जन्मदिन पर विशेष : बहुजन आंदोलन की धुरी थें राम समुझ पासी

,उत्तर प्रदेश में कांशीराम का आंदोलन गर्भ में था । तभी कांशीराम जी की मुलाक़ात प्रतापगढ़ निवासी राम समुझ जी से हो गई। उस समय राम रमुझ जी खण्ड विकास अधिकारी जैसी प्रतिष्ठित पद पर थे। लेकिन प्रतापगढ़ में सामंती ताकतों का बोलबाला था। जिसकों लेकर राम समुझ जी के मन मे एक पीड़ा थीं। कांशीराम जी ब्राह्मणवाद और सामन्तवाद के विरोधी हो चुके थें। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में अपने आंदोलन को गति देने के लिए ज़मीन तैयार करने में लगे थे। बातचीत के दौरान आंदोलन की तैयार रणनीति को बाबू राम समुझ जी ने समझा और मान्यवर कांशीराम के कहने पर नौकरी छोड़कर बहुजन आंदोलन को गति देने में लग गए। राम समुझ जी ने संघठन को विस्तार देने के लिए ‘बहुजन संगठन ‘ नामक अख़बार का सम्पादन भी किया। बहुत जल्द ही राम समुझ जी प्रदेश में बहुजन आंदोलन की धुरी बन गए। 
पूरे प्रदेश के घूम घूम कर बामसेफ और फिर बहुजन समाज पार्टी को मजबूत किया। पार्टी को मजबूत करने को रात दिन एक कर दिया। उस समय के लोग कांशीराम के बाद राम समुझ को दूसरा नेता मानते थे। बाद में राजनीतिक परिस्थितियां बदल गई। पार्टी में मायावती और आरके चौधरी जी की इंट्री हो गई। फिर बहुजन आंदोलन की धुरी बाबू राम समुझ को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा कर बाहर कर दिया गया। जिसका उन्हें जीवन भर अफसोस रहा। लेकिन उन्होंने अपने विभिन्न संगठनों के माध्यम से समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, और न्याय के मूल्यों के प्रति जीवन पर्यन्त समर्पित रहे ।
इस महान अम्बेडकरवादी का जन्म 11 जुलाई, सत्र 1935 को  पासी समाज में हुआ था। आदरणीय राम समुझ जी आज हमारे बीच भले न हो लेकिन उनके किये गए बहुजन समाज के प्रति कार्यो को कभी भूला नही जा सकता । 

आज उनके जन्म दिन पर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए नमन करते है-  

अजय प्रकाश सरोज 9838703861

अपराधी ब्राह्मणों के हत्या पर तड़प उठी मायावती 

पत्रिका जब भी मायावती की आलोचना करती है तो खासतौर पर मायाभक्त भड़क उठते हैं । लेकिन दलितों के बौद्धिक चिंतक समर्थन में खड़े होते है। बहुजन आंदोलन को मायावती जी स्वं की प्रॉपर्टी समझ कर उसे अपने लिए इस्तेमाल करती है। यह बात कई राजनेताओ ने कहा है । गैर जाटव दलित चिन्तक तो यह भी आरोप लगाते है कि जब जाटव/ चमार बिरादरी पर जुल्म होता है तब मायावती बोलती है । अभी हाल ही में पूर्व डीजीपी रहे दारा पूरी जी ने सहारनपुर की घटना समेत दलित उत्पीड़न पर लखनऊ में प्रेस कांफ़्रेस करने पहुचे तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर ली। तब भी मायावती नही बोली । लेकिन ऊंचाहार,रायबरेली में यादवों की हत्या के इरादे से गये पांच बाभनो की हत्या हुई तो तड़प उठी है। जबकि  कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य इन पांचों ब्राह्मणों को अपराधी बताया है। परंतु मायावती जी ने  सतीश मिश्रा को ब्राह्मणों के घर जाने का निर्देश देकर घटना को राजनीतिक मुद्दा बनाने को कहा है।

