बड़ी खबर – बिहार कांग्रेस अध्य्क्ष अशोक चौधरी बर्खास्त , अल्पसंख्यक समुदाय के कौकब कादरी बने नये अध्यक्ष ।

पटना बिहार:- एक बड़ी खबर आ रही है कांग्रेस के राष्ट्रिय नेतृत्व व आलाकमान सोनिया गांधी के द्वारा एक कड़ा फैसला लेते हुए अशोक चौधरी को बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है ।तथा साथ ही साथ वर्तमान की बिहार प्रदेश कांग्रेस की सभी कमिटियों को भी भंग कर दिया गया है । बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी द्वारा अल्पसंख्यक (मुस्लिम) समुदाय से कौकब कादरी को नियुक्त किया गया है , कादरी बिहार के औरंगाबाद जिले के गोह के निवासी है । 
मुख्य वजह

  • अशोक चौधरी पर कांग्रेस विधायक दल में फुट डालने का लगा था आरोप ।
  •  कुछ दिनों से उनके बागी तेवर के कारण पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व पर भी दबाव बढ़ने लगा था ।
  • उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि पार्टी जल्द फैसला ले कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखना है या नहीं ?
  • उन्होंने पार्टी आलाकमान पर दलित के उत्पीड़न का भी आरोप लगाया था ।

 ऐसा माना जा रहा है की अशोक चौधरी की बर्खास्तगी की प्रमुख वजह पिछले कुछ दिनों से उनके द्वारा बगावती सुर अपनाया जाना । उन पर कांग्रेस पार्टी के ही कुछ नेताओ का बगावत करने , पार्टी में फुट डालने , और पार्टी लाइन से हटकर बयान देने का आरोप लगाया गया था , हालांकि इस मामले में सफाई देने के लिए चौधरी को दिल्ली भी बुलाया गया था और उन्हें अपनी सफाई देते हुए कहा था की उन्हें दलित होने की वजह से टारगेट किया जा रहा है और वे कोई भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल नही है । 

वैसे तो महागठबंधन टूटने के बाद से ही अशोक चौधरी की स्थिति ठीक ठाक नही लग रही थी , ऐसा माना जाता रहा है की चौधरी मुख्यमंत्री नितीश कुमार के कुछ ज्यादा ही करीबी है और अशोक चौधरी अपने साथ कुछ विधायको को लेकर जदयू में जाने वाले है ऐसी अफवाहे फैलायी गयी थी , जिसका खण्डन खुद चौधरी ने और युवा विधायक बन्टी चौधरी और संजय कुमार तिवारी ने किया और अशोक चौधरी का समर्थन करते हुए कहा की ये अशोक चौधरी का ही देन है की हमारे जैसे युवा आज विधायक है । हालांकि बिहार में कांग्रेस की स्थिति में सुधार लाने और महागठबंधन करने में अशोक चौधरी के योगदान को नाकारा नही जा सकता । हालांकि ये साफ़ हो चूका था की अशोक चौधरी ज्यादा देर तक अपने अध्यक्ष पद पर नही बने रह सकते है इसलिये पार्टी नेताओ के बीच नए अध्यक्ष बनने को लेकर होड़ मची थी और कई तो खुलकर अपनी दावेदारी भी पेश कर रहे थे । दावेदारी पेश करने वालो में बक्सर के विधायक संजय कुमार तिवारी, भारत सरकार के पूर्व मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मदन मोहन झा का नाम सबसे आगे चल रहा था अन्य दावेदारों में अमिता भूषण और प्रेम चंद्र मिश्र की चर्चा भी थी , लेकिन इन सब नेताओ को नजरअंदाज करके लगातार एक दलित और वर्तमान अल्पसंख्यक समुदाय के नेता को अध्यक्ष बना कर दलित अल्पसंख्यक लोगो के भरोसे पर कांग्रेस एक बार फिर खरी उतरी है ।

अध्यक्ष पद से हटाए गए अशोक चौधरी भी अब अपने प्लान पर आगे बढ़ेंगे. पार्टी आलाकमान को यह शिकायत की गई थी कि कांग्रेस विधायक दल को तोड़ने में जो लोग लगे हैं, उनसे अशोक चौधरी का भी संपर्क बना हुआ है. चौधरी के रिश्ते नीतीश कुमार से अच्छे रहे हैं. कई लोग तो यह भी कहने लगे थे कि वे विधायकों के टूटने के पहले विधान पार्षदों के साथ जदयू की ओर कूच कर जाएंगे. अभी हाल फ़िलहाल में ही अशोक चौधरी ने भागलपुर बांध टूटने के मामले में मंत्री ललन सिंह का बचाव किया था और पार्टी लाइन से हटकर सरकार के पक्ष में बयान दिया था ।

