नवादा पासी समाज की बैठक,28 जनवरी को होगा अधिवेशन

बिहार ।। अखिल भरतीय पासी समाज , जिला इकाई – नवादा की आज अम्बेडकर पुस्तकालय मे जिला अध्यक्ष प्रमोद कुमार चौधरी की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया , जिसमे 28 जनवरी 2018 को होने वाले पासी महाअधिवेशन को लें कर विचार विमर्श की गई।

अधिवेशन संयोजक के रूप में कृष्ण चौधरी उर्फ पड़कन चौधरी को नियुक्त किया गया ,इनके अलावा 25 सदस्यीए संचालन समिति का भी गठन हुआ ।

राजेश्वर कुमार(हिसुआ) , सुनील पत्रकार(हिसुआ) , अशोक चौधरी(हिसुआ), राजीव नयन (चौधरी नगर नवादा), बसंती देवी(रजौली) , चंद्रिका चौधरी(चौधरी नगर नवादा) , सीताराम चौधरी(चौधरी नगर नवादा)निशान्त चौधरी (मिर्जापुर नवादा), सतेंद्र कुमार नूनू चौधरी(वारिसलीगंज) , दिनेश महथा(वारिसलीगंज) के.के . चौधरी(पकरीवर्मा) परमेश्वर मंडल (पकरीवर्मा) ,सरोज चौधरी(रोह) संजय कुमार(नवादा) रजेन्द्र भारती(सिरदला)अरुण कुमार(नरहट) बाढ़ो चौधरी(रजौली) सुरेश चौधरी(अकबरपुर) नरेश चौधरी(गोविंदपुर) श्याम देव चौधरी(नारदीगंज)चंदन चौधरी(डोभरा पर ) धर्मेन्द्र चौधरी(सोहजाना) किशोरी चौधरी(भोला बीघा) मुंद्रिरका चौधरी को बनाया गया ।

अधिवेशन की तैयारी पर विचार विमर्श हेतू अगली बैठक चौधरी भवन (चौधरी नगर नवादा )मे दिनांक 31/12/2017 दिन रविवार को समय 11 बजे दिन मे होगा ! आप सभी आमंत्रित है ।

रिपोर्ट : निशान्त चौधरी ,नवादा

शिष्य ज्ञान साहब कर रहें है सन्त सुकई दास के विचारों का प्रचार

पासी समाज में जन्में महान समाज सुधारक “पेरियार सन्त सुकई दास परमहंस साहेब” के परम् शिष्य “सन्त ज्ञानदास साहेब” से आज इलाहाबाद में मिलना हुआ । उनसे सामाजिक रीतिरिवाजों से सम्बंधित कई मसलों पर चर्चा हुई।

सन्त जी समाज मे ब्याप्त ब्राह्मणवाद पाखण्डवाद को समूल नष्ट करने के तरीकों पर गंभीरता से अपना पक्ष रखा । सन्त ज्ञान दास साहेब का जन्म 21 मार्च 1944 में नई सड़क बाराबंकी में हुआ । 18 वर्ष की अल्पायु में ही आप सामाजिक परिवर्तन के नायक सन्त सुकई दास जी के शरण में आकर समाज सुधार में लग गए ।

आप अविवाहित रहकर दलितों – पिछड़ो के समाज मे ब्याप्त कुरूतियों तथा अंधविश्वास ,पाखण्ड के खिलाफ अभियान चला रहे हैं । इनके साथ अन्य कई सन्त अविवाहित रहकर आपमे गुरु सन्त सुकई दास के विचारों को समाज में फ़ैलाने के लिए प्रचार प्रसार कर रहे है।

पूर्व आईपीएस व लेखक रामप्रकाश सरोज से एक मुलाकात! पासी जाति की ‘सरोज’ टाइटिल है इनकी देन

दो दिन लखनऊ में रहा इस दौरान पासी समाज के दो बड़े महान ब्यक्तित्यों से मुलाकात हुई।

