प्यार की कहानी 25 साल पहले 25 साल बाद

20 साल बाद आज मेरी मुलाकात रमेश से हुई 18 साल की उम्र में जो रमेश गांव का सबसे खूबसूरत लड़का था आज उसके बाल पक चुके हैं उसकी सुंदरता खत्म हो चुकी है उसने बताया बेटी की शादी हो चुकी है बेटा कालेज जा रहा है ।

मैंने पूछा रमेश आप सुमन से बहुत प्यार करते थे उसकी शादी के इतने वर्षों बाद क्या कभी उसकी याद आती है अचानक रमेश की आंखों में चमक और होंठों पर मुस्कुराहट आयी और फिर चली भी गयी ।
प्रायमरी स्कूल में जब मैने जाना स्टार्ट किया था उस समय रमेश शायद आठवीं में था वह गांव का सबसे ज्यादा खूबसूरत लड़का था गांव की बहुत सी लड़कियां और भाभियां उससे बातें करना पसंद करती थी ।

सुमन गांव के जमीदार की बेटी थी जमीदार ने सुमन को लड़कों से दूर रखने के लिए नही पढ़ाया
रमेश के स्कूल का रास्ता सुमन के घर के सामने से ही गुजरता था मुझे याद है रमेश अक्सर खाकी आफ पैंट और सफेद शर्ट पहनकर स्कूल जाता था सुमन अक्सर उसे दरवाजे पर खड़ी दिखती थी और रमेश को देखकर मुस्कुरा देती थी कुछ दिनो बाद दोनों में बात भी होने लगी और दोनों में धीरे धीरे प्यार हो गया पर वे भारतीय परम्परा के अनुसार प्यार को ढंककर नही रख सके और गाँव मे मसहूर हो गए ।

सुमन और रमेश ने लोगों से बचकर बात करने की अनोखी तरकीब खोजी थी गांव से बाहर रास्ते से थोड़ा हटकर एक आम का पेड़ था जिसकी डाल पर रमेश बैठ जाता और सुमन नीचे आकर खड़ी हो जाती थी और दोनों प्यार भरी बातें कर लेते दूर से देखने वाला यही समझता कि सुमन अकेली खड़ी है।

एक दिन सुमन कि भाभी ने अपने 5 साल के बेटे को उसे बुलाने भेजा बेटा सुमन के पास पहुंचा और बोला बुआ चलो ममी बुला रही है सुमन बोली चलो मैं आ रही हूँ लेकिन लड़का वहीं रुका रहा सुमन ने कई बार उसे जाने को कहा तो लड़का बोल पड़ा बुआ यहां कहीं रमेश हैं तभी तुम नही चल रही सुमन ने कहा नही यहाँ कोई नही है ब्च्चे ने कहा नही यहाँ पर रमेश कहीं जरूर छुपे हैं तभी रमेश ऊपर डाल से बोल पड़ा ऊपर देख , बच्चे ने ऊपर देखा और हा हा हा करते हुए घर की तरफ दौड़ पड़ा सुमन उसके पीछे दौड़ पड़ी ।

दो साल बाद सुमन की बारात आयी थी मैं भी वहाँ पर था रमेश अपने पिताजी की बंदूक लेकर बैठा था बाराती एक फायर करते तो रमेश दो फायर करता तब जमीदार ने उससे कहा बारात वालों कि बराबरी न करो । दूसरे दिन सुमन बिलखकर रोते हुए विदा हो गयी रमेश तन्हा रह गया ।

आज 20 वर्ष बाद रमेश ने बताया कि एक साल पहले सुमन अपनी बेटी के साथ गांव आयी थी और उसे देखकर आज भी वैसे ही मुस्कुराई तो उसकी बेटी बोली ममी क्या हुआ वह बोली कुछ नही
मैं रमेश कि यह बात सुनकर हंस पड़ा मैने कहा अच्छा किया तुझे मामा तो नही बुलवाया !