पासी नायकों की स्वीकार्यता बढ़ी

वैसे दलित शब्द से हमारा शाब्दिक अंतर विरोध रहता है। लेकिन दलित दस्तक ने पासी समाज में जन्मे महा पुरुष को स्थान दिया , इसके लिए धन्यवाद ।
सबसे पहले मदारी पासी जी को अपने फ़्रंट पेज पर जगह दी श्री पासी सत्ता पत्रिका ने । फ़ेसबूक पेज पर डीपी भी लगाया गया । ऑनलाइन पत्रिका में लेख लिखे गए ।

नतीजा यह की पासी के अलावा इतर बहूजनो ने भी मदारी पासी की महानता को स्वीकार किया ।
उसी का नतीजा है प्रतिष्ठित प्रतिका दलित दस्तक ने हमारे महापुरुष मदारी पासी को पत्रिका के फ़्रंट पेज पर स्थान दिया इसके लिए पूरी सम्पादकीय टीम को बहुत बहुत धन्यवाद
हमारे प्रयासों का असर हो रहा है । श्री पासी सत्ता का दबाव देश के बुद्धजीवियों पर असर डाल रहा है । आप इसी तरह श्री पासी सत्ता का साथ देते रहें , यक़ीन करें हम देश में पासी जाति का डंका बजा कर मानेंगें।
धन्यवाद

श्री पासी सत्ता टीम

आखिर क्या है पूना पैक्ट , पढ़िए जानिए और शेयर कीजिए ।

आखिर क्या हैं पूना पैक्ट…???

पूना पैक्ट के बारें में बहुत कम लोगों को जानकारी हैं… आखिर क्या हैं पूना पैक्ट… यह जानना जरूरी हैं…. २४ सितंबर १९३२ को पूना पैक्ट लागु हुआ । बाबासाहब डा. भीमराव अम्बेड़कर जी पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहते थे । उनको हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया । पूना पैक्ट सलाह-मशवरा कर, चर्चा या विचार-विमर्श कर नहीं हुआ । यानि पूना पैक्ट, एक पार्टी ने दूसरे पार्टी के विरोध में गुंडागर्दी की । वह गुंडा मोहनदास करमचन्द गांधी था, और संगठन का नाम कॉग्रेस था ।  बाबासाहब डा. भीमराव अम्बेड़करजी ने अपने दस्तावेज में लिखा ”पूना पैक्ट एक शरारतपूर्ण धोखाधडी हैं । इसको मैंने स्वीकार क्यों किया ? मैंने पूना पैक्ट इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि गांधीजी ने षड्यंत्रपूर्वक मेरे ऊपर दबाव डालने के लिए यरवदा जेल में आमरण अनशन किया था । उस आमरण अनशन के षड्यंत्रपूर्ण दबाव की वजह से मैंने पूना पैक्ट का स्वीकार किया । उस समय गांधी और काँग्रेस के लोगों ने मुझे आश्वासन दिया था, कि अनुसूचित जाति का, जो पूना पैक्ट अन्तर्गत संयुक्त मताधिकार के तहत जो चुनाव होगा, उसमें हस्तक्षेप करने का काम नहीं करेंगे, यह आश्वासन १९३२ में गांधी और कॉग्रेस के लोगों ने बाबासाहब डा. भीमराव अम्बेड़करजी को दिया था । यह आश्वासन १९३७ में  इण्डिया एक्ट ३५ अंतर्गत प्रोविंशियल गव्हर्नमेंट के लिए भारत में चुनाव हुआ और उस चुनाव में कॉग्रेस और गांधी ने उस दिए हुए आश्वासन का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन किया और इतना ही नहीं इन दोनों ने १९३७ चुनाव में हस्तक्षेप भी किया । हमारे लोग एक तो पढते नहीं है, और अगर पढते भी हैं तो समझ नहीं पाते और अगर समझ आ भी जाता हैं तो वह अन्य लोगों को बताते नहीं, क्योंकि बताने के लिए उन्हें हिम्मत और साहस ही नहीं होता हैं । 

