दो बच्चों की जिंदगी बचाने को एक लाचार पिता की गुहार

● घर में बूढ़ी मां भी बीमारी से जूझ रही है

●परिवार में गंभीर बीमारी से टूट चुका है स्वामीनाथ पासी

©रिपोर्ट ,अजय प्रकाश सरोज

ईश्वरके बाद अगर कोई किसी की जिंदगी बचा सकता है तो वह डॉक्टर, लेकिन अब डॉक्टर भी बिना पैसे के कुछ भी नहीं कर सकता । इन दोनों के अलावा भी ईश्वर के भेजें कुछ नुमाइंदे धरती पर रहते है। जिनके दिलों में प्रेम ,दया ,करूंगा और संवेदनशीलता होती है । वह भी कभी कभी किसी की जिंदगी बचा लेता है । जिन्हें कुछ धर्मो में फ़रिश्ता का दर्जा दिया जाता है। लेकिन अफसोस कि स्वामीनाथ के 7 वर्षीय पुत्र संजय सरोज व 5 वर्षीय पुत्री पूजा सरोज के लिए किसी दयालु की नज़र नही पड़ी ।

यह दर्द भरी कहानी मिर्जापुर जनपद के ग्राम कल्याणपुर,पोस्ट निगतपुर ,थाना कछवां के निवासी स्वामीनाथ की है। जिनकी दो सन्तानों की किडनी खराब हो गई है । 2 वर्ष पहले बनारस के पॉपुलर हॉस्पिटल में इलाज करा रहें थे जहां पर डॉक्टरों ने सलाह दिया कि दोनों बच्चों की किडनी खराब हो गई है । इन्हें लखनऊ के पीजीआई हॉस्पिटल ले जाइए।

तब से स्वामीनाथ लखनऊ के पीजीआई में डा0 नारायणन प्रसाद बच्चों के इलाज करा रहे हैं । डॉक्टरों के अनुसार संजय सरोज के इलाज में हर महीने ₹10,000 तथा साल भर में 1लाख 20 हजार का खर्च आता है । पूजा सरोज के इलाज में हर महीने 12,000 तथा सालाना 1,440000 रुपए खर्च आ रहा है ।

आप समझ सकते हैं लगातार 2 वर्षों से इलाज कराना एक अंत्योदय गरीब परिवार के लिए कितना कष्टप्रद होता होगा। स्वामीनाथ ने अपनी इस पीड़ा को कई जगह यहां तक कि सांसदों ,विधायकों ,मंत्रियों को चिट्ठी भी लिखा लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार का कोई भी सहायता राशि उसके खाते में नहीं आई।

इसी बीच 3 माह पूर्व स्वामीनाथ की बूढ़ी मां भी गंभीर बीमारी की चपेट में आ गई है । स्वामीनाथ पर विपत्तियों का पहाड़ आ चुका है वह पूरी तरीके से परिवार का इलाज कराते कराते टूट चुका है । किसी सज्जन ने उन्हें सलाह दिया कि आप “श्री पासी सत्ता पत्रिका” से संपर्क करिए वह समाज के कुछ संवेदनशील व्यक्तियों से जुड़े हैं वह आपकी मदद करा सकते हैं ।

क्या उनकी उम्मीदों पर हम खरा उतर सकते है ? यह तो आपकी संवेदशीलता पर निर्भर करता हैं । अगर आप इन दोनों मासूमों की जिंदगी बचाने में अपने हिस्से का कुछ सहायता राशि उनके खाते में डाल दें , तो हम आपके आभारी रहेंगे ।

यह किसी बाप द्वारा अपने बच्चों की जिंदगी बचाने की गुहार है । उम्मीद है आप के दिलों में खुद के बच्चों जैसा ही प्यार व संवेदना उमड़ेगा और इन मासूमों की जिंदगी बचाने में आप एक जिम्मेदार पिता व नागरिक की तरह ही मदद करेंगे ।

स्वामीनाथ का खाता का विस्तृत विवरण ऊपर पासबुक फ़ोटो में देखकर संपर्क करें -8528910727

भारत बंद के समर्थन में इलाहाबाद में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरें

अजय प्रकाश सरोज, जिला प्रभारी , एससी /एसटी उत्पीड़न निवारण केंद्र द्वारा एससी /एसटी एक्ट को कमजोर करने की साजिश के खिलाफ आज सामूहिक संगठनों के साथ भारत बंद कार्यक्रम में जिला कचहरी इलाहाबाद में सभी लोग इकट्ठा होकर म्योहाल चौराहे , सिविल लाइंस को बंद कराते हुए और अंत में इलाहाबाद जंक्शन पर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। आज इलाहाबाद में भारत बंद के समर्थन में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे अनुसूचित जाति एवं जनजाति संगठनों के के नेता व कार्यकर्ता जिला अधिकारी कार्यालय पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन किए और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपने पहुचें लेकिन जिलाधिकारी अनुपस्थिति रहें। प्रमुख आंदोलनकारी अजय प्रकाश सरोज ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के के अनुसार हर 15 मिनट में दलितों के साथ अत्याचार होते हैं और पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड में 66 परसेंट अत्याचार वह गंभीर हमलो की घटनाएं बड़ी हैं ऐसी स्थिति में केंद्र की सरकार की निष्क्रियता के चलते सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट को कमजोर करने का आदेश जारी किया है । जो एक बड़ी साजिश है । इसे हम अनुसूचित जाति जनजाति के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। और आज हम इस आंदोलन के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार में बैठे हुए लोगों को कहना चाहते हैं कि जितनी जल्दी हो सके एससी एसटी एक्ट को मजबूत बनाकर दलितों के ऊपर बढ़ रहे हमलो लोगों को रोका जाये । जिससे देश की एकता व अखंडता बनी रहे । साथ ही मांग किया गया कि अनुसूचित जाति जनजाति एक्ट में केंद्र सरकार की निष्क्रियता और साजिश के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो निर्णय दिया गया है उसको तत्काल संज्ञान में लेते हुए पुनः याचिका दायर कर एससी एसटी एक्ट को अधिक मजबूत बनाएं या संसद द्वारा मजबूत कानून बनाकर उसे लागू करें। यह आंदोलन व प्रदर्शन जिलाधिकारी कार्यालय से होते हुए म्योहॉल चौराहे पर चक्का जाम करके, सिविल लाइन की सभी दुकानों को बंद कराते हुए ,सुभाष चौराहे पर बिभिन्न संगठनों के लोग इकट्ठा हुए । उसके बाद इलाहाबाद जंक्शन पर जाकर के रेल की पटरी में बैठकर रेल की यातायात को रोका गया । इस दौरान जिलाधिकारी इलाहाबाद सुहास एलवाई ने आकर के अजय प्रकाश सरोज के माध्यम से आंदोलनकारियों का ज्ञापन लिया तथा अस्वासन दिया कि हम आपकी बात को केंद्र और राज्य की सरकारों को समक्ष पहुंचाने का काम करेंगे कृपया अब यह आंदोलन समाप्त कर दीजिए। इस आश्वासन के मिलने के बाद ही आंदोलन समाप्त किया गया । प्रमुख आंदोलनकारियों में नीरज पासी , बच्चा पासी, अतुल पासी, संजीव पुरुषार्थी अरुण कुमार सोनू अजीत पासी राजू पासी, आशीष पासी ,सुनील कुमार सरोज सहित हजारों छात्र नौजवान उपस्थित रहे। अजय प्रकाश सरोज (सम्पादक ) जिला प्रभारी , एससी /एसटी उत्पीड़न निवारण केंद्र इलाहाबाद 9838703861

अराजक तत्वों ने खण्डित किया भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा ,धरने पर बैठे अंबेडकरवादी समर्थक

●प्रशासन के हाथ पांव फूले, जिलाधिकारी सुहास एल वाई ने दिया आदमकद की प्रतिमा लगवाने का आदेश

●एसएसपी इलाहाबाद मौके पर पहुँच कर लिया जायजा ।

झूँसी ,इलाहाबाद । त्रिवेणीपुरम कालोनी के अम्बेडकर पार्क में स्थित बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को कुछ अज्ञात अराजक तत्वों ने रात के अँधेरे में खण्डित कर दिया । सुबह जब कालोनी निवासियों ने देखा तो हंगामा खड़ा कर दिए। ग्रामीणों ने कॉलोनी में ही रहने वाले एससी /एसटी उत्पीड़न निवारण केंद्र के जिला प्रभारी अजय प्रकाश सरोज के नेतृत्व में जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाज़ी शुरू कर धरने पर बैठ गए।
सूचना पाकर फुलपुर के नवनिर्वाचित सांसद नागेंद्र सिंह पटेल अपने समर्थकों साथ भी मौके पर पहुच कर धरने में बैठे रहें ।