रमेश बातचीत में मुस्कुराया भी और आँसू भी छलके मैने कहा तुम और सुमन तो एक ही जाति के थे फिर भी शादी नही कर पाए उसने जवाब देने के बजाय मुझसे सवाल किया कि तुमने बर्फी फ़िल्म देखी है मैन कहा हां उसने कहा कितनी बार मैंने कहा एक बार वह बोला उसने दस बार देखा है उसने शायद जवाब दे दिया था तभी उसका मोबाइल बजा उसकी पत्नी ने फोन पर सब्जी के लिए उसे डांटा और जल्दी घर पहुंचने को कहा हम दोनों उठकर चल दिये वह बोला सुमन ने कभी भी मुझे नही डाटा था मैंने कहा शादी हो जाती तो वह भी डांटती रमेश कुछ नही बोला।
मैन सोचा रमेश और सुमन की शादी यदि हो जाती तो उनकी यादें शायद इतनी मधुर नही होती ।

– लेखक : दयाराम रावत

पदोन्नति में आरक्षण लागू कराने को महासभा के प्रतिनिधि मंडल ने की मुख्यसचिव से मुलाकात

माननीय सुप्रीम के दिनांक 05/06/2018 के आदेश व दिनांक 15/06/2018 के भारत सरकार के आदेश को तत्काल लागू कर अनुसूचित जाति/जन जाति के कर्मचारियों/अधिकारियों को प्रोनन्ति में आरक्षण देने के लिये डॉ0 आंबेडकर महासभा लखनऊ के प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री अनुप चन्द पाण्डेय से मुलाकात की और मांग पत्र देकर अबिलम्ब प्रोनन्ति में आरक्षण लागू करने की मांग की है ।

प्रतिनिधिमंडल में डा.कौलेश्वर प्रियदर्शी , सर्वेश पाटिल, विरेन्द्र विक्रम सुमन, श्रीमती बीना मौर्या,अमरनाथ प्रजापति शामिल रहे।

इस दौरान राज्यमंत्री डॉ0 लालजी प्रसाद निर्मल भी उपस्थित रहें।

मुख्यमंत्री से मिले ,हाथ से मैला उठाने वाले बाल्मीकि समाज के प्रतिनिधि

लखनऊ. 24 जून 2018. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने बाल्मीकि समाज के दो दर्जन से अधिक जनपदीय प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया है कि हाथ से मैला उठाने की प्रथा में लगे हुए, जिन परिवारों ने इसे छोड़ दिया है, उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरियों में सेवायोजित किया जाएगा। इनके सही आंकड़े जुटाने के लिए डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल को निर्देश दिए हैं।

गौरतलब है कि पूरे प्रदेश में अभी भी हजारों परिवार हाथ से मैला उठाने के कार्यों में लिप्त हैं। इस मुद्दे को काफी समय से आंबेडकर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल उठाते रहे हैं। इसी क्रम में रविवार को मुख्यमंत्री के आमंत्रण पर दो दर्जन से अधिक प्रतिनिधियों ने मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि पूरे प्रदेश के बाल्मीकि मंदिरों का सुद्रढ़ीकरण करवाया जाएगा। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत प्राथमिकता के तहत बाल्मीकि समाज के लोगों को शहरी और ग्रामीण इलाके में आवास एवं शौचालय दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि बाल्मीकि समाज के लोग बच्चों को स्कूल भेजें, यदि किसी तरह की कठिनाई होगी तो उनके लिए अलग से पठन-पाठन की व्यवस्था की जाएगी।

अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को वर्ष 2015-16 में सिर्फ 14 लाख बच्चों को छात्रवृत्ति एवं प्रतिपूर्ति दी जाती थी, राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर 21 लाख कर दिया है। और इसे दो लाख और बढ़ाकर 23 लाख किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश के श्रम कार्यालयों में बाल्मीकि समाज के प्रत्येक श्रमिक का पंजीकरण करवाएं एवं असुविधा होने पर मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत करवाएं।

