पूना भीमा कोरेगाव दलित हमलो के खिलाफ बिहार के शिवहर में अम्बेडकर विचार मंच ने निकाला प्रतिरोध मार्च और किया धरना प्रदर्शन !

बिहार (शिवहर ):- पुणे भीमा कोरेगाव दलितों पर मनुवादी और हिंदूवादी विचारधारा वाले संगठनों के सदस्यों द्वारा किये गये हमले और पत्थरबाजी को लेकर देश भर के दलित और बहुजन संगठनो में रोष है , अभी प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार राज्य के शिवहर में  पुणे भीमा कोरेगाव दलित हमलो वाली घटना के विरोध में अम्बेडकर विचार मंच द्वारा प्रतिरोध मार्च और धरना प्रदर्शन किया गया

आज बिहार के शिवहर में अम्बेडकर विचार मंच के संयोजक नथुनी चौधरी मूर्तिकार के नेतृत्व में महाराष्ट्र पुणे के भीमा कोरेगाव दलित हमलो के विरोध में  एकदिवसीय धरना प्रदर्शन और प्रतिरोध मार्च का आयोजन किया गया ,ये प्रतिरोध मार्च नथुनी चौधरी मूर्तिकार के नेतृत्व में शिवहर प्रखंड से विरोध मार्च करते हुए गुदरी बाजार , जिरोमाइल होते हुए जिला मुख्यालय पर समाहरणालय के सामने धरना प्रदर्शन में तबदिल हो गया , तथा जिलाधिकारी के बुलावे पर नथुनी चौधरी मूर्तिकार के नेतृत्व में एक प्र्तिनिधि मंडल जिलाधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर उन्हें अपना मांग पत्र भी सौपा जिसमे इस हिंसा की घटना की उच्चस्तरीय जांच करने , हिंसा भड़काने के मुख्य आरोपियों शम्भा जी भिड़े और मिलिंद एकवोटे को तत्काल गिरफ्तार किये जाने की मांग के साथ और भी अन्य मांगे रखी गयी थी

नथुनी चौधरी मूर्तिकार ने सभा को संबोधित करते हुए कहा की देश में पिछले 3-4 सालो से दलितों पे हमलो की संख्या में इजाफा हुआ है अगर दलितों पर हमले होना बंद नही हुआ तो जनक्रांति होंगी .मौके पर सैकड़ो दलित बहुजन लोग  महिला और पुरुष मौजूद थे  |

महाराष्ट्र पुणे के भीमा कोरेगाव दलित हमलो के विरोध में भीम आर्मी बिहार के सीतामढ़ी जिला इकाई ने आरएसएस ,बीजेपी और सीएम फणनवीस का पुतला फूंका और प्रदर्शन किया !

बिहार (सीतामढ़ी ) :- महाराष्ट्र के पुणा भीमा कोरेगाव में शौर्य दिवस के २०० साल पुरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे दलितों पर हिंदूवादी संगठनों द्वारा किये गये हमलो को लेकर पुरे देश के दलित और बहुजनो में रोष है , एक ओर जहा पुरे देश के दलित संगठन इस हमले का विरोध दर्ज कराने के लिए जगह जगह धरना प्रदर्शन और पुतला दहन कर रहे है , वही इस मामले में क्रांति और परिवर्तन की धरती बिहार भी बहुत आगे है अभी हाल में ही भीम आर्मी बिहार की प्रदेश कमिटी द्वारा अमर आजाद के नेतृत्व में पटना के कारगिल चौक पर महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फणनवीस का पुतला दहन किया गया था ,

विशेष बाते :-

  • कार्यक्रम में शामिल लोगो ने महाराष्ट्र के बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की जब शासन और प्रशासन को भीमा कोरेगाव में भीड़ जुटने और हमला होने की आशंका के बारे में पहले से ही पता था तो सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था क्यों नही करायी गयी 
  • वही पुना भीमा कोरेगाव हिंसा के मुख्य आरोपी शम्भा जी भिड़े और मिलिंद एकबोटे को अबतक गिरफ्तार क्यों नही किया गया ,
  • दलितों पर हुए हमलो में मुख्य रूप से आरएसएस , शम्भा जी भिड़े का संगठन , और मिलिंद एकवोटे का संगठन हिन्दू एकता मंच का हाथ है , ये सब बाते वहां पर उपस्थित लोगो ने कही

 

आज मिली जानकारी के अनुसार बिहार के सीतामढ़ी जिले में भीम आर्मी बिहार के सीतामढ़ी जिला इकाई द्वारा अम्बेडकर  कल्याण छात्रावास के छात्रो की उपस्थिति में सीतामढ़ी के कारगिल चौक पर महाराष्ट्र के बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस  सहित आरएसएस और बीजेपी का भी पुतला दहन किया गया , मौके पर सैकड़ो छात्र और स्थानीय बहुजन समाज के लोग उपस्थित थे , मुख्य रूप से उमाकांत कुमार छात्रनायक , अम्बेडकर कल्याण छात्रावास सीतामढ़ी , पुनीत बैठा , और मनोज कुमार चौधरी मौजूद थे , कार्यक्रम में शामिल लोगो ने महाराष्ट्र के बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की जब शासन और प्रशासन को भीमा कोरेगाव में भीड़ जुटने और हमला होने की आशंका के बारे में पहले से ही पता था तो सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था क्यों नही करायी गयी , वही पुना भीमा कोरेगाव हिंसा के मुख्य आरोपी शम्भा जी भिड़े और मिलिंद एकबोटे को अबतक गिरफ्तार क्यों नही किया गया , दलितों पर हुए हमलो में मुख्य रूप से आरएसएस , शम्भा जी भिड़े का संगठन , और मिलिंद एकवोटे का संगठन हिन्दू एकता मंच का हाथ है , ये सब बाते वहां पर उपस्थित लोगो ने कही

पुणे भीमा कोरेगाव दलित हमले के विरोध में इसवा और भीम आर्मी बिहार ने पटना में फूंका मुख्यमंत्री फणनवीस का पुतला !

