आज़ादी के बाद 1952 तक पासियों पर लगे जरायम पेशा एक्ट को हटवाने के लिए पासी समाज के बौद्धिक चिन्तको ने कमर कस ली थीं। उस दौरान समाज मे सबसे ज्यादा पढ़े लिखें और अपने समय के काबिल ब्यक्तियों में से एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्रद्धेय स्व. पन्ना लाल ,जो फैजाबाद से लोकसभा के सदस्य थें। जिनके सामुहिक योगदान से पासी समाज की आज की पीढ़ी में थोड़ा बहुत सुधार दिखाई पड़ता है।
जन्म और शिक्षा –
श्री पन्ना लाल जी का जन्म 21 जनवरी 1921 में जनपद फैज़ाबाद/ अवध के ग्राम सहादतगंज बरही के पुरवा में हुआ था। पन्ना लाल बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थें। अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद आप इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए ,एलएलबी और 1946 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विधि में परास्नातक (L.L.M) की उपाधि ली थीं।
नौकरी करते देख नेहरू नें लगाई फ़टकार-
शिक्षा प्राप्ति के बाद सरकार ने बलिया जिले में इन्हें सीधे रोजगार अधिकारी के पद पर नियुक्त कर दिया । एक बार प्रधानमंत्री रहते हुए अचानक नेहरू जी का दौरा जनपद बलिया में हुआ तो मुलाकात के दौरान नेहरू जी ने पन्ना लाल पर भड़के बोले कि ‘तुम इतने क्वालीफाइड आदमी हो और तुम अफसरी कर रहें हो ? चलो तुमको नेता बनाते है । फिर क्या था 1952 के आम चुनाव में पन्ना लाल जी कांग्रेस के टिकट पर फैज़ाबाद सें सांसद हो गए।
पासी महासभा के अध्यक्ष –
इसके बाद 1952 से 1971 तक में श्री पन्ना लाल जी अखिल भारतीय पासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाते रहें और इसके साथ ही लगातार 1967 तक लोकसभा के सदस्य रहें। उन्होंने बाल विवाह, विधवा विवाह एवं अन्य सामाजिक कुरूतियों के ख़िलाफ़ भी मुखर आवाज उठाते रहें । ग़रीबी उन्मूलन , जमींदारी ब्यवस्था की समाप्ति पर सामन्तवादी शक्तियों से लड़ते रहें । श्री पन्ना लाल जी के तेज तर्रार बौद्धिक तेवर की वजह सें प्रदेश के बड़े बड़े नेता उनका सम्मान करते थें । पासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने से उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहें चन्द्र भान गुप्ता इन्हें प्यार से ” पासियों का सरदार” कहा करते थें ।
पासी जाति को जरायम पेशा एक्ट से मुक्ति-
श्री पन्ना लाल जी अपने 5 -7 सांसद साथियों के साथ पासियों पर लगे क्रिमिनल ट्राइब एक्ट को हटवाने के लिए नेहरू मन्त्रिमण्डल पर लगातार दबाव बनाने का काम किया। इनमें प्रमुख रूप से इलाहाबाद से महाशय मसूरियादीन, गोरखपुर के महादेव प्रसाद ,बिहार के जगलाल चौधरी व अन्य संसद मित्रो के साथ सामूहिक रूप से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर दबाव बनाया । और पासी समाज को जरायम पेशा एक्ट से मुक्ति दिलाई।
गाँधी जन्म शताब्दी समारोह के अध्यक्ष –
सत्र 1969 में जब कांग्रेस सरकार द्वारा महात्मा गाँधी जी का जन्म शताब्दी पूरे देश में मनाया तब श्री पन्ना लाल जी को जन्म शताब्दी समारोह का अध्यक्ष नियुक्त किया गया । इसके तुरंत बाद ही इनकी योग्यता से प्रभावित उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल ने इन्हें उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग इलाहाबाद का सदस्य बना दिया । आयोग के सदस्य रहते ही 12 फरवरी 1971 को पासी समाज के मुक्तिदाता श्री पन्ना लाल जी का परिनिर्वाण हो गया।
इतिहास के आइने में पासी जाति –
पासी समाज एक ऐसी जाति है जिनके इतिहास पर नज़र डालें तो सिर्फ़ दर्द ही दर्द रहा हैं। इस जाति का जीवन हमेशा संघर्षों के सायें में रहा है। स्वाभिमान और वफ़ादारी में मामले में इनके जैसा दूसरी कोई भी कौम नही ठहरता । लेकिन इसकी कीमत इन्होंने अपना राजपाठ गवांकर चुकाई हैं । उत्तर प्रदेश तब के अवध प्रांत पर 12वीं शदी तक इनका राजपाठ हुआ करता था। लेकिन कालांतर में स्थानीय शासकों की गद्दारी और बढ़ते मुगल सम्राज्य से समझौता न करने के कारण इनकी स्थिति खराब हो गई।
अंग्रेजों ने लगाया था जरायम पेशा एक्ट —
पासी समाज ही एक ऐसी कौम रहीं है जिसने अंग्रेजों से कभी भी समझौता नही किया। वरना यह भी ज़मीदार होता ? अंग्रेजी हुकूमत आने के बाद इन पर 1871 में क्रिमिनल ट्राइब एक्ट लगा दिया। इस एक्ट ने पासी समाज की कमर तोड़ दी ।एक यह दमनकारी और भंयकर कानून था । जिसे पासी समाज के महापुरुषों ने सत्र 1952 में आज़ादी दिलाई । जिनमें श्री पन्ना लाल जी जी भूमिका प्रमुख रूप से रही । पासी समाज इन्हें ऋण को कभी चुका नही सकता । पासी समाज के इतिहास के पन्नो पर श्री पन्ना लाल जी का नाम अमर रहेगा ।
लेखक : अजय प्रकाश सरोज (संपादक ,श्रीपासी सत्ता पत्रिका ) mob. 9838703961