विशेष तथ्य :- 

  • 24 सितम्बर 1932 को साय पांच बजे यरवदा जेल पूना में गाँधी और डा. अंबेडकर के बीच समझौता हुआ, जो बाद में पूना पैक्ट के नाम से मशहूर हुआ
  •  इस समझौते मे डॉ. अंबेडकर को कम्युनल अवॉर्ड में मिले पृथक निर्वाचन के अधिकार को छोड़ना पडा तथा संयुक्त निर्वाचन (जैसा कि आजकल है) पद्धति को स्वीकार करना पडा ।
  • गोलमेज कॉन्फ्रेंस में बाबा साहेब के तर्क और विचार विमर्श के फलस्वरूप घोषित कम्युनल अवार्ड के तहत दलितों को मिलने वाले पृथक निर्वाचन क्षेत्र और दोहरा मताधिकार के अधिकार से वंचित रखने के लिए गांधी और कांग्रेस ने आमरण अनशन का नाटक करके बाबा साहब अम्बेडकर से एक षड्यंत्र के तहत पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर करवाये 

इस तरह से सिध्द होता है कि पूना पैक्ट के विरोध में बाबासाहब डा. भीमराव अम्बेड़करजी ने तीन किताबें लिखी

१ ) गांधी और कांग्रेस ने अछूतों के साथ क्या व्यवहार किया ? 

२ ) गांधी और अछूतों की आजादी, 

 ३ ) राज्य और अल्पसंख्यक । 

ये तीनों किताबें में इन सारी बातों की जानकारी विस्तारपूर्वक से लिखी गई हैं । जब बाबासाहब डा. भीमराव अम्बेड़करजी को मजबूर होकर पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर करना पडा, तो दूसरे ही दिन उन्होंने पूना से चलकर बम्बई आये और पूना पैक्ट का धिक्कार किया । और उन्होंने तीन बातें कहीं

१ ) जो लोग ऐसा कहते हैं कि पृथक निर्वाचन क्षेत्र ( Separate Electorates ) से नुकसान होता है, मुझे उन कहने में किसी किस्म का तर्क या दलील नजर नहीं आता ।

२ ) दूसरा मुद्दा उन्होंने कहाँ कि जो लोग ऐसा सोंचते हैं कि संयुक्त निर्वाचन क्षेत्र ( Joint Electorates ) से अछूत, हिन्दू समाज का अभिन्न अंग बन जाऐंगे, अर्थात संयुक्त हो जाएंगे इस पर मेरा बिलकुल यकिन और विश्वास नहीं हैं । 1932 में यह बात बाबासाहब ने कही । आज 2017 साल चल रहा हैं, परन्तु अछूतों के ऊपर सारे देशभर में अत्याचार और अन्याय हो रहे हैं, इससे सिद्द होता हैं कि अछुत हिन्दू समाज का अभिन्न अंग नहीं हैं । उस समय सवर्ण हिन्दुओं ने कहाँ था कि संयुक्त निर्वाचन क्षेत्र से अछुत हिन्दू समाज का अभिन्न अंग बनेंगे, ऐसा नहीं हो पाया ।

अछूत इस वजह से दुखी थे, और दुखी होने का उनका जायज कारण था । यह सारी बातें बाबासाहब डा. भीमराव अम्बेड़करजी ने 24 सितंबर 1932 में पूना से बम्बई आकर एक सभा को संबोधित करते हुए कहाँ यह वास्तविक बातें आप लोगों को इसलिए बतायी जा रही हैं, कि बाबासाहब डा. भीमराव अम्बेड़कर जी किसी भी परिस्थिति में पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर करनेवाले नहीं थे । क्योंकि वे जानते थे कि भविष्य में ऐसा भयानक षड्यंत्र हो सकता हैं।इसलिए साथियो पूना पैक्ट के माध्यम से ही दलालो एवं भडुओ की पहचान की गई है । 

गोलमेज सम्मेलन में हुए विचार विमर्श के फल स्वरूप कम्युनल अवार्ड की घोषणा की गई। जिसके तहत बाबा साहेब द्वारा उठाई गयी राजनैतिक प्रतिनिधित्व की माँग को मानते हुए दलित वर्ग को दो वोटों का अधिकार मिला। एक वोट से दलित अपना प्रतिनिधि चुनेंगे तथा दूसरी वोट से सामान्य वर्ग का प्रतिनिधि चुनेंगे । इस प्रकार दलित प्रतिनिधि केवल दलितों की ही वोट से चुना जाना था । दूसरे शब्दों में उम्मीदवार भी दलित वर्ग का तथा मतदाता भी केवल दलित वर्ग के ही।