पटना (बिहार) :- बीते 01 जनवरी 2018 पुणे भीमा कोरेगाव की हिंदूवादी संगठनों आरएसएस और अन्य संगठनों द्वारा शौर्य दिवस मानाने जा रहे दलितों पर किये गये हमले की घटना को लेकर पुरे देश के मूलनिवासी बहुजनो में रोष है , इसका असर महाराष्ट्र बंद से पता चल रहा है है साथ ही देश के कोने कोने से अनेको दलित और बहुजन संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस का पुतला दहन किया जा रहा है और इस मामले की किसी हाइकोर्ट के सिटिंग जज के उच्चस्तरीय जांच कराइ जाने की मांग की जा रही है ,  इसी कड़ी में बिहार की राजधानी पटना के कारगिल चौक पर इंडियन स्टूडेंट वेलफेयर एसोसिएशन व भीम आर्मी बिहार की ओर से भीमा कोरेगाव हमले के विरोध में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस का पुतला दहन करते हुए उन पर ये आरोप लगाया गया की उनको पता था की इस बार शौर्य दिवस का 200वा वर्षगाठ है तो भीड़ तो जुटेंगी ही तो इसके अनुपात में उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था क्यों नही करायी , भीमा कोरेगाव दलित हमलो के पीछे आरएसएस , शम्भाजी भिड़े  और हिन्दू एकता मंच के संस्थापक मिलिंद एकबोते  का हाथ है और इन सभी को महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार और बीजेपी पार्टी का भी समर्थन प्राप्त है , आपकी जानकारी के लिए बता दू की भीमा कोरेगाव हिंसा में शम्भाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे पर प्रथिमिकी दर्ज हो चुकी है , ये शम्भाजी भिड़े वही है जिसे पीएम मोदी अपना गुरु भी मानते है ,

बिहार की राजधानी पटना के कारगिल चौक पर बुधबार को करीब सौ  डेढ़ सौ की संख्या में छात्रो ने पुतला दहन तथा प्रदर्शन किया , भीम आर्मी बिहार तथा इसवा के प्रदेश अध्यक्ष अमर आजाद ने कहा की महाराष्ट्र के पुणे के भीमा कोरेगाव में हिन्दू आतंकवादियों द्वारा  दलितों पर जानलेवा हमला बेहद शर्मनाक है ,भाजपा सरकार के कार्यकाल में दलितों पर अत्याचार बाधा है जिस देश का संविधान बाबा साहेब आंबेडकर ने बनाया , उनके समुदाय के लोगो पर अभी तक अत्याचार हो रहा है , दलितों को सिर्फ वोट लेने क्ले समय हिन्दू का दर्जा दिया जाता है , चुनाव ख़तम होते ही आरएसएस और बीजेपी के लोग दलितों को दरकिनार कर देते है ,

मौके पर रामबाबू , दीपक कुमार , संजीत , विकाश कुमार, अनुज , गौतम ,त्रिलोकी , संतोष कुमार, दामोदर कुमार ,सुभाष पासवान, अमरदीप राणा , रणजीत , अजय यादव , प्रवीण कुमार मौजूद थे

तेलंगाना में हुइ पासी समाज की बैठक , अनसुचित जाती का दर्जा हासिल करने को बनायीं गयी रणनीति !

तेलंगाना (भाद्रदरी कोठागुदेम ):- आज दिनांक 31 /12/2017 दिन रविवार को तेलांगना राज्य के भाद्रदरी कोठागुदेम जिला के बुदिदागाद्दा बस्ती इलाके में पासी समाज के लोगो की एक बैठक हुयी ,इस बैठक में तेलंगाना में मौजूद सभी पासी भाइयो के जागरूकता , शिक्षा , रोजगार और आपसी तालमेल , समाज को कैसे आगे ले जाया जाए इन सब मुद्दों पर प्रमुखता से चर्चा हुयी , साथ ही साथ सबसे बड़ा चर्चा का विषय ये रहा की तेलंगाना का पासी समाज अनुसूचित जाती का दर्जा कैसे हासिल करे , इन सब मुद्दों पर पासी समाज के लोग एक मीटिंग के रूप में एकत्रित हुए और सभी ने अपना अपना विचार रखा , इस सभा में मुख्य रूप से तेलंगाना पासी समाज के अध्यक्ष सत्यनारायण पासी , उपाध्यक्ष हीरा लाल पासी , सचिव बालाप्रसाद पासी , कोषाध्यक्ष बाबादीन पासी , और राज्य कार्यकारिणी के सदस्य राधेश्याम पासी उपस्थित हुए , इन सब ने उपर्युक्त सभी मुद्दों पर गहन विचार विमर्श किया ,

आपको बता दे की तेलंगाना में पासी जाती के लोग लगभग 10000 दस हजार से 15000 पन्द्रह हजार की जनसँख्या में है और तेलंगाना में इनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति दोनों ही दयनीय है बावजूद इसके तेलंगाना सरकार ने इन पासियो की अनदेखी करते हुए इन्हें पिछड़ा वर्ग में रखा है जबकि भारत के अन्य हिस्सों  उत्तरप्रदेश , बिहार तथा झारखण्ड जहा पासी बहुतायत में पाए जाते है वहां पासी जाती अनुसूचित जाती में है ,