एच. एल. दुसाध की कलम से–

अक्सर दलित उत्पीडन की घटनाओं पर चुप्पी साधने की अभ्यस्त मायावती जी ने रायबरेली काण्ड में ब्राह्मणों के प्रति संवेदना जाहिर करने में सबको पीछे छोड़ दिया है.उन्होंने 5 ब्राह्मणों की हत्या को जंगलराज का प्रतीक बताते हुए पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने में विफलता को लेकर योगी सरकार को आड़े हाथों लिया है.।

इस मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए उन्होंने अपनी पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ -साथ राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद सतीश चन्द्र मिश्र को पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्हें सांत्वना देने और न्याय दिलाने का भरपूर प्रयास करने का निर्देश दिया है.उनके आक्रामक बयान के बाद वह स्वामी प्रसाद मौर्य निशाने पर आ गए हैं,जिन्होंने मारे गए लोगों को शातिर अपराधी बताया था. बहरहाल रायबरेली कांड पर अपना रुख जाहिर कर मायावती जी ने स्पष्ट कर दिया है कि उनके ब्राह्मण-प्रेम में स्थाइत्व आ चुका है और सर्वजन को छोड़कर बहुजन की ओर मुड़ने वाली नहीं हैं, भले ही बसपा पूरी तरह अतीत का विषय क्यों बन जाए!

एंटी रोमियों वाली सरकार शादी में कण्डोम गिफ्ट करेगी !

स्वागत कीजिये ! उत्तर प्रदेश में सरकार बनते ही एंटी रोमियों स्वायड बनाकर प्रेमी युगलों को पिटवाने वाली सरकार अब शगुन में नवविवाहितों को कंडोम देने की पहल की है । 

सच कहा गया कि जो बछड़ा अधिक उछलता-कूदता हो उसके कंधे पर जुवाठ या भार रख दीजिए फिर देखिए वह कितना नरम,लोचवान,समझदार और व्यवहारिक हो जाता है।योगी जी ने प्रत्येक समस्याओं के मूल मे बसे जनसंख्या बृद्धि को दिमाग मे रख के गृहस्थ जीवन के प्रारंभिक अवस्था मे ही जनसंख्या नियंत्रण का जो खाका तैयार कर युवाओं को जागरूक करने का प्रयत्न सरकार की तरफ से करने का संकल्प लिया है,वह सराहनीय है।
 योगी जी द्वारा नव विवाहित जोड़ो को शगुन में कंडोम आदि देने के ऐलान पर मेरे एक साथी ने कहा कि योगी जी तो योगी और अविवाहित हैं फिर उन्हें कंडोम आदि के बारे में क्या पता?मैने अपने उस साथी से कहा कि डॉ लोहिया भी अविवाहित थे लेकिन नारी स्वतन्त्रता,नारी सम्मान व नारी समस्याओं पर वे जितना बेबाक बोलते और उसे लागू करने का संकल्प दिलाते थे,उतना शायद ही कोई शादी-शुदा पुरुष सोचता और समझता हो।मैने अपने उस साथी से कहा कि देश की सन्सद में कांग्रेस की महिला सांसद श्रीमती तारकेश्वरी सिन्हा जी ने लोहिया जी के नारीवादी व्यक्तव्यों पर चुटकी लेते हुए जब  यह कहा था कि “मिस्टर लोहिया आप तो विवाहित ही नही हैं फिर स्त्रियों के बारे में क्या जानें?”,लोहिया जी ने कहा था कि “मिसेज सिन्हा आपने अवसर ही कहाँ दिया?”

 हमारे एक साथी ने योगी आदित्यनाथ जी द्वारा कंडोम शगुन में देने पर कहा है कि अखिलेश यादव जी तो युवाओं को लैपटॉप देते थे जबकि योगी जी कंडोम दे रहे हैं।मेरा मानना है कि दोनों अलग-अलग विषय हैं।लैपटॉप बेरोजगारी दूर करने का एक संयंत्र है जबकि कंडोम जनसंख्या बृद्धि रोक के बेरोजगारी की समस्या पैदा ही न हो पाए,ऐसा पक्का उपाय करने का स्थायी साधन।

