योगी जी हमारी टीम के कप्तान है देखते है क्या निर्देश देते है ।फिर भी इशारो इशारो में ही उन्होंने बताया की कल से गाजीपुर में जाना है । 

विवादों में रहते है राजभर । 

पिछले दिनों अपने दिए एक विवादित बयान के चलते ओमप्रकाश राजभर मीडिया और सोशल मीडिया में खूब छाये रहे । दरअसल पासी महाराजा सुहेलदेव पासी को उन्होंने अपने एक बयान में राजभर बता दिया था जबकि पहले यही राजभर पासी समाज के समारोहों में महाराजा सुहेलदेव पासी की प्रतिमा स्थापित करने की बात कहा करते थे। महाराजा सुहेलदेव पासी को राजभर बताने वाला बयान उन्होंने उस समय दिया जब खुद यूपी के सीएम योगी भी महाराजा सुहेलदेव पासी की वीरता भरी इतिहास को यूपी के पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कह चुके है। ओमप्रकाश राजभर के इस बयांन की पासी समाज द्वारा तीव्र आलोचना किया गया और बयान वापस न लेने पर प्रदर्शन करने की भी योजना बनी । इस बयांन की सोशल मीडिया फेसबुक पर भी जमकर विरोध किया गया ।

महाराजा महासेन पासी (महासेन बाबा) बलिदान दिवस:- अषाढ मास सत्तमी

सांकेतिक व काल्पनिक तस्वीर
पासी धर्म रक्षक राज वंश की हस्तियां मिट गयी ,
राष्ट्र धर्म और राज्य धर्म निभाने मे ।

गद्दार राजवंशो की गद्दारी सन्धि मे टिक गयी ,

परतंत्र भारत मे शर्म नही आयी राजा कहलाने मे ।।

मित्रो ,बात है १२वीं सदी की उस समय तक गुजरात पर मुगलो का शासन हो गया था । वहां के बाछिल राजपूतो का आधिपत्य समाप्त हो गया था । मुगलो ने सन्धि के तहत देश के अन्य राज्यो पर अधिकार करने के लिए अपने साथ मिला लिया ।

उस समय बहुत राजपूत इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था ।उनमे से बहुत से परिवार आज भी भारत मे है उनकी अलग पहचान है खांन पठान टाइटिल से जाने जाते हैं ।

   जयचन्द के हमराही बाछिल राजपूत अहवंश ने गुजरात राजपूत सोफी गोपी और मुगल सैनिको के साथ मिल कर मितौली खीरी के राजा मितान पासी , अमृता पासी के महलो पर रात्रि मे हमेसा करके धोखे से मार कर उनके राज्य पर कब्जा कर लिया। इसका बदला लेने के लिए महोली के राजा हंसा पासी ने अहवंश की पुत्री चन्द्रा से विवाह/ युद्ध का प्रस्ताव भेजा जिस पर वह विवाह के लिए राजा हो गया । वारात विदाई के समय धोखे से राजा हंसा सहित वराती सैनिको को भी मरवा दिया ।इसी कडी मे अहवंश ने अपने सहयोगी बाछिल राजपूत और मुगल सैनिको के साथ एक कर पासी राजाओं पर धावा बोल दिया , महासेन पासी राजा को उनके कोडरी ढीह किले के पास कोडरी डेगरा के मैदान मे घेर लिया घात युद्ध मे पासी राजा महासेन सहीद हो गये । समयकाल 1170 से 1190ई की है उस दिन असाढ मास की सत्तमी थी ।

तब से आज तक क्षेत्र के पासी लोग उस दिन को बलिदान दिवस के रूप मे मनाते हैं । शोकाकुल पासी खरो मे इस दिन तबा तक नही चढता था और पासी लोग डेगरा के मैदान मे इकट्ठा होते थे और अपने रिस्तेदारों को भी बुलाते है । बदला लेने के लिए कूबत इकट्ठा करने का काम करते थे ।