तेलंगाना में पासी जो आज है उनके पूर्वज करीब 129 साल पहले तेलंगाना गए थे , अंग्रेज उन्हें कोयला खदानों में काम करने के लिए लेकर गए थे तब से वे वाही बस गए और आज तक वही है , उन्होंने अनुसूचित जाती का दर्जा हासिल करने के लिए सरकार और सम्बंधित विभागों को बहुत लिखा , बहुत भागदौड़ की लेकिन सरकार और तंत्र इनकी एक नही सुन रही है , इन्होने अन्य राज्यों में पासी जाती के अनुसूचित जाती में होने का हवाला भी सम्बन्धित विभागों को आवेदन के माध्यम से जानकारी देकर दिया लेकिन आज तक कोई ठोस करवाई नही हुई , ये लोग अनुसूचित जाती का दर्जा हासिल करने के लिए आज के सभा में धरना प्रदर्शन और आन्दोलन करने का निर्णय लिया , सभा में महिलाओं की भी भागीदारी रही

आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में पासियो को नही मिलता अनुसूचित जाति का दर्जा , राज्य सरकार ने शामिल किया पिछड़े वर्ग में!

22 दिसम्बर को लखनऊ महाराजा बिजली पासी के किले में आयोजित महराजा बिजली पासी के जन्मोत्सव और आखिल भारतीय पासी समाज के राष्ट्रिय महाधिवेशन में देश के सभी राज्यों से पासी जाती के लोग आये थे और अपनी विचार और अपनी समस्याओ को सामने रख रहे थे , उनमे से कुछ लोग तेलंगाना से भी आये थे तेलंगाना से आये लोगो का प्रतिनिधित्व कर रहे राधेश्याम पासी ने अपनी समस्याओ को मंच पर साझा करते हुए कहा की तेलंगाना में हम पासियो को आर्थिक और सामाजिक स्थिति बदतर होते हुए भी तेलंगाना सरकार ने हम पासियो को अनुसूचित जाती में रखने की बजाय पिछड़े वर्ग में रखा है जिसके कारन हम पासियो को कई तरह की समस्याओ का सामना करना पड़ता है , सबसे बड़ी बेरोजगारी की समस्या है हमारे बच्चे बी टेक , ऍम टेक , एमऐ , बीए, बीसीए ,एमबीए करने के बाद भी नौकरियों में भी नही जा पाते और दूसरी बात हमारी सामाजिक स्थिति भी बहुत दयनीय है , बावजूद इसके तेलंगाना सरकार हमारी समस्याओ पर ध्यान नही दे रही है , इन्होने इसके सम्बन्ध में बताया की हमने इस बारे मनमे सम्बंधित बिभागो को कई बार लिखा है , और भारत के  दुसरे राज्यों में पासी जाती के अनुसूचित जाती में होने का हवाला भी देते हुए सरकार और सम्बंधित विभागों को कई बार आवेदन भेजा लेकिन अब तक कोई जबाबी करवाई नही हुयी ,

राधेश्याम पासी जो की तेलंगाना में जाकर बस गए है मूल रूप से उत्तरप्रदेश के ही है उनसे हुयी लम्बी बातचीत में उन्होंने बताया की करीब 129 साल पहले अंग्रेज कोयला खदानों में काम करने के लिए उत्तरप्रदेश से लोगो को बढ़िया मजदूरी , घर , खाने पिने की  बढ़िया व्यवस्था देने का आश्वासन देकर ले गए जिनमे उत्तरप्रदेश से पासी समाज के लोग एक अच्छी खासी आबादी में गये जिनमे राधेश्याम पासी और जो लपसी आज तेलंगना में है उनके पूर्वज लोग शामिल थे , चूँकि उस समय यातायात का उतना सुगम साधन नही था अत: लोग बैलगाडी से ही गये और पुरे 45 दिनों की लम्बी यात्रा के बाद  22 अक्टूबर 1889  को तेलंगाना के खम्मम जिला के एलेन्दु गाव पहुचे , उस समय आंध्रप्रदेश और तेलंगाना पर निजाम का शासन था , अंग्रेज कोयला के खदानों में काम करने के लिए वहां के स्थानीय  लोगो को शुरू में लगाये तो वो लोग कम करने में सफल नही हो सके वो लोग खादानो में दब के मर जाते थे और मरे हुए लोगो के लाशो को निकल भी नही पाते थे अत: उन्होंने भयभीत होकर काम न करने के कारण अंग्रेजो को देख कर भाग खड़े होते थे अत: अन्ग्रेजो ने मज़बूरी में उत्तरप्रदेश के पासी लोगो को लेकर कम करने के लिए तेलंगाना लेकर आये , जिनमे से लगभग सारे लोग यही तेलंगाना भी बस गए कुछ लोग कभी कभी वापस गये और फिर आ भी गये , चूँकि यातायात का साधन न होने के कारन लोग उत्तरप्रदेश से आवागमन नही कर पते थे अंततः वे यही बस गये  शादी व्याह भी यही पासी लोग पासी में ही करने लगे और यही के हो के रह गये ,