जानकारी मिलते ही धरना स्थल पर बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता व पदाधिकारी भी पहुँच कर योगी सरकार के खिलाफ हमला बोला ।
इस दौरान सांसद नागेंद्र पटेल ने कहा कि यह काम मनुवादी ताकतों द्वरा कराया गया है वे चाहते है कि देश संविधान द्वरा नही बल्कि मनुस्मृति द्वरा चलाया जाए । लेकिन हम लोग इसे बर्दास्त नही करेंगे। पूर्व मंत्री रामानंद ने कहा कि समाज के आराजको ने सोची समझी रणनीति के तहद यह घिनौना कृत किया है ताकि दलितों पिछड़ो में बन रही एकता को तोड़ा जा सकें। लेकिन इन्हें मुहतोड़ जबाब दिया जाएगा।

संचालन कर रहे अजय प्रकाश सरोज ने बताया कि “जब से त्रिवेणीपुरम के इस पार्क में बाबा साहब की प्रतिमा स्थापित किया गया है । तभी से सामंती, मनुवादी व ब्राह्मणवादी ताकतों के दिल मे सांप लोट रहा है । सरकार कोई भी हो ये मनुवादी ताकतों के हौसले बुलन्द रहते है । कुछ लोग समाज मे द्वेष फैलाकर सामाजिक ताने बाने को तोड़ने का काम कर रहे है ,अब तीन बार यहाँ की प्रतिमा तोड़ी जा चुकी है । पुलिस प्रशासन ख़ामोश बनी रहती है। ”

धरने को बढ़ता देखकर ज़िलाधिकारी ने प्रदर्शनकारियों की मांग पर नई आदम कद की प्रतिमा लगाने का आदेश दिया और साथ ही पाक के सौंदर्यीकरण और सुरक्षा का पूरा इंतजाम करवाने का आश्वासन दिया। बाद में एसएसपी कुलहरी भी पँहुच कर मौके जायजा लिया। और दोषियों पर कार्यवाही का अस्वासन दिया।

इस अवसर पर शीतल प्रसाद प्रधान, महेंद्र गौतम, विधान परिषद सदस्य रामवृक्ष यादव, बसपा के जोनल कोऑर्डिनेटर अमरेंद्र बहादुर भारतीय , डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय एकता मंच के प्रदेश प्रभारी राम सिंह, नरेश पासवान ,श्याम सिंह भारती ,ज्ञान सिंह पटेल घनश्याम पटेल अभिषेक यादव ,मोहम्मद जाहिद, डॉ पवन कुमार, नवीन कुमार, तरुण पासी, रामनाथ , आशाराम , दीपचंद गौतम, चन्द्र बहादुर गौतम, राम तौलन यादव, रमन यादव , सुरेश यादव जिला पंचायत सदस्य , गुड्डू भारती, राजकमल पासी, सुनील पासी आदि लोग उपस्थित रहे।

24 वर्षों तक चला महाराजा सातन पासी का शासनकाल ,पासी समाज को किया है गौरवान्वित

○30 मार्च चैत्र पूर्णिमा महाराजा सातन पासी जन्मोत्सव समारोह पर विशेष

महाराजा सातन पासी(चक्रवर्ती महाराजा सातनदेव पासी)

●शासन काल -1170 ई0 से 1194 ई0 तक

●24 वर्षों तक प्रजा की सेवा करते रहें

जनपद उन्नाव के पुखवरा तहसील और हड़हा क्षेत्र के कई भागों में भर पासियों का राज्य था। यद्यपि जिले के केन्द्रीय भाग में बिसेन राजपूत काबिज थे। किन्तु उत्तर पश्चिम क्षेत्र में राजपासियों की बाहुबली सत्ता स्थापित थी, और बांगर मऊ उनकी सत्ता का प्रमुख केंद्र था। इसी जिले में मशहूर पासी शासक महाराजा सातन देव पासी का किला था जिसके भग्नावशेष आज भी सातन कोट के नाम से विख्यात है। उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा नामक स्थान पर भी भर-पासी शासक था। इस शासक को बाद में बैस राजपूतों ने बेदखल किया था।

टांडा :- वर्तमान अम्बेडकर नगर जिले की टांडा तहसील में बिड़हर नाम का एक परगना है। इस स्थान पर ग्यारहवीं तथा बारहवीं शताब्दी तक भरपासियों का राज्य था। मुस्लिम आक्रमण से यह राजा बेदखल हो गये थे। वे भर पासी वहां से उड़ीसा राज्य में चले गए थे। उड़ीसा में उन्हें भुइञा कहा जाता है। भर और भुइञा जाति के लोगों के बारे में सरहेनरी इलियट अंग्रेज ने समानता का अध्ययन किया है।
बिड़हर परगने में भर पासी शासकों के बारह किलों के निशान विधमान है। 1:- कोरावां 2:- चांदीपुर 3:- समौर 4:- रूघाई 5:- सैदपुर लखाडीर 7:-सोनहाम 8:- नथमालपुर बेढुरिया 9:-पोखर बेहटा 10:- सामडीह 11:- करावां 12:- ओछबान।