 मित्रो समयकाल का तकाजा है लोग इकट्ठा आज भी होते हैं , बलिदान दिवस आज भी मनाते हैं ,घरों मे तवा तो आज भी नही चढता , लेकिन इतिहास को लोग भूल चुके हैं अब तो यह बस केवल परम्परा है । इकट्ठा होने के नाम पर मेला लगने लगा , बलिदान दिवस के नाम पर बकडो की बलि चढने लगी , तवा न चढा कर कढाई मे पूडियां बनने लगी । 

महासेन पासी राजा की पत्नी महोठेरानी भी महोली मे सहीद हो गयी थी कई पासी सैनिक भी सहीद हुए थे । इनका एक किला कसमण्डा के उत्तर टीले के रूप मे विद्दमान है ।

ऊंचा खेरा कसमण्डा मार्ग पर झरसौवां के पास महासेन महोठेरानी द्वारा बनवाया गया महरुवा तालाब आज भी है लेकिन इस पर पट्टे और अतिक्रमण हो गया है!

  जनपद सीतापुर मे लहरी पासी राजा लहरपुर सन् 1375 के बाद पासी राज समाप्त हो गया।

लेकिन पासी अपने को राजपासी, राजबंसी कहते अपने को परशुराम का वंशज कहकर शन्तोष पा लेते है।

  मेरे बडे बेटे द्वारा हमे और आपको सम्बोधित पंक्ति-

”उठो रावत वीर सपूतो, रइयत तुम पर नजर पसारे है।   महापुराणो मे देखो भगवान भी तुमसे हारे हैं।

मातृ शक्ति का आवाहन करता अभिकल लाल तुमारा है।

पहचानो अपनी ताकत को,यमराज भी तुम से हारा है।।

ऊदा,लक्ष्मी,झलकारी जैसी ताकत तुममे,पल मे दुश्मन संहारा है।

20वीं शदी के उन्नत युग मे हो रहा शोषण अत्याचार तुम्हारा है।।

मां काली,दुर्गा,चण्डी बन जाओ तुम,मातृभूमि रक्षा को अवतार तुम्हारा है।।

चौका चूल्हा लालन पालन बहुत किया, अब भारतीयता और विकास के पथ पर पग धारो।

काला सफेद होगा भारत सोने की चिडिया ,बस राजनीतिक गुण्डो को मतान्तर से पछारो

कमला रावत

सीतापुर उ.प्र.

सुल्तानपुर खेरा (रायबरेली) बेनी माधव के अंगरक्षक अमर शहीद वीरवर बीरा पासी के नाम से है महाविद्यालय। 

“जंग की उमंग वीर रंग में तुरंग चढ़; लेता स्वकरों में जब तलवार भाला था । लोचनों में लहू लाल- लाल था, उतर आता वीरा पासी वाला दिखता निराला था। सिंह सी दहाड़ कर ताक-ताक वार कर; बैरियों के वृन्द को बेहाल कर डाला था।”

दिनाँक 07 जनवरी 2017 को किसान शहीद दिवस के अवसर पर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी राना बेनी माधव जी की अश्वारोही कांस्य प्रतिमा का अनावरण श्री राम नाइक जी महामहिम राज्यपाल उ. प्र. के कर-कमलों द्वारा सुनिश्चित हुआ था। राना बेनी माधवबक्श सिंह जी ने जिस तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में वीर वीरा पासी, हीरा जैसे बहादुर योद्धाओं उनके कार्यों के अनुसार सेनानायक के रूप में उपयोग किया और जिस समर्पण से शहीद वीरा, हीरा (वीरा पासी) ने आत्मोत्सर्ग किया वह आज के विभक्त होते समाज के लिए भी एक सन्देश है।

राष्ट्र भक्ति के जीवन रस से हर जीवन का घट हम भर दें। वैभवशाली उस अतीत को वर्तमान में आज बदल दें।।

असुर वृति का विनाश करने कई हुए अवतार यहाँ पर आक्रामकों को परास्त करने कई हुए थे महावीरवर आज किन्तु यह खण्डित भारत इसे अखण्डित आज बना दे।

मातृभूमि को हमें जगत में पुनश्च सम्मानित करना है यही प्रेरणा जागे मन में जीवन को हम सफल बना दें।।

बता दें कि आज हम गूगल पर सर्च कर रहे थे तो अमर शहीद वीर बीरा पासी के नाम से एक कालेज मिला जो कानपुर से सम्बंध है,और उसकी खोजबीन की और दिये गये नं से मैने इस कालेज के प्राचार्य से बात की  उन्होने बताया कि यह कालेज “राणा बेनी माधव वीर वीरा पासी” के नाम से महाविद्यालय है जो सुल्तानपुर खेरा (रायबरेली)  मे स्थित है जो महाराजा राणा बेनी माधव और उनके अंगरक्षक शहीद वीर वीरा पासी जी के नाम से सरकारी महाविद्यालय है। जिसका website : www.rbmvbpmahavidyalaya.com है और उन्होंने बाद में whatsapp के जरिये फोटो वगैरह भेजने के लिए भी कहा।

और रायबरेली में वीरा पासी जी के नाम का भव्य गेट भी है। धन्यवाद शेयर करना ना भूले 
– Achchhelal Saroj 7800310397 

ढहता रहा किला, मायावती देखती रहीं तमाशा 

अच्छेलाल सरोज – जब रोम जल रहा था तो नीरो चैन की बंसी बजा रहा था। बसपा में कांशीराम के जमाने के नेताओं को आज भी यह कहावत दिल को छू जाती है। कभी आजमगढ़ के आजाद गांधी  भी बसपा में ठीक ठाक कद काठी के नेता थे और अब गुमनाम हैं। उ.प्र. में बसपा की करारी शिकस्त(19 सीट) के बाद तमाम नेताओं को इसका दर्द साल रहा है। नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि यह तो होना ही था, क्योंकि जब बसपा का किला ढह रहा था बसपा सुप्रीमों केवल तमाशा देख रही थीं।पार्टी के बड़े रणनीतिकार और कभी गुजरात राज्य के प्रभारी रहे सूत्र के अनुसार कांशीराम ने साइकिल के कैरियर पर बैठकर गाव, ब्लाक, तहसील, जिले का चक्कर लगाया था। तमाम दलित जातियों को इकट्ठा करके हर समाज में प्रतिनिधि खड़ा करने की कोशिश की थी। राजभर, तेली, शाक्य, पटेल, कोयरी, कुर्मी, लोध, चौहान, निषाद, मांझी, केवट, मल्लाह, तलवार, गोसाईं तक संपर्क बढ़ाया था। पासी, मुसहर को साथ लाने की पहल हुई थी।

कोहार, लोहार, बघेल, धानुक, कोल, गोड़, तड़माली पासी, वाल्मिकी समाज को जोडऩे का खाका तैयार हुआ था। लेकिन डेढ़ दशक से मायावती ने हर समाज में भाई चारा बनाने के प्रयासों पर जैसे विराम सा लगा दिया है। पुराने नेताओं को पार्टी ने महत्व नहीं दिया तो उन्होंने धीरे-धीरे किनारा कर लिया या करा दिए गए।

आज समाज यही कहता है माया हटाओ बसपा बचाओ, बसपा से नही माया से दिक्कत है, दलित नही दौलत की बेटी की संज्ञा देते है लोग। 

 जय भीम जय भारत 

बहुजनों के लिए ​राष्ट्रपति का चुनाव नीम और करेला जैसा  –दर्शन ‘रत्न’ रावण 

राष्ट्रपति के चुनाव से हमारा {आम आदमी} का कोई सीधा सम्बन्ध तो होता नहीं लेकिन जब चर्चा चली है तो बात कर लेते हैं। वैसे विकल्प भी नहीं है ज्यादा। नीम और करेले में से ही किसी को चुना जाना है। कम और ज्यादा कड़वा इसमें से चुनना भी हमारे हाथ में नहीं। 
मीरा कुमार को अधिकांश दलित संगठन ये कह कर बेहतर सिद्ध करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि रामनाथ कोविंद आरएसएस या भाजपा से जुड़े हैं। वास्तविकता ये नहीं है मीरा कुमार उस चमार जाति से है जिसका अधिकाँश स्थानों पर कब्ज़ा है। 
  चर्चा ये भी थी कि भाजपा मायावती को अपना उम्मीदवार बना सकती है। तब इन सभी के तर्क बदल जाते। फिर आरएसएस से राखी का सम्बन्ध भी जुड़ जाता। कटटरता, गुजरात, सहारनपुर सब फीके पड़ जाते। ये भूल जाते कि मायावती का राजनीतिक सरोकार दलित के साथ रह कितना गया है ?

जहाँ तक मेरी समझ है। मीरा कुमार के पिता बाबा साहिब के सामने खड़े किये गए कॉंग्रेस के मोहरे थे। जिनके चलते दलितों में दूरियाँ पैदा हुई। एक बात को सिद्दांतिक रूप में फैलाया गया कि वाल्मीकिन कौम {सफाई कामगार समाज} के युवा को लड़की भले दे देना मगर वोट कभी मत देना। 
मायावती ने हमेशा इस सिद्दहनत का पालन किया और 403 की विधानसभा का एक भी टिकट वाल्मीकिन समाज को नहीं दिया। काशी राम जी ने भी इस दूरी को ख़त्म करने की कभी कोशिश या सोच भी नहीं बनाई बल्कि उनके नारे, “जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी” ने जातियों को और मज़बूत किया। 
दूसरा नाम है रामनाथ कोविंद का। उसकी सबसे बड़ी अयोग्यता ये मानी जाती है कि वो जाटव {रविदासी} नहीं है। उस पर ये कि वो जिस कोली जाति से हैं वो ज्यादा गुजरात और महाराष्ट्र के तटवर्तीय क्षेत्र में मछली का कारोबार करती है और आदिकवि वाल्मीकि दयावान को अपना आरध्या मानती है। 
जहाँ तक सामाजिक सरोकार की बात है मुझे याद है जब 1999 आरक्षण पर संकट चल रहा था तब चरणजीत सिंह अटवाल जी ने उत्तर-प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल सूरजभान के सहयोग से पूरे भारत के सभी राजनीतिक दलों के दलित सांसदों को एकजुट करने में कामयाब हो गए थे, उसमे बड़ी भूमिका रामनाथ कोविंद जी की थी। 
जब गोहाना हिँसा के बाद वीर राकेश लारा का क़त्ल हुआ तब गोहाना में स.चरणजीत सिंह अटवाल के साथ रामनाथ कोविंद गोहाना पहुँचे थे। जबकि मीरा कुमार के पिता का बूत गोहाना की उसी वाल्मीकि बस्ती के बाहर लगा है पर मुसीबत के समय नहीं आई। 
जगजीवन राम का पैदा किया जातिवाद मीरा कुमार जी में भी खूब भरा है। केन्द्रीय मंत्री रहते हुए वाल्मीकि समाज के विकास हित बने राष्ट्रीय सफाई मज़दूर आयोग की अध्यक्ष चमार समाज की संतोष चौधरी को बना दिया। यानि केन्द्रीय मंत्रिमंडल न सही ये एक उम्मीद थी। 
अगर बात ब्राह्मणवाद की है तो रामनाथ कोविन्द यकीनन आरएसएस से जुड़े होंगे। मगर सामाजिक व राजनैतिक रूप में। मेरे कुमार जी तो पारिवारिक तौर पर ब्राह्मणवाद से जुडी हैं। एक उनकी पैदाइश ही अमबेडकर विरोधी परिवार में हुई। दूसरा शादी गैर दलित से की। फिर सोचिये तन-मन कहाँ है ?   

प्रसिद्द दलित चिंतक डॉ0 सीबी भारती आज सेवा निवृत्त/ लिखेंगे पासी समाज पर साहित्य

उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ के श्रम विभाग/ सेवा योजन विभाग  में ‘एडिशनल डॉयरेक्टर’के पद पर कार्यरत रहें ”डॉ0 सीबी भारती जी” आज सेवानिवृत्त हो गए है। 

भारती जी नौकरी के साथ ही साथ दलित साहित्य के विकास में  सराहनीय योगदान दिया है। इनके लिखे लेख देश की कई मानी जानी पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है। इनके द्वारा लिखे काव्य संग्रह ‘आक्रोश ‘को बीएचयू के  पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। 

पिछलों दिनों किसान नेता मदारी पासी पर शोध परक बेहतरीन लेख को श्रीपासी सत्ता पत्रिका ने कवर पेज़ के साथ लीड स्टोरी बनाया था। जिसे लोगो ने खूब पसंद किया । 

परिवार के बीच डॉ0 सीबी भारती

भारती जी हिंदी विषय में डॉक्टरेट है। सेवाकाल समाप्ति के बाद आपने सम्पादक अजय प्रकाश सरोज से वादा किया है अब वह (भारती जी)पासी समाज के लिए समर्पित भाव से लेखन कार्य करेंगे। और पासी समाज में जन्मे महापुरुषों पर शोध परक लेख लिखते रहेंगे।
पत्रिका परिवार डॉ0 सीबी भारती जी के लम्बे एवं सुखद जीवन की कामना करता हैं।

आप लोग भी उन्हें बधाई देना न भूले । उनका न0 है – 9415788944

इनसे जीवन से जुड़े कई रोचक जानकारी पत्रिका में वेब पर जल्द ही पोस्ट किया जाएगा।

आज नहीं कराया आधार को पैन से लिंक तो हो जाएगा कैंसिल, लिंक करने का यह है तरीका

इनकम टैक्स फाइल करने के लिए अब पैन कार्ड के साथ आधार नंबर जोड़ना अनिवार्य हो गया है। अगर आप यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि यह कैसे संभव है तो आप सही जगह आए हैं। अच्छी बात यह है कि पूरी प्रक्रिया बेहद ही आसान है। इनकम टैक्स फॉर्म के साथ आधार नंबर जोड़ने का विकल्प पिछले कुछ सालों से मौज़ूद रहा है। लेकिन सरकार ने इस साल PAN Card के साथ Aadhaar को लिंक करना अनिवार्य करने का फैसला किया।
(पढ़ें: अब पैन कार्ड को आधार नंबर से जोड़ना हुआ और आसान)

आधार नंबर को पैन कार्ड से जोड़ने के लिए आपको सबसे ई-फाइलिंग की वेबसाइट (https://incometaxindiaefiling.gov.in/) पर जाना होगा और इन निर्देशों का पालन करना होगा।

1. अगर आप पहली बार इस वेबसाइट पर जा रहे हैं तो सबसे पहले **Register Here** पर क्लिक करें। इसके बाद पैन का ब्यौरा देककर ओटीपी वेरिफिकेशन के बाद पासवर्ड बना लें। इसके बाद आपको लॉग इन करना होगा।

2. अगर आपके पास पहले से अकाउंट है तो सिर्फ **Login here** पर क्लिक करें।

3. यूज़रआईडी में आपको अपना पैन नंबर डालना होगा। इसके बाद पासवर्ड, और फिर कैपचा कोड डालें। आखिर में **Login** पर क्लिक कर दें।

4. इसके बाद एक पॉप अप विंडो सामने आएगा जिसमें आपसे आधार नंबर को लिंक करने को कहा जाएगा। इसके बाद आधार नंबर डालें और फिर कैपचा कोड। आखिर में **Link now** पर क्लिक कर दें।

5. अगर आपको पॉपअप विंडो नहीं दिखा तो घबराने की बात नहीं। आप अब भी आसानी से दोनों नंबर को लिंक कर सकते हैं। इसके लिए टॉप मेन्यू में नज़र आ रहे प्रोफाइल सेटिंग्स में जाएं। इसके बाद **Link Aadhaar** वाले विकल्प पर क्लिक करें।

6. इसके बाद अपना आधार नंबर डालें और फिर **Save** पर क्लिक कर दें।

बता दें कि यह तरीका तब ही काम करेगा जब पैन कार्ड और आधार कार्ड के ब्योरे पूरी तरह से मेल खाते हैं। जिन लोगों के दोनों कार्ड के ब्योरे पूरी तरह से मेल नहीं खाते हैं, उनके लिए सरकार ने इस प्रणाली को सरल बनाने की कोशिश की है। अब आपको इसके लिए सिर्फ अपने पैन कार्ड की एक स्कैन प्रति देनी होगी। इसके अलावा कर-विभाग इस संबंध में ऑनलाइन विकल्प देने की भी योजना बना रहा है। वह अपने ई-फाइलिंग पोर्टल पर करदाताओं को आधार जोड़ने का विकल्प देगा। इस विकल्प में उन्हें बिना अपना नाम बदले एक एकबारगी कूटसंदेश (वन टाइम पासवर्ड) का विकल्प चुनना होगा। इस विकल्प का चुनाव करने के लिए उन्हें अपने दोनों दस्तावेजों में उल्लेखित जन्मतिथि उपलब्ध करानी होगी और उनके मिलान पर वह ऑनलाइन आधार से पैन को जोड़ सकेंगे। ऐसा लगता है कि अभी इस विकल्प को उपलब्ध नहीं कराया गया है।

उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए इनकम टैक्स फाइल करते वक्त बेहद की काम की साबित होगी

SMS से करा सकेंगे पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक, अपनाना होगा ये प्रोसेस

— एसएमएस सेवा का उपयोग वो ही टैक्सपेयर्स कर सकेंगे, जिनका आधार और पैन कार्ड में नाम एक जैसा होगा और इसमें किसी तरह का कोई अंतर नहीं होगा।

— 567678 या फिर 56161 पर एसएमएस करना होगा

— एसएमएस इस फॉर्मेट में करना होगा—- UIDPAN<स्पेस><12 अंकों का आधार नंबर><स्पेस>10 डिजिट पैन नंबर

यह करने के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको मोबाइल पर मैसेज भेजकर बताएगा की पैन को आधार से लिंक कर दिया गया है।

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मनुवाद का शोषण का चिरपरिचित पैटर्न

 

अगरआप इतिहास के गर्भ में जायें और देखें सब से पहले बहुजनों के इतिहास को मिटाने के लिए ये मनुवादी अनेकों शास्त्र गढ़े। उनमें बहुजनों के खिलाफ कल्पनाओं से भरे अपने श्रेष्ठ पात्रों की वीरता का बखान किया। अपनी स्थिति और अच्छी बनाये रखने के लिए इन्होंने वर्ण व्यवस्था का निर्माण किया। वर्ण व्यवस्था के जरिए बहुजनों को मानसिक रूप से हीन बनाएं जाने वाली वर्ग व्यवस्था का निर्माण किया। वर्ग व्यवस्था के आधार पर बहुजनों को अनेकों जातियों-उपजातियो में विभाजन के अनेकों तौर तरीके अपनाए। उस समय जो शासक वर्ग था। उसे इन कहानियों में बताये गये पात्रों के प्रति ङर का भाव पैदा किया। धीरे-धीरे ये ब्राह्मण वादी मानसिकता के लोग सामाजिक श्रृंखला में सबसे ऊपर जाकर बैठ गए। और बहुजन धीरे-धीरे कमजोर होता गया। बहुजनों की कमजोर स्थिति के कारण इस देश पर दुनिया के हर कौम के लोग भारत पर आक्रमण करते रहे हैं। और अपने शासन स्थापित करते रहे हैं। और इन ब्राह्मण वादी मानसिकता के लोगों के बल पर शासन करते रहे हैं। यहां मुगल वंश का शासन सात-आठ सौ साल तक रहा। मुगल शासक यहां सैकड़ों सालों तक शासन करने में यूं ही कामयाब नहीं हुये। मुगलों को यहां स्थापित करने मे ये ब्राह्मण वादी ही ज्यादा जिम्मेदार हैं। ये मुगलों के साथ मिलकर बहुजनों के इतिहास को मिटाने का कार्य किया। और बहुजनो को हर तरीके से मतलब शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से, आर्थिक रूप से, सामाजिक रूप से, और राजनैतिक रूप से कमजोर से और कमजोर बनाने की नीति अपनाते रहे हैं। जो हालात आज देश में मुसलमानों का हो रहा है। किसी जमाने में ये मुस्लिम शासक वर्ग इन ब्राह्मण वादियों के साथ मिलकर बहुजनों का किया करते थे। मुगलों की उस समय इन ब्राह्मण वादियों के साथ मिलकर शासन करने की मजबूरी थी। इस लिए मुगलों के शासन काल में कहीं भी बहुजनों के सम्मान और उत्थान की कहानियां नहीं मिलेगी। इतिहास में जितनी भी क्रूरतम घटनायें हुई हैं। वो सबके सब बहुजनों के ऊपर हुई हैं। ये ब्राह्मण वादी मानसिकता के लोग वर्ग व्यवस्था के बल पर हमेशा शासन करने वाले लोगों के साथ रहे हैं। जब मुगल कमजोर हुये तो अंग्रेज भारत आए। ये अंग्रेजों के साथ भी वही नीति अपनाई। अंग्रेज़ों के साथ मिलकर बहुजनों के ऊपर जितने भी अत्याचार हो सकते थे वो इन्होंने किया। अंग्रेज़ जब इनकी बनाई वर्ग व्यवस्था को जानकर उसे व्यवस्था में सुधार लाने की कोशिश की तो ये ब्राह्मण वादी अंग्रेज़ों के खिलाफ होकर अन्दोलन रत हो गये। बहुजनों को बरगला कर ये अंग्रेज़ों के खिलाफ खङ़ा किया। आप देखें अंग्रेज़ों के खिलाफ खङी होने वाली भीड़ किसकी थी। सभी बहुजनों की थी। जब बहुजनों ने लङ़कर कुछ हासिल करने की सोची तो ये ब्राह्मण वादी बहुजनों को मिलने वाले हितों के खिलाफ होकर बङी कुटिलता से पूना पैक्ट का समझौता करवाया। बाबा साहेब पूना पैक्ट का समझौता कुटिल गांधी के जीवन दान के रूप में किया। जिससे बहुजनों के अधिकारों पर बङी कुटिलता से अघात किया गया। ये ब्राह्मण वादी अल्पसंख्यक की स्थिति में अपने आप को हिन्दू हिन्दू चिल्लाने लगते हैं। और बहुजनो की बङी आबादी को हिन्दू कहकर अपने आप को बहुसंख्यक घोषित करते हैं। और उसमें कामयाब भी हो गये हैं। ये हमेशा अपने हित के लिए बहुजनों के अधिकारों की बलि देते रहे हैं। आजकल देश में वही पुरानी कुटिलता भरी चालों से बहुजनों को बरगला कर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ लङा़ने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। और लोग उनके बहकावे में आकर अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी मारने का काम कर रहे हैं। इतिहास गवाह हैं कि कभी ब्राह्मणवादी मुसलमानों के शासन के साथ मिलकर बहुजनों के ऊपर कहर ढाया करते थे। अब समय बदल गया है। अब ये बहुजनों के साथ मिलकर मुसलमानों के ऊपर कहर ढाने का काम कर रहे हैं। इन ब्राह्मणवादियो का बहुजनों के ऊपर जुल्म करने का पैटर्न सदियों से एक जैसा ही रहा है। आज भी उसी पैटर्न पर चलकर जुल्म करते हैं। उसी कड़ी में आज सहारनपुर, गुजरात, व देश के अन्य हिस्सों में मे आप देख सकते हैं। आजकल गाय, और राम का नारा लगाकर अल्पसंख्यक समुदाय और बहुजनो को अपना निशाना बना रहे हैं। देश में ब्राह्मणवाद सबसे बड़े आतंकवाद के रुप में उभर कर सामने आने की कोशिश कर रहा है। बहुजनों को चाहिए कि ब्राह्मणवादी मानसिकता के आतंकियों से अपने आप को दूर रखें। और ऐसे लोगों से दूरी बना कर रखें। जो देश में अमन चैन को अपना निशाना बनाने की कोशिश करते हैं। सरकार को भी ऐसे लोगों से सहानुभूति न बरतकर सख्ती बरतनी चाहिए। ये सरकारी गुन्डे होने का तमगा जो इन्हें मिला हुआ है। सरकार को उस तमगे को छीन लेना चाहिए।देश में सरकार को सभी का साथ सभी का विकास वाले कॉन्सेप्ट पर चलना चाहिए। ये नहीं कि सबका साथ सिर्फ ब्राह्मण वादियों का विकास पर नहीं चलना चाहिए। देश में हो रहे धार्मिक उन्माद को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। देश में हर समुदाय की सुरक्षा होनी चाहिए। – एस आर भारतीया

पासी विकास मण्डल मुम्बई ने भारती सरोज और आकाश का किया सम्मान

आकाश और भारती सरोज

अपनी प्रतिभा द्वारा न सिर्फ अपने परिवार और समाज बल्कि पुरे देश का नाम रोशन करने वाले दो युवओं का सत्कार और अभिनन्दन “अखिल भारतीय पासी विकास मंडल  मुंबई” द्वारा दिनांक 25 जून 2017 को मंडल कार्यालय में किया गया।

  1- कुमारी भारती पुत्री राजेंद्र सरोज – 

काठमांडू, नेपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय “वर्ल्ड गेम – 2017” में “जोमासार” स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल किया।  

2-आकाश पुत्र शीतला प्रसाद सरोज – अंतर्राष्ट्रीय स्तर की  डांस प्रतियोगिता में “हिप-हॉप”  डांस स्टाइल में आकाश और उनकी टीम ने प्रथम स्थान हासिल किया।  
एक सामाजिक संस्था के दायित्व का निर्वाह करते हुए अखिल भारतीय पासी विकास मंडल, समाज के उत्थान और विकास के लिए निरंतर कार्यरत है।  इसी कड़ी में, उपरोक्त दो बच्चों जिन्होंने अपनी लगन और मेहनत से आज समाज और देश का नाम रोशन किया उन्हें प्रोत्साहित और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए मंडल के दादर स्थित केंद्रीय कार्यालय में दोनों बच्चों और उनके अभिभावकों का स्वागत-सत्कार किया गया। 

इस अवसर पर मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मिठाईलाल सरोज जी,  महामंत्री  प्रकाश पासी जी, मंडल शुभचिंतक और बुद्धिजीवी श्री विजय नारायण जी,बाबू लाल पासी जी,  बाबूराम जी, उमापति पासी जी, प्रो. वीरेन्द्र पासी जी,  एस. प्रसाद सरोज जी, श्री गोपाल सरोज जी साथ ही साथ मंडल सहयोगी “युवा पासी क्लब” के संस्थापक श्री राकेश सरोज जी उपस्थित हुए। 

मंडल के राष्ट्रिय अध्यक्ष और महामंत्री के साथ उपस्थित सभी सदस्यों ने दोनों बच्चो को पुष्पगुच्छ देकर शुभकामनाये दी तथा उनके अभिभावकों को बधाई  देकर उनका मनोबल बढ़ाया तथा आगे भी जरुरत पड़ने पर यथाशक्ति सहयोग करने की बात का आश्वाशन दिया।  
मंडल अपने सभी शुभचिंतको और सहयोगियों को धन्यवाद देता है और साथ ही साथ पासी बंधुओं-बहनो से निवेदन करता है कि संस्था से जुड़कर संगठन को मजबूत बनाये, एक मजबूत संगठन ही समाज के विकास की नीव है।