राधेश्याम जी ने आगे बताया की यहाँ तेलंगना में पासी लगभग दसहजार से पन्द्रह हजार की संख्या में होंगे कुछ छित पूट आंध्रप्रदेश में है लेकिन 99% पासी तेलंगना में ही है , पासी यहाँ पर व्यवसाय , और मजदूरी और कुछ छोटा मोटा कम करके आजीविका चलाते है , सरकारी नौकरियों में बहुत कम है , उन्होंने बताया की हमलोगों के प्रयासों से 1992 -1993 में जब आंध्रप्रदेश में एन टी रामाराव की सरकार थी एक सर्वेक्षण हुई थी हम पासियो की स्थिति पर उसकी रिपोर्ट के अनुसार हम पासियो को अनुसूचित जाती में डालने की स्थिति स्पष्ट हो चुकी थी लेकिन पता नही किन कारणवश उस रिपोर्टको दिल्ली नही भेजा गया ,  आखिल भारतीय पासी समाज के राष्ट्रिय महाधिवेशन में संगठन के पदाधिकरियो और राष्ट्रिय अध्यक्ष आर ऐ प्रसाद ने इस मुद्दे पर तेलंगना सरकार से उचित करवाई करने के लिए आवेदन करने का वादा किया है सुनवाई न होने की स्थिति में धरना प्रदर्शन होगा ,तेलंगना सरकार को पासी जाती की कुर्बानियों और स्वतंत्रता संग्राम में इस समाज के अहम योगदान को देखते हुए इस समाज के लोगो को तुरंत अनुसूचित जाती का दर्जा देनी चाहिए , क्यूंकि स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने के कारन अंग्रेजो ने इस जाती पर क्रिमिनल ट्राइब एक्ट लगा दिया जिसके कारन इस पासी समाज के लोग आर्थिक सामाजिक और जनसंख्या की दृष्टि से भी पिछड़ गये , वही दूसरी और हिन्दू धर्म की महिलाओं की मुस्लिम आक्रमणकारियों से रक्षा हेतु इसी पासी जाती के लोगो ने गाव के बाहर बसना और सुवर का पालन प्रारंभ किया जिससे की मुस्लिम आक्रमणकारी गाव में प्रवेश न करे और गाव के बाहर पासी ही मुस्लिम आक्रमणकरियो से लड़ते थे , देश और समाज की अस्मिता बचाने के लिए पासी समाज में सुवर का पालन करके अपनी सामाजीक प्रतिष्ठा को दांव पर लगा दिया , अत पासी समाज की इन तमाम कुर्बानियों को मद्देनजर रखते हुए तेलंगना और आंध्रप्रदेश और बाकि और भी ने राज्य जहा पासियो को विशेष सुविधा नही दी जाती है वह इन्हें तत्काल प्रभाव से अनुसुचित जाती में डाला जाये और तमाम सरकारी सुविधाओ सहित आरक्षण का लाभ दिया जाए

बिहार राज्य के रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम में अतिपिछड़ा वंचित जमात का एकदिवसीय कार्यकर्त्ता सम्मेलन हुआ सफलतापूर्वक सम्पन्न |

बिहार रोहतास (सासाराम ) :- आज दिनांक 15/11 /2017  दिन बुधबार को बिहार राज्य के रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम में अतिपिछड़ा और वंचित जमात मंच के कार्यकर्ताओ का एकदिवसीय सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया |

मंच पर उपस्थित अतिथि 

यह कार्यकर्त्ता सम्मेलन सासाराम शहर के ओझा टाउन हॉल में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ ,इस कार्यक्रम की शुरुआत माननीय अनीता चौधरी (पूर्व मंत्री बिहार सरकार ) के द्वारा उद्घाटन करके किया गया इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भरत बिंद (बसपा प्रदेश अध्यक्ष बिहार ), और सम्मानित अतिथि के रूप में चंद्रदेव बिन्द (पूर्व अध्यक्ष जिलापरिषद रोहतास ) मौजूद थे , सम्मेलन की अध्यक्षता श्री हिरा शर्मा और मंच के संचालनकर्ता श्री धनञ्जय शर्मा और सोहराबुद्दीन कर रहे थे , इस एकदिवसीय कार्यकर्त्ता सम्मेलन में मुख्य रूप से श्री जितेन्द्र नटराज , कन्हैया शर्मा , पूर्व प्रमुख श्री महेंद्र कहार ,पूर्व प्रमुख फुलपति देवी प्रमुख सासाराम धर्मू चौधरी ,डॉ सुदर्शन चौधरी ,प्रेमा भारती पूर्व जिला पार्षद ,विंदा देवी , सूरज बिंद , केशव कुमार पाल ,महेंद्र चंद्रवंशी ,मंगल राम पूर्व प्रखंड प्रमुख चेनारी , सुदर्शन चौधरी, राजकिशोर पाल ,सुरेन्द्र चौहान , श्यामबिहारी चौरसिया , बिमल बिंद ,सुदामा बिंद , मुंशी रजक ,रविन्द्र चंद्रवंशी ,नन्दलाल बिंद , राजू चौधरी ,कुंजन बिंद ,धरमेन्द्र गुप्ता ,सबदर आलम ,महेंद्र बिंद (बीडीसी), राजकिशोर पाल  मौजूद थे तथा इन सभी लोगो ने सम्मेलन में अपनी –अपनी बातो को रखा |

पुरे सभा में पिछड़े और वंचित वर्ग के समस्याओ , उनके समुचित समाधान , देश और राज्य में पिछडो और वंचितों की आर्थिक , शैक्षणिक और राजनितिक पिछड़ेपन की भी विस्तृत चर्चा की गयी देश और राज्य के समस्त संसाधनों में पिछडो और वंचितों की भागीदारी बढाने को लेकर भी बात की गयी

