एक शाम शहीद वीरांगना ऊदा देवी के नाम, श्रद्धांजलि सभा में जुटें पासी नवयुवक

चुनावी मौसम में बिना परमिशन के टेंट वाले ने कुर्सी , बाजा देने से मना कर दिया तो क्या हुआ । इलाहाबाद के साथियों ने वीरांगना ऊदा देवी पासी के प्रति अपनी श्रद्धा कम करने वाले नही । घंटो भर खड़े खड़े ही शहीद वॉल पर डटे रहे।

आज इलाहाबाद शहीद वाल सिविल लाइंस पर पासी समाज के नौजवान साथियों द्वारा पासी समाज की गौरव गाथा इतिहास में दर्ज कराने वाली माँ वीरांगना ऊदा देवी पासी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पँहुचे । उपस्थित क्रांतिकारी साथियों ने श्रद्धाजंलि सभा भी किये और कैंडल जला कर उनकी शहादत को याद कर नमन भी किये।

इलाहाबाद में शहीद वीरांगना ऊदा देवी के बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर पत्रिका परिवार की ओर से आयोजित यह कार्यक्रम चुनाव की आचार संहिता होने के कारण भव्य रूप धारण तो नही कर सका लेकिन भाग लेने वाले पासी नवजवानों ने अपने जोश से यह साबित किया कि हम किसी से कम नही।

आज के इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सम्पादक अजय प्रकाश सरोज, कर्मचारी नेता अजय भारतीय ( गवर्नमेंट प्रेस), यश.आर. भारतीय, राजू पासी, धर्मेंद्र भारतीय , संजीव पुरूषार्थी , नीरज पासी, मनोज कुमार, राजेश कुमार , आरपी सरोज, देवमणि, रागिनी पासी, रुक्मणी, राम मनोरथ सरोज, सुनील कुमार, जितेंद्र, सूर्यबली ,विभाकर, अनुराग आदि लोग बड़ी संख्या से भागीदार रहे।

लखनऊ ,मोहनलालगंज सहित प्रदेश भर में वीरांगना ऊदा देवी का बलिदान दिवस मनाने की तैयारी

16 नवंबर वीरांगना ऊदा देवी पासी जी का बलिदान दिवस है। पूरे प्रदेश में जगह जगह कार्यक्रम आयोजित है। आप लोग अपने नज़दीकी कार्यक्रम में शामिल होकर वीरांगना ऊदा देवी को श्रद्धांजलि अर्पित करें।

लखनऊ में मोहनलालगंज विधानसभा में लोजपा के जिलाध्यक्ष अनोद कुमार रावत द्वारा भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया है। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर राज्यमंत्री सुरेश पासी आमंत्रित है। सिकंदरबाग लखनऊ में घटना स्थल पर भी वीरांगना ऊदा देवी स्मारक संस्थान द्वारा राष्ट्रीय स्तर का आयोजन किया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अमेठी के जगदीशपुर में , इलाहाबाद में हिंदुस्तानी एकेडमी , निराला सभागार इविवि तथा त्रिवेणीपुरम झूँसी,

जनपद भदोही , आजमगढ़, फैजाबाद आदि जगहों पर श्रधांजलि सभाओं का आयोजन हुआ है। आप सभी साथी सुबिधा के अनुसार भागीदारी करें।

आप के बिना आयोजन सफल नही होंगे। इसलिए किसी के निमंत्रण का इंतजार मत करियेगा। अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए कार्यक्रम में पहुंचे।

बिहार राज्य के रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम में अतिपिछड़ा वंचित जमात का एकदिवसीय कार्यकर्त्ता सम्मेलन हुआ सफलतापूर्वक सम्पन्न |

बिहार रोहतास (सासाराम ) :- आज दिनांक 15/11 /2017  दिन बुधबार को बिहार राज्य के रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम में अतिपिछड़ा और वंचित जमात मंच के कार्यकर्ताओ का एकदिवसीय सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया |

मंच पर उपस्थित अतिथि 

यह कार्यकर्त्ता सम्मेलन सासाराम शहर के ओझा टाउन हॉल में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ ,इस कार्यक्रम की शुरुआत माननीय अनीता चौधरी (पूर्व मंत्री बिहार सरकार ) के द्वारा उद्घाटन करके किया गया इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भरत बिंद (बसपा प्रदेश अध्यक्ष बिहार ), और सम्मानित अतिथि के रूप में चंद्रदेव बिन्द (पूर्व अध्यक्ष जिलापरिषद रोहतास ) मौजूद थे , सम्मेलन की अध्यक्षता श्री हिरा शर्मा और मंच के संचालनकर्ता श्री धनञ्जय शर्मा और सोहराबुद्दीन कर रहे थे , इस एकदिवसीय कार्यकर्त्ता सम्मेलन में मुख्य रूप से श्री जितेन्द्र नटराज , कन्हैया शर्मा , पूर्व प्रमुख श्री महेंद्र कहार ,पूर्व प्रमुख फुलपति देवी प्रमुख सासाराम धर्मू चौधरी ,डॉ सुदर्शन चौधरी ,प्रेमा भारती पूर्व जिला पार्षद ,विंदा देवी , सूरज बिंद , केशव कुमार पाल ,महेंद्र चंद्रवंशी ,मंगल राम पूर्व प्रखंड प्रमुख चेनारी , सुदर्शन चौधरी, राजकिशोर पाल ,सुरेन्द्र चौहान , श्यामबिहारी चौरसिया , बिमल बिंद ,सुदामा बिंद , मुंशी रजक ,रविन्द्र चंद्रवंशी ,नन्दलाल बिंद , राजू चौधरी ,कुंजन बिंद ,धरमेन्द्र गुप्ता ,सबदर आलम ,महेंद्र बिंद (बीडीसी), राजकिशोर पाल  मौजूद थे तथा इन सभी लोगो ने सम्मेलन में अपनी –अपनी बातो को रखा |

पुरे सभा में पिछड़े और वंचित वर्ग के समस्याओ , उनके समुचित समाधान , देश और राज्य में पिछडो और वंचितों की आर्थिक , शैक्षणिक और राजनितिक पिछड़ेपन की भी विस्तृत चर्चा की गयी देश और राज्य के समस्त संसाधनों में पिछडो और वंचितों की भागीदारी बढाने को लेकर भी बात की गयी

सम्मेलन में उपस्थित लोग

इस कार्यक्रम में इन सब निम्नलिखित मांगो को मुख्यता से उठाया गया तथा ये मांगपत्र प्रस्तुत किया गया

विशेष मांग:-

  1. अत्यंत पिछड़ा वर्ग में लगातार जातियों की संख्या बढती जा रही है ,अतएव पंचायत चुनाव में आरक्षण की सीमा 20% से अधिक बढ़ाई जाए |
  2. लोकसभा ,बिधान सभा में अतिपिछडा वंचित जमात को आबादी के अनुसार टिकट वितरण किया जाय |
  3. वन अधिकार अधिनियम 2006 संशोधित अधिनियम 2013 तत्काल प्रभाव से लागू किया जाय |
  4. संविधान प्रदत कमजोर वर्ग के लिए विशेष अवसर के तहत न्यूनतम दर पर ऋण मुहैया करायी जाए |
  5. छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम रोहतास कैमूर में लागू किया जाए |
  6. अत्यंत पिछड़ा वर्ग में अन्य जातियों की संख्या बढती जा रही है आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाते हुए जातियों की संख्या पर रोक लगायी जाए |
  7. अतिपिछडा वर्ग के बच्चो को स्नातक तक निःशुल्क शिक्षा दिलाये जाने का प्रावधान किया जाए तथा साथ ही उन्हें प्रथम वर्ग से स्नातक व उच्चस्तरीय शिक्षा में भी छात्रवृति प्रदान की जाए    

पासी समाज को गर्व करने का ऐतिहासिक क्षण , ‘श्री पासी सत्ता ‘पत्रिका ने पार किए 10 लाख बार पढ़े जाने का रिकॉर्ड !