प्रथम मुलाकात : 1964 में पासी समाज के पहले आईपीएस बने राम प्रकाश सरोज (पूर्व एडीजीपी ) से मिलकर उनके द्वारा पासी समाज पर लिखी पुस्तकें प्राप्त किया ।

अनुभव में सरोज जी ने बताया कि सत्र 1997में मुझे ‘उत्तर प्रदेश पासी जागृत मण्डल ‘ ने एक सामाजिक कार्यक्रम में बोलने के लिए आमंत्रित किया था। जाने से पहले मैं पासी समाज के बारें पढ़कर जानकारी करना चाहा तो मुझे कोई किताब नही मिली ! तभी मेरे मन आया कि इस समाज के लिए लिखना चाहिए ।

क्योंकि इस बहादुर कौम का गौरवशाली इतिहास रहा है जिसे लेखनबद्ध नही किया गया ? लेखन में पासी समाज की उपेक्षा को उन्होंने भरने का पूरा प्रयास किया।

अब तक पासी समाज सहित 14 पुस्तकों का लेखन सरोज जी द्वारा किया जा चुका है । जिनमे से ” पासी समाज दर्पण, क्रांतिवीर मदारी पासी एवं एका आंदोलन, आज़ादी के दीवाने पासी , आरक्षण का सच एवं लोक सेवा में पासी , लोकतांत्रिक सत्त्ता ,पासी, अनुभव, पासी समाज के गौरव , हमारे प्रेरणा स्रोत , जीवन के अजब गजब रंग प्रमुख रूप में शामिल है।

“किसान का बेटा आईपीएस” के नाम से सरोज जी की आत्मकथा भी छपकर आ गई है। जिसे मुझे भेंट स्वरूप उन्होंने दिया।

जिसमे उन्होंने अपने जीवन के कथा -क्रम का बिस्तार से चर्चा किये मुझे अभी सारी किताबे पढ़ना है । इस दौरान साथी संजीव पुरूषार्थी , राजू पासी डॉ महेन्द्र , मोनू पासी को भी श्री सरोज जी ने अपनी लिखी पुस्तकें भेंट की । 82 वर्षीय सरोज जी चर्चा , परिचर्चा ज्ञान ,अनुभव प्राप्त कर बाहर निकलते ही मित्रों ने कहाँ सर तो समाज की धरोहर है । ख़ास बात यह है कि उत्तर प्रदेश में पासी जाति के लोग जो ‘सरोज’ टाइटिल का इस्तेमाल करते हैं। वह इन्ही के नाम पर लगाते हैं। आरपी सरोज जी पासी समाज के गौरव के रूप में देखे जाते हैं।

लेखक– अजय प्रकाश सरोज

द्वितीय मुलाकात : डॉ0 राम लाल राम (पूर्व एडीजीपी ) के साथ …”परिवर्तन की क़ूवत तो नेता में ही होती हैं” ……पोस्ट के लिए इंतजार कीजिये

बिहार के नवादा जिले में हुआ पासी सम्मेलन

अखिल भारतीय पासी समाज के तत्वाधान में नवादा ज़िले के हिसुआ प्रखंड में सम्मेलन का आयोजन हुआ । जिसकी अध्यक्षता हिसुआ वार्ड पार्षद अध्यक्ष कुन्ती देवी ने की ।

कार्यक्रम के उदघाटनकर्ता रजौली विधायक प्रकाश वीर ने की मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व बिहार विधान सभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में सिकन्दरा विधायक बन्टी चौधरी ने शिरकत की।

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ जिले के सभी जिला पार्षद, मुखिया ,सरपंच ,वार्ड पार्षद, पत्रकार एवं अन्य समाजसेवी को नीले रंग की पगड़ी और तलवार दे कर सम्मानित किया गया।

श्रीपासी सत्ता मासिक पत्रिका के सफल प्रतिनिधि के लिये निशान्त चौधरी को सम्मानित किया गया। आयोजक पत्रकार सुनील कुमार ,पत्रकार राजेश कुमार चौधरी, राजेश्वर कुमार, बिलटू चौधरी आदि लोगों सहित सैकड़ों पासी बिरादरी के बुद्धिजीवीगण भगीदार रहें।