महाराजा सातन की सत्ता का केन्द्र बागर मऊ था जो उन्नाव जिले में पड़ता है, सातन कोट में महाराजा सातन देव के नाम से किला प्रसिद्ध था।जिसके भग्नावशेष मौजूद हैं। महाराजा सातन देव पासी तथा महाराजा बिजली पासी दोनों मित्र थे। महाराजा बिजली पासी से आल्हा ऊदल द्वारा जयचंद के भेजने पर होने वाले युद्ध से पहले जयचंद ने सोचा कि मुझे राज्य विस्तार करना है और राज्य विस्तार के मार्ग में राजा सातन देव और राजा बिजली पासी रोड़े हैं। अतः जयचंद ने सबसे पहले महाराजा सातन देव के किले सातन कोट पर आक्रमण कर दिया था,घमासान युद्ध हुआ और जयचंद की सेनाओं को भागना पड़ा।

इस अपमान जनक पराजय से जयचंद का मनोबल टूट गया था इसके बाद जयचंद ने कुटिलता पूर्वक एक चाल चली और महोबा के शूरवीर आल्हा ऊदल को भारी खजाना एवं राज्य देने के प्रलोभन देकर बिजनौरगढ़ एवं महाराजा बिजली पासी के किले पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया। उसी समय काकोरगढ़ के राजा के यहाँ महाराजा बिजली पासी परामर्श करने गये थे। महाराजा सातन देव पासी भी वही मौजूद थे। उसी समय आल्हा ऊदल द्वारा भेजे गये दूत द्वारा अधीनता स्वीकार करने और राज्य का आय देने की बात जैसे ही सुनी राजा बिजली पासी और महाराजा सातन देव पासी ने युद्ध करने की ठानी। गांजर के मैदान में आल्हा ऊदल अपनी सेनाएं युद्ध के लिए उतार दी राजा सातन तथा राजा बिजली की सेनायें भी गांजर के मैदान में डट गयीं।

आमने सामने का युद्ध तीन महीना तेरह दिन तक होता रहा। बिजली वीर शहीद हुए। यह खबर मिलते ही देवगढ़ के पासी राजा देवमाती अपनी सेना लेकर भूखे शेर की भांति टूट पड़े। उनकी दहाड़ और गर्जन सुनकर आल्हा और ऊदल कन्नौज की ओर भाग खड़े हुए। महाराजा सातन देव ने आल्हा ऊदल के साले जोगा और भोगा को खदेड़ कर मौत के घाट उतार दिया और अपनी सच्ची मित्रता और बहादुरी का परिचय दिया था।

महाराजा सातन देव पासी के पास 52 किले थे। महाराजा सातन देव ने बहराइच में जाकर मुस्लिम आक्रमण को दबाया। और पुनः जौनपुर गये वहां विप्लव को दबाने के लिए वहीं युद्ध करते समय किसी ने पीछे से वार कर दिया वे धराशायी हो गए और सन् 1207 ई. में वीरगति को प्राप्त हुए।

सुशील पासी के नेतृत्व में प्रदेश की जातिवादी सरकार को उखाड़ फेंकेगा युवा – अजय प्रकाश सरोज

25 मार्च 2018 को जनपद रायबरेली के फिरोज गांधी डिग्री कालेज सभागार में राष्ट्रीय भागीदारी मिशन(आरबीएम) द्वारा आयोजित “सविधानराज लाओ देश बचाओ” विचार संगोष्ठी एवम् प्रबुद्ध कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते संयोजक सुशील पासी जी ने कहा कि “दया नहीं अधिकार चाहिए । न हिन्दू राज ,न मुस्लिम राज ,हमें संविधान राज चाहिए”

उन्होंने कहा की इस देश में भागीदारी की बात नहीं होती। आज बाबा साहब के विचारो की हत्या हो रही है , अगर किसी देश का किसान खुश नहीं है तो वो देश कभी सोने की चिड़िया नहीं बन सकता | विशिष्ट अतिथि के रूप में इलाहाबाद से आये युवा पत्रकार व संपादक अजय प्रकाश सरोज ने कहा कि देश व प्रदेश में अनुसुचित जाति के नौजवानों पर हमले हो रहें है, सरकार के इशारे उनका फर्जी एनकाउंटर कराया जा रहा है ।