इस दौरान मुख्यमंत्री को चार सूत्री मांगपत्र भी सौंपा गया। इसमें प्रत्येक शहर के नगर निगम में इन्हें व्यवसाय करने हेतु दुकान आवंटित करते हुए टी स्टॉल, सरकारी स्तर पर भीम भोजनालय- 15 रुपए प्रति थाली के मूल्य पर सुलभ कराई जाए, जिसका प्रबंधन बाल्मीकि एवं समकक्ष समाज को दिया जाए। हाथ से मैला उठाने के कार्य में लगे हुए, जो परिवार इस पेशे से मुक्त हुए हैं। उन परिवारों के एक-एक व्यक्ति को आउट सोर्सिंग की नौकरियों में स्थापित किया जाए। बाल्मीकि समाज में व्यापक शिक्षा के प्रचार-प्रसार हेतु बिहार राज्य की तर्ज पर इनकी बस्तियों में संध्यकालीन कक्षाएं चलाने हेतु टोली/शिक्षा नायक की नियुक्ति की जाए। हाथ से मैला उठाने की प्रथा पर एक वर्ष की अवधि के भीतर पूर्णतः रोक लगा दी जाए।

मुख्यमंत्री से मिलने वालों में डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल, राजेश कुमार विद्यार्थी, राजू प्रधान, अरविंद लाल, मोना भारती, अमित तिसावर, चंदन रावत, प्रेम सुधा, डॉ. कौलेश्वर प्रियदर्शी, पीएल भारती, बृजेश कुमार बाल्मीकि, विक्रम सुमन, सुबोध कुमार, भग्गूलाल बाल्मीकि, योगेंद्र कुमार परिहार, मुरारी लाल भाष्कर, करन संतोषी, विजय कुमार, ऋषि कुमार, राजेश कुमार, विशाल बाल्मीकि और अनिल कुमार शामिल रहे।

संविधान बचाओ देश बचाओ रैली कर उदयनारायण चौधरी ने दिखाई ताक़त

बिहार पटना (24जून):-आज बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में वंचित वर्ग मोर्चा के तत्वाधान में संविधान बचाओ ,देश बचाओ रैली का सफलतापूर्वक समापन हुआ । कार्यक्रम बिहार के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदयनारायण चौधरी के अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ । कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर के पौत्र प्रकाश अम्बेडकर जी और विशिष्ट अतिथि के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ रतन लाल, जस्टिस सुहैल अहमद सिद्दीकी ,मुख्य अतिथि के तौर पर आखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मो.ख़लीलुर सज्जाद रहमान नोमानी मंच पर उपस्थित थे । इस कार्यक्रम में बिहार के लगभग सभी जिलों से हजारों लोग उपस्थित थे ।

इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किये । अर्जक संघ के बिहार प्रदेश अध्य्क्ष अरुण गुप्ता ने हिन्दू धर्म मे व्याप्त अंधविश्वास, जातिगत भेदभाव पर करारा चोट किया, वही प्रोफेसर डॉ रतन लाल ने अपने संबोधन ने लोगो से दंगे में शामिल न होने का शपथ कराया , उद्घाटनकर्ता प्रकाश अम्बेडकर ने संबिधान को बचाने की लड़ाई लड़ने पर जोर दिया , अध्यक्षता कर रहे उदयनारायण चौधरी ने वंचितो की अनेकों समस्याओ उनके निवारण और दलित उत्पीड़न की घटनाओं पर प्रकाश डाला ।

इस कार्यक्रम में विभिन्न मांगों का एक मांग पत्र में अंकित सभी मांगो को वहाँ उपस्थित लोगों को पढ़ कर सुनाया गया और सबने इस मांग के समर्थन में एक स्वर में सहमति प्रदान की

वंचित वर्ग मोर्चा का मांग पत्र

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से अर्जक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरुण गुप्ता, संजय बाल्मीकि, पटना फुलवारीशरीफ के जिला पार्षद सदस्य राजा चौधरी, राजगीर के पथरौरा पंचायत के मुखिया अनुज चौधरी, रेखा चौधरी , आखिल भारतीय युवा पासी समाज के बिहार प्रदेश प्रधान महासचिव निशांत चौधरी, पासी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी , जगदीश चौधरी , देव कुमार चौधरी , चन्दन चौधरी , सागर चौधरी , अमित कुमार , नवादा के सामाजिक कार्यकर्ता मसीहुद्दीन , नवादा अम्बेडकर छात्रवास के छात्रनायक विजय चौधरी , झारखण्ड भीम आर्मी प्रभारी तुषार राज , आदि उपस्थित थे ।