पासी समाज मुंबई ने चैत्य भूमि पर बाबा साहब के अनुयाइयों कों कराया जलपान

भारतरत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण 6 दिसम्बर को चैत्यभूमि मुंबई में जन सैलाब आता है । बहुत से सरकारी और ग़ैर सरकारी संगठन आने वाले अनुयायीयों के लिए अपने अपने स्तर पर सुविधा प्रदान करते है । इस सामुदायिक शुभ कार्य मे मुंबई का पासी समाज भी पीछे नही रहता ।

5 तारीख़ की रात से लेकर सुबह तक “अखिल भारतीय पासी विकास मंडल” अनुयायीयों के लिए जलपान और सुविधा प्रदान करने के लिए उपस्थिति थे । तो 6 तारीख़ सुबह से शाम तक उसकी ही एक टीम रीचआउट कंट्रिवाइड पासी(RCP) टीम भी जलपान और सुविधा के लिए चैत्य भूमि में उपस्थित थे । RCP टीम द्वारा आयोजित कार्यक्रम की कूछ ख़ास बातें चर्चा करना चाहूँगा ।

– कार्यक्रम की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय स्तर के लेखक ,पत्रकार , बहुजन विचारक और डिवर्सिटी मैन के नाम से जाने वाले H L दूसाध और लखनऊ से आए भंते जी के हाथो हुआ ।दिल्ली से पधारी युवा और तेज़ तर्रार जर्नलिस्ट दीपाली तायड़े प्रोग्राम का ख़ास हिस्सा थी ।

हमने हमारे बैनर पर बहुंजन नायकों के साथ तीन फ़ोटो महाराजा बिजली पासी,लाखन पासी और उदा देवी पासी के फ़ोटो लगाए थे । बहुत से लोग , ग्रुप , मीडिया, शोधार्थी , समाज सेवी और विचारक स्टाल के पास आकर इनके बारे में जानकारी ले रहे थे । राजेश पासी ,रमेश चंद्र सरोज और सुधीर सरोज जी ने यथा सम्भव जानकारी उपलब्ध करवाई कूछ वेब्सायट ,किताबों और इतिहासकारों के सम्पर्क नम्बर दिए । ख़ास करके उदा देवी पासी से लोग काफ़ी प्रभावित दिखे ।

-हमारे सभी कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी अधिक रहती है ख़राब मौसम के बावजूद महिला साथियों का उत्साह कम न हुआ । स्टाल पर उनकी भागीदारी 50℅ थी दो में से एक स्टाल पूरी तरह से उनकी ही ज़िम्मेदारी थी ।

– यह प्रोग्राम पासी समाज के लिए नहि था बल्कि बाबा साहेब के अनुयायीयों के लिए था इसलिए पासी समाज के अलावा भी दूसरे साथियों ने भी हमारा हाथ बँटाया जिनमे ,संतोष शर्मा , अखिलेश जैसवार , अरविंद जाधव , विजय जैसवार , सुरेश जैसवार , ज्ञानदेव कोरी , बसंतलाल मौर्य , सुहास कांबले,सुरेश गौतम,दीनानाथ जैसवार,चंद्रप्रकाश गौतम,गुलज़ार हूसेन , लेफ़्टिनेंट कर्नल रामलोटन कोरी , अनिल गुप्ता और मंगेश क़दम प्रमुख थे ।

इस अवसर 4000 आधा लीटर पानी की बोतलें 500 पानी के ग्लास और 4500 गुड -डे बिस्कुट के पैकेट के साथ हम सेवा में हाजिर थे। यह कोई बहुत बढ़ी सहायता नहि है । पर एक छोटी सी कोशिश थी हमारी तरफ़ से भी । छोटी सी कोशिश है बाबा साहेब के विचारों के तले इकट्ठा होने वाले लोगों को थोड़ा सहयोग करना और देश भर के विचारकों और समाज सेवियों से जुड़ना । जो सामान विचार धारा के लिए प्रयासरत है ।