जी हाँ , आपने सही पढ़ा श्री पासी सत्ता (www.shripasisatta.com )ने सिर्फ़ पिछले 11 महीनो में “10,61,000 ” बार पढ़े जाने का रिकॉर्ड बनाया है । हम सही मायने में कह सकते है की हम पासी समाज की राष्ट्रीय पत्रिका है । पासी समाज की ऐसी कोई पत्रिका नही , कोई संस्था नही,कोई टीम नही जिन्होंने समाज में इतनी बड़ी पहुँच बनाई है ।

श्री पासी सत्ता पत्रिका के बारे में काफ़ी कुछ कहा गया कुछ लोगों ने कहा की पत्रिका बंद हो गई, कुछ लोगों ने कहा पत्रिका ख़त्म हो गई, कुछ लोगों ने पत्रिका के प्रिंट मीडिया कम होने पर मज़ाक़ भी किया । पर हम शांत थे।

हमने किसी को जवाब नही दिया । क्योंकि हम जवाब अपने कार्यों से देना चाहते थे । अब जवाब हमारे पास है । सिर्फ़ 11 महीनो में हमें 10,60,000 बार पढ़ा गया यह हमारा जवाब है ।
हमने पहले ही कहा था कि हम धीरे चल रहे है पर चल रहे है।

हमारे पास संसाधनो की कमी है और हमें दूर तक जाना है इसलिए धीरे चल रहे है । कई बार कहने की बाद भी कोई ख़ास मदद हमें मिली नहीं है फिर भी हम चल रहे है । और इतना करने के बाद कोई कहे की पत्रिका तो बंद हो गई है तो ग़ुस्सा तो आएगा ही पर हमारा जवाब यह है उन लोगों लिये ।

आर्थिक कमी और समय के साथ चलने के लिए प्रिंट मीडिया कम करके ऑनलाइन पर हमने फ़ोकस किया रिज़ल्ट आज सबके सामने है । सिर्फ़ एक जाती विशेष पत्रिका होने बावजूद सिर्फ़ 11 महीनो में इतनी बार पढ़े जाना कोई मामूली बात नही है ।

हमारी ऐक्टिविटी स्लो थी , कम थी पर हम सो नही रहे थे । मीडिया का काम पर्दे उठाने का है सो हम कर रहें है । बड़ी सोंच के साथ अभी बहुत कुछ है करने को, जिसका बैकअप तैयार करने में समय लग सकता है। लेकिन हम रुकेंगे नही। क्योंकि हम रुके तो आने पीढ़ी को हम वो नही दें पाएंगे जो हम देना चाहते है।

यह रिकॉर्ड साबित करता है कि श्री पासी सत्ता पत्रिका पासी समाज की आवाज़ बन चुका है । सम्पादक अजय प्रकाश सरोज जी ने जो शुरुआत साल 2011 में शुरू की थी आज उसने विस्तृत रूप ले लिया है । यह रिकॉर्ड हमें भी आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरणा देगा ।

यहाँ तक पहुँचने के लिए श्री पासी सत्ता परिवार के सभी सहयोगी का आभार प्रकट करता है जो पत्रिका में लेखन कार्य करते रहे है। साथ ही उन पाठक गणों को विशेष धन्यवाद जिनकी वजह से हम यह कीर्तिमान स्थापित कर पाएं है।
राजेश पासी,मुंबई

ऑनलाइन मीडिया प्रभारी- श्री पासी सत्ता पत्रिका

शहीद वीरांगना ऊदा देवी पासी की श्रद्धांजलि सभा 15 नवम्बर को

प्रिय मित्रों,15 नवम्बर की शाम 3 बजें सिविल लाइंस स्थिति शहीद वॉल इलाहाबाद में शहीद वीरांगना ऊदा देवी पासी के बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित ” श्रद्धांजलि सभा व कैंडल मार्च ” में भागीदारी सुनिश्चित करें।

ध्यान रहें , अपनी जाति से निकलें वीर- वीरांगनाओं का हम आप सम्मान नही करेंगे तो दूसरा कोई नही करेगा !

आइये…36 अंग्रेजों को मारकर शहीद हुई वीरांगना की वीरता को यादकर श्राद्धा सुमन अर्पित करें ।

दुनिया का इतिहास उठाकर पढ़ लेना ऐसी अदम्य साहसी वीरांगना कोई मिल जाएं तो श्राद्धाजंलि देने मत आना ? लेकिन न मिलें तो अपने मित्रों को भी लेकर आइये …हम आपका इंतजार करेंगे ।

सिर्फ सुरेश पासी ही नही , पासी जाति के ये नेता भी है खुर पकड़

याद कीजिए लोक सभा का चुनाव लड़ रहें पूर्व मंत्री आरके चौधरी ने मंच पर मायावती के पैर छुयें थे। तब पासियों के स्वाभिमान को ठेस पहुँची थीं । उनकी यह तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब चली।

लेकिन जानकारी के लिए आपको बता दें कि लोकसभा में बाराबंकी से बसपा प्रत्याशी रहें कमला रावत ने तो हद की कर दीं थी , मंच पर मायावती के आते ही पैर छूने लगे तो फिर रुके नही, जब माया की निगाह उनकी तऱफ जाएं कमला रावत झट से पैर छू लेते । यह सिलसिला पचीसों बार हुआ। उनकी भी खूब बेइज्जती कर लोगों ने हंसी उड़ाई।

लेकिन भाजपा में राज्य मंत्री सुरेश पासी ने सबका रिकॉर्ड तोड़ दिया । एक दरोगा का ट्रांसफर कराने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी के एक लाख बार पैर छुयें । यह बात उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहीं।

अब विधायक मिल्कीपुर गोरख नाथ बाबा का बड़ा चाटूकारिता भरा कदम देखिए कि उन्होंने अपने कार्ड में ही लिखवा दिया है ” योगी चरण सेवक”

इन कथित नेताओं को संसदीय मर्यादाओं का भी ख्याल नही रहता ? न तो इनके नेता इन्हें कभी फटकार लगाते है। क्योकि वें चाहते है कि ये दरित्र बनकर रहें ,इनका मानसिक विकास न हो पाए।

इसीलिए तो भाजपा में कई पढ़े लिखे अनुभवी पासी नेताओं के रहते सिर्फ बारहवीं तक पास सुरेश पासी को राज्य मंत्री का झुनझुना थमा दिया गया है। जिसे लेकर वे 2019 के लोकसभा के चुनाव तक बजाते रहें । क्योकि जगदीशपुर विधानसभा में एक लाख से ऊपर पासी मतदाता है।

स्मृति ईरानी यह सीट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से छीन कर भाजपा की झोली में डालना चाहती है। अगर ईरानी की यह रणनीतिक योजना सफल नही हो पाती तो सुरेश का मंत्री पद भी जा सकता है।

आरक्षण क्या है एक जानकारी भरा लेख

आरक्षण विरोधी मुर्ख लोग इतना भी नही जानते की

   किस आरक्षण की सीमा 10 वर्ष  है।

   अगर जानते है तो गलत प्रचार करते है। 

   और अपनी मूर्खता और घटिया सोच का

   परिचय भी देते है।

   राजनितिक ताकतों ने सिर्फ वोट बैंक के लिए

   भारतीय जनमानस को ये जानने ही नही दिया। 

   कि,आरक्षण केवल 10 वर्ष के लिए नही था।

   सवर्ण और असवर्ण आरक्षण विरोधी आरक्षण

   समर्थक सभी ये जान ले की आरक्षण 10 वर्षो

   के लिए कभी भी नही था।

   आरक्षण 4 प्रकार के है ………………….

1. पोलिटिकल रिजर्वेशन

2. रिजर्वेशन इन एजुकेशन

3. रिजर्वेशन इन एम्प्लॉयमेंट

4. रिजर्वेशन इन प्रमोशन

    अनुच्छेद 330 के अनुसार

    लोकसभा में और अनुच्छेद 332 के अनुसार 

    विधानसभा में SC/ST को आरक्षण प्राप्त है। 

    और अनुच्छेद 334 में लिखा है की प्रत्येक 10

    वर्षो में लोकसभा और विधानसभा में मिले

    आरक्षण की समीक्षा होगी।

    और यही वो अनुच्छेद है। 

    जिसकी ग़लतफ़हमी सभी को है।

    सभी लोग ये जान ले ये सरासर झूठ है। 

    की सभी प्रकार के आरक्षण सिर्फ 10 वर्ष के

    लिए थे।”

    अब दूसरे तीसरे और चौथे प्रकार के आरक्षण 

    पर आते है………………

    अनुच्छेद 15 और 16 जो की मुलभुत 

    संवैधानिक अधिकार है। 

    इसमें सम्मिलित 15(4) और 16(4) में शिक्षा

    और रोजगार में SC/ST को आरक्षण दिया

    गया है।

    और जो ये मुलभुत अधिकार है……….. इन्हें

    कोई बदल नहीं सकता~~~ क्योकि ये

    मुलभुत संवैधानिक अधिकार है।  

    “संविधान लागू होने के बाद सत्ताधारी वर्ग 

    और विपक्ष ने जानबूझकर ये ग़लतफ़हमी 

    फैलाई।

    की रोजगार और शिक्षा में आरक्षण सिर्फ 10

    साल के लिए था”।

    हमारे सभी एस सी एसटी/ओबीसी बहुजन/     

    मूलनिवासी भाइयो से निवेदन है।

    की इस सच्चाई को सबके सामने लाये।

    की रोजगार और शिक्षा में आरक्षण सिर्फ 10

    साल के लिए नही हमेशा के लिए है।

    जाति व्यवस्था जब तक।

    आरक्षण व्यवस्था तब तक।

    जय मूलनिवासी! जय मूलनिवासी! 

   साथियों !

     जयभीम !
  *********नमोबुद्धाय*********

सन्त सुकई दास समाधि स्थल पर दो दिवसीय मेला सम्पन्न

फैजाबाद । समाज के अंदर ब्याप्त अंधविश्वास को दूर कर शिक्षा की अलग जगाने वाले मानवतावादी सन्त सुकई दास की समाधि स्थल पोरा ,छतिरवा ,फैजाबाद में दो दिवसीय मेले व भण्डारे का समापन हो गया। उत्तर भारत के पेरियार कहे जाने वाले सुकई दास अंधविश्वास ,पाखण्डवाद ,ईश्वरवाद के धुर विरोधी थें। उन्होंने गाँव -गाँव जाकर सामाजिक बुराईयों को दूर करने का अभियान चलाया ।

प्रख्यात दलित चिंतक डॉ0 सीबी भारती के अनुसार जब दक्षिण भारत में पेरियार रामास्वामी नायकर देवी-देवताओं के विरूद्ध आंदोलन चला रहे थें । तब उसी समय ब्राह्मणवाद से जकड़े उत्तर भारत में सन्त सुकई दास जी दलितों/ पिछड़ो के घरों से देवी -देवताओं की मूर्तियों को खोदवाकर नहरों में फेंकवा रहें थें ।

उनका यह अभियान उत्तर प्रदेश के आसपास बिहार, मध्यप्रदेश आदि प्रदेशों में भी फैला था। लेकिन विशेष कर फैज़ाबाद , बाराबंकी, गोरखपुर, सीतापुर, लखनऊ, प्रतापगढ़, इलाहाबाद , रायबरेली, कौशाम्बी सहित अवध क्षेत्र में ख़ास प्रभाव डाला।

उनके अभियान के कुछ सूक्त इस प्रकार है –

“सन्त सुकई दास अभियान, सबको शिक्षा सबकों ज्ञान ।

सन्त सुकई दास का उपदेश ,बेटा – बेटी में नही कुछ भेद। ”

ऐसे ही अनेकों सूक्तियों के माध्यम से उन्होंने सामाजिक परिवर्तन की ज्योति जलाने का काम किये । प्राप्त जानकारी के अनुसार उन्होंने स्कूली शिक्षा ग्रहण नही की ,लेकिन उन्हें हिन्दी और उर्दू का अच्छा ज्ञान था।

अंधविश्वास, अशिक्षा तथा अमानवीय प्रथाओं के विरुद्ध सामाजिक परिवर्तन की अलख जगाने वाले महान संत पेरियार का जन्म अनुसूचित जाति के पासी उपजाति में हुआ था। 15 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने समाज में दिशा देने के लिए गृह त्याग कर दिया था । और आजीवन अविवाहित रहें ।

फैज़ाबाद के उनके अनुवाई राम सागर जी ने श्रीपासी सत्ता को बताया कि भण्डारे का आयोजन साहेब(सुकई दास जी ) द्वारा ही शुरु किया गया था। उनके परिनिर्वाण के बाद अनुवाईयों द्वारा प्रत्येक वर्ष एकादशी के दिन उनके समाधि स्थल पर दो दिवसीय भण्डारे व मेलें का आयोजन किया जाता है। जिसमें उनके अनुवाईयों का जमावड़ा होता है । इस आयोजन में आस पास के इलाकों से हजारों की संख्या में लोग भाग लेते है ।

सामाजिक परिवर्तन के नायक पेरियार सन्त सुकई दास का परिनिर्वाण लगभग सौ वर्ष की आयु में 14 जनवरी 1978 को उनके निवास स्थान -पोरा ,छतिरवा ,जनपद फैज़ाबाद में हो गया ।

इनका त्याग सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत कहे जाने वालें किसी भी महापुरुष से कम नही था। लेकिन सवर्ण कहे जाने वाले लेखकों नें इनके लिए क़लम तो नही चलाई जिसकी उम्मीद नही की जा सकती !

परंतु बाद के दलित व बहुजन लेखकों ने भी इनके त्याग की उपेक्षा की , बावजूद इसके सन्त जी का त्याग व किये गए कार्यो की छाप इतनी गहरी है कि आज भी उनके अनुवाई उनकी शिक्षाओं का प्रचार प्रसार कर रहें है । इनके शिष्यों में आज के कई नामचीन सन्त शामिल है।

– अजय प्रकाश सरोज

जानकारी

हिंदु मंदिर में नारियल क्यो फोड़ा जाता है??इसके बारे में यह ऐतिहासिक जानकारी होना जरूरी है…….
मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में चक्रवर्ति सम्राट अशोक के वंशज मोर्य वंश के बौद्ध सम्राट राजा बृहद्रथ मोर्य की हत्या उसी के सेनापति ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग ने धोखे से की थी और खुद को मगध का राजा घोषित कर लिया था ।

उसने राजा बनने पर पाटलिपुत्र से श्यालकोट तक सभी बौद्ध विहारों को ध्वस्त करवा दिया था तथा अनेक बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम किया था।पुष्यमित्र शुंग, बौद्धों पर बहुत अत्याचार करता था और ताकत के बल पर उनसे ब्राह्मणों द्वारा रचित मनुस्मृति अनुसार वर्ण (हिन्दू) धर्म कबूल करवाता था।

*इसके बाद ब्राह्मण* *पुष्यमित्र शुंग ने अपने समर्थको के साथ मिलकर पाटलिपुत्र और श्यालकोट के मध्य क्षेत्र पर अधिकार किया और अपनी राजधानी साकेत को बनाया।

पुष्यमित्र शुंग ने इसका नाम बदलकर अयोध्या कर दिया। अयोध्या अर्थात-बिना युद्ध के बनायीं गयी राजधानी*…

*राजधानी बनाने के बाद पुष्यमित्र शुंग ने घोषणा की कि जो भी व्यक्ति, भगवाधारी बौद्ध भिक्षु का सर(सिर) काट कर लायेगा, उसे 100 सोने की मुद्राएँ इनाम में दी जायेंगी।
*इस तरह सोने के सिक्कों के लालच में पूरे देश में बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम हुआ।
राजधानी में बौद्ध भिक्षुओ के सर आने लगे ।
इसके बाद कुछ चालक व्यक्ति अपने लाये सर को चुरा लेते थे और उसी सर को दुबारा राजा को दिखाकर स्वर्ण मुद्राए ले लेते थे। राजा को पता चला कि लोग ऐसा धोखा भी कर रहे है तो राजा ने एक बड़ा पत्थर रखवाया और राजा ,बौद्ध भिक्षु का सर देखकर उस पत्थर पर मरवाकर उसका चेहरा बिगाड़ देता था* । इसके बाद बौद्ध भिक्षु के सर को घाघरा नदी में फेंकवा दता था*।

*राजधानी अयोध्या में बौद्ध भिक्षुओ के इतने सर आ गये कि कटे हुये सरों से युक्त नदी का नाम सरयुक्त अर्थात “सरयू” हो गया*।

*इसी “सरयू” नदी के तट पर पुष्यमित्र शुंग के राजकवि वाल्मीकि ने “रामायण” लिखी थी।* *जिसमें राम के रूप में पुष्यमित्र शुंग और रावण के रूप में मौर्य सम्राट का वर्णन करते हुए उसकी राजधानी अयोध्या का गुणगान किया था और राजा से बहुत अधिक पुरस्कार पाया था।

*इतना ही नहीं, रामायण, महाभारत, स्मृतियां आदि बहुत से काल्पनिक ब्राह्मण धर्मग्रन्थों की रचना भी पुष्यमित्र शुंग की इसी अयोध्या में “सरयू” नदी के किनारे हुई।

*बौद्ध भिक्षुओ के कत्लेआम के कारण सारे बौद्ध विहार खाली हो गए।तब आर्य ब्राह्मणों ने सोचा’ कि इन बौद्ध विहारों का क्या करे की आने वाली पीढ़ियों को कभी पता ही नही लगे कि बीते वर्षो में यह क्या थे* ?*

*तब उन्होंने इन सब बौद्ध विहारों को मन्दिरो में बदल दिया और इसमे अपने पूर्वजो व काल्पनिक पात्रो को भगवान बनाकर स्थापित कर दिया और पूजा के नाम पर यह दुकाने खोल दी*।

*ध्यान रहे उक्त ब्रह्दथ मोर्य की हत्या से पूर्व भारत में मन्दिर शब्द ही नही था ना ही इस तरह की संस्क्रति थी।वर्तमान में ब्राह्मण धर्म में पत्थर पर मारकर नारियल फोड़ने की परंपरा है ये परम्परा पुष्यमित्र शुंग के बौद्ध भिक्षु के सर को पत्थर पर मारने का प्रतीक है*।

*पेरियार रामास्वामी नायकर ने भी ” सच्ची रामायण” पुस्तक लिखी जिसका इलाहबाद हाई कोर्ट केस नम्बर* *412/1970 में वर्ष 1970-1971 व् सुप्रीम कोर्ट 1971 -1976 के बिच में केस अपील नम्बर 291/1971 चला* ।

*जिसमे सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस पी एन भगवती जस्टिस वी आर कृषणा अय्यर, जस्टिस मुतजा फाजिल अली ने दिनाक 16.9.1976 को निर्णय दिया !

की सच्ची रामायण पुस्तक सही है और इसके सारे तथ्य वेध है*।

*सच्ची रामायण पुस्तक यह सिद्ध करती है!

कि ” रामायण नामक देश में जितने भी ग्रन्थ है वे सभी काल्पनिक है और इनका पुरातातविक कोई आधार नही है*।

*अथार्त् फर्जी है*।

बाबू चिंतामणि सरोज का निधन , पासी समाज की अपूर्ण क्षति


 परमआदरणीय बाबू चिन्तामणि सरोज जी का लखनऊ में ह्रदयगति रूक जाने के कारण निधन। लोक निर्माण विभाग मे प्रधान सहायक के पद पर कार्यरत थे। चिन्तामणि जी ने न सिर्फ़ प्रतापगढ़ बल्कि आस पास के सभी जिलो में समाज में बाबा साहेब और बुद्ध के बारे में जगरूकता फैलाने का अभूतपूर्व कार्य किया है । उन्होंने जगरूकता अभियान तब शुरू किया जब हमारे पासी समाज के लोगों ने बाबा साहेब का नाम ही नहि सुना था और बुद्ध मतलब चमार समझते थे । दोनो से ही हमारे समाज के लोगों का घोर विरोध था । 

ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने जगरूकता अभियान शुरू किया ।उनहोनो समाज में ब्राह्मण और पंडितो का घर के संकारिक कार्यों के लिए विरोध शुरू किया । प्रतापगढ़ में पंडित के बजाय पासी लोगों द्वारा ही शादी ब्याह कराने कार चलन शुरू किया . ख़ुद चिंतामणि साहेब ने हज़ारों शादियाँ कराई है । उनका समझाने का तारिका इतना मजबूत था कि अनपढ़ लोग भी बुद्ध और बाबा साहेब का महत्व समझकर ब्राह्मणवाद का विरोध करते थे । एक समय था जब बाबा साहेब और बद्ध कानाम सुनकर हमारे समाज के लोग लाठी निकाल लेते थे ।

पर आज जो हम समाज में बदलाव देख रहे है वह ऐसे ही लोगों द्वारा किए गए कार्यों की वजह से है ।

प्रतापगढ़ में जितने भी जागरूक और समाज से जुड़े लोग है शायद ही कोई ऐसा होगा जिन्होंने उनका नाम नहि सुना होगा । प्रतापगढ़ से लेकर यहाँ मुंबई तक उन्हें सामाजिक कार्यों के लिए एक नायक माना जाता है । 

इस दुनिया से उनका जाना समाज के लि अपूर्णिय क्षति है । तथागत भगवान गौतम बुद्ध उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे , तथा इस दुःख की मे उनके परिवार को दुःख सहन करने की क्षमता प्रदान करें ।