दलित प्रतिनिधि को चुनने में गैर दलित वर्ग अर्थात सामान्य वर्ग का कोई दखल ना रहा । परन्तु दूसरो ओर दलित वर्ग अपनी दूसरी वोट के माध्यम से सामान्य वर्ग के प्रतिनिधि को चुनने से अपनी भूमिका निभा सकता था। गाँधी इस समय पूना की यरवदा जेल में थे। कम्युनल एवार्ड की घोषणा होते ही पहले तो उन्होंने प्रधानमत्री को पत्र लिखकर इसे बदलवाने का प्रयास किया, परंतु जब उन्होंने देखा के यह निर्णय बदला नहीं जा रहा, तो उन्होंने मरण व्रत रखने की घोषणा कर दी।
डॉ. अंबेडकर ने बयान जारी किया कि यदि गांधी “भारत की स्वतंत्रता के लिए मरण व्रत रखते, तो वह न्यायोचित थे । परंतु यह एक पीड़ादायक आश्चर्य है कि गांधी ने केवल अछूत लोगो को ही अपने विरोध के लिए चुना है, जबकि भारतीय ईसाइयो, मुसलमानों और सिखों को मिले इसी (पृथक निर्वाचन के) अधिकार के बारे में गाँधी ने कोई आपत्ति नहीं की। उन्होंने आगे कहा की महात्मा गांधी कोई अमर व्यक्ति नहीं हैं। भारत में ऐसे अनेकों महात्मा आए और अनेको चले गए, जिनका लक्ष्य छुआछूत को समाप्त करना था, परंतु अछूत, अछूत ही रहे । उन्होंने कहा कि गाँधी के प्राण बचाने के लिए वे अछूतों के हितों की बलि नहीं दे सकते।
गांधी के प्राणों पर भारी संकट आन पड़ा । पूरा हिंदू समाज डा. अंबेडकर का दुश्मन हुए जा रहा था । एक ओर डॉ. अंबेडकर से समझौते की वार्ताएं हो रहीं थी, तो दूसरी ओर डॉ. अंबेडकर को धमकियां दी जा रही थीं। अखबार गाँधी की मृत्यु पर देश में दंगो की भविष्यवाणियां कर रहे थे । एक और अकेले डा. आंबेडकर और अनपढ़, अचेतन और असंगठित दलित समाज, तो दूसरी ओर सारा सवर्ण हिंदू समाज । कस्तूरबा गांधी व उनके पुत्र देवदास बाबासाहब के पास जाए और प्रार्थना की कि गांधी के प्राण बचा ले। डा. अंबेडकर की हालत उस दीपक की भाँति थी, जो तूफान के सामने अकेला जूझ रहा था कि उसे जलते ही रहना है और उसे उपेक्षित वर्गो को प्रकाश प्रदान कर, उन्हें मंजिल तक पहुंचाना है।
24 सितम्बर 1932 को साय पांच बजे यरवदा जेल पूना में गाँधी और डा. अंबेडकर के बीच समझौता हुआ, जो बाद में पूना पैक्ट के नाम से मशहूर हुआ । इस समझौते मे डॉ. अंबेडकर को कम्युनल अवॉर्ड में मिले पृथक निर्वाचन के अधिकार को छोड़ना पडा तथा संयुक्त निर्वाचन (जैसा कि आजकल है) पद्धति को स्वीकार करना पडा, परन्तु साथ हीं कम्युनल अवार्ड से मिली 78 आरक्षित सीटों की बजाय पूना पैक्ट में आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ा कर 148 करवा ली । साथ ही अछूत लोगो के लिए प्रत्येक प्रांत मे शिक्षा अनुदान मे पर्याप्त राशि नियत करवाईं और सरकारी नौकरियों से बिना किसी भेदभाव के दलित वर्ग के लोगों की भर्ती को सुनिश्चित किया। पूना पैक्ट आरक्षण का जनक बना। इस समझौते (पूना पैक्ट) पर हस्ताक्षर करके बाबा साहब ने गांधी को जीवनदान दिया।

इतिहास के सबसे भयावह दौर से गुजर रहे हैं भारत के बहुजन : एच एल दुसाध

भारत में सदियों से बहुजन और विशेषाधिकारयुक्त लोगों के बीच जो वर्ग संघर्ष जारी है वह, हम लगभग हार चुके हैं । भारत का इतिहास आरक्षण पर संघर्ष का इतिहास है और देवासुर संग्राम के बाद मंडल के दिनों में तुंग पर पहुंचे इस संघर्ष के बाद ऐसा लगा था कि हजारो साल के वंचित सम्पदा-संसाधनों में अपनी हिस्सेदारी पा लेंगे पर, बहुजन नेतृत्व की अदुरदार्शिता और अकर्मण्यता के चलते सब व्यर्थ हो गया।