प्रत्येक वर्ष की भाँति इस साल भी हमारी सहयोगी संस्थाओं ने हमें सहयोग कर हौसला बढ़ाया। जिनमें राष्ट्रीय पासी समाज मुंबई ,पासी समाज कल्याण( मीरा भयंदर), राष्ट्रीय मासिक पत्रिका ‘श्रीपासी सत्ता ‘ का सहयोग व समर्थन हमें बल प्रदान करता है। बाबा साहब को मानने वालों के लिए हम थोड़ी सहायता कर पाते हैं यह हमारा सौभाग्य है। जय भीम,नमो बुद्धाय —RCP टीम मुम्बई

वे संविधान के निर्माता,वे आजादी के अग्रदूत

“जिसने स्वदेश की सेवा को ,जीवन में सर्वोपरि माना !

कंटकाकीर्ण दुर्गम पथ पर ,जिसने न कभी रुकना जाना!!

सम्पूर्ण समर्पित कर जिसने,की कभी मूल्य की चाह नहीं!

हो राष्ट्र सुखी इससे बढ़कर थी, जिसे कोई परवाह नहीं !!

वे संविधान के निर्माता,वे आजादी के अग्रदूत ! वे सत्यअहिंसा के पोषक,भारतमाता के तपोपूत!!

सद्भाव सदा सिखाने की,जिनमें थी यह अद्भुत क्षमता!

पद की लिप्सा से दूर सदा,सत्ता से जिन्हें न थी ममता!!

नैतिक मूल्यों के आराधक उनका जीवन था त्याग भरा!

पाकर जिनको थी धन्य हुई भारत की पावन वसुन्धरा!!

उनका जीवन प्रेरणामयी,देता है हम सबको प्रकाश!

उनके पद चिन्हों पर चलकर,भारत कर सकता है विकास!!

बाबा तुम थे वो महापुरुष,मरकर जो कभी न मर सकते !

श्रद्धा से बार बार हम सब,मिलकरके तुम्हें नमन करते !!”

——विनम्र श्रद्धांजलि .

अतिथि सम्पादक की क़लम से…

(रामयश विक्रम “प्रदीप”) 9918710118

होली के दिन गई थीं राजा डालदेव पासी की राजसत्ता , रानियों ने की थीं जौहर

राय बरेली के पासी राजा डालदेव का राज्य डलमऊ में था । ये चार भाई थे, डालदेव, बालदेव और ककोरन और राजा भावों । राजा डालदेव ने अपना राज्य चारों भाइयों में बांटकर एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की थी। इन तीनों का राज्य गंगा नदी तथा सई नदी के मध्य पूर्व में आरख ग्राम से लेकर पश्चिम में खीरों तक था।

राजा डालदेव का का किला लगभग 12 बीघे के क्षेत्र में था। इस किले के अंदर सैनिक छावनी थी। किला गंगा किनारे काफ़ी ऊंचाई पर था किले के चारों ओर 30 मीटर ऊंचाई पर गहरी खाई थी जिसे गंगा नदी के पवित्र जल से भरा जाता था।

यह किला अब टीले के रूप में है। बालदेव का किला सई नदी के किनारे था। राजा बालदेव ने ही राय बरेली नगर की नींव डाली थी और उसे बसाया था। इस राजा ने भरौली नाम के किले का निर्माण कराया था। कालांतर में भरौली शब्द बिगड़कर बरैली हो गया था।

राजा ककोरन जगतपुर से 12 किलोमीटर दूर डलमऊ तहसील के अंतर्गत सुदमानपुर में राजा ककोरन का किला था। इनके सबसे छोटे भाई राजा भावों ने राय बरेली से बीस किलोमीटर पूरब 200 मीटर लम्बा 200 मीटर चौड़ा मट्टी का किला बनवाया था । उन्होंने भर/ पासियों की एक बड़ी सेना तैयार की थी।