सम्मेलन में उपस्थित लोग

इस कार्यक्रम में इन सब निम्नलिखित मांगो को मुख्यता से उठाया गया तथा ये मांगपत्र प्रस्तुत किया गया

विशेष मांग:-

  1. अत्यंत पिछड़ा वर्ग में लगातार जातियों की संख्या बढती जा रही है ,अतएव पंचायत चुनाव में आरक्षण की सीमा 20% से अधिक बढ़ाई जाए |
  2. लोकसभा ,बिधान सभा में अतिपिछडा वंचित जमात को आबादी के अनुसार टिकट वितरण किया जाय |
  3. वन अधिकार अधिनियम 2006 संशोधित अधिनियम 2013 तत्काल प्रभाव से लागू किया जाय |
  4. संविधान प्रदत कमजोर वर्ग के लिए विशेष अवसर के तहत न्यूनतम दर पर ऋण मुहैया करायी जाए |
  5. छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम रोहतास कैमूर में लागू किया जाए |
  6. अत्यंत पिछड़ा वर्ग में अन्य जातियों की संख्या बढती जा रही है आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाते हुए जातियों की संख्या पर रोक लगायी जाए |
  7. अतिपिछडा वर्ग के बच्चो को स्नातक तक निःशुल्क शिक्षा दिलाये जाने का प्रावधान किया जाए तथा साथ ही उन्हें प्रथम वर्ग से स्नातक व उच्चस्तरीय शिक्षा में भी छात्रवृति प्रदान की जाए    

एका आन्दोलन के प्रणेता मदारी पासी के जयंती के अवसर पर फ़ैजाबाद में किया गया उनकी मूर्ति का अनावरण |

फ़ैजाबाद 24 अक्टूबर :- पासी विकाश एसोसिएशन फ़ैजाबाद के तत्वाधान में एका आन्दोलन के प्रणेता किसान आन्दोलन के महान नायक , भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी क्रांतिवीर मदारी पासी के 157वे जन्मदिवस पर रायबरेली रोड नहर क्रासिंग बह्ररैची दास धर्मशाला मसिनिया में समारोह का आयोजन हुआ |समारोह का प्रारंभ क्रांतिवीर मदारी पासी की मूर्ति माल्यार्पण के साथ हुआ |

       विशेष तथ्य :-                                                              

  •       क्रांतिवीर मदारी पासी का जन्म मोहनखेड़ा मजरा इंतौजा तहसील संडीला जनपद हरदोई उत्तरप्रदेश में 24 अक्टूबर विजयादशमी सन 1860 को व उनका परिनिर्वाण 8 मार्च चैत्र शुक्ल पक्ष रामनवमी सन 1930 को ग्राम पहाडपुर अटरियाडीह जनपद हरदोई उत्तरप्रदेश में हुआ था |
  •  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी तथा एका आन्दोलन के प्रणेता ,किसान आन्दोलन के महानायक क्रांतिवीर मदारी पासी के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अहम योगदान के बावजूद भारतीय इतिहास में उनकी उपेक्षा की गयी |   

इस अवसर पर क्रांतिवीर मदारी पासी की देश में पहली बार स्थापित मूर्ति का अनावरण करते हुए प्रख्यात दलित चिंतक डॉ सी. बी . भारती  ने कहा की तत्कालीन विषम परिवेश में क्रांतिवीर मदारी पासी ने अंग्रेजो व सामन्तों को एका आन्दोलन के माध्यम से कड़ी चुनौती दी थी | क्रांतिवीर मदारी पासी की शौर्यगाथाये यह सन्देश देती है की वीरता ,साहस, और देशभक्ति किसी जाति विशेष की धरोहर नही |क्रांतिवीर मदारी पासी देशभक्त , किसानो के सच्चे मसीहा व दलितों ,शोषितों , वंचितों के सच्चे रहनुमा थे | वह अंग्रेजो व सामंतो के विरुध्द आजीवन लड़ते रहे | महापुरुष हमारे लिए प्रकाश स्तम्भ सदृश होते है जिनकी स्मृतियों से प्रेरणा ग्रहण कर हम अपने सुनहरे सुखद सफल भविष्य का सपना संजोते है | भारतीय इतिहास के पन्नो में क्रांतिकारी मदारी पासी के भी देशभक्ति ,वीरता ,साहस ,संघर्ष व त्याग की शौर्यगाथाये स्वर्णाक्षरो में अंकित होनी चाहिए थी | किन्तु क्रांतिवीर मदारी पासी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान , सामाजिक भेदभाव ,गैर बराबरी , अस्पृश्यता जाती पाती के विरुध्द उनके संघर्ष , किसानो ,दलितों ,शोषितों ,वंचितों  के हक़ हुकुक व उनके उत्कर्ष के लिए किये गये उनके जन आंदोलन व् उनके व्यक्तित्व एवम कृतित्व के मुल्यांकन के प्रति इतिहासविदो की दृष्टि उपेक्षापूर्ण रही | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी तथा एका आन्दोलन के प्रणेता ,किसान आन्दोलन के महानायक क्रांतिवीर मदारी पासी के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान का अभी समुचित मूल्यांकन नही हो पाया है | इतिहासविदो को जातीय संकीर्णताओ से ऊपर उठकर क्रांतिवीर मदारी पासी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में किये गए सम्पूर्ण योगदान को जनमानस के सामने लाने के लिए सच्चे मन से प्रयास करना चाहिए | क्रांतिवीर मदारी पासी की स्मृतिया हमे आज भी देशभक्ति आत्मगौरव , सम्मान , स्वाभिमान ,उर्जा व स्फूर्ति से भर देती है | अंग्रजो व जमींदारो के विरुध्द क्रांतिवीर मदारी पासी का सशक्त एका आन्दोलन यह प्रमाणित करता है की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में दलितों का योगदान किसी से कम नही | कार्यक्रम के आयोजक विजय बहादुर ने कहा की क्रांतिवीर मदारी पासी का जन्म मोहनखेड़ा मजरा इंतौजा तहसील संडीला जनपद हरदोई उत्तरप्रदेश में 24 अक्टूबर विजयादशमी सन 1860 को व उनका परिनिर्वाण 8 मार्च चैत्र शुक्ल पक्ष रामनवमी सन 1930 को ग्राम पहाडपुर अटरियाडीह जनपद हरदोई उत्तरप्रदेश में हुआ था | हमें क्रांतिवीर मदारी पासी के जीवन–संघर्ष से प्रेरणा लेनी चाहिए | जो समाज अपने समाज के महापुरुषों , वीरो , वीरांगनाओ व समाज सुधारको की गौरवगाथाओ को याद नही करता , उनके व्यक्तित्व कृतित्व और उनकी शिक्षाओ से प्रेरणा नही ग्रहण करता वह विकाश के पथ पर अग्रसर न हो सकता |