अभी गोरखपुर विश्विद्यालय के वरिष्ठ छात्रनेता अमर सिंह पासवान पर जानलेवा हमला कराया गया। वहां कि पुलिस अपराधियों को पकड़ने के बजाय अस्पताल में भर्ती अमर सिंह पासवान के परिजन का उत्पीड़न कर रही है। प्रदेश की सरकार गुंडई कर रही है । श्री सरोज ने आगे कहा कि रायबरेली के नौजवानों में ऊर्जा है, साहस है, सामर्थ है कुछ कर गुजरने का जज्बा है । उम्मीद हैं आने वाले समय में यह जज्बा अन्याय, अत्याचार, शोषण के खिलाफ सड़कों पर दिखाई देगा और युवा नेता सुशील पासी के नेतृत्व में प्रदेश की जातिवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने का काम करेगा।

सीतापुर से आये इन्द्रपाल पासी ने कहा जिस तरह से छात्र दिलीप सरोज की हत्या की गई वो मानवता की हत्या है लेकिन सरकार अभी तक जागी नहीं है क्योंकि दलितों और पिछडो पर लगातार हमले हो रहे हैं।

इस अवसर पर इलाहाबाद में शहीद छात्र दिलीप सरोज के पिता रामलाल सरोज भी उपस्थित रहे। श्रीपाल वर्मा सीतापुर, नीरज पासी (इलाहाबाद) , रामयश विक्रम (बाराबंकी), मोहनलालगंज से अनोद रावत ,राजकुमारी ज़िलाअध्यक्ष यशपाल (अधिवक्ता), ज़िलाउपाध्यक्ष रामबहादुर, ज़िलाप्रभारी सुरेन्द्र मौर्य , ज़िलाकोषाध्यक्ष विचित्र चौधरी, राकुमार जी , योगेश जी , महेंद्र सोनकर, ऋषि सोनकर , दुर्गा शंकर पटेल, सुजीत यादव , हरदीश यादव , राजकुमार मौर्य आदि लोगो ने अपने विचार व्यक्त किये। इस मौके पर हज़ारो की संख्या में लोग मौजूद रहे ।

एससी / एसटी एक्ट के कमज़ोर होने से देश में बढ़ेगा अस्थिरता का माहौल

●अजय प्रकाश सरोज

केंद्र सरकार को देश को बचाने के लिए एससी/ एसटी के कानून को अधिक मजबूत कर संसद में जल्द जल्द पारित कर देना चाहिए। वरना समाज में भीषण संग्राम होने की संभावना बनी रहेगी । गृह युद्ध से भी इंकार नही किया जा सकता है क्योंकि अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को जिस तरीके से समाज मे उत्पीड़न होत रहा है। वह अभी बन्द नही हो पाया है ,आए दिन दलितों और आदिवासियों के ऊपर हमले होते रहतें है । यहाँ तक कि जघन्य हत्या एवं बलात्कार की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही ।

राष्ट्रीय अपराध ब्योरों के अनुसार पिछले दस वर्षों में दलित अत्यचार की घटनाओं में 66 % की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। हर 15 मिनट में दलित उत्पीड़न की आपराधिक घटनाएं हो रही है। सरकारें अब तक अनुसूचित जाति /जनजाति के लोगों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ पाने में असफल रही हैं। कहीं ना कहीं अनुसूचित जाति, जनजाति एक्ट उन्हें संरक्षण देने का काम करता रहा है । हालांकि अधितर मामलों में आरोपियों की सजा नही हो पाती थीं । ज्यादातर मामलों में दबाव बस दलितों को समझौता करना पड़ता रहता है। बावजूद इसके उन्हें इस एक्ट से सुरक्षा महसूस होती रहती थीं । समाज मे सामंती दबंगो के हौसले में कमी देखने को मिली रही थीं।

लेकिन उसे कमजोर करके सुप्रीम कोर्ट ने जहां एक तरफ समाज के शोषक वर्गों को इस कानून से राहत देकर सह देने का काम किया है , तो वहीं दूसरी तरफ अनुसूचित जाति /जनजाति के लोगों के प्रति कानून से न्याय की उम्मीद व विश्वास को कमजोर भी किया है। कानून का संरक्षण खत्म होने पर एससी ,एसटी के लोगों के पास अपने बचाव में कोई रास्ता नहीं बचता ।

