सत्ता में जुगाड़ से बनते है सरकारी वकील

हाई कोर्ट्स में लॉ ऑफिसर्स ( स्टैंडिंग कौंसिल्स / गवर्नमेंट एडवोकेट्स एवं ब्रीफ होल्डर्स) का एप्वाइंटमेंट बेहद ही महत्वपूर्ण दायित्व वाला पब्लिक सर्विस का पद है जिसकी नियुक्तियों में संविधान के प्राविधानों का पालन अनिवार्य है । 

लेकिन अफ़सोस की पंजाब एवं बिहार राज्यों को छोड़कर देश के तमाम राज्यों में राज्य सरकारों के पास हाई कोर्ट्स में लॉ ऑफिसर्स की नियुक्ति के लिए आज तक कोई पारदर्शी एवं लिखित प्रक्रिया नहीं है जिसमे उत्तर प्रदेश भी शामिल है।

 प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही लगभग सभी सत्ताधारी विधायकों एवं नेताओं के यहां सरकारी वकील बनाने के लिए ‘निजी रोजगार दफ्तर’ खोल दिए जाते हैं और प्रदेश के लगभग सभी वकील लोग अपने-२ जुगाड़ टेक्नोलॉजी के प्रभाव -दबाव के लाव लश्कर के साथ अपना-२ बायोडाटा लेकर सत्ताधारी राजनेताओं -विधायकों-मंत्रियों के उक्त रोजगार कार्यलयों में दरबार लगा चापलूसी की पराकाष्ठा करते रहते हैं। 

चापलूसी एवं जुगाड़ टेक्नोलॉजी का यही गंदा एवं घिनौना खेल हाई कोर्ट्स में सरकारी वकील (लॉ ऑफिसर्स) महीने -दो महीने चलता है और बड़े से बड़े चापलूस, अपनी-2 चापलूसी की अति महान योग्यता एवं भारी भरकम जुगाड़ से “योग्यता / मेरिट” की सीढ़ी को पकड़ कर हाई कोर्ट्स में सरकारी वकील [लॉ ऑफिसर्स] बन जाते हैं ।

जिसका सीधा -2 अर्थ हुआ की देश की हायर जुडिसियरी में भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं क्यूंकि हाई कोर्ट्स में लॉ ऑफिसर्स (सरकारी वकील)की “चयन एवं नियुक्ति” के लिए ना कोई पारदर्शी / लिखित नियम हैं ना प्रक्रिया है । 

जिसके चलते संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 का अवमानना है।  क्यूंकि इन सरकारी वकीलों की नियुक्ति में एस सी / एस टी / ओबीसी वर्ग के आरक्षण के प्रावधान बिलकुल ही लागू नहीं किये जाते हैं । इस मांग को लेकर कुछ वकीलों ने कल लखनऊ में धरना परदर्शन भी किया। 

ऐसे में देश की उच्च न्यायपालिकाओं के बारे में वर्ग विशेष का कब्जा बना रहता है। और वंचित समुदाय के लोगो की भागीदारी नही मिल पाती है। जिससे संवैधानिक प्रक्रियाओं में बंधा उतपन्न होती रहेगी। न्यायपालिका में मानक और योग्यता के अनुसार अभी समुदाय के वकीलों की भागीदारी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। 

समर्थक इस नेता को पासी टाइगर कहते है 

पोस्टर में निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष बंशीधर राज के साथ समर्थक गंगाराम राजवंशी

जनपद लखीमपुर खीरी ही नहीं पूरे भारत में पासियों के लिए संघर्ष करने वाले माननीय बंशीधर राज (बाबू जी) पूर्व मंत्री का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है।
जब आरक्षण नहीं लागू हुआ था उस समय गन्ना सोसायटी के चुनाव से शुरुआत करने वाले माननीय बंशीधर राज प्रथम बार सामान्य सीट पर ब्लॉक बेहजम से प्रमुख चुने गए।  उसके उपरांत मोहम्मदी विधानसभा से वे पांच बार विधायक भी बने इसके बाद दो बार जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष रहे, सामान्य निर्वाचन 1995 में जिला पंचायत के अध्यक्ष भी रहे ,उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग के मंत्री भंडारागार निगम के अध्यक्ष, अनुसूचित वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष जैसे पदों पर रहकर जनता के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाई ।