अब बेहतर तो यही है कि बेरोजगारी आये ही न।कंडोम होगा तो जनसंख्या बृद्धि रुकेगी,जनसंख्या बृद्धि न होगी तो बेरोजगारी न होगी और जब बेरोजगारी न होगी तो फिर मुफ्त लैपटॉप लेकर रोजगार करने की जरूरत न होगी।हैं न योगी जी का कंडोम फार्मूला जड़ पर प्रहार करने वाला है। योगी जो ठहरे , समस्याओं का जड़ से समाधान करना कोई इनसे सीखें। 

भाजपा ने दिखाया जातिवादी चेहरा ,सरकारी वकीलों की तैनाती में 60% बाभन

लखनऊ । 201 वकीलों को सरकारी काम काज के लिए तैनाती देने में योगी सरकार ने जो लिस्ट जारी की है वह चौकाने वाली है। वैसे तो सरकार का दावा है कि पीएम मोदी की मंशा सबका साथ सबका विकास के अनुसार काम कर ही है, लेकिन 201 वकीलों की तैनाती में जो आंकडा है वह इसके बिलकुल उलट है।

इस लिस्ट में स्थायी अधिवक्ता (उच्च न्यायालय), मुख्य स्थाई अधिवक्ता, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता और ब्रीफ होल्डर (क्रिमिनल) के पद हैं। इसमें 182 सवर्ण हैं। यही नहीं इस लिस्ट में केवल 60 फीसदी ब्राह्मण हैं। अन्य वर्ग में 15 ओबीसी, 1 एससी और 3 मुसलमानों को इस लिस्ट में जगह दी गई है।

पढ़िए,राम लखन पासवान को आमिर ख़ान ने कैसे बनाया अपना अजीज़ मित्र !

रामलखन पासवान के बेटे की शादी मेंआमिर खान

2009 का समय एक बूढ़ा व्यक्ति बनारस के ऑटो ड्राइवर रामलखन पासवान के ऑटो को बनारस की गलियों में अपने परिचय के लोगो को ढूंढने के लिए बुक करता है। रामलखन उस बूढ़े व्यक्ति को 2 दिन बनारस की गलियों में घुमाता है और लेकिन तीसरे दिन ही वह उस बूढ़े व्यक्ति की हकीकत जान जाता है। 

वह बूढ़ा व्यक्ति कोई और नही बॉलीवुड बेहतरीन एक्टर आमिर खान थे। 3इडियट मूवी के प्रमोशन के लिए भेष बदल अलग-अलग शहरो में आमिर घूम रहे थे और अगले शहर में जाने से पहले क्लू दे देते थे। लेकिन इस क्रम में वह जब बनारस आये तो राम लखन पासवान जैसे नेकदिल व्यक्ति की ईमानदार, सज्जन छवि ने आमिर का दिल जीत लिया था। 

आमिर मुम्बई जाने से पहले रामलखन को अपना मोबाइल नंबर देकर गये थे और तब से लगातार रामलखन और आमिर खान संपर्क में रहते है और खास मित्र बन गए है, इसी मित्रता को निभाने के लिए आमिर बनारस में रामलखन के बेटे की शादी में शामिल होने भी आये थे।
-सोनू सिंह पासी, वाराणसी

जातीय हिंसा और बहुजन मीडिया पर प्रतिबंध के दौर में सटीक कहानी

एक चूहा एक व्यापारी के घर में बिल बना कर रहता था. एक दिन चूहे ने देखा कि उस व्यापारी ने और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं । चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है। 
उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक चूहेदानी थी।  ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है। 

कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उस में फँसना है?

निराश चूहा ये बात मुर्गे को बताने गया। मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा -जा भाई,ये मेरी समस्या नहीं है । 

हताश चूहे ने बाड़े में जा कर बकरे को ये बात बताई, और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा।
उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई जिस में एक ज़हरीला साँप फँस गया था। 

अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस व्यापारी की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डंस लिया। 

तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने वैद्य को बुलवाया. वैद्य ने उसे कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी। 

कबूतर अब पतीले में उबल रहा था ।

खबर सुनकर उस व्यापारी के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन *मुर्गे को काटा गया। 

कुछ दिनों बाद उस व्यापारी की पत्नी सही हो गयी… तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो बकरे को काटा गया ।

चूहा दूर जा चुका था , बहुत दूर । 

अगली बार कोई आप को अपनी समस्या बातये और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है तो रुकिए और दुबारा सोचिये । 

समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक खतरे में है तो पूरा देश खतरे में है। 
अपने-अपने दायरे से बाहर निकलिये। स्वयंम तक सीमित मत रहिये । समाजिक बनिये ।

# I am with national dastak

जानिए, बहुजन मीडिया नेशनल दस्तक़ पर बैन लगाने का कौन है जिम्मेदार ? 

ये जो सज्जन टीका लगाए बैठे हैं वे Umang Bedi हैं. फेसबुक के भारत और दक्षिण एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर. भारत में फेसबुक पर जो भी होता है, उसका श्रेय भी इनका और जो गलत होता है, उसकी जिम्मेदारी भी इनकी.

यह 3 जून, 2017 की तस्वीर है. पूजा चल रही है. पंडित बिजी है. बेदी जी के सिर पर फूल चढ़ाया जा चुका है. भक्ति का माहौल है । अगर आप सोच रहे हैं कि यह बेदी जी का गृह प्रवेश है या उनके घर पर सत्यनारायण की कथा चल रही है, तो आप गलत हैं । बेदी जी यह पूजा फेसबुक के मुंबई के नए दफ्तर में करवा रहे हैं. दफ्तर बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में है।
भारत में मॉडर्निटी का यह अद्भुत रूप है. यह बहुत मिलावटी तरीके से आया है. अमेरिका या यूरोप में आप किसी कॉरपोरेट ऑफिस के उद्धाटन में यह कल्पना नहीं कर सकते हैं कि मैनेजिंग डायरेक्टर पादरी को बुलाकर प्रार्थना सभा करवा रहा है ।
पश्चिम में आधुनिकता चर्च से टकराकर बढ़ी है. गैलीलियो से लेकर ब्रूनो और कॉपरनिकस ने इसके लिए चर्च से पंगा मोल लिया और कीमत चुकाई. ब्रूनो को तो चर्च ने जिंदा चौराहे पर जला दिया । पश्चिम में धर्म व्यक्ति का निजी मामला है.।

भारत में आधुनिकता अजीब तरह से आई है. यहां कोट के नीचे जनेऊ का गंदा धागा जिंदा है। यहां डॉट कॉम का कम्युनिटी मेट्रिमोनी डॉट कॉम बन जाता है.

मिस्टर उमंग बेदी गोल्फ खेलते हैं, सबसे आधुनिक टेक्नोलॉजी पर काम करते हैं,, कहने को नारी अधिकारों के संरक्षक भी हैं, और इसके साथ सत्यनारायण व्रत कथा ऑफिस के अंदर कराने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है.  
इसलिए बेदी जी के व्यवहार को भारतीय आधुनिकता की समस्या के रूप में देखें.। 

(वरिष्ठ पत्रकार  दिलीप सी मण्डल की वाल से)

​#IAmWithNationalDastak 

कविता =  © मन की सीमितता

मन की सीमाओं में सीमित  है

पंछी सा जीवन अपना,

परिधि के अंदर ही अंदर 

देख रहा दुनिया का सपना।

अगर न होती ये सीमाएं

जो बन कर के दीवार खड़ी,

तो इन गहरी आंखों में भी

होती दुनिया की तस्वीर पड़ी।

जैसे पिजड़े का पंछी 

नभ में मन से उड़ता है,

नभ क्या वह तो बाधा अंदर

रहता सब कुछ सहता है।

ये सीमाये जो बहुजन के

जीवन को सीमित कर देती,

सब कुछ अंदर ही अंदर 

रहने को पीड़ित कर  देती। 

हो बहुत ओज है सब नकाम

यह दुनिया बहुत विरल है ,

कौन कहा कब पता नहीं है

नहीं सीमा लांघना सरल है।

है बाधा आगे ,बाधा पीछे

चहुँ ओर दीखता है बाधा,

बाधा में ही जीवन जन्मा 

मरते दम तक है बाधा।

तोड़ दो बहुजन मन का बन्धन 

सीमा की परिधि बड़ी करो,

आत्मबल और संयम के बूते

लम्बी लकीर खड़ी करो ।

लेखक – रामकृष्ण ,वरिष्ठ सहायक
 (क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय  इलाहबाद)

स्वराज इंडिया का नया आगाज़। अनुपम बने पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष

• पार्टी में हर स्तर पर हुआ पुनर्गठन। युवाओं के हाथ पार्टी की कमान। 
• दिल्ली सरकार को शराब नीति पर घेरेगी स्वराज इंडिया।

• योगेंद्र यादव ने नई आबकारी नीति सार्वजनिक करने की मांग की।

• स्थानीय लोगों की सहमति के बिना दिल्ली सरकार द्वारा खोले गए ठेकों को बंद करने की भी माँग।
• माँगें नहीं माने जाने पर स्वराज इंडिया जारी करेगी आंदोलन।

योगेंद्र यादव के बगल लाल कुर्ते में अनुपम, पार्टी के वरिष्ट साथयों के साथ

स्वराज इंडिया ने दिल्ली में नया आगाज़ कर दिया है। नए और जोशीले युवा नेतृत्व को दायित्व देते हुए पार्टी का पुनर्गठन किया गया है। स्वराज इंडिया के संस्थापक सदस्यों में से एक 29 वर्षीय अनुपम को दिल्ली की बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। यहाँ प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने अनुपम के नाम की घोषणा की। ज्ञात हो कि अनुपम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और प्रेसिडियम सदस्य रहे हैं। 

कॉलेज के दौरान छात्र-राजनीति में सक्रिय रहे अनुपम को क्रिकेट खेलने, सिनेमा देखने और कविताएं लिखने का भी शौक़ है। मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढाई के बाद अनुपम ने चार साल एक जानी मानी एमएनसी में काम किया, जिसे 2013 में छोड़कर वो सक्रिय राजनीति में कूद पड़े।
स्वराज इंडिया ने हमेशा से ही युवाओं की राजनीतिक भागीदारी पर विशेष ज़ोर दिया है। पार्टी के नए नेतृत्व में भी यह विचार स्पष्ट तौर पर प्रतिबिंबित होती है। नई टीम के अध्यक्ष ही नही, बल्कि पार्टी के कई अन्य पदाधिकारी भी युवा हैं। स्वराज इंडिया ने नवनीत तिवारी को प्रदेश महासचिव की ज़िम्मेदारी दी है, जिनकी आयु 37 वर्ष है। यहाँ तक कि पार्टी के सभी सचिवों की औसत आयु मात्र 35 वर्ष है। पार्टी के कार्यकर्ता, कार्यालय और कार्यक्रमों की देख रेख के लिए सुरिंदर सिंह कोहली, निशांत त्यागी और रमन यादव को प्रदेश सचिव की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी गई है।
पटेल नगर की पूर्व विधायक वीना आनंद और सेना से सेवानिवृत्त कर्नल पी के अहलावत को पार्टी ने उपाध्यक्ष का दायित्व दिया है। वहीं कोषाध्यक्ष के तौर पर दीपक भान को ज़िम्मेदारी दी गई है। 
वार्ड से लेकर प्रदेश तक संगठन का हर स्तर पर पुनर्गठन किया गया है। दिल्ली के 70 विधानसभाओं में कुल 14 ज़ोन बनाये गए हैं जिनमें पाँच पाँच विधानसभा होंगे। स्वराज इंडिया ने अपने मूलभूत कार्यप्रणाली के तौर पर “स्वराज केंद्र” का गठन किया है, जो हर वार्ड में जनता की सेवा और संघर्ष के लिए होंगे। स्वराज केंद्र को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए पार्टी ने दिल्ली भर में अपने कई नेताओं को “स्वराज केंद्र कोऑर्डिनेटर्स” की ज़िम्मेदारी भी दी है।
घोषणा के तुरंत बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए अनुपम ने कहा, “आज देशभर में जिस तरह की गंदी राजनीति पनप रही है, उससे मजबूती से लड़ना ही सबसे बड़ा धर्म है। और इसमें युवाओं की मुख्य भूमिका होगी। कांग्रेस हो या आम पार्टी, दिल्ली के इन दोनों विपक्षी दलों के प्रति जनता में घोर अविश्वास और आक्रोश है। देश को बचाने और बनाने वाली पवित्र राजनीति के युगधर्म को हमें ही निभाना है। देशभर में व्याप्त आज की चिंताजनक परिस्थितियों में नई राजनीति की एकमात्र उम्म्मीद है स्वराज इंडिया।”
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने बताया कि दिल्ली सरकार की शराब नीति पर उनकी पैनी नज़र है। उन्होंने माँग किया कि सरकार वर्तमान वित्त वर्ष के लिए अपनी आबकारी नीति सार्वजनिक करके आम लोगों से सुझाव लें। साथ ही, बिना स्थानीय लोगों की सहमति के खोले गए ठेकों को तुरंत बंद करे। योगेंद्र यादव ने लाईसेंस बांटने के संबंध में दिल्ली सरकार के घपलों को आगे उजागर करने की भी बात कही।
ज्ञात हो कि पिछले साल दिल्ली सरकार के धड़ल्ले से बांटे गए शराब लाईसेंस के ख़िलाफ़ स्वराज इंडिया ने ही आवाज़ उठाई थी। दिल्ली के कई रिहायशी इलाकों में स्थानीय जनता की मर्ज़ी के विरुद्ध खुले ठेकों के ख़िलाफ़ पार्टी ने जनसुनवाई की थी। स्वराज इंडिया द्वारा चलाये गए जनांदोलन के दबाव में दिल्ली सरकार बुरी तरह घिर गई थी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साल भर कोई भी नया ठेका नहीं खोलने की घोषणा की थी। 
दिल्ली सरकार की जनविरोधी शराब नीति का खामियाज़ा आम लोग, विशेषकर महिलाओं को झेलना पड़ा है। इस मुद्दे पर स्वराज इंडिया लगातार सक्रिय रही है और पार्टी का नया नेतृत्व भी इसपर अत्यंत गंभीर है।

जालसाजी के शिकार पीड़ित दम्पत्ति से सबूत मांग रही है पुलिस

ठगी के शिकार रामजी पासी अपनी पत्नी के साथ

​केंदुआ(झारखंड)। अपने भविष्य के लिए लोग एलआईसी बीमा पर आँख मुंद कर भरोसा करते है. लेकिन खुद को इस भरोसेमंद कंपनी का एजेंट बताकर कुछ जालसाज, भोले भाले लोगो को अपनी ठगी का शिकार बना रहे है. जिनका टार्गेट रहता है अनपढ़ नौकरी वाले लोग.

ऐसा ही मामला केंदुआ थाना क्षेत्र में सामने आया है जंहा एक रिटायर्ड बीसीसीएल कर्मी से एजेंट विजय अग्रवाल पर एक बीसीसीएल कर्मी रामजी पासी ने प्रीमियम पूरा होने पर सारे कागजात सिग्नेचर कराकर 15 से 20 लाख रूपये निकालकर फरार हो जाने का आरोप लगाया है.

जिसके बाद भुक्तभोगी इन्साफ के लिए दर दर भटक रहा है. भुक्तभोगी रामजी पासी कनकनी 4 न. का रहने वाला था. उसने बताया की रिटायरमेंट होने के बाद एजेंट विजय अग्रवाल ने खुद को एलआईसी एजेंट बताकर उसके घर आया था और पैसा निकलवाने के नाम पर सारे कागजात लेकर कई सादे कागज़ पर हस्ताक्षर करा लिए और आज तक नहीं लौटा है.

विजय अग्रवाल की तलाश करते हुए भुक्तभोगी उसके घर तक पंहुचा लेकिन वंहा कोई नहीं मिला लोगो ने बताया की यह धनबाद शिफ्ट हो चूका है.

थक हार कर वह एलआईसी ऑफिस भी पंहुचा लेकिन वंहा भी उससे कागजात मांगे गए जो उसके पास नहीं थे. अपनी वर्षो की गाढ़ी कमी अपनी आँखों के सामने से लुटता देख ये परिवार काफी हताश है.

लोगो के कहने पर भुक्तभोगी रामजी पासी थाने भी गया लेकिन वंहा भी उससे मामले के सबूत मांगे गए और मामला दर्ज नहीं किया गया

जिससे पीड़ित काफी टूट गया है और मीडिया वालो से ही इन्साफ की आस कर रहा है।