‘दीनाभाना ‘जिसने कांशीराम को मान्यवर बना दिया

28 अगस्त जयंती-
एक व्यक्ति “दीना भाना” जिन्होंने कांशीराम साहब को देश का महानतम नेता बना दिया

दीना भाना जी,हां दीना भाना जी वह नाम है जिन्होंने कांशीराम साहब को बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी के व्यक्तित्व व कृतित्व से रूबरू कराया और कांशीराम साहब के अंदर छिपी बहुजन नेतृत्व की भावना को सुसुप्तावस्था से जाग्रत कर देश को एक समर्थ बहुजन नेतृत्व दिलवाने का ऐतिहासिक कार्य किया।
दीना भाना एक छोटे से कर्मचारी थे जिन्हें बाबा साहब डॉ आंबेडकर के कार्यो की अच्छी समझ थी।वे बाबा साहब की जयंती को मनाने हेतु छुट्टी चाहते थे पर उनका अधिकारी उन्हें इस हेतु छुट्टी देने को तैयार नही था लिहाजा वे बगावत कर दिए और अपनी नौकरी को यह कहते हुये दांव पर लगा दिए कि जिस अम्बेडकर की बदौलत नौकरी पाया हूँ उसके लिए नौकरी छोड़ भी सकता हूँ।कांशीराम साहब इस घटना के घटित होने तक अम्बेडकर साहब से परिचित नही थे।कांशीराम साहब भी उस अफसर के समकक्ष के अफसर थे।उन्होंने दीना भाना का साथ दिया और दीना भाना से अम्बेडकर साहब के विषय मे जानने की उत्सुकता जताई।
दीनाभाना ने कांशीराम साहब को बाबा साहब की “एनिहिलेशन आफ कास्ट” नामक पुस्तक पढ़ने को दी।कांशीराम साहब ने इस पुस्तक को पढ़ने के बाद अपना सम्पूर्ण जीवन बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी को समर्पित कर दिया।

दीना भाना ने अपनी छोटी सी नौकरी होने के बावजूद जिस तरीके से खुद को बाबा साहब को समर्पित कर रखा था उसी की बदौलत आज अम्बेडकरी मिशन पूरे शबाब है।कांशीराम साहब की बदौलत आज पूरा देश बाबा साहब को जानने,समझने,पढ़ने को उद्द्यत है।कांशीराम साहब को एक छोटे से कर्मचारी ने अम्बेडकरी ज्ञान प्रदान कर देश का इतना बड़ा व महान बहुजन नेता बना दिया।
28 अगस्त दीना भाना जी की जयंती है।ऐसे दृढ़ प्रतिज्ञ,कृतज्ञ,मिशनरी दीना भाना जी को कोटिशः नमन है जिन्होंने कांशीराम साहब जैसा अम्बेडकरवादी नेतृत्व देश को प्रदान किया तथा बहुजन समाज को बाबा साहब के प्रति आजीवन कृतज्ञ बने रहने की सीख दी।

लेखक : चन्द्रभूषण यादव

स्वतंत्रता दिवस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री धर्मवीर जी की याद में होता है खेलकूद प्रतियोगिता

लगभग 35 वर्षों से 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्व० धर्मवीर जी की याद में इस मेले और खेलकूद प्रतियोगिता के तहत एतिहासिक धर्मवीर कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन इलाहाबाद जनपद के ग्राम जनका में वहाँ के ग्रामीण किसान भाइयों द्वारा कराया जाता रहा है। इस वर्ष भी 15 अगस्त 2018 को भी इसका भव्य आयोजन हुआ।