दौलत के बारूद पर बैठकर दलित राजनीति नहीं की जा सकती-डॉ0 लालजी निर्मल

●दलितों ने जो शब्द अपनाया वो सब अपमानजनक हो गए

गोविंद वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान में ’21वीं सदी में दलित राजनीति एवं चुनौतियां’ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के मुख्य वक्ता डॉक्टर लाल जी प्रसाद निर्मल, राज्यमंत्री/ अध्यक्ष अनुसूचित जाति/जनजाति वित्त एवं विकास निगम लि. उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय अध्यक्ष, डॉ. अम्बेडकर महासभा लखनऊ,ने अपने संबोधन में दलित शब्द के प्रयोग पर कहा कि दोष शब्दों का नहीं सोच का है।जो जाति पहले अस्पृश्य थी उसके साथ कोई भी शब्द इस्तेमाल किया जाता है तो वो अपमानजनक हो जाता है।

उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के दलित समाज के लोगों ने सम्मान की चाहत में अपने नाम के आगे और पीछे ‘राम’ लगाया फिर भी समाज से उन्हें उपेक्षा ही मिली। उन्होंने कहा कि दलित केवल वोट बैंक बन कर रह गया है।
साथ ही उन्होंने दलित एकता की बात भी की। अपने संबोधन के दौरान इस बात का भी जिक्र किया कि दौलत के बारूद पर बैठकर दलित राजनीति नहीं की जा सकती।उन्होंने यह भी कहा कि “यदि मैं मुख्यमंत्री होता तो शपथ के पहले दिन से यह सर्वे कराता कि 70 सालों में दलितों को घर क्यों नहीं मिला? जिसे भी घर और जमीन नहीं मिली है, मैं सुनिश्चित करता कि उसे ये सारी सुविधाएं मिलें।

उन्होंने दलितों के लिए चलायी जा रही स्वरोजगार योजना का भी जिक्र किया. जिसमें 20 हजार से 15 लाख तक की राशि दी जाती है. उन्होंने कहा कि इसका लाभ दलितों को लेना चाहिए। उन्होंने कहा “सबको आरक्षण से समृद्ध नहीं बनाया जा सकता. उससे केवल मुठ्ठी भर लोगों का कल्याण हो सकता है।इसलिए दलितों को स्वरोजगार की तरफ भी ध्यान देना चाहिए।

सेमिनार के मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.एन. सिंह ने भौगोलिक दशाओं पर बात करते हुए प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में भारत के समृद्ध होने का जिक्र किया। उन्होंने भारत के सभी क्षेत्रों में अच्छे लोगों के अभाव का उल्लेख किया. साथ ही कहा कि कुशल व्यक्ति का निर्माण सत्ता द्वारा नहीं होता।यह समाज के प्रयासों से निर्मित होता है। उन्होंने समाज, परिवार और स्वयंसेवकों की भूमिका और कार्यशैली पर विस्तार से बात की।

सेमिनार को पूर्व मंत्री रामानंद भारती ने भी संबोधित किया. उन्होंने चुनौतियों के समाधान पर जोर दिया. साथ ही ‘दलित’ शब्द के प्रयोग करने पर अपना विरोध दर्ज कराया।उन्होंने यह भी कहा कि सबसे बड़ी समस्या दलितों का एक साथ न बैठना है।
सेमिनार को अन्य लोगों ने भी संबोधित किया और डॉ. अम्बेडकर के आदर्शों पर चलने पर जोर दिया।

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे अजय प्रकाश सरोज ने अपने वक्तव्य में कहा कि दलित नौजवानों को अपना कौशल विकास कर रोजगार और उद्यमिता के क्षेत्र में जाना चाहिए.उन्होंने यह भी कहा कि दलित राजनीति में उपेक्षा का शिकार हो रही जातियों को एकजुट कर वैकल्पिक दलित राजनीति को मजबूत करें और डॉ. अम्बेडकर के सपनों का भारत बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान करें.कार्यक्रम का आयोजन डॉ. अम्बेडकर महासभा लखनऊ के घटक ‘अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न निवारण एवं सशक्तिकरण केंद्र’ द्वारा किया गया।