राजा डालदेव और इनके अन्य भाईयों के पासी राज्य की खुशहाली और संपन्नता जौनपुर के शासक इब्राहीम शाह शर्की 1402-1440 के साम्राज्य में एक काँटे की तरह थी इब्राहीम शाह ने डालदेव के राज्य पर आक्रमण कर दिया। डालदेव के भाई ककोरन ने सुदमानपुर में इब्राहीम से भीषण संघर्ष किया, लड़ते हुए ककोरन वीरगति को प्राप्त हुए।

इसके बाद इब्राहीम डलमऊ के राजा डाल देव पासी के ऊपर आक्रमण कर दिया ,वह बहुत पहले से योजना बना रहा था,लेकिन वो सफल नही हुआ । क्योकि उसकी सेना राजा की सशक्त सेना के सामने टिक नही पाती थी। वो हमेशा से मोके की तालाश मे रहता था।

इसी लिऐ उसने राजा के एक बघेल सरदार को लालच देकर उसने अपने तरफ मिला लिया। उस बघेल सरदार की गद्दारी से पूरा राज्या तहस महस हो गया। उसने नावाब को बताया हमले का सबसे अच्छा मौका होली के दिन रहेगा,क्योकि उस दिन पूरा राज घराना जश्न मे डूबा रहता है और सेना भी शराब के नशे मे लपरवाह रहती है फिर क्या था।

उस गद्दार बघेल ने रात को किले के पीछे का दरवाजा खोल दिया, और रात को हमला होने से पूरा प्रशासन हिल गया, उसने बूढो,बच्चो को भी नही बक्शा,धोखे से हुए हमले से सब तहस महस हो गया, राजा की हत्या कर दी गयी और जब वो जालिम राजा की रानियो क तरफ बढा, राजा की दोनो रानियो ने आग मे कूद कर जान दे दी लेकिन अपने उपर दाग नही लगने दिया ।

उन राजमाताओ को मेरा प्रणाम,,तब से आज तक सदियों के बाद भी उस ईलाके मे होली नही मनायी जाती। होली का पर्व एक सप्ताह बाद मनाया जाता है।

घूसघोर लेखपाल कर रहा है दलित उत्पीड़न

पीड़ित एडवोकेट राम खेलावन भारतीय व पुत्र पर उल्टे कराया मुकदमा । इलाहाबाद के सरायइनायत थाना अंतर्गत बहादुर गांव में जमीन का विवाद चल रहा है । जिसमे लेखपाल संतलाल सिंह एक पक्ष को सह देकर मामले को गम्भीर बना दिया।

2 दिसम्बर को लेखपाल के कहने पर वकील राम खेलावन अपने वकील पुत्र सन्तोष के साथ सुलह समझौता के लिए उक्त जमीन पर बुलाया । जिसमे उसकी सह पर विपक्षी राम मिलन , सूर्यभान आदि अपने परिवार के अन्य सदस्यों ने वकील पुत्र सन्तोष कुमार व अशोक कुमार तथा भाई राम मूर्ति को लाठी ,डंडे व सरिया से मार कर अधमरा कर दिया।

सूचना पाकर 100 न0 की पुलिस व 108 एम्बुलेंस घायल को बेली ले जाकर इलाज करवाया। जिसमे अशोक कुमार पुत्र राम खेलावन का हाथ टूट गया है। लेकिन पुलिस अभी तक विपक्षियों पर प्राथमिकी दर्ज नही की है। उल्टे घूसघोर संतलाल सिंह के झूठी कहानी पर वकील के खिलाफ भी सरकारी कार्य मे बाधा डालने सहित कई गम्भीर मामले में रिपोर्ट दर्ज करा कर दलित वकील परिवार को पुलिस द्वारा उत्पीड़न करवा रहा है।

राम खेलावन ने बताया कि कल शाम को सरायइनायत थाने की पुलिस मेरे घर पर जाकर भद्दी भद्दी गलियां दी, और मेरे परिवार का उत्पीड़न कर रही है।

इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की है । आज जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों के समझ मामले रखा जाएगा। इसके अलावा अनुसूचित जाति जनजाति उत्पीड़न निवारण व सशक्तिकरण केंद्र में भी शिकायत दर्ज कराई है।

मुंबई पासी समाज ने असम्भव को सम्भव कर दिखाया!