आज जिनका सत्ता पर कब्ज़ा है वे लाभजनक उपक्रमों को निजी हाथों बेचने के साथ अस्पताल, रेलवे ,एयर इंडिया इत्यादि को निजी हाथों में देने लायक हालत पैदा कर रहे हैं। नरसिंह राव से शुरू होकर आरक्षण के खात्मे का जो सिलसिला वाजपेयी और मनमोहन सिंह ने आगे बढाया , उसको मोदी तीन सालों में बहुत आगे बाधा दिया है. राव, वाजपेयी और मनमोहन को मोदी ने बिलकुल बौना बना दिया है. इस कारण वह आज सवर्णों के सबसे नायक के रूप में उभरे हैं।

आज हमें जिस प्रतिपक्ष के साथ लड़ना है उसकी शक्ति का जायजा लेना जरुरी है. उसके मातृ संगठन के साथ 28 हजार से अधिक विद्या मंदिर और 2 लाख से अधिक आचार्य हैं.। उसके पास 4 हजार पूर्णकालिक कार्यकर्त्ता हैं एवं साथ ही 48 लाख अधिक छात्र, 83 लाख से ज्यादा मजदुर जुड़े हुए हैं। उसके 56 हजार से अधिक शाखाओं के साथ 56 लाख से अधिक लोग जुड़कर उसे बल प्रदान करते हैं।

इस अपार शक्तिशाली प्रतिपक्ष से लड़ने के लिए हमारे पास एक ही चीज थी, विपुल संख्या-बल . लेकिन पहले से ही छितराए इस संख्याबल को मोदी ने आरक्षण में वर्गीकरण का उपक्रम चलाकर और छिन्न-भिन्न कर दिया है।

इन्ही सब कारणों से मैं कह रहा हूँ कि हम इतिहास के सबसे भयावह दौर से गुजर रहे। उपस्थित विद्वान वक्ता इस संकट की घडी में इन सब हालातों को ध्यान में रखते हुए, उचित मार्ग दर्शन करेंगे, इसकी उम्मीद करता हूँ। (मावलंकर हाल में बहुजन सम्मयक सम्मेलन में दिए गए वक्तब्य पर आधारित)

अजय पासी ने एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 28 साल बाद भारत को गोल्ड दिलाने के बाद तुर्कमेनिस्तान में चल रहे एशियन इनडोर गेम्स में देश को दिया स्वर्ण पदक… 

इलाहाबाद के लाल एथलीट अजय कुमार सरोज ने भुवनेश्वर में हो रही एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 28 साल बाद भारत को गोल्ड दिलाने के बाद 

अजय कुमार सरोज ने तुर्कमेनिस्तान में चल रहे एशियन इनडोर गेम्स में 1500 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीता है..

ग्राम-कजियानी..

तहसील-सोरांव..

गंगापार इलाहाबाद निवासी श्री धर्मपाल सरोज के पुत्र अजय कुमार सरोज ने तुर्कमेनिस्तान में चल रहे एशियन इनडोर गेम्स में 1500 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीत कर देश मान बढ़ाया.. 

Achchhelal Saroj 

अजय सरोज ने तुर्कमेनिस्तान में भारत झंडा ऊंचा किया


इलाहाबाद के रहने वाले अजय कुमार सरोज जो लखनऊ की तरफ से खेलते हैं उन्होंने तुर्कमेनिस्तान के एशगाबाद में जो जुझारूपन दिखाया वह सभी के लिए मिसाल बन गए है और वहां के दर्शकों ने खड़े होकर अजय कुमार सरोज का सम्मान किया।

एशियन इण्डोर एथलेटिक्स चैंपियननशिप की 1500 मीटर की दौड़ में अजय गिर पड़े उनके ऊपर और कई एथलीट भी गिरे पर अजय ने हिम्मत नहीं हारी वह उठे और फिर दौड़े दर्द से कराहते हुए उन्होंने एशिया के सभी धावकों को पछाड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता।

मौजूदा समय में वह देश में 1500 मीटर दौड़ के सबसे अच्छे धावक हैं पिछले तीन वर्षों से वह लगातार इस दौड़ के राष्ट्रीय चैंपियन बन रहे हैं। भुवनेश्वर में हुई एशियाई एथलेटिक्स चैंपियननशिप में भी उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था।