आयोजक साथी श्री शिवलाल पासी जी एडवोकेट, पूर्व प्रधान श्री देशराज यादव जी, पूर्व प्रधान श्री सत्यप्रकाश केसरवानी जी, श्री रामप्रसाद पासी जी, श्री रामसुमेर भारतीया जी, श्री सागर सिंह पटेल जी, श्री अब्बास अली जी, श्री वीरेंद्र सरोज जी, श्री जगदीश केसरवानी जी, श्री अनीस अहमद जी सहित नारायणस्वरूप अस्पताल मुँडेरा इलाहाबाद व सभी साथी सहयोगियों को धर्मवीर सामाजिक संस्थान की तरफ़ से हृदय की गहराइयों से आभार व धन्यवाद।

– सत्यवीर मुन्ना ,पूर्व विधायक , सोरांव विधानसभा

अटल जी पर आलोचनात्मक टिप्पणी मैंने क्यों नही की ? – अजय प्रकाश सरोज

मेरे कई मित्रों ने मुझे सोशल मीडिया और फोन के मध्यम से कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई पर आपने कोई आलोचनात्मक टिप्पणी क्यों नही कीं ? यह जानते हुए भी वें दलित -पिछड़ा विरोधी ,ब्राह्मणवादी और संघी थें।

उन्ही के समय मे आरक्षण को प्रभावहीन बनाने हेतु उदारीकरण ,निजीकरण की नीति खूब फली फूली । जिसका खमियाजा आज तक दलित पिछड़ो को भुगतना पड़ रहा है। यहीं वह शक्श था जिसने मायावती को मिलाकर मान्यवर कांशीराम और मुलायम सिंह को तोड़कर दो अलग दिशाओं में भेज दिया । जो फिर कभी नही मिल सकें।

प्रधानमंत्री रहते इसने ही जातिगत जनगणना पर रोक लगाया था और तत्कालीन गृहमंत्री आडवाणी के हवाले से कहलवाया था कि जातिगत जनगणना होने से जातिवाद बढ़ेगा, जातीय दंगे होंगे ,हिंसा फैलेगी जिससे देश को खतरा होगा । पेंसन योजना भी इसने ही समाप्त किया था। बाल्को और सेंटोर घोटाला जैसा भृष्टाचार , कंधार समझौते में खूंखार आतंकवादी मसूद अज़हद को छोड़ने का काम भी इन्ही के समय हुआ था । बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने गये संघियों को भी इन्होंने ही उकसाया था।

यहीं नही देश के साथ गद्दारी करने में भी यह पीछे नही था। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय पर यहीं आदमी अंग्रेजों का सरकारी गवाह बनकर दो क्रांतिकारियों को सजा दिलाया था। तमाम आरोप फेसबुक और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से निकल रहें है। यहाँ तक कि कईयों ने उनके चरित्र पर भी गम्भीर आरोप लगाए और लिखा कि अटल जी शराब और शबाब के शौकीन थें । बिना शराब और भांग के उनसे कविता नही पढ़ी जाती थीं ।

आदि अनेकों अनेक आरोप और आलोचनात्मक टिप्पणी सोशल मीडिया के जरिये लोगो ने की है। इनमे बहुजन समाज के चिंतक ज्यादा शामिल है। यह भी प्रश्न उठा कि सवर्ण खासतौर पर ब्राह्मण समुदाय के लेखक और पत्रकार अटल जी पर आलोचनात्मक टिप्पणियां क्यों नही की ? यह भी शोध का विषय है कि क्यों ?
सवालों के घेरें में मैं सोच रहा था कि यह आज़ादी हमारें समाज के लोगों को कब ,कैसे और क्यों मिली ? शायद सोशल मीडिया न होता तो इन्हें अपनी भावनाओं को इतनी तेज़ी से ब्यक्त करने का अवसर न मिल पाता ! क्योंकि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर ब्राह्मणवादी शक्तियों का कब्जा हैं।