पूरे भारत देश में पासीयों की एक छवि बन गई है । गुस्सेल , बिगड़ैल , अहम से भरपूर , दूसरों की न सुनने वाला या दूसरों की छत्र छाया को न स्वीकार करने वाला ।

ज़ूरी मेंबेर्स जिनकी देख रेख में यह सभा सम्पन्न हुई

यही कारण है की भारत देश में तरिकबन सैकड़ों संगठन है । सभी अलग अलग कार्य कर रहे है कोई किसी की छत्र छाया में नही आना चाहता। कई उदाहरण दिए जाते है जैसे मेंढक को तौलना और पासी समाज को एक करना वैगरह वैगरह।
मुंबई में भी पिछले कुछ सालों से कई संगठन और ग्रुप बन गए थे । यह सभी अपने अपने तरीक़े से कार्य कर रहे थे । यह आवज कई बार आइ की अगर सभी मिलकर कार्य करें तो समाज के लिए और अच्छा कार्य हो सकता है और एक अच्छा संदेश भी जाएगा । पर जैसा कि पहले से ही अवधारणा बनी हुई थी की एक छत्र के नीचे कैसे आयें या कैसे पोस्सिबल है । पासियो के इतिहास में यह असम्भव है ।

इसलिए हमेशा की तरह कोशिशें कई बार हुई पर फिर वही रिज़ल्ट ज़ीरो ।

मुंबई की सबसे बड़ी संस्था एबीपीवीएम और संस्था के अध्यक्ष मिठाई लाल सहित मुंबई के सारी संस्थाओ के प्रति निधि एक साथ

पर इस बार मुंबई के युवाओं ने ठानी की नहि यह सब नहि चलेगा । सबको एक होना ही चाहिए । इसके लिए मुंबई पासी यूथ की एक टीम बनी जो तटस्थ थी किसी कि तरफ़ से नहि थी । इस यूथ टीम ने बीड़ा उठाया इस असम्भव से कार्य को सम्भव करने के लिए । मुंबई पासी समाज के कुछ वरिष्ठ और समाज में प्रभाव रखने वाले लोगों का सहयोग माँगा गया जो सहज ही मिल गया ।
मुंबई में मौजूदा सभी कार्यरत संस्थाओ और टीमों को आमंत्रित किया गया जिनमे –

अख़ील भारतीय पासी विकास मंडल ( रज़ी)

राष्ट्रीय पासी समाज ( रज़ी)

कल्याण पासी समाज 

रीचआउट कंट्री वाइड पासी (RCP)

मीरा – भायंदर  

की टीमें शामिल थी । इन सभी के प्रतिनिधियों को एक मंच पर बुलाया गया इस बात पर सहमत होने के लिए की कैसे मुंबई से पासी समाज की एकता का संदेश दिया जा सकता है । कैसे मुंबई के सभी लोग एक साथ मिलकर कार्य कर सकते है ।

मुंबई पासी समाज की इस सबसे बड़ी और ऐतिहासिक चर्चा में सभी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।जिस पर देश भर से लोगों कि नज़र थी ।
और फिर वह असम्भव कार्य सम्भव हो गया जिसकी सब को आशा थी ।रविवार 19 नोवंबर 2017 , रविवार को मुंबई पासी समाज ने एक मत में स्वीकार किया की अखिल भारतीय पासी विकास मंडल बहुत पुरानी और सम्मानिय संस्था है और प्रेज़ेंट के सभी लोग इस संस्था की छत्र छाया में कार्य करने को तैयार है।

मुंबई पासी यूथ टीम के चेहरे की ख़ुशी सफलता के बाद

सभी ने उस रोड मैप पर मोहर लगा दी की की हम अखिल भारतीय पासी विकास मंडल को सर्वोच्च संस्था मानते है और तय किए हुए रोड मैप पर चलकर उसकी छत्र छाया में कार्य करने को तैयार है ।