देश और प्रदेश को अजय कुमार सरोज पर गर्व होना चहिये । –दयाराम रावत

बहुजन आवाम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. मिठाईलाल पासी से खास बातचीत के अंश… 

वर्तमान में क्षरण होते बहुजन समाज के राजनौतिक मूल्यों को पुन: संभालने  के उद्देश्य से राजनीति के क्षेत्र में बहुत तेजी से उभर कर एक राजनौतिक दल  *बहुजन अवाम  पार्टी* दलित समाज के लिए आशा की किरण बन कर आयी है। प्रस्तुत है इस दल के संयोजक और राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मिठाईलाल पासी जी से बात-चीत के कुछ अंश—-

प्रश्न  : श्री पासी जी आपको बहुजन अवाम  पार्टी गठन की प्रेरणा कहाँ से मिली..?

अध्यक्ष  : बाबा साहब के क्षरण होते सिद्धांतों को पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से। हमारी विचारधारा यह है कि आजादी के ७० साल बीत जाने के बाद भी देश के बहुसंख्यक समाज के लोगों को मौलिक अधिकारों और नैसर्गिक न्याय से वंचित रखा गया है। हम इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संघर्ष करना चाहते हैं।
प्रश्न  : आप किनके लिए काम करना चाहते हैं….?

अध्यक्ष जी: जो लोग वर्षों पुरानी मनुवादी व्यवस्था से पीड़ित रहे हैं। इनके तहत अनु० जाति, अनु० जनजाति, पिछड़ी जातियां एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों व आर्थिक रूप से कमजोरों आदि के लिए।

प्रश्न : आपकी पार्टी का मिशन क्या है..?

अध्यक्ष : समान शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, स्वच्छता, रोजगार और भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था की स्थापना ।
प्रशन : पार्टी के विस्तार के लिए आपकी क्या योजना है..?

अध्यक्ष : पार्टी विस्तार के लिए सभी स्तर पर छात्र शाखा/युवजन सभा, किसान/मजदूर संघ, व्यापारी हितकारी समिति व महिला शाखा के गठन की हमारी योजना है।
प्रश्न  : पिछले चुनावों में भाग लेने पर आपकी पार्टी की क्या स्थिति रही है..?

अध्यक्ष जी: उ०प्र० के विधानसभाई चुनावों में हमने 31 प्रत्याशी उतारे थे जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था। वंचित समाज यदि रुचि लेता तो हमारे बहुत से प्रत्याशी चुनाव जीत सकते थे। लेकिन हम निराश नहीं हैं।  भविष्य में सभी सुरक्षित सीटों के साथ आगामी चुनावों में सभी १४५ दलित बाहुल्य सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगें।

प्रश्न  : क्या आप 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारेंगें….?

अध्यक्ष जी : हाँ…हाँ…. क्यों नहीं …..बहुत ही अच्छे सक्षम समाजसेवी गण हमारे पास हैं जो पूरी तरह से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।
प्रश्न : आपके अपने कुछ विचार जो जनता में देना चाहते हों….?

अध्यक्ष जी: यही कहना चाहूँगा कि बाबा साहब के सिद्धांतों और मान्यवर कांशीराम के आन्दोलन, बाबा पेरियार के संदेश और लोहिया के संघर्ष को हम मरने नहीं देंगे उसकी रक्षा के लिए हम अंतिम सांस तक लड़ेंगें। हमसे जो भी साथी जुड़ना चाहते हैं वे प्रत्येक रविवार सुबह ११:००-०२:०० बजे, इलाहाबाद स्थित कार्यालय में भेंट कर सकते हैं या हमारे पार्टी पदाधिकारियौं से संपर्क कर सकते हैं…….
श्री मिठाई लाल पासी राष्ट्रीय अध्यक्ष, बहुजन अवाम पार्टी 

 इस मुलाकात के बाद अध्यक्ष जी को उनके मिशन की सफलता के लिए शुभकामनाएं ।

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उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए राजेश भारती हुए सम्मानित, पासी समाज का बढ़ा गौरव

बिहार:- नवादा जिले मे शिक्षक दिवस पर आयोजित सम्मान सभा मे सदर एसडीएम राजेश कुमार एवं शिक्षा पदाधिकारी कुमार सज़ानंद ने उच्च माध्यमिक +2 विद्यालय हेमजाभारत के शिक्षक राजेश भारती को प्रशस्ति पत्र दे कर सम्मानित किया ।यह सम्मान राजेश भारती को उत्कृष्ट कार्य करने के लिये प्रदान की गई ।