श्री रामदेव ने कहा की क्रांतिवीर मदारी पासी का  जीवन परिचय प्राथमिक स्तर से ही पाठ्य पुस्तको में सम्मिलित कर छात्रो को पढाया जाना चाहिए जिससे आज की युवा पीढ़ी उनके व्यक्तित्व व कृतित्व से प्रेरणा ग्रहण कर सके

श्री हरिदार ने क्रांतिवीर मदारी पासी की स्टैच्यु उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ ने लगाए जाने की मांग उत्तर प्रदेश सरकार से की  |

समारोह की अध्यक्षता करते हुए श्री राम अवध सेवानिवृत वरिष्ठ स्वास्थ्य निरीक्षक उत्तर रेलवे फैजाबाद ने कहा की क्रांतिवीर मदारी पासी में अटूट साहस , अनूठी नेतृत्व क्षमता व अद्भुत संगठन क्षमता थी | इस अवसर पर श्री अशोक कुमार , पवन कुमार पुजारी , अजयपाल भारती , रामदीन , वासुदेव शनि , अमरजीत ,धर्मेद्र व श्रीमती गंगोत्री आदि ने अपने विचार रखे |

 

बहुजन आवाम पार्टी ने मनाई बापू मसुरियादिंन पासी की जयंती ।


इलाहाबाद रविवार- 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर इलाहाबाद स्थित बहुजन अवाम पार्टी के कार्यालय पर महाशय मसुरिया दीन पासी का जयंती समारोह मनाया गया तथा सभी वर्गों के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी शिक्षक अधिवक्ता, राजनीतिज्ञ और विद्यार्थी अधिकारी गण उपस्थित रहे

विशेष बातें – 

  • पासी नायक मा. बापू मसुरियादिंन पासी का जन्म भी 2 अक्टूबर को ही हुआ था । बहुत कम लोगो को ये बात पता है । नई पीढ़ी के लोगो को तो बिल्कुल भी नही ।
  • जवाहर लाल नेहरू के समकालीन थे मसुरियादिंन साहब ,प्रथम लोकसभा चुनाव में फूलपुर से सांसद बने । 
  • पासी जाती पर लगे जरायम पेशा एक्ट को हटवाने में था अहम योगदान ।

पार्टी के मुख्य अतिथि बहुजन अवाम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मिठाई लाल सरोज सभा में उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए मसुरिया दीन के व्यक्तित्व महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डाला उन्होंने श्री मसुरिया दीन पासी समुदाय के प्रथम संसद सदस्य थे जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा पासी समाज के उपर लगाये गये जरायम एक्ट को हटवाया महाशय मसुरिया दीन के चित्र पर माल्यार्पण करने वालों में महाशय जी के पौत्र श्री सचिन पासी बहुजन अवाम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिठाई लाल सरोज, समाजसेवी मेवालाल सावित्र पासी राष्ट्रीय महासभा के अध्यक्ष श्री प्रकाश चंद्र कैथवास व  अच्छेलाल सरोज, हेमंत पासी, पासी आर सतीश, समाजसेवी रागिनी पासी, समाजवादी छात्र सभा के प्रदेश सचिव अरविंद सरोज, प्रमोद भारतीया, बघाडिया, सुनील पासी आदि प्रमुख रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रवक्ता भुलई पासी  ने किया।

पासी जाती पर अंग्रेजो द्वारा लगाये “जरायम पेशा कानून ” को हटवाने में अहम भूमिका निभाई थी बापू मसूरियादीन ने , आज जयंती दिवस पर विशेष !