इस अवसर में माननीय कुलपति तथा माननीय राज्यमंत्री डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने पूर्व राज्यमंत्री श्री रामानंद भारती एवं ‘चक हरिहर वन’ गाँव के तीन दशक से अजेय प्रधान श्री शीतला प्रसाद जी को समाज और राजनीति में इनके विशिष्ट कार्यों के लिए ‘विशिष्ट सेवा सम्मान’ देकर सम्मानित किया।

इसी कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के. एन. सिंह और राज्यमंत्री माननीय लाल जी प्रसाद निर्मल ने संयुक्त रूप से संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे श्री अजय प्रकाश सरोज को सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने के लिए ‘उत्कृष्ट सेवा सम्मान’ से सम्मानित किया ।

साथ ही सेमिनार में सक्रिय भागीदारी और सामाजिक, राजनीतिक और अकादमिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम करने के लिए जी.बी. पन्त सामाजिक विज्ञान संस्थान की पीएच.डी. स्कॉलर संजू सरोज के साथ अलग-अलग क्षेत्र में काम करने के लिए असिस्टेंट प्रो. धर्मेन्द्र भारतीय, ज्योति भारती, डॉ. हमेन्द्र वर्मा, डॉ. सुधा, नीरज पासी, संजीव पुरुषार्थी, सुनील कुमार, डॉ. यशवंत. मनोज कुमार, कार्यक्रम संचालक रामयश विक्रम, साक्षी सिंह, रामसुचित भारती, अरुण कुमार आदि को ‘सम्मान पत्र’ देकर सम्मानित किया गया।

संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन डॉ. कौलेश्वर प्रियदर्शी ने किया. सबका धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम का समापन श्री अजय प्रकाश सरोज ने किया.

प्रस्तुति : संजू सरोज

यूपी विधानसभा अध्यक्ष ने अजय प्रकाश सरोज को किया सम्मानित

पत्रिका स्टॉप ,इलाहाबाद । एससी एसटी उत्पीड़न निवारण एंव सशकितकरण केंद्र के जिला प्रभारी व दलित उत्पीड़न पर मुखर रूप से आवाज़ उठाने वालें झूँसी त्रिवेनिपुरम निवासी अजय प्रकाश सरोज को उत्तर प्रदेश के विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित जी ने “महाराजा बिजली पासी अवार्ड “से सम्मानित किया।

अजय प्रकाश सरोज नेहरू ग्राम भारती विश्विद्यालय से पत्रकारिता के शोधार्थी है, और पासी समाज के लिए श्रीपासी सत्ता पत्रिका का संपादन करते है।

18 जून को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के यशपाल सभागार लखनऊ में इतिहासकार राजकुमार पासी की नवीनतम कृति “बिजली पासी की ऐतिहासिकता” का लोकार्पण के अवसर पत्रकारिता सहित सामाजिक सरोकारों में सहभागिता के लिए माननीय विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने बाराबंकी विधायक श्री बैजनाथ रावत , उन्नाव जनपद के मोहन विधानसभा के विधायक बृजेश रावत , इतिहासकार राजकुमार व समाज के अन्य विशिष्ट ब्यक्तित्वों के समक्ष विभिन्न क्षेत्रों के काम करने वाले विशिष्ट लोगो को सम्मानित किया। जिसमे अजय को वंचितों के लिए पत्रकारिता करने व उनके हक़ में आवाज़ उठाने के लिए सम्मानित किया गया।

“पुरस्कार व सम्मान से उपलब्धियां बढती है । महाराजा विजली पासी अवार्ड का सम्मान मुझे ऊर्जा से भरने वाला है। कार्यक्रम के आयोजक डॉ0 यशवंत सिंह सहित सभी अग्रजों को सादर आभार व धन्यवाद “- अजय प्रकाश सरोज, संपादक ,श्रीपासी सत्ता पत्रिका