ऐसे में अनुसूचित जाति , जनजाति के लोग अपने ऊपर से संरक्षण हट जाने पर मरने और मारने उतारू हो जाएंगे । क्योंकि दलित ,आदिवासियो में कुछ ही मात्रा में सही चेतना जगी है। वह अब शोषण के तरीकों को समझने लगा है। फिर मरता क्या न करता कि हालात पैदा हो जाएगी । जिससे कानून का राज खत्म होगा और जातीय संघर्ष बढ़ेगा । हिसंक प्रवत्तियाँ प्रबल होंगी । देश अस्थिरता की ओर बढ़ेगा। नक्सल आंदोलन से उपजे हिंसक घटनाओं से क्या सरकार को सीख नही लेना चाहिए ?

भारतीय संविधान व संसद द्वारा इन वर्गो को विशेष दर्जा दिया गया है इन्हें सामाजिक सुरक्षा के प्रावधान किए गए है। इसलिए जितनी जल्दी हो सके अनुसूचित जाति ,जनजाति एक्ट को पुनः संसद में पारित करवा कर एससी/ एसटी के लोगों को मजबूत व विशेष संरक्षण दिए जाने की जरूरत है ।

रहीं बात कानून का दुरुपयोग की तो सरकार आयोग गठित कर सर्वे से पता करा सकती है कि कितने कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है ,और कौन लोग है जो कानून का दुरुपयोग करने में माहिर है। मैं दावें के साथ कह सकता हूँ कि सवर्ण कानून का दुरुपयोग वालों में अग्रिम पंक्ति में नज़र आएंगे । सरकार को अपनी मानसिकता बदली होंगी । तभी देश की एकता ,अखण्डता व तरक्की सुनिश्चित किया जा सकेगा।

ठाकुर थानेदार सर्वेश सिंह ने जेएनयू के शोधछात्र को नक्सली कहकर पीटा

इलाहाबाद शहर के करैली थाना के थानाध्यक्ष सर्वेश सिंह ने JNU के छात्र को नक्सली और देशद्रोही का आरोप लगाकर पुलिस थाने में बुरी तरह पिटाई की। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय(JNU) के संस्कृत विभाग के शोध छात्र भरतमणी चौधरी अपने शोध कार्य हेतु इलाहाबाद आये हुऐ थे।

जहां कल दिनांक 21/3/2018 को शाम 6 बजे करैली थाना क्षेत्र में अपने शोध सम्बंधित कार्यों हेतु गये हुए थे जहां थानाध्यक्ष सर्वेश सिंह आये और खड़े होने का कारण पूछा जब भरत ने अपना परिचय शोध छात्र JNU के रूप में दिया तो सर्वेश सिंह आग बबूला होकर नक्सली और देशद्रोही कहकर गाली गलौज करने लगें ।

जब भरत ने इसका विरोध किया तो उसे पकड़कर थाने ले जाकर बुरी तरह से पीटा और भरत का पूरा नाम सुनते ही जातिसूचक गालियां देने लगें और धारा 151,107,116 लगाकर उसे जेल भेज दिया।

आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं ने एसएसपी कार्यालय जाकर के पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर थानेदार सर्वेश सिंह को निलंबित करने की मांग की

एससी /एसटी कानून को निष्प्रभावी बनाने का असली गुनहगार कौन ?

○अजय प्रकाश सरोज

एक बार फिर भड़क लीजिए आप लोग क्योंकि मुझे पता है कि मायावती के खिलाफ कुछ भी लिखने बोलने पर माया भक्तों द्वारा मुझे भाजपा और RSS का एजेंट करार दिया जाएगा । लेकिन भी जिद्दी हूं ,सच कहने का आदी हूं और लिखने से पीछे नहीं हटूंगा ।

अनुसूचित जाति /जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम -1989 का कानून जो सुप्रीम कोर्ट ने निष्प्रभावी करने का फैसला लिया है । यह निर्णय दलितों के ऊपर से सुरक्षा कवच हटाने का गंभीर मामला है जिस पर सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार करना चाहिए ।

सदियों से देश में दलित और आदिवासियों के प्रति समाज के उच्च वर्णो में नफरत भरी पड़ी है । जो मौका मिलते ही दलितों और आदिवासियों पर हमलावार हो जाते हैं । उन्हें जानवरों की तरह मारा-पीटा जाता है । उनका शोषण व उत्पीड़न किया जाता है। देश की आजादी के बाद सत्ता में रहने वाली सरकारें दोषी है ही , लेकिन दलितों की हमदर्द कहने वाली पार्टी बहुजन समाज पार्टी भी कम दोषी नहीं है। इस कानून को कमजोर करने की ज़मीन 2007 में ब्राह्मणों के गठजोड़ से सत्ता में आई बसपा सरकार ने ही तैयार किया था। जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फसल उगाने का काम किया है। 2007 में ब्राह्मणों के गठजोड़ से सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय वाली सरकार बनाते ही बसपा सरकार ने एससी/ एसटी एक्ट -1989 ,में संशोधित करके यह आदेश जारी किया कि हत्या और बलात्कार के मसलों को छोड़ करके बाकी जितने भी अपराध होंगे उसमें डीएसपी के स्तर पर जांच होने के बाद ही ग़ैर दलितों के खिलाफ मुकदमे पंजीकृत किए जाएंगे । बसपा के साथ ब्राह्मणों का यह सौदा भी कहा जा सकता है। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिसंघ नेता उदितराज की याचिका पर सुनवाई करते हुए 6 महीने के भीतर ही सरकार के इस फैसले को निरस्त कर दिया।और फटकार लगाते हुए कहा कि यह मामला कानून में संशोधन का है, इसको राज्य सरकार संशोधित नही कर सकती है । लेकिन सरकार के इस अध्यादेश को निरस्त होने के बाद भी उत्तर प्रदेश के पुलिस महकमे में यह आदेश प्रैक्टिस में लगातार बना रहा । पुलिस अपनी सुविधा के अनुसार SC / ST अत्याचार एवं उत्पीड़न पर पुलिस विभाग के उच्च अधिकारी डीएसपी की जांच व अनुमति के बाद ही मुक़दमा पंजीकृत करती रही । लेकिन कोई भी राजनीतिक दल ने इस परंपरा का विरोध में बोलने की हिम्मत नही दिखाई । जबकि यह पूरी तरीके से असंवैधानिक था । जबकी 2015 में आए एससी /एसटी संशोधित एक्ट में भी इस तरह का जिक्र नही किया गया कि मुक़दमा के लिए उच्च अधिकारियों से अनुमति जरूरी है। बसपा सरकार द्वारा लिए गए फैसले ने जो जमीन तैयार की थी उसी का आधार बनाकर दस साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस दलित विरोधी फैसले को संवैधानिक चोला पहनाने की कोशिश की है। अब तो सिर्फ दो ही रास्ता है या तो सुप्रीम कोर्ट अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करें अथवा केंद्र सरकार संसद में कानून बना करके अनुसूचित जाति /जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम को अधिक मजबूती प्रदान करें । जिससे दलितों और आदिवासियों के इज्जत ,आबरु ,मान,सम्मान और स्वाभिमान को बच सके । इस कार्य में सभी पार्टियों के दलित सांसदों की एकजुटता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। अंतिम तौर पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती का इस मसले पर क्या बयान आता है यह दिलचस्प होगा । (लेखक – श्रीपासी सत्ता पत्रिका के सम्पादक है और अनुसूचित जाति / जनजाति उत्पीड़न निवारण एवं सशक्तिकरण केंद्र इलाहाबाद के जिला प्रभारी है)