पासी समाज के शिक्षक राजेश भारती को सम्मानित किये जाने पर पूरे जिले के पासी अपने आप को गौरवान्वित महसूश कर रहे है ।

वही राजेश भारती ने यह सम्मान अपनी माँ को समर्पित किए और कहा आज मैं जो कुछ भी हूँ ,अपनी माँ की वजह से हूँ इस लिये इस सम्मान की असली हकदार मैं अपनी माँ को मानता हूँ

राजेश भारती समान शिक्षा प्रणाली के पक्ष में कई मौको पर सरकार से इसकी माँग भी रखी हैं। वर्तमान में वो लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत  गाँव गाँव जा कर इस के फायदे बता रहे ।

राजेश भारती के जीवन पर एक नज़र:-

शैक्षणिक एव प्रशैक्षणिक योग्यता:-

  • शिक्षा में स्नाकोत्तर :- जून 2017
  • ग्रामीण विकास प्रबंधन में स्नाकोत्तर :- दिसंबर 2009
  • केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा में उतीर्ण :-फ़रवरी 2016
  • शिक्षा में स्नातक डिग्री(B.ed)
  • प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा :- जून 2012

अनुभव :-               

  • बिहार एड्स नियंत्रण संस्थान के अंतर्गत लक्षित परियोजना में सितम्बर 2005 से अप्रैल 2007 तक कार्य एवं प्रशिक्षण
  • अप्रैल 2007 से जून 2017 तक उच्च माध्यमिक (+2) विद्यालय हेमजाभारत में शिक्षक तथा चेतना सत्र एवं बाल सांसद का संयोजक
  • जुलाई 2007 से उ0म0 विद्यालय सिधौल में विशेष उपलब्धि गतिविधि के लिय प्रतिनियुक्त।।  

प्रशिक्षक के रूप में :-

  • 51 दिवसीय प्रशिक्षण देने का अनुभव
  • English is Fun Training देने का अनुभव

उपलब्धि :- 

  • संकुल स्तरीय एवं प्रखंड स्तरीय तरंग एवं बाल प्रातियोगिता संचालन
  • समाजिक भागीदारी एवं भीक्षाटन से विद्यालय के चारदीवारी का निर्माण
  • विद्यालय को उत्क्रमित कराने, भूमि उपलब्ध कराने तथा अन्य योग्यता को विस्तार करते हुए 2009 में प्राथमिक विद्यालय से मध्य विद्यालय तथा 2014 में मध्य विद्यालय से इण्टर विद्यालय में उत्क्रमित कराने में विशेष योगदान ।

गतिविधि :-

  • विद्यालय में पुस्तकालय, प्रयोगशाला एवं बागवानी की व्यवस्था।
  • स्कॉट एव गाईड का प्रशिक्षण का संयोजन 
  • साप्ताहिक प्रतियोगिता का संयोजन
  • राज्य स्तरीय तरंग प्रतियोगिता में छात्र को सफल बनवाया 
  • लोहिया स्वच्छता अभियान तथा सन्ध्या चौपाल के द्वारा गाँव गाँव में परिचर्चा।

शोध निबंध :- 

  • ग्रामीण विकास का सशक्य माध्यम पंचायती राज :- सत्र 2007 से 2009
  • समाचार पत्र सह शैक्षणिक उपलब्धि पर अध्यन :- जून 2017 ।

रिपोर्टर :- निशान्त चौधरी

जेएनयू छात्र संघ चुनाव में वामपंथ का कब्ज़ा रहा बरक़रार , बीजेपी के कैलाश्वर्गीय ने एबीवीपी के जित की फैलायी थी झूठी खबर

 देर रात जेएनयू के आये चुनाव परिणामो में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री, संयुक्त मंत्री के पद पर वामपंथ (लेफ्ट ) के प्रत्याशियों ने भारी बहुमत से जीत हासिल कर लिया है। 

प्रेसीडेंट पद पर गीता कुमारी ने, वाइस प्रेसीडेंट पद पर सिमोन जोया खान, जेनरल सेक्रेटरी पद पर दुग्गीराला श्रीकृष्ण एवं ज्वाइंट सेक्रेटरी पद पर शुभांशु सिंह ने जीत दर्ज की है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का पूरा पैनल परास्त हो चुका है , वही इस छात्रसंघ चुनाव में एक उभरता हुआ दलित छात्र संगठन बापसा (Bapsa) बिरसा आम्बेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने भी बेहतर प्रदर्शन किया और इस चुनाव के सभी पद के परिणाम में तीसरे और संयुक्त सचिव के पद के लिए चुनाव परिणामो में दुसरे स्थान पर आकर एबीवीपी को भी पछाड़ दिया ।