इसी दौरान शुरुआत में बाबू जी ने पूर्व सांसद माननीय संकटा प्रसाद जी एवं इलाहाबाद के माननीय धर्मवीर जी, मसूरिया दीन पासी जी इत्यादि लोगों ने पासी समाज के लिए बहुत संघर्ष किया इंदिरा जी के समय में एक समय ऐसा आया जब उत्तर प्रदेश में कुछ लोगों ने हमारे पासी समाज को अनुसूचित जाति से निकलवाने का प्लान बनाया जिसके संघर्ष में बाबूजी एवं उपरोक्त सांसदों एवं धर्मवीर जी ने मिलकर माननीय प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा जी से मिलकर पासी समाज का पक्ष रखा और उसे अनुसूचित जाति में ही रहने देने के लिए कहा इन लोगों का संघर्ष काम आया और इंदिरा जी ने यह कहा कि पासी समाज अनुसूचित जाति का ही हिस्सा रहेगा । 

आज भी जनपद लखीमपुर खीरी ही नहीं आसपास के  जिलों में  उनके समर्थकों की संख्या भारी तादाद में है  लखीमपुर जनपद में  आज भी इनके एक इशारे पर  लाखों मतदाता अपना वोट देता है  इन्होंने  पासी समाज के इतिहास को बढ़ाने के लिए छाउछ चौराहा लखीमपुर में  महाराजा वीर शिरोमणि  बिजली पासी की  भव्य मूर्ति का  निर्माण भी करवाया  और पासी समाज के सम्मान को  ऊंचे उठाने का काम किया ।

सन 2016 में इन्हें पुनः एक बार फिर जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया गया वर्तमान में लोगों की तुच्छ राजनीति से आजिज होकर उन्होंने 2017 में जिला पंचायत अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और अपने मान और सम्मान को बनाए रखा और पासी समाज के स्वाभिमान को भी बनाए रखने में अपनी अहम भूमिका निभाई समाज के ऐसे योद्धा को कोटि कोटि प्रणाम ……गंगाराम राजवंशी की कलम से

मायावती राज्यसभा से इस्तीफा दे ना गहरी राजनीति तो नहीं ?

Date -19/07/2017, Shripasi satta ,Allahabad

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी ( बसपा ) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. राज्यसभा के सभापति को भेजे गए तीन पन्ने के इस्तीफे में उन्होंने सहारनपुर कांड और देश के अन्य हिस्सों में दलितों पर हो रहे अत्याचार पर उन्हें न बोले देने की बात कही है. लिखा है कि उन्हें इस गम्भीर मुद्दे पर बोलने के लिए सिर्फ तीन मिनट का समय दिया गया. क्या इतने कम समय में इस मुद्दे पर बोला जा सकता है ? इस पर सत्ता पक्ष के सदस्य लगातार शोर मचाते रहे. सभापति से आग्रह के बाद भी उन्हें तो बोलने से नहीं रोका गया, लेकिन मुझे बैठने के लिए कह दिया गया. जब सदन में बोल ही नहीं सकते तो हम सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे . शाम होते-होते उन्होंने राज्यसभा के सभापति को इस्तीफा भेज दिया.
*उप चुनाव में भाजपा, बसपा और गठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर*
यह इस्तीफा कई बिंदुओं पर मंथन करने को विवश करता है. परिणाम जो भी निकले, लेकिन राजनीति में हर कदम फूंक-फूंक कर उठाया जाता है. मायावती का यह कदम भी भावावेश में उठाया गया कदम तो नहीं ही होगा. वह लंबे समय से राजनीति में हैं. इसलिए अच्छी तरह से जानतीं होंगी कि वह किस मुद्दे पर बोलने जा रहीं हैं और सत्ता पक्ष की ओर से इसकी क्या प्रतिक्रिया होगी. इसके बाद उन्हें क्या फैसला लेना है.