आरके सरोज की रचित जागृतिवाणी काब्य संग्रह का लोकार्पण

श्री आर 0के0सरोज” अर्जुन सागर” प्रतापगढ़ी की जागृति वाणी एवं सरस्वती प्रसाद रावत की काव्य प्रबोधिनी काव्य कृतियां आज उनको साहित्यकार के रूप में स्थापित कर गईं।दोनो काव्य कृतियों के विमोचन एवं लोकार्पण के अवसर पर लखनऊ के नामचीन साहित्यकारों की उपस्थिति एवम उनका समीक्षात्मक उदबोधन, तत्पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित सभी साहित्यकारों का सम्मान कार्यक्रम को चार चांद लगा गया।कवि सम्मेलनों के संचालन के भीष्मपितामह अगीत विधा के शशक्त हस्ताक्षर पंडित रंगनाथ मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित हुआ ।

इसभव्य कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व पुलिस महानिदेशक महेश चंद द्विवेदी जी, साहित्यकार डॉ अजय प्रसून जी, ओम नीरव जी, गोबर गणेश जी अशोक अनहद जी डॉ अशोक अज्ञानी जी, डॉ रामबहादुर मिश्र जी सहित भारी संख्या में सुप्रसिद्ध साहित्यकार उपस्थित रहे।मुझे भी साहित्यकार/कवि के रूप में सम्मानित किया गया। गौरव एवं आनंद के कुछ यादगार लम्हे।

_रामयश विक्रम

गूंगी ,बहरी, अनाथ व नाबालिग बलात्कार पीड़िता गर्भवती

15 साल की यह नाबालिग गूंगी ,बहरी पासी लड़की ,गांव अरवासी थाना फूलपुर इलाहाबाद की है। यह न तो बोल सकती है और न ही सुन सकती है।

इसके गांव के ही राजू गोंड़ जिसकी उम्र 45 साल है, ने अपनी हवस का शिकार बनाया है। उसके कुकृत्यों से अब इसके पेट मे राजू गोंड़ का 7 माह का बच्चा है ।

लड़की अनाथ है। इसका एक भाई है वह भी गूंगा है। पेट पालने के लिए गांव के ही एक ठाकुर के घर यह लड़की काम करती थीं । जहाँ राजू का आना जाना था। मौका पाकर उसने इस बच्ची का शिकार किया ।

जानकारी के मुताबित पास पड़ोस एवं गांव के लोगों ने जब पूछा तो उसने नाम लिखकर बताया कि राजू गोंड़ ने ही मेरे साथ क्या काम किया है । मुझे डराया धमकाया था इसलिए मैं किसी को कुछ नहीं बताई ।न्यायप्रिय लोगों ने थाने में गुहार लगाई तो फूलपुर का थानेदार डांटकर भगा दिया और कहा कि जाओ समझौता कर लो ।

अब नाबालिग विकलांग लड़की के पास जिंदगी भर इस कलंक को धोने का कोई उपाय नहीं बचा है। इसका कसूर क्या पासी होना है या विकलांग होना ?या फिर अनाथ व गरीब होना है।

सवाल बड़े बड़े है लेकिन क्या इस लड़की को न्याय मिल पायेगा ?

राष्ट्रीय भागीदारी मिशन का बढ़ता कारवाँ, सीतापुर जनपद की कमेटी गठित

आज दिनांक 14 जून 2018 को सीतापुर जनपद में राष्ट्रीय भागीदारी मिशन के तत्वाधान में एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में संगठन के मुख्य संयोजक सुशील पासी जी मौजूद रहे । बैठक का आयोजन मा. इंद्रपाल राजवंशी जी के द्वारा किया गया।

संगठन के प्रभारी सुरेंद्र मौर्य ने सीतापुर जनपद की कमेटी गठित कर उसकी घोषणा की , जिसमें सीतापुर जनपद के जिला प्रभारी के रूप में श्री चंद्रिका प्रसाद जी को तथा जिलाध्यक्ष के पद पर प्रवीण राजवंशी जी को नियुक्त किया गया।

इस मौके पर श्री राम जी, रामहेत वर्मा जी, जयपाल यादव जी, रमेश प्रजापति जी, हवलदार जगदीश प्रसाद भार्गव जी, डॉ नसीम, आदि बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

तमाम कानूनों के बावजूद नही रुका बाल मजदूरी, विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर विशेष

12 जून आज विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है और इस दिन तमाम सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा बच्चों से काम न कराये जाने का संकल्प लिया जाता है और इस सम्बन्ध में राज्य और केंद्र में बैठे लोगों पीएम , सीएम और मंत्रियों द्वारा मीडिया (प्रिंट ,इलेक्ट्रॉनिक व सोशल) के माध्यम से कुछ आकर्षक सन्देश दे दिया जाता है , भारत मे बाल श्रम रोकने को लेकर तमाम कानून बनाये गए बावजूद इसके बाल श्रम में कोई कमी नही आई , भारत और बिहार में बाल मजदूरी की हकीकत क्या है आइये जानते है ।

देश के कुल बाल मजदूरों में 11 फीसद केवल बिहार में

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के 2011 के एक रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में बाल श्रमिकों की संख्या सबसे अधिक है और इस मामले में भारत शीर्ष पर है और अगर बात बिहार की की जाए तो भारत के कुल बाल मजदूरों में से करीब 11 फीसदी अकेले बिहार में हैं। यह आंकड़ा चाइल्ड राइट्स ऐंड यू (CRY) ने दिए हैं। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 5 साल से 14 साल के बीच के करीब 40 फीसद बाल मजदूर ऐसे हैं जो कि अपना नाम तक नहीं लिख सकते हैं।
2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में 5 साल से 14 साल की उम्र के बीच के करीब 65 लाख बच्चे खेती और घरेलू कामों में मजदूरी कर रहे हैं। इस आयु वर्ग के बाल मजदूरों की तादाद कुल बाल मजदूरों का 64.1 फीसद है। सूत्र ने बताया, ‘प्रदेश स्तर पर मिले आंकड़े बताते हैं कि बिहार में काम करने वाले 61 फीसद बच्चे या तो कृषि क्षेत्र में मजदूरी करते हैं या फिर घरेलू कामों में उनसे मजदूरी कराई जाती है।’

जहा तक बच्चों के बीच निरक्षरता का सवाल है, तो पूर्णिया, कटिहार और मधेपुरा जिलों में इसका अनुपात 46 फीसद है। इसके बाद 44 फीसद की तादाद के साथ सीतामढ़ी और बांका का नंबर आता है। आंकड़ों के मुताबिक सीवान, भोजपुर, बक्सर और रोहतास 30 फीसद के साथ कुछ बेहतर स्थिति में हैं।

बाल श्रम गरीबी, आर्थिक-प्रवंचना एवं अशिक्षा का परिणाम

बाल श्रम मूलतः गरीबी, आर्थिक-प्रवंचना एवं अशिक्षा का परिणाम है। ऐसा भी कहा जाता है कि यह खंडित श्रम बाजारों एवं कमजोर स्तर के श्रम सशक्तिकरण का प्रतिफलन है। गरीबी बाल श्रम को जन्म देती है क्योंकि गरीब परिवार किसी भी संभव तरीके से जीने के लिए संघर्षरत रहते हैं। परन्तु यह भी समान रूप से सत्य है कि बाल-श्रम गरीबी को स्थायी बनाता है। बच्चे विनाशकारी/विकृत, पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाली शोषण व्यवस्था एवं गरीबी के दुष्चक्र के शिकार हो जाते हैं। भेदभाव, सामाजिक सुरक्षा की कमजोर एवं अक्षम व्यवस्था एवं गुणात्मक शिक्षा के अभाव में बच्चों के समक्ष कार्य करने के अलावा अन्य कोई बेहतर विकल्प नहीं रह जाता है। कामकाजी बच्चों के प्रति माता-पिता एवं समुदाय की मनोवृति के साथ-साथ इस अमानुषिक अस्तित्व से मुक्ति के साधन के रूप में शिक्षा के महत्व को नहीं समझने की सोच का भी बाल श्रम एवं कामकाजी बच्चों की बढ़ रही संख्या में योगदान है।