 

एक ही दिन पर यानी आज के दिन २ अक्टूबर को तीन महान विभूतियों ने भारत देश में जन्म लेकर भारत माता को गौरवान्वित किया। गाँधी जी, लाल बहादूर शास्त्री और मसूरियादीन पासी जैसी अदभुत प्रतिभाओ का 2 अक्टूबर के ही दिन जन्म हुआ था । हम सभी के लिये ख़ुशी का पल है। सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेजों के शासन से से भारत देश को स्वतंत्र करा कर हम सभी को स्वतंत्र भारत का अनमोल उपहार देने वाले महापुरूष गाँधी जी को राष्ट्र ने राष्ट्रपिता के रूप में समान्नित किया। वहीं जय जवान, जय किसान का नारा देकर भारत के दो आधार स्तंभ को महान कहने वाले महापुरूष लाल बहादुर शास्त्री जी ने स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधान मंत्री के रूप में राष्ट्र को विश्वपटल पर उच्चकोटी की पहचान दिलाई। गांधी जी ,और लालबहादुर शास्त्री के विषय में अधिकतर सभी लोग जानते है, परंतु स्वतन्त्रता संग्राम में अहम् भूमिका निभाने वाले पासी समुदाय में जन्मे महाशय मसूरियादीन जी को नई पीढ़ी नहीं जानती । भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन में मसूरियादीन जी ने इलाहाबाद का नेतृत्व किया था और करीब नौ वर्षो तक जेल में रहे। आजादी के बाद 1951 में प्रथम लोकसभा में फूलपुर से सांसद रहे । संघर्ष के दौरान नेहरू जी के साथ कई बार जेल गए। खास तौर पर महाशय जी ने पासी जाती पर अंग्रेजो द्वारा लगाये “जरायम पेशा कानून ” को हटवाने में अहम भूमिका निभाई थी। 

ख़ास बाते 

  • आज २ अक्टूबर के ही दिन भारत के तिन महापुरुषों गाँधी जी , लालबहादुर शास्त्री और पासी नायक मा. बापू मसुरियादीन पासी का जन्म हुआ था 
  • पासी जाती सहित भारत के २०० जातियों पर लगे जरायम पेशा एक्ट को हटाने में अहम भूमिका निभाने वाले महाशय मसूरियादीन को नई पीढ़ी के बहुत कम लोग ही जानते है 
  • भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने के बावजूद भी भारत के इतिहासकारों ने उन्हें वो सम्मान नही दिया जिसका वो हक़दार थे 

माननीय बापू मसुरियादीन  पासी  – एक संक्षिप्त परिचय 


जन्म तिथि – 02 अक्टूबर 1911

पूण्यतिथि -21 जुलाई 1978

माननीय साहब का जन्म आज के ही दिन २ अक्टूबर को हुआ था , भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में इनके इतने अहम योगदान के बावजूद भी भारत के जातिवादी और पक्षपाती इतिहासकारों ने उन्हें भारतीय इतिहास में वो जगह नही दिया जिनके वो हक़दार थे ,  भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन में मसूरियादीन जी ने इलाहाबाद का नेतृत्व किया था और करीब नौ वर्षो तक जेल में रहे।  संघर्ष के दौरान नेहरू जी के साथ कई बार जेल गए। आजादी के बाद 1951 में प्रथम लोकसभा में फूलपुर से सांसद रहे ।1952 से लेकर 1967 तक संसद सदस्य रहे महाशय मसुरियादीन पासी समाज को अंग्रेजो द्वारा लगाए गए “जरायम पेशा एक्ट” को खत्म कराकर एक नया जीवन दान दिया । अखिल भारतीय पासी महासभा के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने विभिन्न कुरूतियों में जकड़े पासी समाज को मुक्त कराने के लिए संघठित आंदोलन चलवाए । आज पासी समाज में जो समृद्धि थोड़ी बहुत दिखाई पड़ती है । उसमें बाबू जी के खून और पसीना शामिल है । लेकिन बाबू जी के बाद कि पीढ़ी निकम्मी हो गई वह केवल राजनीतिक लाभ लेने तक सीमित हो गई ,खास तौर पर महाशय जी ने पासी जाती पर अंग्रेजो द्वारा लगाये “जरायम पेशा कानून ” को हटवाने में अहम भूमिका निभाई थी। 

  • क्या है जरायम पेशा कानून और क्रिमिनल ट्राइब एक्ट 

अंग्रेजो ने भारत के उन तमाम जातियों , जनजातियो के एक समूह विशेष को प्रताड़ित करने के लिए एक विशेष कानून पास किया जिसे क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट या जरायम पेशा कानून का नाम दिया गया ,अंग्रज इस कानून का दुरूपयोग उन तमाम जाती के लोगो के विरुद्ध करते थे जो उनके खिलाफ बगावत करते थे ,उनके खिलाफ आन्दोलन करते थे , उनके बहकावे तथा प्रलोभन में नही आते थे तथा स्वतंत्रता आन्दोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते थे , पासी जाती भी इन जातियों में एक थी जिसने एक काफी समय तक क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट और जरायम पेशा एक्ट का मार झेला और अपना मान  सम्मान और जमीन जायदाद सब खो दिया , इस एक्ट के तहत क्रिमिनल ट्राइब्स में आने वाले जाती के परिवार के बच्चो को भी पुलिस नही छोडती थी और उन्हें हमेशा थाने  में रिपोर्ट करना पड़ता था ,यदि दलितों को चार वर्णों पर आधारित जाति व्यवस्था के उच्चताक्रम से उपजी हिंसा और बहिष्करण का शिकार होना पड़ा तो घुमंतू जातियां अंग्रेजी शासन का शिकार बनीं. 1871 के क्रिमिनल ट्राइब एक्ट से पूरे देश में दो सौ के लगभग समुदायों को अपराधी जनजाति में घोषित कर दिया गया इन दो सौ जातियों में पासी जाती भी शामिल थी  भारत के सामाजिक और विधिक क्षेत्र में घुमंतू समुदायों के लिए यह एक सामूहिक हादसा था. 1921 में क्रिमिनल ट्राइब एक्ट का विस्तार किया गया और कई अन्य समुदाय इस कानून की जद में ले आए गए देश को 1947 में आजादी मिली, भारत का संविधान बनाया गया और सबको बराबरी का हक़ मिला कि वह वोट डाल सके. 1952 में उन समुदायों को विमुक्त समुदाय का दर्जा दिया गया जो क्रिमिनल ट्राइब एक्ट के तहत अपराधी घोषित किए गए थे यह एक प्रकार से यह बताना था कि अमुक समुदाय अब अपराधी नहीं रह गए हैं! यह कानून की बिडंबना थी कि उन्हें एक पहचान से मुक्त कर दूसरी कम अपमानजनक पहचान से नवाज दिया गया  1959 में हैबीचुअल अफेंडर एक्ट ने पुलिस का ध्यान फिर उन्हीं समुदायों की ओर मोड़ दिया जो अब विमुक्त थे, यह सब आजाद भारत में हो रहा था