2012 में पराजय के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. उस वक्त वह विधानपरिषद सदस्य थीं. उन्होंने विधानपरिषद की सदस्यता से इस्तीफा दिया और राज्यसभा के लिए फार्म भरा. उस वक्त बसपा के 89 सदस्य थे और वह राज्यसभा के लिए चुन ली गईं. अब यह कार्यकाल 3 अप्रैल 2018 को समाप्त हो रहा है. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में मात्र 19 सीट पर ही बसपा सदस्य जीत हासिल कर सके. ये संख्या इतनी कम है कि न तो वह विधानपरिषद और न ही राज्यसभा सदस्य बन सकती हैं. अब उनके सामने 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ना ही एकमात्र विकल्प है. उनका राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने में सिर्फ 8-9 महीने बचे हैं, इसलिए इस्तीफा देने में कोई हर्ज नहीं है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य वर्तमान में क्रमशः गोरखपुर और इलाहाबाद जिले के फूलपुर से सांसद हैं. उपरोक्त पद पर बने रहने के लिए सांसद की सीट से इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव जीतना होगा. लोकसभा की खाली हुई सीट के लिए भी उप चुनाव होगा. आम लोगों के बीच चर्चा है कि योगी आदित्यनाथ की खाली हुई सीट पर तो भाजपा फिर से परचम लहराएगी, लेकिन फूलपुर सीट से मायावती मैदान में उतर सकती हैं और उन्हें विपक्ष के सभी दलों का समर्थन भी मिल सकता है. ऐसी स्थिति में भाजपा को इस सीट को बचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है. मायावती के राजनीतिक कैरियर के लिए भी यह खास है. यदि वह इस उप चुनाव में विजयी हुईं तो 2019 का लोकसभा का आम चुनाव भाजपा की कड़ी परीक्षा लेगा. यदि हार गईं तो कैरियर खत्म. यानी उप चुनाव में भाजपा, बसपा और यदि गठबंधन बना तो, तीनों की प्रतिष्ठा दांव पर है.
*इस्तीफा स्वीकार होगा*
मायावती ने तीन पन्ने का इस्तीफा दिया है. नियम के मुताबिक त्यागपत्र सिर्फ दो लाइन का होता है. इसमें सफाई और कारण का विवरण नहीं होता. ऐसे में क्या इस्तीफा स्वीकार होगा ? या सिर्फ शिगूफा है ? दलितों तक सिर्फ संदेश पहुंचाना है कि उनकी आवाज को सदन में दबाया जा रहा है और वे अगले लोकसभा चुनाव में बसपा को ही जिताएं, जिससे कोई उनको न तो नुकसान पहुंचा सके और न ही उनकी आवाज को दबा सके. खैर ये तो चर्चा और आकलन है, कारण तो मायावती जानतीं होंगी या समय बता देगा.

रिपोर्ट_ उमा शंकर 

रंगभेद के पुरजोर विरोधी तथा समानता के पक्षधर थे नेल्सन मंडेला, जयंती पर नमन

नेल्सन मंडेला का नाम आपलोगो ने सुना ही होगा । जी हा वही मंडेला जो दक्षिण अफ्रीका में श्वेतों द्वारा अश्वेतों के साथ किये जा रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाया था तथा इस आवाज को उठाने के कारण उन्हें लंबे समय तक कारावास भुगतना पड़ा था ।हम बात कर रहे है दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की । आज 18 जुलाई उनका जयंती दिवस है इस अवसर पर उनको नमन तथा श्रध्दांजलि । आइये कुछ चर्चा करते है इनके बारे में । 
संक्षिप्त परिचय

नेल्सन रोलीह्लला मंडेला  दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत भूतपूर्व राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति बनने से पूर्व वे दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहेरंगभेद का विरोध करने वाले अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस और इसके सशस्त्र गुट उमखोंतो वे सिजवे के अध्यक्ष रहे। रंगभेद विरोधी संघर्ष के कारण उन्होंने 27 वर्ष रॉबेन द्वीप के कारागार में बिताये जहाँ उन्हें कोयला खनिक का काम करना पड़ा था। 1990 में श्वेत सरकार से हुए एक समझौते के बाद उन्होंने नये दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया। वे दक्षिण अफ्रीका एवं समूचे विश्व में रंगभेद का विरोध करने के प्रतीक बन गये। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने उनके जन्म दिन को नेल्सन मंडेला अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। 
प्रारंभिक जीवन 

मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो,ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के यहाँ हुआ था। वे अपनी माँ नोसकेनी की प्रथम और पिता की सभी संतानों में 13 भाइयों में तीसरे थे। मंडेला के पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे। स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला।उनके पिता ने इन्हें ‘रोलिह्लाला’ प्रथम नाम दिया था जिसका खोज़ा में अर्थ “उपद्रवी” होता है। उनकी माता मेथोडिस्ट थी। मंडेला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की। उसके बाद की स्कूली शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से ली। मंडेला जब 12 वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी।
राजनितिक जीवन 