खैर ,बात कर रहा था कि जुगाड़ से जीते जी भारतरत्न पाने वाले अटल बिहारी जी की , कि मैंने आलोचना क्यों नही की ? तो मेरा जवाब इस प्रकार है ” किसी भी ब्यक्ति के मरने पर मैं तब तक आलोचना नही करता जब तक उसकी अंत्येष्ठी न हो जाएं । एक पत्रकार के नाते यह मेरी कमजोरी भी हो सकती हैं। इस विचार को चाहे भारतीय संस्कृति का चोला पहनाया जाएं अथवा नहीं , इससे मुझे तानिक भी फर्क नही पड़ता । क्योंकि मेरे हृदय में जो भावना आती हैं मैं उसे ही प्रकट करता हुँ । मेरा मन खुला है जिसमे सभी विचारों का आना जाना लगा रहता हैं लेकिन यह जरूरी नही की मैं उन सभी विचारधाराओं से प्रभावित हुँ ।

मेरा जो अपना है वह हमेशा रहेगा , वो है इस देश मे जातियों के रहतें जातीय न्याय की माँग । जिसके लिए जातिगत जनगणना जरूरी हैं। और यहीं मेरी राजनैतिक आस्था भी हैं । जो इसके विरोध में होगा उसकी आलोचना भी करूँगा । जो समर्थन में रहेगा वहीं मेरा साथी ,उसी का मैं राजनीतिक समर्थक ।

एक बार पुनः उन्हें श्रद्धांजलि !!! इस उम्मीद के साथ कि अगर उनका पुनर्जन्म भारत मे हो तो , वों किसी सामंतवादी, ब्राह्मणवादी, मनुवादी गाँव में किसी दलित /आदिवासी के घर जन्में । जँहा उन्हें छुआछूत, भेदभाव का सामना करना पड़े । ताकि उन्हें पता चले इस देश में दलितों -आदिवासियों का जीवन कैसे होता है ?

–अजय प्रकाश सरोज , संपादक, श्री पासी सत्ता पत्रिका

अटल जी के जीवन जीने की कला से मैं ब्यक्तिगत तौर पर प्रभावित हुँ – अजय प्रकाश सरोज

झूँसी । भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन पर एससी /एसटी उत्पीड़न निवारण एवं सशक्तिकरण केंद्र के जिला प्रभारी अजय प्रकाश सरोज के नेतृत्व में त्रिवेणीपुरम झूँसी आवास पर संगठन के पदाधिकारियों ने शोभसभा का आयोजन किया और श्रद्धाजंलि अर्पित की।

इस दौरान श्री सरोज ने कहा कि अटल जी का ब्यक्तित्व विशाल वट बृक्ष के समान बड़ा था । उन्होंने भारतीय राजनीति में सुचिता, संकल्पों के साथ बड़ा प्रयोग किया जिसमे उन्होंने सफलता प्राप्त की ।

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उनकी सांगठनिक क्षमता और संघर्ष राजनीति के नवसिखियों के लिए अध्ययन का विषय है । अटल जी युगों युगों तक युवाओं के प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। उन्होंने राजनीति ,साहित्य में जो किया मन से किया और जो छोड़ा तो फिर मुड़कर नही देखा । उनके जीवन जीने की कला से मैं ब्यक्तिगत तौर पर प्रभावित हुँ ।

संजीव पुरूषार्थी ने उन्हें श्रद्धाजंली देते हुए उन्हें राजनीति का भीष्म पितामह कहा , तो नीरज पासी ने उन्हें सम्पूर्ण मानव कहकर सम्बोधित किया जो अपना जीवन सादगी से देशहित मे जिया।

इस अवसर पर अनूप कुमार, पवनेश कुमार, अजित कुमार भारतीय, राम सूचित, राजेश मौर्य , नवीन कुमार, राशिद, राकेश यादव, महेंद्र सिंह, गुड्डू , अनिल कुमार, राम कृष्ण, सूर्यबली , अरुण कुमार , शक्ति सिंह, भोला , राम सूरत , संजय यादव, शोभनाथ मौर्य, बीआर मौर्य , आदि लोग उपस्थित रहें।

नया

झूँसी । भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन पर एससी /एसटी उत्पीड़न निवारण एवं सशक्तिकरण केंद्र के जिला प्रभारी अजय प्रकाश सरोज के नेतृत्व में त्रिवेणीपुरम झूँसी आवास पर संगठन के पदाधिकारियों ने शोभसभा का आयोजन किया और श्रद्धाजंलि अर्पित की।

इस दौरान श्री सरोज ने कहा कि अटल जी का ब्यक्तित्व विशाल वट बृक्ष के समान बड़ा था । उन्होंने भारतीय राजनीति में सुचिता, संकल्पों के साथ बड़ा प्रयोग किया जिसमे उन्होंने सफलता प्राप्त की ।

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उनकी सांगठनिक क्षमता और संघर्ष राजनीति के नवसिखियों के लिए अध्ययन का विषय है । अटल जी युगों युगों तक युवाओं के प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। उन्होंने राजनीति ,साहित्य में जो किया मन से किया और जो छोड़ा तो फिर मुड़कर नही देखा । उनके जीवन जीने की कला से मैं ब्यक्तिगत तौर पर प्रभावित हुँ ।

संजीव पुरूषार्थी ने उन्हें श्रद्धाजंली देते हुए उन्हें राजनीति का भीष्म पितामह कहा , तो नीरज पासी ने उन्हें सम्पूर्ण मानव कहकर सम्बोधित किया जो अपना जीवन सादगी से देशहित मे जिया।

इस अवसर पर अनूप कुमार, पवनेश कुमार, अजित कुमार भारतीय, राम सूचित, राजेश मौर्य , नवीन कुमार, राशिद, राकेश यादव, महेंद्र सिंह, गुड्डू , अनिल कुमार, राम कृष्ण, सूर्यबली , अरुण कुमार , शक्ति सिंह, भोला , राम सूरत , संजय यादव, शोभनाथ मौर्य, बीआर मौर्य , आदि लोग उपस्थित रहें।

आज़ादी के मायने और देशभक्ति का जश्न

72 वें स्वतन्त्रता दिवस की संध्या पर सभी को हार्दिक शुभकामनायें ..●अजय प्रकाश सरोज

दिनभर स्वतंत्रता की धमा चौकड़ी थीं चारो और तिरंगा ही तिरंगा लहरा रहा था । हर पेशे से जुड़े लोग अपने अपने तरीक़ो से तिरंगे का सम्मान करते हुए देखे गए। शहर में सब्जी वाला ,दूध वाला ,फल वाला , ऑटो वाला ,रिक्शा वाला , ठेले वाला ,खुमचा वाला, तिरंगा टोपी लगाए घूम रहन थें तो चाय वाला कैसे पीछे रहता ! वह तो प्रधानमंत्री का बिरादरी जो ठहरा ,उसके चेहरे का चमक तो तिरंगामय हो गया। सावन का महीना है तो कावड़िया वालों ने सरकारी सुरक्षा ब्यवस्था में तिरंगा हाथ मे लिए बोल बम के जयकारों में स्वंतत्रता का जमकर आनंद लिया। तो नवयुवक नें अपनी अपनी टोली टोली बनाकर हाथ मे तिरंगा लिए चौरहों पर आज़ादी के जश्न में सरोबार होकर सेल्फ़ी लिया और सोशल मीडिया पर छायें रहें।

ऐसे ही न जाने कितने लोग है जिन्हें आज़ादी के मायने नहीं पता लेकिन उन्हें पता है आज कुछ विशेष दिन है इस दिन तिरंगा लगा कर देश प्रेम की भावना प्रकट किया जाता है । सो वह भी कर लेते हैं।

भले की देश की ब्यवस्था ने उन्हे त्रस्त कर रखा हो ,आज़ादी के 71 वर्ष बाद भी देश के 40 % आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहीं है। उनके पास मूलभूत आवश्यकता रोटी ,कपड़ा व मकान तक नही है। आज भी लोग पहाड़ो में, जंगलों में धूप गर्मी और बारिश में जैसे तैसे उनके जीवन काट रहें हैं। शहरों में भी न जाने कितनी बस्तियां है जिन्हें मानवीय जीवन का एहसास तक नही । उनके जीवन स्तर में कोई अर्थपूर्ण बदलाव देखने को नही मिलता ।

क्या उन्हें यह पता है कि भारतीय समाज की गुलामी की विविध परतों को तोड़ते हुए वास्तविक आज़ादी का अहसास देश के लोग कर सके इसके लिए पहला कदम 15 अगस्त को ही बढाया गया था , शायद नही ! जिस आज़ादी के लिए अनगिनत शहीदों ने बलिदान दिया।

कोई भी आजादी बिना अधिकार और दायित्व के सम्पूर्ण नही हो सकती । इसलिए दूसरी आज़ादी का अवसर तब प्राप्त हुआ जब इन अधिकारों और दायित्वों का दस्तावेज भारतीय संविधान के रूप में 26 जनवरी 1950 अस्तित्व में आया। बाबा साहेब अम्बेडकर का वह सन्देश बहुत ही सारगर्भित है जब वे राजनैतिक लोकतन्त्र को सामाजिक लोकतन्त्र में बदलने का आव्हान करते हैं और सही मायनों में वही तीसरी आज़ादी और असल आज़ादी का दिन होगा।

लेकिन आज़ादी के दो तकनीकी पक्षों स्वतंत्रता व गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली हांसिल कर लेने के बाद भी सामाजिक लोकतन्त्र का लक्ष्य हांसिल कर तीसरी आज़ादी प्राप्त करने का स्वप्न धूमिल हुआ है क्योंकि यह तभी हांसिल हो सकती थी जब नागरिकों को समस्त संवैधानिक अधिकार मिलते और नागरिक भी अपने संवैधानिक दायित्वों को भी निभाते, लेकिन ऐसा हो नही पाया।

लोकतन्त्र सामन्तवाद पूंजीवाद और धार्मिक ,जातीय मफिआयों के चंगुल में है ,तो चालाक नागरिक अपना कोई भी दायित्व निभाने से पहले उसकी इतनी कीमत चाहता हैं। वह अपने नेताओं से चुनाव से पहले ही सौदा कर लेना चाहता हैं। नेता भी अपनी सुविधा के अनुसार मतदाताओं की खरीद फ़रोख़्त कर अपनी गणित फिट करके पांच साल गायब हो जाता हैं। उसे जनता से सरोकार नही रह जाता ।

ऐसी परिस्थिति में जिन लोगों ने तीसरी आज़ादी का स्वपन देखा है जिनमे ऐसे लोग शासन में शामिल हो जो आर्थिक ,समाजिक आज़ादी को केंद्र में रखकर वंचितों को मूलभूत आवश्यकताओं से भर सकें। और जो अपने महापुरुषों के इस स्वप्न के प्रति अपने को समर्पित पाते हैं उन्हें ही आगे आकार परिस्थिति बदलनी होगी, व्यवस्था परिवर्तन करना होगा।

देश की दिशा और दशा में आमूलचूल परिवर्तन के लिए 40 %हासिये के समाज के लिए मानवीय जीवन की मूलभूत अवश्यताओं में रोटी, कपड़ा, मकान ,शिक्षा रोजगार के अवसर प्रदान करके ही हम उन्हें सच्चे अर्थों में आज़ादी का एहसास करा सकतें है।

संविधान जलाने वालों की गिरफ्तारी के लिए गांधी प्रतिमा पर प्रतिरोध सभा

●संविधान जलाने वालों खिलाफ FIR दर्ज कराने पहुंचे संविधानवादी

इलाहाबाद। दिल्ली के जंतर मंतर पर कुछ अराजक तत्वों ने भारतीय संविधान की प्रतियां जलाई जिसका वीडियो वायरल होने पर इलाहाबाद के जागृत सामाजिक कार्यकर्ताओं में आक्रोश व्याप्त हुआ विभिन्न संगठनों के लोगों ने आज कर्नल गंज थाने में FIR दर्ज कराने के लिए तहरीर दी और दोषी अराजक तत्वों के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करके जेल भेजने की मांग की है।

तो शाम को बालसन चौराहे पर स्थित गांधी प्रतिमा पर विभिन्न संगठनों से जुड़े संविधानवादी नेताओ ने धरना पर्दशन प्रतिरोध सभा किया।

इस दौरान एससी /एसटी उत्पीड़न निवारण केंद्र के जिला प्रभारी अजय प्रकाश सरोज ने कहा कि एक तरफ ” राज्यसभा में एससी एसटी एक्ट के बिल को मंजूरी मिल रही थी तो वहीं दूसरी ओर जंतर-मंतर पर संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए कुछ अराजक तत्वों ने भारतीय संविधान को जलाने का काम किया यह देशद्रोह और आतंकवादी गतिविधियों की श्रेणी में आता है ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी भारत के संविधान साथ ऐसा कुकृत्य करने से डरें”

विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने सभा को सम्बोधित किया । और कहा कि राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर जहां महामहीम राष्ट्रपति , भारत के मुख्यन्यायाधीश और सांसद रहते हो वही जंतर मंतर पर भारत का संविधान जलाना दुर्भाग्यपूर्ण है और देश द्रोहियो की गिरफ्तारी की मांग की है।

इस अवसर पर गोरखनाथ यादव, दिनेश चैधरी , सुनील कुमार , सुनील यादव, विनय सरोज राकेश पासी शैलेश पासवान आदि लोग उपस्थित रहें।

निर्दोष दलित युवक को गांजा के आरोप में जेल भेजने वालें दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ धरना , सौंपा ज्ञापन

इलाहाबाद । बीते माह 28 जुलाई को पुलिस द्वरा लगाए गए गांजा के आरोप में फर्जी मुकदमे में जेल भेजें गए अरोपी के समर्थन में ग्रामीणों द्वरा आवाज उठाने पर तत्काल उच्य स्तरीय जांच में निर्दोष साबित हुए विपिन पासी को 6 दिन बाद सीधे केंद्रीय जेल से छोड़ दिया गया।

लेकिन इस उत्पीड़न से आक्रोशित ग्रमीणों ने सरायइनायत के थानेदार , दरोगा महेंद्र यादव फर्जी मुकदमे में फ़साने वाले समस्त आरोपियो पर कार्यवाही हेतु जदयू के पदाधिकारियों के साथ आज जिलाध्यक्ष नीरज पासी के नेतृव में धरना लगाकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा ।

धरने के समर्थन देने पहुँचे एससी /एसटी उत्पीड़न निवारण केंद्र के जिला प्रभारी अजय प्रकाश सरोज ने कहा है कि “पुलिस द्वरा किये गये इस गम्भीर दलित उत्पीड़न को अनुसूचित जाति आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई जाएगी । दोषी पुलिस कर्मियों सहित दबंगो को बख्शा नही जाएगा।

इस अवसर पर बिकेआरपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनिलराजपसी, प्रमोद भरतीय , वीरभोग्या संघ के संजीव पुरूषार्थी , अनुराग, जदयू नेता मुन्ना लाल , विपिन विनोद , अन्नू सिंह, निखिल पासी, बीके बघाडिया , महेंद्र कुशवाहा, राधा पासी आदि लोग शामिल रहें।

फैशन विज्ञापन के जरिये मीडिया दें रहा है रंगभेद को बढ़ावा

●लेखक – एस .आर .भारतीय

वर्तमान मीडिया, प्रिन्ट मीडिया, सरकारी व प्राईवेट टीवी चैनल ,अखबार ,पत्रिकायें लोगों के आचार विचार में रंगभेद का दंश भरता जा रहा है। अभी देश की जनता जातिभेद, धर्म भेद की लड़ाई लड़ रही हैं। और ये लड़ाई प्रारम्भिक दौर से गुजर रही है। इस लड़ाई में किसकी जीत होगी हैं आम जनता की या फिरका परस्तो की।

इस लड़ाई के पहले ही एक और लड़ाई की ज़मीन ये मीडिया और प्रासाधन बनाने वाले लोग खड़ी कर रहे हैं। रंग भेद(महिलाओं पुरुषों) में उनके रंगरूप पर कटाक्ष करने वाले विज्ञापन, लेख।साँवला रंग देश की नब्बै परसेन्ट महिलाओं और पुरुषों के रंग का प्रतिनित्व करता है। लेकिन साजिशन गोरे चिट्टी महिलाओं पुरुषों का विज्ञापन, सांवले रंग वाले लोगों को चिढ़ा रहे हैं। और मानसिक रुप से महिलाये इसका शिकार हो रही हैं।

व्यापारिक कम्पनियां इस रंग भेद को ज्यादा बढ़ावा दे रही हैं। सांवले रंग की लड़की का अस्तित्व लगता हैं अंधकार मय होता जा रहा है। सुन्दरता का पैमाना अब बड़ी बड़ी प्रसाधन बनाने वाली कम्पनियां तय कर रही हैं। जो ठीक नहीं है। सरकार को इस झूठे विज्ञापनो पर रोक थाम की दिशा में भी सोचना चाहिए। देश की साँवली बेटियों का भविष्य और जीवन अंधकार मय हो गया है। जब हर तरफ गोरी चिट्टी महिलाओं पुरुषों की मांग होगी तो ये सांवले रूप रंग वाले कहाँ जायेगे। वैसे भी शास्त्रों में सांवले रुप रंग वाले लोगों को कोई अहमियत नहीं दी गई है। उन्हें बहुजन समाज की श्रेणी में रखा गया है।

देश में रंगभेद, नस्लभेद, जातिभेद, सम्प्रदाय भेद, धर्म भेद का कोई जगह नहीं है ऐसा कोई करता है तो वो असंवैधानिक होगा देश की90% सांवले रंग वाली महिलाओं और बच्चियों को हीन भावना से ग्रसित होने से बचाने में सरकार को सोचना चाहिए। विज्ञापन कर्ता ऐसा शो करता है। जैसे साँवला रंग अभिशाप हो गया है। सांवला रंग महिलाओं की सारी प्रतिभा पर भारी क्यों पड़ता हैं ?

देवरिया बाल संरक्षण गृहकाण्ड पर हाईकोर्ट शक्त ,विपक्ष हमलावार

बिहार में मुजफ्फरपुर में हुए बालिका गृह कांड के बाद उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया में मां विंध्यवासिनी बालगृह बालिका शेल्टर होम में कथित यौन शोषण का मामला उजागर हुआ । हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत मामले को गम्भीरता से लेते हुए जिलाधिकारी को हटा दिया और घटना की सीबीआई जांच कराने का आदेश जारी कर दिया। जिस पर संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच की खुद मॉनिटरिंग की बात कही है. सामाजिक कार्यकर्ता पद्मा सिंह और अनुराधा द्वारा दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने 13 अगस्त तक सभी जानकारियां तलब की हैं.

याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने पूछा कि सीबीआई ने मामले में अभी केस दर्ज किया है कि नहीं. डिवीज़न बेंच ने सरकार से पूछा कि सेक्स रैकेट के पीछे राजनेता व वीआईपी तो नही हैं? हाईकोर्ट ने सभी लड़कियों के बयान भी तलब किए हैं. अदालत ने पूछा कि डीएम को हटाया गया, लेकिन पुलिस अफसरों के खिलाफ क्यों कार्रवाई नहीं की गई. अदालत ने यह भी जानकारी मांगी है कि संस्था ब्लैक लिस्ट थी तो पुलिस इस शेल्टर होम में लड़कियों को क्यों भेजती थी.

अदालत ने एडीजी को लापता लड़कियों का भी पता लगाने को कहा है. साथ ही शेल्टर होम में आने वाले वाहनों व व्यक्तियों का भी ब्यौरा मांगा है. अदालत ने शेल्टर होम से हटाई गई लड़कियों के पुनर्वास की भी जानकारी मांगी है. मामले में कोर्ट ने 13 अगस्त तक सभी जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया है.

बता दें इससे पहले सरकार की तरफ से गठित दो सदस्यीय टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट को मुख्यमंत्री को सौंपा था. जिसके बाद मंगलवार रात प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्यमंत्री ने मामले में सीबीआई जांच की संस्तुति की थी. साथ है सबूतों के साथ छेड़खानी न हो इसलिए एडीजी क्राइम के नेत्रित्व में एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने मामले में जिला प्रशासन की गलती बताते हुए पूर्व डीएम के खिलाफ चार्जशीट जारी करने का भी निर्देश दिया.

क्या है पूरा मामला —?
5अगस्त रविवार शाम देवरिया के विंध्यवासिनी बाल संरक्षण गृह से भागी लड़की ने पुलिस को जब यह जानकारी दी तो हड़कंप मच गया। पुलिस ने रात में ही संरक्षण गृह पर छापा मारा तो 42 में से 18 लड़कियां गायब मिलीं। देवरिया के डीपीओ ने कहा कि मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाजिक सेवा संस्थान द्वारा संचालित नारी संरक्षण गृह में पहले भी अनिमियता पाई गई थी, उसके आधार पर इनकी मान्यता स्थगित कर दी गई थी।

इसके बावजूद संचालिका हाईकोर्ट से स्थगनादेश लेकर इसे चला रही है। संचालिका और उसके पति दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में मानव तस्करी, देह व्यापार व बाल श्रम से जुड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस अधीक्षक रोहन पी. कनय ने बताया कि नारी संरक्षण गृह के बारे में लंबे समय से शिकायत मिल रही थी। मां विंध्यवासिनी महिला एवं बालिका संरक्षण गृह की सूची में 42 लड़कियों के नाम दर्ज हैं, लेकिन छापे में मौके पर केवल 24 मिलीं। बाकी 18 लड़कियों का पता लगाया जा रहा है। एसपी ने बताया कि अनियमितताओं के कारण इसकी मान्यता जून-2017 में समाप्त कर दी गई थी। लेकिन संचालिका हाईकोर्ट से स्थगनादेश लेकर इसे चला रही है।

उन्होंने बताया कि बिहार के बेतिया जिले की 10 साल की बच्ची देर शाम किसी तरह संरक्षण गृह से निकलकर महिला थाने पहुंची। वहां उसने संरक्षण गृह की अनियमितताओं के बारे में जानकारी दी। बच्ची के मुताबिक, वहां शाम चार बजे के बाद रोजाना कई लोग काले और सफेद रंग की कारों से आते थे और मैडम के साथ लड़कियों को लेकर जाते थे, वे देर रात रोते हुए लौटती थीं। संरक्षण गृह में भी गलत काम होता है।

एसपी ने बताया कि संचालिका गिरिजा त्रिपाठी और उनके पति मोहन इनके बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं। ऐसे में दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में मानव तस्करी, देह व्यापार व बाल श्रम से जुड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

इस गंभीर मामले को देखते हुए राजनीतिक पार्टियों में हलचल सी मच गई है विपक्ष हमलावर है ,तो वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट भी इस घटना को लेकर गंभीरता बनाए हुए हैं । प्रकरण का खुलासा तो सीबीआई जांच के बाद ही हो पायेगी इसके पीछे कौन कौन लोग है।
रिपोर्ट : अजय प्रकाश सरोज