संबंध सूत्र मैट्रिमोनियल का परिचय सम्मेलन संपन्न

18 मार्च रविवार को इलाहाबाद में संबंध सूत्र मैट्रिमोनियल की तरफ से चकिया राजरूपपुर में प्रथम वैवाहिक परिचय सम्मेलन संपन्न हो गया । यह सम्मेलन मुख्य रूप से पासी समाज के युवक-युवतियों के लिए योग्य वर वधू खोजने के उद्देश्य से किया गया था। संबंध सूत्र के संचालक हेमंत कुमार उर्फ सुनील पासी जी ने बताया कि पासी समुदाय के बीच में शादी विवाह को लेकर के एक गंभीर समस्या बनी हुई है जिसे हम संबंध सूत्र मैट्रिमोनियल के माध्यम से उन्हें यह सुविधा उपलब्ध कराते हैं कि अपने बेटा /बेटी के लिए योग वर -वधु प्राप्त कर सकें । इस अवसर पर बहुजन अवाम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिठाई लाल पासी ने कहा कि राजनीतिक रूप से पासी समुदाय जब तक मजबूत नहीं होगा तब तक यह समस्याएं बनी रहेंगी । लखनऊ से चलकर आए युवा नेता शैलेंद्र पासी ने कहा कि समाज के नव युवकों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सबको लेना होगा जब वह योग्य बनेंगे तभी हमारे समाज में योग्य वर मिलेंगे। श्री पासी सत्ता के संपादक अजय प्रकाश सरोज ने कहा कि समकालीन परिवेश में जहां लोगों के पास समय का अभाव है । लोग योग्य वर वधु ढूंढने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए युवा समाजसेवी हेमंत पासी द्वारा शुरू किया गया ,यह अभियान काबिले तारीफ है। श्री सरोज नेआगे कहा कि हमारे साथी राजनीतिक हस्तक्षेप करने के बजाय इस तरह के जिम्मेदारियों का भी निर्वहन कर रहे है। ऐसे कार्यो में सहयोग करना समाज के बुद्धिजीवियों का कर्तव्य होना चाहिए। वैवाहिक परिचय सम्मेलन में प्रमुख रूप से नटवरलाल भारती पूर्व पार्षद, प्रबुद्धवादी बहुजन मोर्चा के अध्यक्ष लालाराम सरोज, डिप्टी एसपी महेंद्र वर्मा ,दिल्ली। युवा नेता नीरज पासी, अतुल पासी , संजीव पुरुषार्थी, भुलई पासी, राजपाल पासी, कुसुमलता आर्या, रूबी भारतीय, अरुण कुमार , अनिल कुमार पासी आदि लोग भागीदार रहें । कार्यक्रम का संचालन प्रमोद भारतीय एडवोकेट ने किया ।

घोर जातिवादी मायावती नेतृत्व करे तो वाल्मीकि और पासी समाज का क्या होगा ? –दर्शन ‘रत्न’ रावण

कभी-कभी हम छोटी-छोटी घटनाओं से अति उत्साहित हो जाते हैं। यह ठीक है कि अच्छे नतीजों का हम खैरमखदम करें। मगर अपने पुराने तुज़रबों को भी सामने रखना चाहिए। बात कर रहा हूँ उपचुनावों से पैदा हुई स्थिति और हज़ारों उम्मीदों की।

इस बात में कतई झूठ नहीं कि भाजपा आरएसएस जैसे संगठन भारत के लिए घातक हैं। इन्हें मिल-जुल कर रहना ना आता है ना ही ये चाहते हैं। संसार का ऐसा कोई हिस्सा नाहीं जहां एक ही नस्ल के इंसान रहें और जी लें।

मगर मैं जिस पसोपेश से गुजर रहा हूँ वो यह है कि मौजूदा पसमंज़र के हिसाब से एक तरफ कट्टर हिदुत्व के लोग हैं। जिनमें बहुत सारे बरग़लाए हुए समूह हैं। वोट के महत्त्व को अपने भविष्य के सोच कर गाय, गोबर पर चिन्तित हो रहा है। बावजूद इसके कि गाय कूड़े के ढेर पर पहुँच चुकी है।

मैं बात कर रहा था कि एक तरफ हिन्दू-कट्टरपंथी हैं। जिसके निशाने सभी दलित, आदिवासी, अल्पसंखयक व पिछड़े हैं। इसमें एक तथ्य यह कहना चाह रहा हूँ कि पिटने वाले अकेले नहीं हैं। भविष्य में एक-दूसरे का सहारा बन सकते हैं।

दूसरा पहलु यह है कि अगर देश का नेतृत्व मायावती जैसी औरत करती है तो नसीमुद्दीन के रूप अल्पसंख्यक उनके कृपा-पात्र रहेंगे। कुछ पिछड़े कुर्मी के रूप में और सबसे करीब ब्राह्मण मिश्रा जैसा कोई निश्चित रहेगा। मगर वाल्मीकि समाज जिसकी जनसँख्या दलितों में सबसे भारी है उन्हें 403 सीट {ऊ.प्र.} में से कोई हारने वाली सीट भी नहीं मिलेगी।

ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ कि कांग्रेस अभी भी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही। दलितों को लुभाने के लिए मायावती का नाम एक रणनीति के अंतर्गत उछाला जा सकता है। फिर देश का सफाई कामगार समाज क्या करे ? अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने वाले पासी समाज क्या करेगा ? जिसके पुरखों ने बसपा को बनाने में अपना सर्वस्व निछावर कर दिया। सवाल पर बाकि सवालों को एक तरफ रख कर सोचना होगा। इसी तरह अन्य उपेक्षित अनुसूचित जातियों का क्या होगा ?

(रावण जी के दीवार से संसोधित)