वही कल देर रात  में कुछ बीजेपी और संघ के लोग अपने संगठन एबीवीपी के जितने की खुशिया मना रहे थे और अपनी ख़ुशी सोशल साइट्स पर व्यक्त कर रहे थे  देर रात से कुछ संघी लोग जेएनयू में जीतने का दावा करते हुए मन मे फुलझड़ियां उड़ा रहे थे । कैलाश विजयवर्गीय जी तो बाकायदे ट्विटर पर बधाई देते हुए मन ही मन लड्डू हुए जा रहे थे  ऐसे ही झूठ को सच बनाने का कारखाना ये आरएसएस और बीजेपी के लोग खोल करके झूठ को सच बनाने के अपने उत्पाद को बेच डालते हैं ,

           विशेष खबर 

  • कुल 4620 विधार्थियों ने किया मतदान ,अध्यक्ष पद पर 127 ने नोटा का उपयोग किया ,20 वोट खाली पड़े , और 50 वोट अमान्य हो गये  
  • अध्यक्ष पद पर बापसा ने तीसरे स्थान पर आकर एबीवीपी को दी जोरदार टक्करए
  • आईएसएफ की अपराजिता राजा अध्यक्ष पद के लिए 500 वोट भी नही ला सकी , जबकि पूर्व अध्यक्ष कन्हैया ने जमकर प्रचार किया था 

जीत के बाद लेफ्ट की अध्यक्ष गीता कुमारी ने जित का श्रेय कैंपस के छात्रो को दिया और कहा की जिस तरह से कैंपस में अटैक बाधा है , उससे हमारा संघर्ष मजबूत हुआ है इस संघर्ष में साथ देने वाले साथियो को सलाम करते हुए मै विचारधारा से हटकर सभी विधार्थियों के लिये काम करुँगी , वही दुसरे स्थान पर रही एबीवीपी  की निधि त्रिपाठी ने कहा की हम जनमत को स्वीकार करते है .

पटना विश्वविधालय के पटना साइंस कॉलेज में एकदिवसीय दलित छात्र बैठक हुआ सम्पन्न , उपस्थित लोगो ने अनेको मुद्दों पर रखे बिचार

पटना (बिहार) :- आज बिहार की राजधानी पटना के पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत पटना साइंस कॉलेज के प्राक् परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र में इंडियन स्टूडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (इसवा) और द ग्रेट भीम आर्मी बिहार के तत्वाधान में एकदिवसीय दलित छात्र बैठक का आयोजन किया गया । इस एकदिवसीय बैठक में दलित छात्रो के अनेको समस्याये रोजगार की समस्या, छात्रवृति में कटौती , अम्बेडकर छात्रवास संबंधी समस्याओं,  और दलित उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा की गयी ।

विशेष बाते  :- 

  • इस बैठक में दलित छात्रो के समस्याओ और उसके समाधान पर की गयी गम्भीर चर्चा 
  • बैठक में बिहार के लगभग सभी जिलो से दलित छात्र, बुद्धिजीवी और अम्बेडकर छात्रवास के छात्रनायक शामिल हुए ।
  • बैठक में आगामी नवम्बर माह में बिहार में राष्ट्रिय दलित छात्र संसद आयोजित करने हेतु विचार विमर्श किया गया । 


बैठक में बिहार के लगभग सभी जिलो से दलित छात्र , बुद्धिजीवी , अम्बेडकर छात्रवास के छात्र नायक और द ग्रेट भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष भी उपस्थित हुए , और पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रामशंकर आर्या ने  भी बैठक के दौरान अपना विचार रखे । बैठक में प्रमुखता से अपनी बात रखने वालो में द ग्रेट भीम आर्मी बिहार के चीफ अमर आजाद, गौतम कुमार , अजय यादव , चन्दन कुमार चौधरी , अमित कुमार , निशांत चौधरी , विजय चौधरी , चन्दन पासवान उर्फ अम्बेडकर , धर्मवीर धर्मा थे । अमर आजाद ने तमाम मुद्दों पर विस्तर से बात किया तथा पटना में आगामी नवम्बर माह में राष्ट्रिय दलित छात्र संसद आयोजित करने की बात कही । और इस तरह ये एकदिवसीय दलित छात्र बैठक सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ ।