देश में पहली बार दलित –  मुस्लिम दंगा अम्बेडकर के नाम पर, क्यों  और कैसे ?

दलित मुस्लिमो के बीच वैचारिक एकता को रोकने लिए कुत्सित प्रयास शुरू से होते ही रहे है, और आज भी हो रहे है, इस बार कुछ भ्रमित और बिकाऊ लोगो ने, जो कि मुस्लिम समुदाय से संबंध रखते थे, ने सहारनपुर मे निकाली जा रही बाबा साहब की शोभा यात्रा पर पथराव किया है, ऐसा ही पथराव महाराष्ट्र मे शिव सैनिको ने भी अंबेडकर जयंती मना रहे लोगो पर हाल ही मे किया है।देखने मे यह दोनों घटनाए एक जैसी है, लेकिन जो महाराष्ट्र मे हुआ है, वो हमारे लिए नई बात नहीं है, मनुवादियों द्वारा की जाने वाली ऐसी हरकतों से तो हम शुरू से वाकिफ है,

सबसे पहले समझने वाली बात है की इसका आयोजन किसने किया था । ख़बर यह भी आ रही है की यह आयोजन बिना परमिशन के किया गया था । अम्बेडकर के फ़ालोअर कभी क़ानून नहि तोड़ते । नियमों का पालन करते है । 

इस आयोजन का हैंडबिल देखेंगे तो पता चल जाता है की आयोजित करने में एस सी / एसटी या OBC की भूमिका नगण्य है 

कार्यकम को लीड कर रहे थे लखनपाल शर्मा ( सांसद) बाक़ी के लोगों के नाम भी देखिए पता चल जाएगा आयोजकों के  बारे में ।

आख़िर क्या कारण है की एससी / एसटी और OBC इतने सालों से अम्बेडकर जयंती माना रहे है आज तक कभी भी दलित -मुस्लिम दंगा अम्बेडकर की वजह से नहि हुआ , पहला दंगा हुआ उस कार्यक्रम में जिसे एक ख़ास जाती के लोग आयोजित कर रहे थे । 

कल से ही मीडिया यह ख़बर फैलाने में जुटा हुआ है की बाबा साहेब की वजह से दलित -मुस्लिम में दंगा हुआ । पर वह कितना भी ख़बर छुपाए अब हक़ीक़त छुप नहि सकती । शुक्र है सोशल मीडिया का न सिर्फ़ वहाँ के लोगों ने हक़ीक़त बताई बल्कि हैंडबिल भी शेयर किया जिसकी वजह से तस्वीर साफ़ हो गई है । – राजेश पासी ,मुंबई 
लेकिन जो सहारनपुर मे हुआ वह वाकई अचंभा पैदा करने वाला है, डॉ अंबेडकर से मुसलमानो को भला क्या दिक्कत हो सकती है। यह समझ से बाहर है। जाहीर है इस घटना के पीछे जरूर कोई साजिश काम कर रही है, मुज्जफरनगर, कैराना आदि घटनाए भी स्वतः स्फूर्त ना होकर सोची समझी साजिश का ही हिस्सा रही थी, और आज इसका परिणाम सबके सामने है। इन घटनाओ का स्थानीय तात्कालिक प्रभाव चाहे कम हो, लेकिन सूचना क्रांति के दौर मे इनके प्रभाव समाज के एक बड़े हिस्से पर दिखाई पड़ते है।

हमे तत्समय ऐसी घटनाओ की पुनरावृत्ति को रोकना होगा, विभिन्न समुदायो मे विश्वास बहाली के प्रयास करने होंगे, नहीं तो कुछ नालयको की हरकतों के सामने, दलित मुस्लिम बुद्धिजीवियो के प्रयास निरर्थक ही साबित होंगे। 

मैं अपने दलित भाइयो से भी कहूँगा कि वर्तमान मे दलित और मुसलमान समाज एक दूसरे की ओर देखने लगा है, करीब आने का प्रयास कर रहे है, इस उम्मीद के साथ कि ये दोनों समुदाय मिलकर अपनी नियति मे बदलाव ल सके। ऐसे मे ऐसी घटनाओ के लिए पूरे मुस्लिम समुदाय पर टिप्पणी करना बेबकूफी से ज्यादा कुछ नहीं। हाँ, इसका मतलब यह नहीं कि घटना के दोषियो को दंड ना मिले, उन्हे अवश्य दंड मिलना चाहिए, जिससे कि साजिश कर्ताओ के हौसले पस्त हो सके। यह एक अच्छा संकेत है कि सहारनपुर मे हुई घटना के विरोध मे आज तमाम मुस्लिम साथी आज आपके साथ खड़े है, और इस कृत्य की मुखर होकर आलोचना कर रहे है॥ यह प्रक्रिया रुकनी नहीं चाहिए॥ 

इसी आशा के साथ – धर्मेंद्र के आर जाटव की वाल से 

अखिलेश यादव या अखिलेश मिश्रा ?

अगर मैं अखिलेश यादव को अखिलेश मिश्रा कहूँ 

तो हैरत की बात नहीं होगी । आप नीचे स्वयं देखिये उनकी घोर सवर्ण परस्ती ।

समाजवादी पार्टी के विधान सभा अध्यक्ष रहे माता प्रसाद पाण्डेय अपने पिछले कार्यकाल में विधान सभा सचिवालय के लिए 40 समीक्षा अधिकारीयों और 50 सहायक समीक्षा अधिकारीयों की विज्ञप्ति निकाले थे ।परीक्षा हुई अभ्यर्थीयों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया लेकिन समीक्षा अधिकारी की कुल 22 सीटें सामान्य थीं। शेष ओबीसी और sc वर्ग की थी । ज्ञातव्य है कि -प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे और बिधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने मिलकर सिर्फ अपनी ही जाति और रिश्तेदारों को पूरी सीट पर चयन कर डाला और मात्र 3 दिनों के अंदर इनकी joining भी करवा डाली ।आख़िरकार इतने जल्दी joinning की वजह क्या थी ?बाद में कुछ सीटें बढ़ा भी दी गयी थी ।

सामान्य वर्ग में चयनित सभी अभ्यर्थियों के नाम की लिस्ट डाल रहा हूँ ।

कृपया स्वयं आकलन करें और सोचें कि -आख़िरकार जो मीडिया 86 में 56 यादव sdm की फ़र्ज़ी खबरे फैला दिया वो ब्राह्मणों के अधिकतम संख्या में चयन किये जाने पर शांत क्यों रहा ….

उपेंद्रनाथ मिश्र, 

रुद्ररजनीकांत दुबे, 

वरुण दुबे,

रवींद्र कुमार दुबे,

भास्करमणि त्रिपाठी,

वीरेंद्र कुमार पांडेय,

जय प्रकाश पांडेय,

आदित्य दुबे, 

नवीन चतुर्वेदी, 

प्रवेश कुमार मिश्र, 

संदीप कुमार दुबे,

अमिताभ पाठक, 

राहुल त्यागी, 

अविनाश चतुर्वेदी,

पुनीत दुबे, 

शलभ दुबे, 

पार्थ सारथी पांडेय, 

प्रशांत कुमार शर्मा, 

राहुल त्यागी।

प्रशांत राय शर्मा, 

आदित्य कुमार द्विवेदी,

श्रेयांश प्रताप मिश्र,

सोनी कुमार पांडेय, 

चंद्रेश कुमार पांडेय,

पीयुष दुबे,

अरविंद कुमार पांडेय,

करुणा शंकर पांडेय, 

अंकिता द्विवेदी, 

दिलीप कुमार पाठक, 

प्रवीण कुमार सिंह, 

भूपेंद्र सिंह,

अभिषेक कुमार सिंह, 

संजीव कुमार सिंह,

सतीश कुमार सिंह,

वरुण सिंह, 

हिमांशु श्रीवास्तव, 

राकेश कुमार साहनी, 
क्या माता प्रसाद और प्रदीप दुबे की सांठगांठ से हुई सचिवालय में नियुक्तियां, जानें कौन हैं प्रदीप दुबे ?

(शशिकांत मेहता की वाल से)

नाग , असुर और पासी का सम्बंध

नाग जाती प्राचीन मानव जातियों में एक प्रमुख जाती मानी गई है ।सूर्यवंश के अंतर्गत यह कश्यप और क़द्र की संतान मानी जाती है । क़द्रू को सुरसा भी कहा जाता है । कश्यप और क़द्रू के पुत्रों में अनंन्त ( शेष ) तक्षक , वासुकि ,ककोर्टक ,महापद्मम , पद्मम शंख , ( शंखपाल ) ,क़लिक़,एलापात्र , अश्वत्तर तथा एरावत आदि बारह पुत्रों का वर्णन विधमान है । पुराणो में नागों को शक्तिशाली मानव जाती बतलाया गया है । कतिपय विद्वानों का यह मत है की आर्योंद्वारा नाग जाती के समापन हेतु युद्धो का वर्णन ही नाग यज्ञ का रूप है । अथवा देवासुर संग्रमो का स्वरूप । 

नीलमत पुराण में वर्णित तेरह जातियों में पिशाच ( बिना पकाया माँस खाने वाली जातियाँ ) दरद, गांधार ,शक ,खस, तंगड , मांडव , तथा , मद्र , कश्मीरी जातियों के साथ -साथ नागों का भी वर्णन अंकित है जो इस जाती को मानव जाती सिद्ध करता है । 
महाभारत में नाग वंश के नामावलियो में वासुकि नाग तक्षक नाग, एरावत वंश, कौरव्य तथा पांडव वंश भी नाग जाति से संबंधित थे । पुराणों में नागों का वर्णन साहित्यिक तथा प्रतीकात्मक दोनों रूपों में है, क्योंकि क्योंकि नाग का अर्थ साँप, रज्जू , पवन , हाथी बादल और पर्वत भी होता है । इन विविध पर्यायवाची शब्दों से नाग जाति के बारे बारे में भ्रांति का पैदा होना नितांत आवश्यक हो जाता है ।महाभारत का कौरव और पांडव वंश चंद्रवंशीय माना जाता है । इस चंद्रवंश में पूरूरवा के बाद युधिष्ठिर 45 वीं पीढ़ी में पैदा होते हैं । इन्ही चंद्रवंशीय पांचवी पीढ़ी में ययाति की पांच संतानों में यदु और तुर्वस देवयानी ( शुक्राचार्य की पुत्री ) के पुत्र हैं । पुर , द्रुह तथा अनु ये तीनों पुत्र सर शर्मिशस्ठा (पुत्री प्रीखपर्वा नागराज ) के पुत्र कहे गए है । बड़े पुत्र यदुवंश से यह वंश यदुवंश तथा नागवंश दोनों नामों से विख्यात हुआ । इसके आगे चलकर चार शाखा हुई वृषनी , भोज , कुकर और आंध्र ।यह आंध्रवंश तक्षक वंश पुकारा गया । जिससे टांक वंश की उत्पत्ति हुई। यही टाक वंश भारशिव नागों का कुल है ।इसकी प्रमुख राजधानी रामायण के अनुसार भोगवती बतलाई गई है तथा ऐतिहासिक रूप से पद्मावती जो ग्वालियर के निकट पदमपवाया है समीकृत की जाती है । अन्य नागो के स्थानों में नागलोक, नागपुर , नागधनवा तीर्थ , नागपुर आदि दिखाए गए हैं ।

महाभारत के शांति पर्व के अनुसार नैमिशर्णय के गोमती के किनारे का एक नगर नागपुर आधुनिक नगवा या नागधनवा प्रतीत होता है । इस नागधनवा क्षेत्र में वासुक नाग का निवास था । इसी नाम का एक और नागों का शहर सरस्वती नदी के किनारे बसा हुआ बताया गया है ।अर्थवेद तैत्तरीय संहिता , छंदोपनिषद तथा गृहसूत्र आदि ग्रंथों में नाग पूजा का उल्लेख होता है । अन्य पुराणों में भी इस बात की पुष्टि होती है कि नाग एक सशक्त जाति के लोग थे । भारतवर्ष में आर्यों से बैर भाव के कारण नाग मुर्तिया तोड़ी गई और कुशलता कुषाणों द्वारा भी नाग पूजा और नाग मूर्तियों को क्षति पहुंचाई गई ।
असुर शब्द ईरानी भाषा का अहूर शब्द का हिंदी रुपांतर है । अहुरमज़दा इरान का सबसे प्राचीन ग्रंथ है जो वेदों का समकालीन है । अहूर का स्थान प्राचीन इरान में एक पूज्य देवता के रूप में था । ईरान का आर्यवंश का अंतिम राजा यजूदगर्द अरब वालों द्वारा मारा गया तब उसकी बेटी माहबानू भागकर भारत आ गई । उसी की औलादों के में उदयपुर के राना है । ( इतिहास तिमिरनाशक–शिवप्रसाद सितारे हिंद ) असुर नूह के पुत्र साम का बेटा था ।
पश्चिम एशिया का असुर देश जो असुरिया कहालाता था ज्ञान , विज्ञान , इतिहास , भूगोल साहित्यिक तथा जादू टोना आदि में पारंगत था । यह देश असुरिया दजला नदी के पश्चिम कीनारे पर आधुनिक टर्क़ी में स्थित था । उसकी राजधानी निनेव थी को मिश्र , मीडिया और बेबिलोनिया के संयुक्त आक्रमण से जलाकर राख कर दिया गया । यहां से उत्खनन के द्वारा 1850 इसवी में 30000 पक्की ईंटों की पुस्तकें का ढेर प्राप्त हुआ , जो लंदन के म्यूजियम में जमा है । यह असुर शब्द सही अर्थों में असूर्य है जो ऋगवेदिक आर्यों के सूर्य उपासना के ठीक विपरीत है । यही असूर शब्द फिर नागवंशीय ,चंद्रवंशीय, सभी असूर्यवंशी की संज्ञा बन गया । यथा “मृगमित्र विलोकत जले है , चंद निशाचर पद्धति को –रामचंद्रिका केशवदास ।
फर्गुसन महोदय ने इन नागों को असुर भी कहा है अपने ग्रंथ टी एंड सर्प एंड वरशिप में उन्होंने तूरानी (दक्षिण ईरान ) माना है तथा कर्नल टाड ने इन्हे शकायद्विपिय अर्थात सकार्थिया शेष नाग देश निवासी माना है । बनर्जी शास्त्री ने अपने ग्रंथ असुर इंडिया के पृष्ठ 96 में इन्हें असुर जाति की शक्ति तथा रीड की हड्डी माना है ।और बताया है कि नागों के पतन के बाद भारत में असुरों का भी पतन हो गया । इसका मतलब यही है कि नागों और असुरों में असल में कोई अंतर नहीं था ।यह दोनों नाग और असुर एक ही जाति के व्यक्ति थे जो कभी नाम और कभी असुर की संज्ञाये पा जाते थे । प्रसिद्ध इतिहासकार ए न बनर्जी भी असुरों की एक शाखा को नाग जाति मानते है । डा० गियर्सन के अनुसार नाग जाति अनार्य थी और वे कश्मीर के हुंजा क्षेत्र के निवासी थे । कुछ विद्वान नागटोरम के कारण यह नाग जाति के कहलाते थे । ये एक फ़न , तीन फ़न पाँच फ़न या सात फन की माला जा मुकुट धारण करते थे इसीलिए नाग कहलाते थे । कुछ विद्वान नागों को द्रविंण मानते हैं तथा कुछ नागो की भाषा को द्रविंण भाषा बतलाते हैं ।

लेखक रामदयाल वर्मा जी

पासी जाति को भी द्रविंण भी कहा गया है यहां हम आर० बी० रसेल का एक उदाहरण प्रस्तुत करने जा रहे हैं 

” A Dravidian occupational caste of northern India. Whose heridetary employment is the tapping pakora and other palm tree for their shape. The name is derived from Sanskrit word pashika , one who uses a Noose and the Hindi word Pash or Pasa Noose. Tribes and caste of central province of India. Refer Vol -IV pages 380/ 383 by R .V. Russel.

अब यह स्पष्ट हो चुका है कि पासी जाति नाग वंश की तक्षक “टाक”शाखा के भार शिव वंशी है तथा पद्मावती राजधानी के नवनाग नृप रह चुके हैं । डॉक्टर अंबेडकर ने स्पष्ट कहा है कि यह देश दासों अथवा नागों का घर है । अब हमें यह देखना है कि क्या किसी भारतीय विद्वान ने भी पासी जाति को असुर भी कहा है ? उत्तर हाँ में है ।
उदाहरण देखिए संपन्न नागो के घर प्रायः भूमिगत होते हैं । बड़ी-बड़ी बावड़ियों में और इनदौरों के भीतर इनके दो दो महले के पक्के भवन होते हैं । उनके भीतर जाने के द्वार गुप्त और प्रायः बड़े-बड़े बिलो के आकार के होते हैं ।

असुर और पासीजन दारू बनाने सुरंगे खोदने धनुष चलाने और चौर्यकला में परम निपुण होते हैं । अवध में इन की धनि बस्तीया है । ” एकदा नैमीषारण्य” -पृष्ठ संख्या -72 , लेखक अमृतलाल नागर ।
उपरोक्त कथन से यह ध्वनित होता है कि नाग और पासी पासी एक जाति की पृथक पृथक प्रथक नामावलीया है ।पासी असुर भी है और आर्यों के कट्टर प्रतिद्वंद्वी भी पासी जाती रही है । इसका सरल अर्थ यह हुआ कि पासी जाति का यह नाम आधुनिक है ।
पासी जाति के दुर्गुण जो नागर जी द्वारा बताए गए हैं वह युद्धकाल में वह सब सद्गगुण हो जाया करते हैं । सन 1857 की आजादी की लड़ाई में भारत की अन्य जातियों के अपेक्षा इसका ज्यादातर सराहनीय योगदान रहा है । पासी लोगों ने सुरंगे खोदीं , शत्रुओं के गोला-बारूद लूटे, चुराए, बहादुरीपूर्ण धनुष बाण का प्रयोग किया । यह सब विवरण ऐतिहासिक पुस्तकों में देखा जा सकता है । 
अंत में हम यह कह सकते हैं की ” अर्थात भूखा आदमी कौनसा अपराध नहि करता ? हम अपराधी नहि है । और न ही देशप्रेम विहीन हृदय वाले । हम कुशाणओ को देश से बाहर भगाने वाले , दस -दस यज्ञ रचाने वाले , कुआँ , घाट , तालाब ,बनाने वाले और शैव धर्मी सच्चे भारशिव वंशी लोग है ।

लेकिन भारत के इतिहासकारों ने भारशिव वंश के साथ न्याय नही किया । जिसे डॉ काशीप्रसाद जायसवाल ने समृद्ध किया है। 
लेखक – प्रसिद्ध इतिहासकार व लेखक रामदयाल वर्मा, हरदोई उत्तर प्रदेश। सम्पर्क- 

मुंबई में भ्रष्टाचारी ब्यवस्था के ख़िलाफ़ रामशंकर सरोज ने छेड़ी एक साहसिक जंग…

800 आरटीआई दर्ज कराने वाले रिक्शा चालक !

रामशंकर अयोध्याप्रसाद सरोज मुंबई के धारावी में रहने वाला एक आम रिक्शाचालक I रोज़ मेहनत करना और स्वाभिमान से रहता है । रामशंकर सरोज जी के जागरूक होने की कहानी शुरू होती है साल 2००3-०4 के आसपास जब मुंबई में पुनर्विकासन अधिनियम के तहत रामशंकर सरोज की सोसायटी को एसआरए के अंतर्गत एक बिल्डर को विकास करने के लिए दी गई । जब रामशंकर सरोज को यह पता चला कि बिल्डर ग़रीब निवासियों को धोखा दे रहा है तो रामशंकर के अंदर का स्वाभिमानी कार्यकर्ता भ्रष्ट बिल्डर के ख़िलाफ़ उठ खड़ा हुआ । 
रामशंकर सरोज जी ने महाडा ( महाराष्ट्र सरकार की हाउज़िंग डिवेलपिंग अथॉरिटी) और बिल्डर के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करना शुरू किया ।

बिल्डर के अनेक अनिधकृत निर्माण कार्य के ख़िलाफ़ सबूत देकर और आरटीआई का उपयोग कर सलंगन अधिकारियों और पोलिस की मदद से किए जा रहे अनिधकृत कार्यों की जानकारी उजागर हुई ।

सरकारी ब्यवस्था केवल काग़ज़ों पर हवाई घोड़े दौड़ाते है और यही ब्यवस्था भ्रष्ट मंडलीयो का पालन पोषण करते है। यह बात रामशंकर जी को समझ में आ गई ।परंतु उन्होंने प्रण किया इस ब्यवस्था के ख़िलाफ़ लड़ते हुए अगर मै मर तो भी गया तो चलेगा पर अपने जीते जी इस लड़ाई से पीछे नही हटूँगा ।और यही मंत्र रामशंकर सरोज जी के जागरूक हो कर लड़ाई लड़ने का सहारा बना ।
एक सीधा सादा केवल दसवीं पढ़ा रिक्शा ड्राइवर रामशंकर सरोज ने पिछले 6 सालों में आरटीआई के ज़रिए मुंबई में महडा, महानगरपालिका ,मंत्रालय , पोलिस टेशन और दूसरे सरकारी दफ़्तरों के अनाधारिक कार्यों को उजागर किया है ।
कई बार इन्हें जानकारी देने से टालने की कोशिश की जाती थी बहाने बनाए जाते थे क्योंकि अगर जानकारी दी तो बड़े अधिकारियों की पोल खुल जाएगी।

जानकारीं पाने के लिए रामशंकर जी कई कई बार आरटीआई के स्टेटलेवल कमिश्नर के कार्यालय पर जा कर अपील करते थे । पर अनेक जायज – नाजायज़ कारण बता कर काग़ज़ों के खेल – खेलकर जानकारी देने से महरूम कर देते थे ।

इस दौरान रामशंकर सरोज RTI न डाले इसके लिए अनेक प्रलोभन दिए जाते थे कुछ अधिकार्यो ने नए रिक्शे दिलाने की पेशकश की और RTI का पीछा छोड़नेके लिए कहा ।

कुछ बिल्डरो ने मुंबई जैसे शहरमें २-२ फ़्लैट्स तक देने का वादा किया ।

पर इस स्वाभिमानी आरटीआई कार्यकर्ता को इतने बड़े बड़े लालच भी उसके ईमान से डिगा नही पाए ।

भ्रष्टाचार का काला चेहरा सबके सामने लाना ही सरोज जी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य है । इसलिए रामशंकर जी कोई ख़रीद नही सका । और नही ये बिकने वाले । सच के लिए लड़ना ही पासियो की असली पहचान है। 

ईमानदारी और निडरता रामशंकर का उदाहरण RTI कार्यकर्ताओं के लिए एक आदर्श उदाहरण है । 

RTI का उपयोग कर प्रशासन व्यवस्था को स्वच्छ करना और जागरूक नागरिकों का प्रशासन व्यवस्था पर पर पैनी नज़र रखने के लिए हज़ारों हज़ार रामशंकर सरोज का जन्म लेना आज समय की माँग है 

रामशंकर जी के बारे में मुंबई के कुछ मराठी और अंग्रेज़ी अख़बरो में कई बार छप चुका है । पर हिंदी अखबारो में इनके बारे में कुछ नहि छपा है( क्यों नहि छपा है यह जानना मुश्किल नहि है जब हम जानते है की हिंदी अखबारो में कौन लोग मुख्य पद पर है ) ईसिलिए अपने पासी समाज के लोगों को भी इनके बारे में कम ही जानकारी है । इनकी बहादुरी का पूरे पासी समाज के लिए गर्व की बात है ।अगर यही काम किसी साधन संप्पन या नेता ने किया होता तो पासी समाज के लोगों की जबान पर उनका नाम होता पर वह एक साधारण इंसान है इसलिए शायद वह पासी समाज के लिए आज भी अनजान है ।और उन्हें इस बात से कोई फ़र्क़ भी नहि पड़ता वह सिर्फ़ ईमानदारी से अपना कम करने में विश्वास करते है न की नाम के प्रचार का । नहि तो कोई कारण नहि था की कई बार ख़बरों में आने के बाद भी , जिसने मुंबई के सरकारी तंत्र में , जिसने प्राइवट बिल्डरो में अकेले ही खलबली मचा रखी है पासी समाज की गतिविधियों से दूर है ।
रामशंकर जी का मानना है की सेवा के लिए उठा एक हाथ प्रार्थना के लिए उठे दो हाथो से ज़्यादा महत्वपूर्ण है । – सुधीर सरोज, मुंबई 

कायर मजबूर सती ( राजपूत ) महिलायें बनाम बहुजन वीरांगनाएँ।

उधर निठल्ले तोंदियल अलसाए राणा जी लड़ने चले नहीं कि इधर रानी साहिबा के जल मरने की तैयारी शुरू। राणा जी लगभग शत प्रतिशत हार जाते थे। या भाग खड़े होते थे। 

शुक्र है कि भारत में झलकारी बाई कोरी, उदा देवी पासी, रानी दुर्गावती, अवंतीबाई लोधी, महावीरी देवी जैसी वीरांगनाएँ रही हैं। 
सिर्फ एक मिसाल लें तो, उदा देवी के पति 1857 अंग्रेज़ों से लड़ते हुए मारे गए तो उदा देवी सती नहीं हुईं। तलवार उठाई और 30 से ज़्यादा अंग्रेज़ों को मारकर शहीद हो गई।

वीरांगना उदा देवी पासी

इसे कहते हैं शौर्य।

वह नहीं कि फोकट में जल मरीं। 
वो जो सती बनी, जिन्होंने निठल्ले राणा जी के लिए जौहर किया, उनसे देश को क्या मिला? इसलिए देश ने भी उन्हें इतिहास के कूड़े में फेंक दिया।

झलकारी बाई कोरी

हालाँकि मुझे नहीं लगता कि कोई महिला अपनी मर्ज़ी से सती होती होंगी। ज़बरन पकड़कर जला दिया जाता होगा।
अच्छा है कि यह प्रथा अब ग़ैरक़ानूनी है। 

रानी दुर्गावती

बहरहाल, झलकारी बाई कोरी, उदा देवी पासी, रानी दुर्गावती, अवंतीबाई लोधी, महावीरी देवी की मूर्तियाँ देश के अलग अलग हिस्सों में लगी हैं। उन्हें फूल मालाएँ पहनाई जाती हैं। उनके नाम पर सरकार ने डाकटिकट जारी किए। उनके नाम पर स्कूल कॉलेज हैं। उनके नाम पर पुरस्कार दिए जाते हैं। 

रानी अवंती बाई लोधि

उन वीरांगनाओं को शत शत नमन।

देवधर में महाराजा बिजली पासी की प्रतिमा का अनावरण !

देवघर, झारखण्ड: अखिल भारतीय पासी समाज, देवघर के द्वारा दिनांक 06 अप्रैल 2017 को महाराजा बिजली पासी का राज्यरोहण समारोह धूमधाम से मनाया गया। इसके साथ ही देवघर के महाराजा बिजली पासी चैक पर महाराजा बिजली पासी की आदमकद प्रतिमा का अनावरण भी किया गया। इसकी जानकारी देवघर पासी समाज के अध्यक्ष दिलीप कुमार महथा ने दिया है।


इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चैधरी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का उद््घाटन श्रीमती रीता राज खवाड़े, महापौर, देवघर नगर निगम ने किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में सुरेश पासवान (पूर्व मंत्री, झारखण्ड सरकार), राज नारायण खवाड़े- पूर्व महापौर देवघर, अशोक कुमार चैधरी- शिक्षा मंत्री- बिहार सरकार, मनीष कुमार- विधायक, श्रीमती सुधा चैधरी- पूर्व मंत्री, आर0सी0 कैथल- पूर्व ए.डी.जी.पी., राघो चैधरी- राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अ.भा. पासी समाज, आर.पी. चैधरी- प्रदेश अध्यक्ष अ.भा. पासी समाज, सुकर पासी- कार्यकारी अध्यक्ष पासी समाज झारखण्ड, जगदीश चैधरी- अध्यक्ष अ.भा. पासी समाज बिहार, हीरालाल चैधरी- सचिव पासी समाज, बिहारी प्रसाद- अध्यक्ष जगलाल चैधरी स्मृृति संस्थान, विश्वनाथ प्रसाद- मुख्य अभियंता आदि प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

पासी समाज इन मुंबई यूनिवर्सिटी – RCP का एक प्रयास समाज के लिए !

 


बाबा साहेब और फूले की विचार धारा शिक्षित बनो , संगठिति बनो , संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए इस क्षेत्र में प्रैक्टिकल रूप में कार्य करने का क़दम RCP ने बढ़ाया है ।
इस अप्रेल माह में बाबा साहेब और महात्मा फुले साहेब दोनो की जयंती है । दोनो ही महापुरुषों ने शिक्षा के जगत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है । और इनकी जयंती मनाने के लिए RCP ने कल यानि ९ अप्रेल २०१७ को समाज के बच्चों और पेरेंट के लिए एक दिवसीय शैक्षणिक और कैरीयर गाइडेन्स शिविर का आयोजन किया था मुंबई यूनिवर्सिटी में । 
इन महापुरुषों की जयंती मनाने का इससे अच्छा तरीक़ा नहि हो सकता ।
इस कार्यक्रम की सफलता के बारे में मैं कुछ नहि कहूँगा आप लोग ख़ुद ही तस्वीरें देख लीजिए क्योंकि तस्वीरें ख़ुद ही बोलती है । 

जैसा कि हमने पहले ही कहा था ऐसे परिवेश में ऐसा कार्यक्रम पासी समाज में इसका संदेश दूर तक जाएगा । 

ऐसा कार्यक्रम करने का अगला प्लान उत्तर प्रदेश में आयोजित करने का है । जिसके लिए उत्तर प्रदेश के सभी साथी कंधे से कंधा मिला कर खड़े होंगे ।


इसके अलावा मुंबई यूनिवर्सिटी में पासी समाज का के इस तरह के आयोजन ने काफ़ी लोगों को आकर्षित किया । बैनर देखकर यूनिवर्सिटी के काफ़ी प्रोफ़ेसर हमसे मिलने के लिए आए और टीम को प्रोत्साहित किया साथ ही समाज के लोगों को किसी भी तरह की सहायता के लिए आश्वासन दिया ।

मुंबई यूनिवर्सिटी में किसी भी तरह की संस्था को बैनर लगाने की अनुमति नहि मिलती पर हमारे प्रोग्राम से यूनिवर्सिटी के एक डाईरेक्टर काफ़ी ख़ुश हुए और जो बाहर बैनर लगा था ख़ुद फ़ोन करके बोले की बैनर इस पूरे महीने लगा रहने दो ताकि समाज में संदेश जाए । आ यूनिवर्सिटी जाएँगे तो आपको पासी समाज का RCP बैनर ज़रूर दिखाई देगा । जिसकी वजह से काफ़ी लोग न सिर्फ़ पासी समाज के बारे में जानने की कोशिश करेंगे बल्कि नेट पर भी खोजेंगे .

 मैं बहुत संक्षिप्त में कार्य्य्र्म के बारे में बताऊँगा जिससे आपको कार्यक्रम के बारे में और RCP के कार्य करने और उसकी विचारधारा के बारे में जानकारी मिलेगी ।
कार्यक्रम की शुरुआत सभी ने संविधान उद्देशिका पढ़ कर की । उसके बाद सीन्यर साथियों ने बाबा साहेब , महात्मा फूले, और शाहू महाराज पर माल्यार्पण किया ।

बाबा साहेब की १२६ जयंती थी हमने बच्चों के हाथ केक कटवा कर बाबा साहेब की १२६ जयंती मनाई।

उसके बाद प्रमुख मार्गदर्शको ने अपने प्रेज़ेंटेशन दिए उनके नाम और डिग्री आपने हैंड्बिल में देखा ही था नीचे भी बैनर में नाम दिए है । इसके अलावा हमारे 
कार्यक्रम दो सेशन में था पहला १०:३० से १ :३० बजे तक फिर १:३० २:०० बजे तक ब्रेक और लंच था ताकि लोग रेफ़्रेश हो जाए दूसरा सेशन २-४ बजे तक था और फिर ४-५ बजे तक सीन्यर साथियों और उपस्थिति लोगों ने अपने विचार रखे । 
गाइड करने वालों में C A प्रभावती जी , ब्रिजेश जी , संजय वैराल जी , सी पी सरोज जी , डा० रमाशंकर भारत जी , और राजेश जी ने बहुत अच्छी तरह से पेरेंट और बच्चों को गाइड किया । RCP की तरफ़ से इन सभी को फुले और सावित्री बाई की फ़ोटो लगी स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया । 
इसके अलावा १५ सेट के एक प्रशंन बच्चों को दिए गए थे नीचे आप इमेज में देख सकते है उन प्रश्नो को । यह प्रश्न बुद्ध, अम्बेडकर , फुले और पासी समाज से जुड़े थे । सबसे जयदा उत्तर देने वाले तीन विद्यार्थियों को पुरस्कार दिया गया । इसी बहाने कम से कम इन लोगों ने नेट पर से समाज के बारे में जानने की कोशिश की । 
RCP पूरी तरह से युवाओं द्वारा संचालित है जिसके बेस में बहुत से सीन्यर साथी सहयोग दिए है जिसके कारण यह ग्रुप खड़ा है ।RCP ग्रुप पर न सिर्फ़ सीन्यर साथियों ने बल्कि समाज के लोगों ने भी भरोसा किया यह RCP के लिए गर्व की बात है ।
धन्यवाद , जय भीम 
           -RCP टीम , मुंबई 

समाजवादी सरकार में क़ब्ज़ा की गई ज़मीन वापस दिलाने के लिए मुख्यमंत्री से गुहार !


उत्तर प्रदेश सरकार बदलते ही गरीबों को न्याय मिलने की उम्मीद भी जग गई है। बीजेपी ने अपने चुनावी वादों में जमीनों पर अबैध कब्ज़े को हटाने का वादा किया है। समाजवादी सरकार में दबंगो द्वरा कब्जा गरीबो की ज़मीन वापस दिलाने के लिए हर दिन विज्ञापन अखबारों में छाया रहता था। इसीलिए शायद गरीबो ने भाजपा को वोट भी दिया है। इलाहाबाद के सरायइनायत थाना अंतर्गत जीतलाल पासी  की ज़मीन वर्षो से एक दंबग यादव ने कब्जा कर रखा है। जिस उसने ढाबा बना रखा है। ग़रीब पासी ने बहुत हाथ पांव मारा लेकिन सपा सरकार में कोई सुनावई नही हुई। सरकार बदलते ही न्याय की आश जीतलाल ने मुख्यमंत्री योगी को चिट्ठी लिखकर न्याय की गुहार लगाई है  मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र  में लिखते हैमैं जीत लाल पासी पुत्र स्व० श्रीनाथ ग्राम- दुल्हापुर , परगना झूसी,तहसील- फूलपुर,जिला- इलाहाबाद ( विधान सभा 256 फूलपुर) पिछले 40 वर्ष से झोपड़ी मे रहने के लिये इस लिये विवश हुँ। कि हमारी भूमिधरी की जमीन गाटा संख्या  क्षेत्रफल 0.1500 जी० टी रोड से सटी (अनुमानित कीमत लगभग चालिस लाख) पर एक दबंग शम्भूनाथ यादव उर्फ पहलवान यादव प्रोपराइटर पहलवान ढाबा का गैरकानूनी कब्जा है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में दबंगो द्वारा जबरन गरीबो की जमीन को कब्जा से मुक्त करवाने का विज्ञापन दिया जा रहा था। जिसे देखकर मैन भाजपा को वोट दिया। 
अनुरोध है कि अपना चुनावी वादा पूरा करते हुए मेरी कब्जा की गई जमीन वापस करवाई जाए। अति कृपा होगी।
                     #जीतलाल_पासी 
                मो._____ 751892566

एक पापा ऐसे भी , दामाद ने बेटी पर उठाया हाथ तो ……

दामाद ने बेटी की इसतरह पिटाई की की बेटी को आँख पर लगे ७ टाँके । दहेज को लेकर दामाद पहले भी प्रताड़ित कर रहा था । बेटी को इस तरह घायल देखकर …


आम पिता की तरह दामाद के हाथ पैर जोड़ने और समझाने की बजाय सड़क पर डंडो से पीटा । दामाद को बहुत बढ़िया सबक़ सिखाया है । 

महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा का बहुत सकरात्मक जवाब दिया है । 

आपकी क्या राय है कमेंट में ज़रूर लिखे ..और सहमत हो तो शेयर करे ।

राजेश पासी , मुंबई 

उन्नाव में है ख़ूबसूरत राक्षस भवन, और उससे भी ख़ूबसूरत है उसमें रहने वाले लोग!

उन्नाव : जी हाँ जो घर आप तस्वीरों में देख रहे है वही है राक्षस भवन । इसमें शूद्र शिव भारती पासी अपने परिवार के साथ रहते है । 

राक्षस का नाम आते ही हमारे दिल दिमाग़ में रामायण और महभारत में दिखाए हुए राक्षसों का दृश्य सामने आता है जो गंदे से और सिर पर सींग लिए हुए रहते है ।
आज हम जानते है की राक्षसों की वह तस्वीर पूरी तरह से काल्पनिक है । आज हम यह भी जानते है की राक्षस शब्द बना है रक्षक से रक्षा करने वाले से । 
राक्षस कौन थे या कौन है यह तुरंत ही समझ में आ जाता है जब आप आर्य – अनार्य की चर्चा करते है जब अब देव – असुर संग्राम की चर्चा करते है ।

आर्य जो बाहर से आए थे अनार्य जो यहाँ के थे उनसे युद्ध हुआ । जब आप जानते है की वह आर्य थे तो आप आज के शूद्र कौन थे ….?

हिरनयकश्यप और महिसासुर यहाँ के राजा थे और आर्योंने उन्हें राक्षस और असुर का दर्जा देकर विलेंन बना दिया । 

अब तो सच्चाई सामने आने के बाद कई जगह पर महिसासुर की जयंती भी मानाना शुरू हो गया है ।

कई लोग समझने लगे है पर फिर भी पब्लिक में ऐसा ऐक्सेप्ट करने की हिम्मत करने वाले बहुत कम है ।

हमारे पासी समाज में तो लोग बुद्ध या अंबडेकर की तस्वीर लगाने में डरते है की लोग क्या कहेंगे ।
पर शिव पासी जी की हिम्मत देखिए उन्होंने अपना ख़ूबसूरत घर बनवाया और उसका नाम रख दिया राक्षस भवन । हैरत है भारत देश में कोई इंसान ऐसा कर सकता है ।भले ही हम हक़ीक़त जानते हो की राक्षस मतलब क्या होता है पर इस देश की अधिकांश जनसांख्या के लिए राक्षस मतलब वही राक्षस होता है जो हमें बचपन में सिखाया गया है ।

बावजूद इसके शिव पासी जी ने इतनी हिम्मत दिखाई यह कोई आसान काम नहि है । आज जहाँ सारी जातियाँ अपने को क्षत्रिय मनवाने में लगी है शिव पासी जी ने न सिर्फ़ अपने नाम के आगे बल्कि पूरे परिवार के नाम के आगे शूद्र रखवा दिया है ।

मैंने जब उनसे पूछा इतना बड़ा क़दम पब्लिक रूप से उठाया है आपको या आपके परिवार वालों को परेशानी नहि उठानी पड़ी । तो शूद्र शिव पासी जी बोले किसी न किसी को तो आगे आना ही पड़ता है । मैं भीड़ के साथ चलने के बजाय एकला चलो पर विश्वास करता हु । हो सकता है इस कार्य के लिए मुझे लोग मूर्ख या नादान समझे पर यह मेरे और मेरे परिवार द्वारा सोच समझकर लिया हुआ क़दम है ।

शूद्र शिव पासी जी लेखक और नॉवलिस्ट भी है पर फिर वही धन और सहयोग की कमी की वजह से उन्हें वह अवसर कभी नहि मिल पाया जिनके वह अधिकारी थे । 
बरहाल कभी आप उन्नाव जाइएगा तो ज़रूर मिलिएगा मैंने तो बात की उस हिसाब से काफ़ी मिलन सार है और समाज के नाते वह आपका स्वागत भी करेंगे ।
नोट : शूद्र शिव पासी जी ने सही किया है या ग़लत यह कहने का हक़ पत्रिका को नहि है । पत्रिका का मक़सद आप तक ख़बर पहुँचना है । सही ग़लत का फ़ैसला आपका है । रिपोर्टर के तौर पर मैं राजेश पासी , मुंबई से शूद्र शिव पासी जी से सहमत हु और इसे एक बड़ा क़दम मानता हु । एक ऐसा क़दम जिसे उठाने का साहस सबके बस की बात। नहि है ।
शूद्र शिव भारती पासी सम्पर्क – +91 88969 25849

राजेश पासी , मुंबई