1941 में मंडेला जोहन्सबर्ग चले गये जहाँ इनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई। उन दोनों ने राजनीतिक रूप से मंडेला को बहुत प्रभावित किया। जीवनयापन के लिये वे एक कानूनी फ़र्म में क्लर्क बन गये परन्तु धीर-धीरे उनकी सक्रियता राजनीति में बढ़ती चली गयी। रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने के उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 1944 में वे अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गये जिसने रंगभेद के विरूद्ध आन्दोलन चला रखा था। इसी वर्ष उन्होंने अपने मित्रों और सहयोगियों के साथ मिल कर अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की। 1947 में वे लीग के सचिव चुने गये। 1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चला परन्तु उसमें उन्हें निर्दोष माना गया। 5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। सज़ा के लिये उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल में भेजा गया किन्तु सजा से भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने जेल में भी अश्वेत कैदियों को लामबन्द करना शुरू कर दिया था। जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी। 1994 में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी। 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। दक्षिण अफ्रीका के नये संविधान को मई 1996 में संसद की ओर से सहमति मिली जिसके अन्तर्गत राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों की जाँच के लिये कई संस्थाओं की स्थापना की गयी। 1997 में वे सक्रिय राजनीति से अलग हो गये और दो वर्ष पश्चात् उन्होंने 1999 में कांग्रेस-अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया। 

विचारधारा 

नेल्सन मंडेला बहुत हद तक महात्मा गांधी की तरह अहिंसक मार्ग के समर्थक थे। उन्होंने गांधी को प्रेरणा स्रोत माना था और उनसेअहिंसा का पाठ सीखा था। 

मृत्यु 

5 दिसम्बर 2013 को फेफड़ों में संक्रमण हो जाने के कारण मंडेला की हॉटन, जोहान्सबर्गस्थित अपने घर में मृत्यु हो गयी। मृत्यु के समय ये 95 वर्ष के थे और उनका पूरा परिवार उनके साथ था। उनकी मृत्यु की घोषणा राष्ट्रपति जेकब ज़ूमा ने की। 
स्त्रोत:- विकिपीडिया

जानिए कैसे रहें दुनिया में सबसे खुशहाल ?

एक पुराना ग्रुप, कॉलेज छोड़ने के बहुत दिनों बाद मिला। वे सभी अच्छे कैरियर के साथ खूब पैसे कमा रहे थे।

वे अपने सबसे फेवरेट प्रोफेसर के घर जाकर मिले।
प्रोफेसर साहब उनके काम के बारे में पूछने लगे। धीरे-धीरे बात लाइफ में बढ़ती स्ट्रेस (तनाव)और काम के प्रेशर पर आ गयी।
इस मुद्दे पर सभी एक मत थे कि, भले वे अब आर्थिक रूप से बहुत मजबूत हों पर उनकी लाइफ में अब वो मजा नहीं रह गया जो पहले हुआ करता था।
प्रोफेसर साहब बड़े ध्यान से उनकी बातें सुन रहे थे, वे अचानक ही उठे और थोड़ी देर बाद किचन से लौटे और बोले,
“डीयर स्टूडेंट्स, मैं आपके लिए गरमा-गरम 

कॉफ़ी बना कर लाया हूँ , 

लेकिन प्लीज आप सब किचन में जाकर अपने-अपने लिए कप्स लेते आइये।”
लड़के तेजी से अंदर गए, वहाँ कई तरह के कप रखे हुए थे, सभी अपने लिए अच्छा से अच्छा कप उठाने में लग गये,
किसी ने क्रिस्टल का शानदार कप उठाया तो किसी ने पोर्सिलेन का कप सेलेक्ट किया, तो किसी ने शीशे का कप उठाया।
सभी के हाथों में कॉफी आ गयी । तो प्रोफ़ेसर साहब बोले-