 

 

बड़ी खबर – बिहार कांग्रेस अध्य्क्ष अशोक चौधरी बर्खास्त , अल्पसंख्यक समुदाय के कौकब कादरी बने नये अध्यक्ष ।

पटना बिहार:- एक बड़ी खबर आ रही है कांग्रेस के राष्ट्रिय नेतृत्व व आलाकमान सोनिया गांधी के द्वारा एक कड़ा फैसला लेते हुए अशोक चौधरी को बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है ।तथा साथ ही साथ वर्तमान की बिहार प्रदेश कांग्रेस की सभी कमिटियों को भी भंग कर दिया गया है । बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी द्वारा अल्पसंख्यक (मुस्लिम) समुदाय से कौकब कादरी को नियुक्त किया गया है , कादरी बिहार के औरंगाबाद जिले के गोह के निवासी है । 
मुख्य वजह

  • अशोक चौधरी पर कांग्रेस विधायक दल में फुट डालने का लगा था आरोप ।
  •  कुछ दिनों से उनके बागी तेवर के कारण पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व पर भी दबाव बढ़ने लगा था ।
  • उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि पार्टी जल्द फैसला ले कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखना है या नहीं ?
  • उन्होंने पार्टी आलाकमान पर दलित के उत्पीड़न का भी आरोप लगाया था ।

 ऐसा माना जा रहा है की अशोक चौधरी की बर्खास्तगी की प्रमुख वजह पिछले कुछ दिनों से उनके द्वारा बगावती सुर अपनाया जाना । उन पर कांग्रेस पार्टी के ही कुछ नेताओ का बगावत करने , पार्टी में फुट डालने , और पार्टी लाइन से हटकर बयान देने का आरोप लगाया गया था , हालांकि इस मामले में सफाई देने के लिए चौधरी को दिल्ली भी बुलाया गया था और उन्हें अपनी सफाई देते हुए कहा था की उन्हें दलित होने की वजह से टारगेट किया जा रहा है और वे कोई भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल नही है । 

वैसे तो महागठबंधन टूटने के बाद से ही अशोक चौधरी की स्थिति ठीक ठाक नही लग रही थी , ऐसा माना जाता रहा है की चौधरी मुख्यमंत्री नितीश कुमार के कुछ ज्यादा ही करीबी है और अशोक चौधरी अपने साथ कुछ विधायको को लेकर जदयू में जाने वाले है ऐसी अफवाहे फैलायी गयी थी , जिसका खण्डन खुद चौधरी ने और युवा विधायक बन्टी चौधरी और संजय कुमार तिवारी ने किया और अशोक चौधरी का समर्थन करते हुए कहा की ये अशोक चौधरी का ही देन है की हमारे जैसे युवा आज विधायक है । हालांकि बिहार में कांग्रेस की स्थिति में सुधार लाने और महागठबंधन करने में अशोक चौधरी के योगदान को नाकारा नही जा सकता । हालांकि ये साफ़ हो चूका था की अशोक चौधरी ज्यादा देर तक अपने अध्यक्ष पद पर नही बने रह सकते है इसलिये पार्टी नेताओ के बीच नए अध्यक्ष बनने को लेकर होड़ मची थी और कई तो खुलकर अपनी दावेदारी भी पेश कर रहे थे । दावेदारी पेश करने वालो में बक्सर के विधायक संजय कुमार तिवारी, भारत सरकार के पूर्व मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मदन मोहन झा का नाम सबसे आगे चल रहा था अन्य दावेदारों में अमिता भूषण और प्रेम चंद्र मिश्र की चर्चा भी थी , लेकिन इन सब नेताओ को नजरअंदाज करके लगातार एक दलित और वर्तमान अल्पसंख्यक समुदाय के नेता को अध्यक्ष बना कर दलित अल्पसंख्यक लोगो के भरोसे पर कांग्रेस एक बार फिर खरी उतरी है ।

अध्यक्ष पद से हटाए गए अशोक चौधरी भी अब अपने प्लान पर आगे बढ़ेंगे. पार्टी आलाकमान को यह शिकायत की गई थी कि कांग्रेस विधायक दल को तोड़ने में जो लोग लगे हैं, उनसे अशोक चौधरी का भी संपर्क बना हुआ है. चौधरी के रिश्ते नीतीश कुमार से अच्छे रहे हैं. कई लोग तो यह भी कहने लगे थे कि वे विधायकों के टूटने के पहले विधान पार्षदों के साथ जदयू की ओर कूच कर जाएंगे. अभी हाल फ़िलहाल में ही अशोक चौधरी ने भागलपुर बांध टूटने के मामले में मंत्री ललन सिंह का बचाव किया था और पार्टी लाइन से हटकर सरकार के पक्ष में बयान दिया था ।