यह बहुत ऐतिहासिक क्षण था जो आने वाले समय में मुंबई पासी समाज कि दिशा और दशा बदल देगा । और यह निर्णय पूरे भारत देश के पासी समाज को बहुत बड़ा संदेश देगा जिससे आने वाले समय में पासी समाज को अच्छा संदेश मिलेगा । 

इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका रही मुंबई पासी यूथ टीम की और ज़ूरी मेम्बसर की जिन्होंने सफल तरीक़े से इसे सम्पन्न करवाया ।
हम आशा करते है कि ऐसी कोशिशें देश के दूसरे कोनो

में भी ऐसी कोशिशें शुरू होगी ।

पद्मावती पर एक जुबानी जंग

पद्मावती पर एक जुबानी जंग थरूर और सिंधिया में भी हो गई। सच सुनकर सिंधिया का भी राजपूत खून उबल पड़ा, और थरूर को इतिहास पढ़ने की नसीहत दे डाली । अब इतिहास के सच उतने ही हैं, जितने इतिहास हैं। हिन्दुओं ने इतिहास कभी लिखे नहीं।

इतिहास लेखन मुसलमानों ने शुरू किया है। उनके बाद अंग्रेजों ने शुरू किया । हिन्दुओं ने जो लिखा, वह इतिहास की लीपापोती है। हमारे शहर में भी हिन्दू युवा वाहिनियों ने अल्टीमेटम दे दिया है कि पद्मावती को सिनेमा हाल में नहीं लगने देंगे। अगर लगी तो आग लगा देंगे। कल किसी राजपूत ने कहा कि दीपिका पादुकोण की सूपनखा की तरह नाक काट देंगे।

मेरठ के एक राजपूत ने दीपिका और भंसाली के सिर काटकर लाने वाले को पांच करोड़ रुपये का ईनाम देने की घोषणा की है। जैसे पुष्यमित्र सुंग ने बौद्धों का सिर काटने के लिए ईनाम रखा था। लगता है कहीं पुष्यमित्र का शासन ही तो नहीं लौट आया।

असल में आग लगाने, नाक-कान काटने और सिर काटने का इन लोगों का पुराना अनुभव है। यह इस कृत्य में जल्लादों से कम नहीं हैं। गुजरात, कंधमाल, सहारनपुर,की घटनाएं इसे साबित भी करती हैं। आरएसएस और भाजपा से भी यही खेल अच्छे से खेलना आता है। इसी हिंसा का इनको बेहतर अनुभव भी है। सरकार चलाना इनके बस की बात नहीं है। क्योंकि यह काम इनसे आता ही नहीं है। इनसे जो आता है, वही ये कर रहे हैं और वही यह कर सकते हैं।। मेरी एक दो राजपूतों से बात हुई, जिनकी आन, बान और शान को पद्मावती फ़िल्म ने बट्टा लगा दिया है। मैंने पूछा, आप पद्मावती का विरोध क्यों कर रहे हैं। जी इसने राजपूत स्त्रियों को गलत ढंग से दिखाया है। क्या गलत ढंग से दिखाया है ।

इतिहास से छेड़छाड़ की है। इतिहास क्या है जी पद्मावती ने जौहर किया था। फ़िल्म में क्या दिखाया है। जी फ़िल्म लगने नहीं देंगे। यानी फ़िल्म लगी नहीं है, तो तुमने देखी भी नहीं है। हाँ। फिर बिना फ़िल्म देखे तुम्हें कैसे पता कि पद्मावती में क्या है। जी हमें तो विरोध करना ही है। क्यों यह ऊपर से आदेश मिला है। ऊपर से कहाँ से। हमारे नेताओं से। बस यही हो रहा है। जो महाशक्ति इस विरोध को हवा दे रही है, उसी के संकेत पर यह खत्म होगा। उस महाशक्ति को कौन नहीं जानता।