“अगर आपने ध्यान दिया हो तो, जो कप दिखने में अच्छे और महंगे थे। आपने उन्हें ही चुना और साधारण दिखने वाले कप्स की तरफ ध्यान नहीं दिया।जहाँ एक तरफ अपने लिए सबसे अच्छे की चाह रखना 
एक नॉर्मल बात है। वहीँ दूसरी तरफ ये हमारी लाइफ में प्रोब्लम्स और स्ट्रेस लेकर आता है।
फ्रेंड्स, ये तो पक्का है कि कप, कॉफी की क्वालिटी 

में कोई बदलाव नहीं लाता। ये तो बस एक जरिया है जिसके माध्यम से आप कॉफी पीते है। 

असल में जो आपको चाहिए था। वो बस कॉफ़ी थी, कप नहीं, पर फिर भी आप सब सबसे अच्छे कप के पीछे ही गए 

और अपना लेने के बाद दूसरों के कप निहारने लगे।”
अब इस बात को ध्यान से सुनिये … 

“ये लाइफ कॉफ़ी की तरह है ; 

हमारी नौकरी, पैसा, पोजीशन, कप की तरह हैं।
ये बस लाइफ जीने के साधन हैं, खुद लाइफ नहीं ! 

और हमारे पास कौन सा कप है। ये न हमारी लाइफ को डिफाइन करता है और ना ही उसे चेंज करता है।इसीलिए कॉफी की चिंता करिये कप की नहीं।”


दुनियां में खुशहाल वो लोग नही होते

जिनके पास सबकुछ सबसे बढ़िया होता है, 
खुशहाल वे होते हैं, जिनके पास जो होता है।

 बस उसका सबसे अच्छे से यूज़ करते हैं, 

एन्जॉय करते हैं और भरपूर जीवन जीते हैं!

सदा हंसते रहो। सादगी से जियो।
सबसे प्रेम करो। सबकी फिक्र करो।
जीवन का आनन्द लो ।

महेंद्र यादव की लोककथा – एक तेजस्वी, सब पर भारी 

तेजस्वी यादव का इस्तीफा चाहिए? ठीक है, पर नरोत्तम मिश्रा को तो मंत्री पद से हटा दीजिए न. आरोप साबित हो गए हैं। कदाचारी साबित हुए हैं। विधायकी चली गई है। बहुत बदनामी हो रही है।
*-देखिए, वो मामला अलग है।

-तो सुषमा स्वराज को ही हटा दीजिए, ललित मोदी की हेल्पर हैं। उनकी बेटी ललित मोदी की वकील हैं। सुषमा ने इस भगोड़े के लिए सिफारिशी चिट्ठी लिखी थी। 

*-वो मामला भिन्न है।

-वसुंधरा को ही देख लेते..वो भी ललित की हेल्पर हैं। वसुंधरा के बेटे की कंपनी में ललित का इनवेस्टमेंट है। ललित मान चुका है कि वह वसुंधरा का साथी है।

*-वो भी मामला जुदा ही है।
-डीडीसीए वाले मामले पर आपके ही सांसद कीर्ति आजाद ने अरुण जेटली जी के बारे में कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं। माल्या को भी उन्होंने ही भगाया है…

*-वो मामला तो “उलटा” ही है।
-येल यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट करने वाली ईरानी मैम का तो बनता है..

*-वो मामला तो एकदम ही “अनरिलेटेड” है। कुछौ रिलेशन हो तो बताइए, सिर काटकर चरणों में रख देंगे।
-तो मंत्री निहालचंद तो बलात्कार के मामले में फंसा है. कम से कम उसे तो.

*-वो मामला तो डिफरेंट है।
-व्यापम और डंपर घोटाले वाले शिवराज को. इतने लोग मार डाले गए व्यापम में।

*-वो मामला तो एकदम अलहदा है।
– पर, रमन सिंह तो धान-नान घोटाले के साथ-साथ न जाने कितने आदिवासियों को खाए बैठे हैं…

*-वो मामला तो मुख्तलिफ है।
-गडकरी जी तो साफ-साफ घोटाला किए, ड्राइवर को डायरेक्टर दिखाया..पूर्ति घोटाला तो उन्हीं का किया है न। सिंचाई स्कैम भी उसके सिर पर है। .

*- वो मामला तो अलग किस्म का है।
– जोगी ठाकुर आदित्यनाथ पर तो इतने केस हैं कि गिन ही नहीं सकते। अटैंप्ट टू मर्डर भी लगा है। उनकी अपनी एफिडेविट देख लीजिए..

*-वो मामला तो स्पेशल है

-उनके डिप्टी केशव मौर्या पर तो मर्डर तक का..

*-इसमें उसमें फर्क है
-खुद साहब पर भी तो दंगों समेत न जाने कितने केस में हैं। अनार पटेल को 400 एकड़ जमीन 92% डिस्काउंट में दे दी. सहारा डायरी में साहब के पैसा लेने का तो प्रमाण भी है. अडानी का प्लेन भी चुनाव में खूब उड़ाया था….

*वो तो मामला ही उस प्रकार का है. ..
देखिए.. ये सब छोड़िए..केवल तेजस्वी का इस्तीफा दिलाने से सब हो जाएगा। वो क्या है कि एक तरफ ये अकेला है..दूसरी तरफ इतनी लंबी फौज. एक तराजू पर तेजस्वी है..दूसरी पर ये सारे..
अब इतने सारे लोगों को इस्तीफा कराएंगे तो दिक्कत हो जाएगी न..इसलिए केवल तेजस्वी ही इस्तीफा दे दे तो उससे ही राजनीति स्वच्छ मान ली जाएगी। इससे क्या फर्क पड़ता है कि उस पर 2006 का एक केस हमने लगवाया है, जब उसकी उम्र यही कोई 13-14 साल रही होगी. क्रिकेट खेलता था शायद वह बच्चा.

-Mahendra Yadav

बहुत लाभकारी व्यवसाय है सुअर पालन 

इलाहाबाद के राजनीति शास्त्र के प्रख्यात विशेषज्ञ मो यूनुस खान इस समय SSC परिवर्तन एकेडेमी व  IAS के लिये समर्पण संस्थान जैसी कोचिंगे चलाते है, वे बताते है कि उनके एक दोस्त नाम प्रवीण तिवारी है जो इस समय बांदा में किसी पोस्ट पर कार्यरत है। 

बात लगभग १५-२० वर्ष पूर्व की है तब तिवारी जी इलाहाबाद में रहकर नौकरी की तैयारी कर रहे थे, एसे ही बीच मे इनका एक इंटरव्यू कोई ले रहा था, शायद कल्याण सिंह का राजनीतिक बोर्ड भी था, इंटरव्यू लेने वाला तिवारी से पूछा तिवारी जी इतना पढाई कर रहे हैं अगर सफल ना हुये तो?  तो तिवारी जी जबाब दिये और मेहनत करूंगा . उस व्यक्ति ने फिर पूछा तब भी सफलता ना मिली तो – तिवारी जी कहते हैं थोडा और मेहनत करूंगा .

इंटरव्यू लेने वाला व्यक्ति सिर्फ ये जानना चाहता था कि अगर तिवारी जी को नौकरी नही मिली तो ये क्या करेगे इस बार पूछने पर तिवारी जी और मेहनत करने की बात नही की उन्होंने सीधा जबाब दिया नौकरी नही मिलेगी तो सुअर पालेगे। 

सोचो दोस्तो तिवारी जी को पता है जितना इस बिजनेस में फायदा है उतना किसी बिजनेस में नही। मादा सुवर वर्ष में दो तीन बार 10-12 बच्चे देती है जो तीन चार माह में 50 से 40 किलो तक तैयार हो जाता है। 

दोस्तो यह दिमाग से बिल्कुल निकाल दीजिये की सुवर पालन का कार्य पासी करते है, इसका उपयोग पासियो ने अंग्रेजों को भगाने के लिये किया था जो कुछ समय तक पासी जाति पालते रह गये। मै अभी नेट पर Search कर रहा था कि तिवारी, मिश्रा, ठाकुर बनिया, यादव सुअर पालन की जानकारी मागते रहते है। 

 आज के समय में बनिया, ठाकुर, ब्राह्मण बहुतायत में सुअर पालन कर रहे हैं। कही कही पालन मालिक ब्राह्मण बनिया है और खिलाने पिलाने वाला दलित नौकर जो मात्र ₹ 1500 या ₹ 2000 मे कार्य करते है इससे अच्छा है ऐसे लोग खुद यह पालन करे दोस्तो मै ये नही कह रहा हू कि आप अपने घर सुवर पाले इसको घर से दूर ही रखे पर अगर पालन करना है तो बिजनेस की तरह करे जिससे अत्यधिक लाभ हो इसी के बाल से तरह तरह के ब्रश बनाये जाते हैं जो सभी जाति धर्म के लोग उपयोग करते है। 

सूअर फार्म के साथ अगर मछली पालन का बिजनेस किया जाए तो काफी लाभकारी साबित हो सकता है। क्योंकि सूअर की वेस्ट मटेरियल मछली की पसंद खुराक है। मै कुछ लिंक दे रहा हू कैसे करे सुअर पालन…

– Achchhela Saroj 

 http://www.hindiremedy.com/pig-farming-suar-palan/

बक्सर राजपुर के पूर्व जदयू विधायिका श्यामप्यारी देवी के पुत्र को भाजपाई गुंडों ने दी जान मारने की धमकी


बक्सर (बिहार) :-  बिहार के बक्सर जिला के राजपुर बिधानसभा की पूर्व जदयू विधायिका स्व. श्यामप्यारी देवी के सुपुत्र धर्मपाल पासवान को कुछ गुण्डा तत्वों ने उनके मोबाइल फ़ोन पर कॉल करके जान से मारने की धमकी दिए। प्राप्त जानकारी और धर्मपाल पासवान से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया की बुधबार की शाम करीब 7:30 बजे वे घर पर बैठे थे तभी उनके मोबाइल पर विदेश के नम्बर 558562 से कॉल आया कॉल रिसीव होते ही उधर से कॉल करने वाले शख्स ने गालिया देते हुए जान मारने की धमकी दी । तथा अपने आप को भाजपा का नेता बताया तथा बोला की मैं गाजीपुर उत्तरप्रदेश से बोल रहा हु उसने धमकाते हुए कहा की नेता मत बनो भाजपा के खिलाफ मत लिखो शांत रहो वरना मार दिए जाओगे । इन सब बातो के बाद पीड़ित ने फोन काट दिया और इस धमकी वाले कॉल के बारे में तुरंत राजपुर पुलिस थाने को सूचित किया । 


राजपुर थाना प्रभारी को दिए आवेदन में उन्होंने उल्लेख किया है की बीजेपी के खिलाफ राजनितिक प्रचार प्रसार करने के कारण इनको जान मारने की धमकी मिली है । इस सम्बन्ध में राजपुर थाना प्रभारी का कहना है की कॉल करने वाले नंबर का सीडीआर खंगाला जा रहा है वही इस धमकी वाले कॉल को लेकर विधायक के पुरे परिवार में दहशत है । आपको बता दे की इस परिवार पर इस तरह के हमले पहले भी हो चूका है पूर्व विधायिका स्व. श्यामप्यारी देवी के पति और धर्मपाल पासवान के पिता जी स्व. मुरली पासवान जी की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी । धर्मपाल पासवान पटना रहकर पढाई करते है तथा छात्र राजनीती करते है तथा द ग्रेट भीम आर्मी बिहार की कोर कमिटी के सदस्य तथा बक्सर जिला के जिलाध्यक्ष है । पुलिस को इनके और इनके पुरे परिवार की सुरक्षा करनी होगी अन्यथा बिहार के दलित छात्र आंदोलन करेंगे और आंदोलन की शुरुआत बक्सर में चक्का जाम से किया जायेगा । उक्त बाते धर्मपाल पासवान ने बातचीत के दौरान बताया ।

भू -माफ़ियाओं के उत्पीड़न के खिलाफ़ डीसी छात्रावास के दलित छात्रों ने सांसद विनोद सोनकर से की शिकायत

 

बालसन चौराहे पर स्थित 8 कमरे का छात्रावास जिसमें अनुसूचित जाति के छात्र रहकर अध्ययन करते है।  लेकिन दलित छात्रों का यहाँ रहकर पढ़ना ,कुछ भू -माफियाओं को अच्छा नही लग रहा है।
 कुछ वर्षों से इस हॉस्टल पर दबंग किस्म के पूंजीपतियों और भू माफियाओं की बुरी नज़र है। हॉस्टल 70 साल पुराना है। सत्र 1952 में तत्कालीन सांसद रहें स्व0 महाशय मसुरियादीन ने दलित छात्रों के लिए इलाहाबाद शहर में 6 हॉस्टल संचालित करवाएं थे। 

उनमें से अब तीन ही छात्रावास बचें है  एक बलुआघाट में  दूसरा राजपुर स्थित आदि हिन्दू छात्रावास तीसरा 2 -बी हाशिमपुर रोड पर स्थित है। इस छात्रावास को संचालित करने के लिए समाजकल्याण विभाग अनुदान भी दिया करता था लेकिन भू माफियाओ ने उसे बंद करा दिया। और सारे दस्तावेज़ गायब कर दिए। 

अब फर्जी रजिस्ट्री दिखाकर आए दिन रहने वाले छात्रों को खाली करने के लिए दबाव बनाया जाता है। जिसमे पुलिस छात्रों को परेशान करती है। परेसान होकर दलित छात्रों जा एक समूह आज भाजपा के अनुसूचित मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष व  सांसद विनोद सोनकर मिलकर उत्पीड़न की शिकायत की ,जिस पर सांसद ने गम्भीरता से लेते हुए तत्काल कार्यवाही के आदेश दिए है। 

इलाहाबाद शहीद वॉल षणयंत्र का हिस्सा 

शहीद वॉल का निरीक्षण करते हुए कमिश्नर आशीष गोयल साथ मे है संचालक वीरेंद्र पाठक

शहीदवाल हिन्दू महिला इंटर कालेज सिविल लाइंस इलाहाबाद का निर्माण, अवैध कब्जा व अवैध निर्माण करार दिया। जैसा कि मालूम होगा कि हिन्दू महिला इंटर कालेज किराये पर चल रहा है, इसकी जमीन भवन व चहारदीवारियां का मालिकाना हक व मालिक श्री राजीव दबे जी हैं। उन्होंने कहा कि मेरी दीवाल पर बिना मेरी अनुमति के उसमें जो चित्र लगाकर शहीदवाल नाम दिया वह पूर्णतः अवैध कब्जा व अवैध निर्माण है। मेरे किरायेदार हिन्दू महिला इंटर कालेज की प्रबंध समिति व प्रबंधक को किसी तरह का कोई अधिकार मेरे जमीन पर निर्माण करने व किसी को निर्माण करने को कहने का नहीं है। 
यह एक वीरेन्द्र पाठक की साजिश व षडयंत्र है जो पूर्व सैनिकों, दानदाताओं व आम जनों को गुमराह कर उनके साथ धोखाधड़ी व चार सौ बीस का कार्य किया है। जिससे पूर्व सैनिक जबकि कारगिल वीर शहीद लालमणि यादव के चित्र को निकालकर फेंक देने व शहीदों के अपमान पर आक्रोशित हैं वहीं यह जानकर कि वीरेन्द्र पाठक का शहीदवाल बनाने के पीछे कालेज के अंदर कब्जा करने व एएनआई का कार्यालय चलाकर हर माह दस हजार रूपये किराया बचाने व निजी लाभ लेने के लिए बनाया । 

इसी तरह तमाम अवैध क्रियाकलाप व षडयंत्र तथा साजिशपूर्ण जानकारियों से सभी पूर्व सैनिक एक बैठक कर यह निर्णय लिया कि इस अवैध कब्जा व अवैध निर्माण से हम लोगों का कोई वास्ता नहीं है और हमें इससे दूरी बनानी चाहिए। 

समाजसेवी श्याम सुन्दर सिंह पटेल ने बैठक के दौरान कहा कि हम शहीदों के सम्मान में व देशभक्ति के कारण वीरेन्द्र पाठक के मीठी मीठी बातों से प्रभावित होकर शामिल हुए थे और तन मन धन से सहयोग किया व तमाम उदारमना दानदाताओं से भी दान दिलाया ।

लेकिन खेद के साथ मैं सभी दानदाता बन्धुओं व मेरे वजह से शहीदवाल से जुड़ने वाले भाइयों से अनुरोध करता हूं कि वह अब शहीदवाल के कार्यक्रमों व क्रियाकलापों से अपनी दूरी बनावें नहीं तो हम सब एक दिन गैर कानूनी कार्य अवैध कब्जा व अवैध निर्माण के दोषी होंगे। यहाँ पर अपने उदारमना भाव का परिचय देते हुए ‘छोड़ी राम अयोध्या, जो पावे सो खाए’ के तहत धैर्य का परिचय दें । 

(श्याम सुंदर सिंह पटेल के फेसबुक वॉल से प्राप्त जानकारी)