,उत्तर प्रदेश में कांशीराम का आंदोलन गर्भ में था । तभी कांशीराम जी की मुलाक़ात प्रतापगढ़ निवासी राम समुझ जी से हो गई। उस समय राम रमुझ जी खण्ड विकास अधिकारी जैसी प्रतिष्ठित पद पर थे। लेकिन प्रतापगढ़ में सामंती ताकतों का बोलबाला था। जिसकों लेकर राम समुझ जी के मन मे एक पीड़ा थीं। कांशीराम जी ब्राह्मणवाद और सामन्तवाद के विरोधी हो चुके थें। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में अपने आंदोलन को गति देने के लिए ज़मीन तैयार करने में लगे थे। बातचीत के दौरान आंदोलन की तैयार रणनीति को बाबू राम समुझ जी ने समझा और मान्यवर कांशीराम के कहने पर नौकरी छोड़कर बहुजन आंदोलन को गति देने में लग गए। राम समुझ जी ने संघठन को विस्तार देने के लिए ‘बहुजन संगठन ‘ नामक अख़बार का सम्पादन भी किया। बहुत जल्द ही राम समुझ जी प्रदेश में बहुजन आंदोलन की धुरी बन गए।
पूरे प्रदेश के घूम घूम कर बामसेफ और फिर बहुजन समाज पार्टी को मजबूत किया। पार्टी को मजबूत करने को रात दिन एक कर दिया। उस समय के लोग कांशीराम के बाद राम समुझ को दूसरा नेता मानते थे। बाद में राजनीतिक परिस्थितियां बदल गई। पार्टी में मायावती और आरके चौधरी जी की इंट्री हो गई। फिर बहुजन आंदोलन की धुरी बाबू राम समुझ को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा कर बाहर कर दिया गया। जिसका उन्हें जीवन भर अफसोस रहा। लेकिन उन्होंने अपने विभिन्न संगठनों के माध्यम से समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, और न्याय के मूल्यों के प्रति जीवन पर्यन्त समर्पित रहे ।
इस महान अम्बेडकरवादी का जन्म 11 जुलाई, सत्र 1935 को पासी समाज में हुआ था। आदरणीय राम समुझ जी आज हमारे बीच भले न हो लेकिन उनके किये गए बहुजन समाज के प्रति कार्यो को कभी भूला नही जा सकता ।
आज उनके जन्म दिन पर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए नमन करते है-
अजय प्रकाश सरोज 9838703861